आओ मिलकर बचाएँ | Aao Milkar Bachaye Class 11 Question Answer
“आओ , मिलकर बचाएँ” कविता में कवयित्री ने “माटी का रंग” शब्द का प्रयोग कर अपने संथाली आदिवासी समाज की विशेषताओं की ओर संकेत किया है। सीधा- साधा रहन सहन , वेशभूषा , रीति रिवाज , लोकगीत -संगीत , स्वभाव में अक्खड़पन व जुझारुपन , अदम्य साहस आदि आदिवासी संथाली समाज के लोगों की विशेषताएं हैं जो उन्हें और लोगों से अलग बनाती हैं।
Aao Milkar Bachaye Class 11 Question Answer Hindi Aroh 1 , आओ मिलकर बचाएँ कक्षा 11 के प्रश्न उत्तर हिंदी आरोह 1
Aao Milkar Bachaye Class 11 MCQ आओ मिलकर बचाएँ MCQ
“आओ , मिलकर बचाएँ” की कवियत्री कौन हैं – निर्मला पुतुल
“आओ , मिलकर बचाएँ” कविता का संथाली भाषा से हिंदी रूपांतरण किसने किया – अशोक सिंह ने
कवयित्री किस समाज से ताल्लुक रखती हैं। – संथाली आदिवासी समाज से
कवयित्री ने अपनी कविता में किस समाज के नकारात्मक व सकारात्मक पहलुओं को बेबाकी से प्रकट किया है – संथाली आदिवासी समाज के
कवयित्री ने किसके जीवन के अनछुए पहलुओं से परिचय कराया है – आदिवासी समाज
संथाली आदिवासी समाज की भाषा क्या है – झारखंडी
इस कविता की भाषा में कौन सा पन झलकता है – झारखंडीपन
कवयित्री के अनुसार यह कैसा दौर है – अविश्वास भरा
बस्तियों के नंगी होने से कवयित्री का क्या तात्पर्य हैं – वृक्ष विहीन यानि बिना पेड़ पौधों के
कवयित्री को पूरी बस्ती के किसमें डूब जाने का डर हैं – शराब के नशे में
नाचने – गाने के लिए कैसे आंगन की आवश्यकता है – खुले आंगन / स्थान की
धनुष की डोरी किसका प्रतीक है – शिकार का
कवयित्री के अनुसार रोने के लिए क्या चाहिए – मुट्ठी भर एकांत
बूढ़ों को किस चीज की आवश्यकता है – शांति की
प्रकृति के विनाश और विस्थापन के कारण किसका समाज संकट में है – आदिवासियों का
आज के युग में एक व्यक्ति , दूसरे व्यक्ति पर क्या करने लगा है – अविश्वास
कवयित्री लोगों से कैसे रहने का आग्रह करती है – मिलजुल कर रहने का
अदिवासी किस पर निर्भर करते हैं – प्रकृति पर
“मन का हरापन” में “हरापन” किसका प्रतीक हैं – खुशियों का
“भीतर की आग” किसका प्रतीक हैं – आदिवासियों के अदम्य साहस , वीरता व ऊर्जा का
प्रकृति के विनाश के कारण कौन अपना अस्तित्व खोते जा रहे है – आदिवासी
कवयित्री संथाली समाज के लोगो से क्या बचाने का आह्वान करती है – अपनी संस्कृति को
शहरी संस्कृति के प्रभाव में आकर किन लोगों की दिनचर्या में ठहराव आ गया है – झारखंडी लोगों की
मिट्टी का क्या गुण है – सौंधपन
निर्मलता किसका गुण है – नदियों का
Aao Milkar Bachaye Class 11 Question Answer | आओ , मिलकर बचाएँ कक्षा 11 के प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1.“माटी का रंग” प्रयोग करते हुए किस बात की ओर संकेत किया गया है ?
