इंद्र जिमि जंभ पर व्याख्या | Indr jim jambh par baadav jyaun ambh par Bhushan Kavitt
इंद्र जिमि जंभ पर व्याख्या
इंद्र जिम जंभ पर बाड़व ज्यौं
अंभ पर रावन सदंभ पर रघुकुलराज है।
पौन बारिबाह पर संभु रतिनाह पर
ज्यौं सहस्रबाहु पर राम द्विजराज है।
दावा द्रुमदंड पर चीता मृगझुँड पर
भूषन बितुंड पर जैसे मृगराज है।
तेज तम-अंस पर कान्ह जिम कंस पर
यौं मलेच्छ-बंस पर सेर सिवराज है॥
कठिन शब्दार्थ- जिमि = जैसे। जंभ = जुंभासुर नाम का दैत्य जिसका वध इंद्र ने किया था। बाड़व = वड़वानल, समुद्र में रहने वाली आग जो जल को जलाया करती है। अंभ = जल। सदंभ = अहंकारी। रघुकुलराज = राम्। पौन = पवन। वारिवाह = बादल। संभु = शिव। रतिनाह = कामदेव। सहस्रबाहु = एक पौराणिक राजा। राम = परशुराम। द्विजराज = ब्राह्मणों में श्रेष्ठ। दावा = दावानल, जंगल में लगने वाली आग। द्रुम दंड = वृक्ष। मृगझुंड = हरिणों का समूह। वितुंड = हाथी। मृगराज = सिंह। सेर = शेर, हाबी, आतंकित करने वाला।
संदर्भ तथा प्रसंग-प्रस्तुत कवित्त हमारी पाठ्यपुस्तक में संकलित कवि भूषण के कवित्तों में से लिया गया है। कवि अनेक उदाहरणों द्वारा अन्यायी मुगल शासकों पर शिवाजी के आतंक का वर्णन कर रहा है।
इंद्र जिमि जंभ पर व्याख्या- भूषण कवि कहते हैं कि इंद्र ने जिस प्रकार जंभासुर नामक दैत्य पर आक्रमण करके उसे मारा था और जिस प्रकार बाडवाग्नि समुद्र के पानी को जलाकर सोख लेती है, अभिमानी एवं छल कपटी रावण पर जिस प्रकार श्रीराम ने आक्रमण किया था, जैसे बादलों पर वायु के वेग का प्रभुत्व रहता है, जिस प्रकार शिवजी ने रति के पति कामदेव को भस्म कर दिया था, जिस प्रकार सहस्रबाहु (कार्त्तवीर्य) राजा को परशुराम ने आक्रमण कर मार दिया था, जंगली वृक्षों पर दावाग्नि जैसे अपना प्रकोप दिखलाती है और जिस प्रकार वनराज सिंह का हिरणों के झुंड पर आतंक छाया रहता है अथवा हाथियों पर मृगराज सिंह का आतंक रहता है, जिस प्रकार सूर्य की किरणें अंधकार को समाप्त कर देती हैं और दुष्ट कंस पर जिस तरह आक्रमण करके भगवान् श्रीकृष्ण ने उसका विनाश कर दिया था, उसी प्रकार सिंह के समान शौर्य एवं पराक्रम वाले छत्रपति शिवाजी का मुग़लों के वंश पर आतंक छाया रहता है। अर्थात् वे मुग़लों का प्रबल विरोध करते है और वीरतापूर्वक उन पर आक्रमण कर विनाश-लीला करते हैं। उनके शौर्य से समस्त मुग़ल भयभीत रहते हैं।
विशेष-
(i) इंद्र ने जूभासुर का वध किया था। वड़वानल एक अग्नि है, जो समुद्र के जल को जलाया करती है। शिवजी ने कामदेव को भस्म कर दिया था। सहस्रबाहु राजा को परशुराम ने युद्ध में मारा था।
(ii) शिवाजी महाराज के पराक्रम और शत्रुओं पर छाए उनके आतंक का कवि ने ओज पूर्ण भाषा-शैली में वर्णन किया है।
(iii) नाद-सौन्दर्य (समान ध्वनि वाले शब्दों का चयन) छंद को आकर्षक बना रहा है।” जंभ पर, अंभ पर, सदंभ पर” आदि ऐसे ही उदाहरण हैं।
(iv) छंद में अनुप्रास और उदाहरणों की लड़ी का आलंकारिक प्रयोग दर्शनीय है। उपमाओं की माला है।
(v) छंद-वीर रस की अनुभूति कराने वाला है।
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