उत्तर –कवयित्री ने “माटी का रंग” शब्द का प्रयोग कर अपने संथाली आदिवासी समाज की विशेषताओं की ओर संकेत किया है। सीधा- साधा रहन सहन , वेशभूषा , रीति रिवाज , लोकगीत -संगीत , स्वभाव में अक्खड़पन व जुझारुपन , अदम्य साहस आदि आदिवासी संथाली समाज के लोगों की विशेषताएं हैं जो उन्हें और लोगों से अलग बनाती हैं।
इसीलिए कवयित्री चाहती है कि शहरी संस्कृति के प्रभाव में यह समाज अपनी सभ्यता व संस्कृति को न भूले और दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाए रखे।
प्रश्न 2. भाषा में झारखंडीपन से क्या अभिप्राय है ?
उत्तर –“झारखंडीपन” का अभिप्राय है “झारखंड के लोगों द्वारा बोली जाने वाली स्थानीय भाषा”। कवयित्री चाहती है कि यहां के स्थानीय लोग आपस में बोलचाल की भाषा के रूप में अपनी स्थानीय झारखंडी भाषा का ही प्रयोग करें और उसे अन्य भाषाओं के कुप्रभाव से मुक्त रखें ताकि उसका मूल रूप ज्यों का त्यों कायम रहे।
प्रश्न 3. “दिल के भोलेपन” के साथ-साथ जुझारूपन व अक्खड़पन को बचाने की आवश्यकता पर क्यों बल दिया गया है ?
उत्तर –सच्चाई व ईमानदारी के रास्ते पर चलने के लिए व एक अच्छा इंसान बनने के लिए दिल का भोलापन होना भी आवश्यक हैं परंतु आज के समय में बहुत अधिक भोले – भाले व्यक्ति को भी लोग मूर्ख समझ लेते हैं और फिर उसके भोलेपन का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं। इसीलिए समाज में इज्जत व स्वभिमान के साथ जीना हैं तो स्वभाव में भोलापन , जुझारूपन व अक्खड़पन , ये तीनों गुण आवश्यक हैं।
प्रश्न 4. प्रस्तुत कविता आदिवासी समाज की किन बुराइयों की ओर संकेत करती है ?
उत्तर- यह कविता संथाली समाज में व्याप्त अशिक्षा , सामाजिक कुरीतियों और शराब की ओर बढ़ते लोगों के झुकाव की ओर संकेत करती हैं जो संथाली समाज के नाश का कारण बन सकती हैं।
प्रश्न 5. “इस दौर में भी बचाने को बहुत कुछ बचा है” से क्या आशय है ?
उत्तर – उपरोक्त पंक्तियों में कवयित्री अपने लोगों से आग्रह करती हैं कि अभी भी स्थिति बहुत अधिक नहीं बिगड़ी है। अभी भी हमारे पास बचाने के लिए बहुत कुछ है। हमें फिर से उसे सहेजना है , सवांरना हैं । इसीलिए आओ , हमसब मिलकर , अपने लोगों के सपने व उनके विश्वास को पुनर्जीवित करें , अपनी सभ्यता , संस्कृति , भाषा व प्रकृति को बचाएँ , उसकी रक्षा करें।
प्रश्न 6. निम्नलिखित पंक्तियों के काव्य सौंदर्य को उद्घाटित कीजिए
(क)
ठंडी होती दिनचर्या में
जीवन की गर्माहट
उत्तर- उपरोक्त पंक्तियों में कवयित्री ने आदिवासियों की बदलती दिनचर्या पर अपनी पीड़ा व्यक्त की है।यहां पर “ठंडी होती दिनचर्या” का अर्थ आलस भरी रोजमर्रा की जिंदगी और “जीवन की गर्माहट” का अर्थ जीवन में उत्साह , उमंग व क्रियाशीलता से हैं। इस काव्यांश में शांत रस है।
(ख)
थोड़ा सा विश्वास
थोड़ी सी उम्मीद
थोड़े से सपने
आओ , मिलकर बचाएँ
उत्तर- उपरोक्त पंक्तियों में कवयित्री आशावान नजर आती हैं। इसीलिए वो कहती हैं कि इस दौर में जब लोग एक – दूसरे पर सहज विश्वास नहीं करते हैं। हमें उनके अंदर फिर से थोड़ा सा विश्वास जगाना हैं जिससे उनके अंदर थोड़ी सी उम्मीद जागे ताकि वो फिर से थोड़े से सपने देख सकें और उनका जीवन सुखी हो सके।
“थोड़ा सा , थोड़ी सी , थोड़े से ” में अनुप्रास अलंकार हैं। कव्यांश में उर्दू , संस्कृत और तद्भव शब्दों का मिलाजुला प्रयोग किया गया है। कव्यांश में खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है।
प्रश्न 7. बस्तियों को शहर की किस आबो-हवा से बचाने की आवश्यकता है ?
उत्तर – कवयित्री कहती हैं कि आदिवासी बस्तियों को शहरी संस्कृति के प्रभाव से बचाने की आवश्यकता है क्योंकि शहरों में नग्नता व वृक्षविहीन धरती की संस्कृति फल – फूल रही हैं। शहरी जीवन में उत्साह व उमंग की भी कमी हैं। शहरों में अकेलेपन के कारण लोग अवसाद ग्रस्त जीवन व्यतीत करते हैं।
प्रश्न 8. आदिवासी समाज की वर्तमान स्थिति पर टिप्पणी करें ?
उत्तर – पहले के मुकाबले , वर्तमान समय में आदिवासियों की सामाजिक स्थिति में काफी सुधार आया है। सरकार ने उनके क्षेत्र में शिक्षा व अनेक जनकल्याणकरी योजनाओं को पहुंचाया हैं जिसका उन्हें प्रत्यक्ष रूप से फायदा पहुंचा हैं।
सरकार द्वारा उनको शिक्षित कर बिभिन्न कार्यक्रमों के जरिये रोजगार से जोड़ा जा रहा हैं। उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया जा रहा है। आदिवासी क्षेत्रों के विकास की तरफ खासा ध्यान दिया जा रहा है। क्षेत्र में फैले अन्धविश्वास , कुरीतियों का उन्मूलन किया जा रहा है।
प्रश्न 9. आप अपने शहर या बस्ती को किन चीजों से बचाना चाहेंगे ?
उत्तर –हम अपने शहर या बस्ती को निम्नलिखित चीजों से बचाना चाहेंगे।
- आधुनिक युग की बढ़ती व्यस्तता और जड़ता से बचाना चाहेंगे।
- शहरों की तनाव भरी जिंदगी व अकेलेपन से भी बचाना चाहेंगे।
- शहरों के बढ़ते प्रदूषण से।
- शहरों में जगह – जगह फ़ैले गंदगी के ढेर से।
- महानगरों में स्वार्थ व राग द्वेष की भावना व्याप्त है जिससे हम अपने शहर को बचाना चाहेंगे।
- शहरों की अमर्यादित संस्कृति व नग्नता के कुप्रभाव से बचाना चाहेंगे।
प्रश्न 10. आज के दौर में कवयित्री क्या बचा कर रखना चाहती है ?
उत्तर – लोगों के अंदर थोड़ी सी उम्मीद ,थोड़ा सा विश्वास व थोड़े से सपनों को जीवित रखना चाहती है।
प्रश्न 11. वर्तमान समय को कैसा दौर कहा गया है ?
उत्तर- वर्तमान समय को “अविश्वास भरा दौर” कहा गया है।
प्रश्न 12. कविता में किसे बचाने की बात कही जा रही है ?
उत्तर- आदिवासी समाज के पास जो शेष बचा है , उसे बचाने की बात कही गई है।
प्रश्न 13. कवयित्री ने नदियों और पहाड़ों के संदर्भ में क्या कहा हैं ?
उत्तर – कवयित्री के अनुसार उनके क्षेत्र की नदियों का पानी एकदम साफ व निर्मल है और चारों तरफ ऊँचे -ऊँचे शानदार हरे – भरे पहाड़ हैं जिनमें सदैव शांति छायी रहती हैं जो इस क्षेत्र को विशिष्टता प्रदान करते हैं । इस तरह का शांत वातावरण व निर्मल शुद्ध पानी शहरों में देखने को नही मिलता हैं।
Aao Milkar Bachaye Class 11 Question Answer
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