पारिभाषिक शब्दावली की परिभाषा और उनके के प्रकार (Best)
पारिभाषिक शब्दावली की परिभाषा और उनके के प्रकार (Best) : पारिभाषिक शब्द वे शब्द होते हैं, जो किसी विशिष्ट क्षेत्र में एक विशिष्ट अर्थ की अभिव्यक्ति करते हैं । ये क्षेत्र चिकित्सा, विज्ञान, दर्शन, साहित्य, विधि व वाणिज्य आदि हो सकते हैं । कई बार एक ही शब्द कई क्षेत्रों में मिलता है ।
पारिभाषिक शब्दावली की परिभाषा
पारिभाषिक शब्द उन्हे कहा जाता है जो सामान्य व्यवहार या बोलचाल की भाषा के शब्द न होकर ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों से जुडे होते हैं। जैसे समाजशास्त्र, भौतिकशास्त्र, रसायनशास्त्र, वनस्पति विज्ञान, जीवविज्ञान, दर्शन, मनोविज्ञान, अर्थशास्त्र, राजनितिशास्त्र, तर्कशास्त्र, गणित आदि।
अर्थ की दृष्टि से किसी भाषा की शब्दावली दो प्रकार की होती है- सामान्य शब्दावली और पारिभाषिक शब्दावली। ऐसे शब्द जो किसी विशेष ज्ञान के क्षेत्र में एक निश्चित अर्थ में प्रयुक्त होते हैं, वह पारिभाषिक शब्द होते हैं और जो शब्द एक निश्चित अर्थ में प्रयुक्त नहीं होते वह सामान्य शब्द होते हैं।
” जिन शब्दों की सीमा बांध दी जाती है, वे पारिभाषिक शब्द हो जाते हैं और जिनकी सीमा नहीं बांधी जाती, वे साधारण शब्द होते हैं।”
पारिभाषिक शब्द
पारिभाषिक शब्द वे शब्द होते हैं, जो किसी विशिष्ट क्षेत्र में एक विशिष्ट अर्थ की अभिव्यक्ति करते हैं । ये क्षेत्र चिकित्सा, विज्ञान, दर्शन, साहित्य, विधि व वाणिज्य आदि हो सकते हैं । कई बार एक ही शब्द कई क्षेत्रों में मिलता है । परंतु प्रत्येक क्षेत्र में वह शब्द एक विशेष अर्थ को लिए हुए होता है । जैसे – सेल (Cell ) शब्द का अर्थ जीव विज्ञान, भौतिक विज्ञान व साहित्य के क्षेत्र में भिन्न भिन्न है । परंतु अनेकार्थी होते हुए भी किसी विशिष्ट क्षेत्र में इस शब्द का प्रयोग करने पर यह एक विशिष्ट अर्थ की अभिव्यक्ति करता है और उस क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों को भ्रम की स्थिति से बचाता है । यही पारिभाषिक शब्दावली की उपयोगिता है।
जैसे – issue
‘Issue’ शब्द वाणिज्य में ‘जारी’ के लिए प्रयुक्त होता है, प्रशासन में ‘नवजात शिशु’ के लिए तथा राजनीतिक शब्दावली में ‘मुद्दा या मसला’ के रूप में प्रयोग किया जाता है।
इन शब्दों की विषय संबंधी एक विशेष परिभाषा होती है, इसलिए इन्हे पारिभाषिक शब्द कहा जाता है।
किसी भी भाषा के पारिभाषिक शब्दों को विभिन्न आधारों पर भी बाँटा जा सकता है।
इतिहास के आधार पर.
प्रयोग के आधार पर
सूक्ष्मता के आधार पर
श्रोत के आधार पर
विषय के आधार पर
पारिभाषिक शब्दों का अर्थ बाह्य संरचना से भी अधिक उनके गर्भ में निहित होते हैं। उदा- ‘रेखित चेक’ इसका सामान्य अर्थ है ‘एक ऐसा चेक जिस पर रेखा खींची गई हो’ परंतु बैंकिंग के पारिभाषिक शब्द के रूप में इसका तकनीकी अर्थ होगा ‘एक ऐसा चेक जिस के ऊपर बायीं ओर दो समांतर रेखाएँ खिंची हो जिसका भुगतान उसी को हो सकता है जिसके नाम चेक कटा हो, चेक धारक को नहीं, आदि ।
परिभाषा शब्दावली की निम्नलिखित विशेषताएं प्रकट होती है :
- पारिभाषिक शब्द किसी विशेष विज्ञान, विशेष कला या विशेष शास्त्र से जुड़े होते हैं ।
- पारिभाषिकशब्द एक विशिष्ट अर्थ की अभिव्यक्ति करते हैं ।
- पारिभाषिक शब्दों की सीमा बांध दी जाती है ।
- पारिभाषिक शब्दों का अर्थ सुनिश्चित होता है ।
- विभिन्न क्षेत्रों में प्रयुक्त पारिभाषिक शब्द एक
- पारिभाषिक शब्द का अर्थ सुनिश्चित होता है। जैसे संसद, विधानसभा, मानदेय आदि।
- एक विषय या सिद्धांत में पारिभाषिक शब्द का एक ही अर्थ होता है जैसेः समाजवाद, बहीखाता, द्विआंकन प्रणाली।
- पारिभाषिक शब्द सीमित आकार में होता है जैसे – स्वन, अभिभावक।
- पारिभाषिक शब्द मूल या रूढ़ होता है, व्याख्यात्मक नहीं होता जैसे – दूरदर्शन, निवेशक, श्रमजीवी।
- पारिभाषिक शब्द मूल या रूढ़ होता है। यह व्याख्यात्मक नहीं होता। जैसे – विधान। इससे अनेक शब्द निर्मित किए जा सकते हैं: जैसे – विधान परिषद्, विधान सभा आदि।
पारिभाषिक शब्दों के प्रकार
भाषा व्यवहार में देखा जाता है कि प्रयोग के आधार पर शब्द के तीन भेद होते हैं : सामान्य शब्द, अर्द्ध पारिभाषिक शब्द और पारिभाषिक शब्द। इसके विपरीत कुछ भाषाविज्ञानी पारिभाषिक शब्दों के दो ही प्रकार मानते हैं।
सामान्य शब्द :
सामान्य शब्द वे होते हैं जिन शब्दों में कोई तकनीकी पक्ष समाहित नहीं होता। इनके विषय में कुछ भी स्पष्ट कहने की आवश्यकता नहीं होती। जैसे मीठा, कलम, ठोस
आदि
अर्द्ध पारिभाषिक शब्द:
वे कहलाते हैं जो सामान्य और पारिभाषिक शब्दों के बीच के शब्द होते हैं। अभिप्राय यह है कि ये शब्द अर्द्ध पारिभाषिक शब्द और सामान्य पारिभाषिक शब्दों के रूप में प्रयुक्त होने वाले होते हैं। इनका प्रयोग सामान्य जीवन व्यवहार में तो होता ही है साथ ही किसी भी विशिष्ट ज्ञान के संदर्भ में भी होता है। इन शब्दों की विशेषता यह होती है कि इनका पारिभाषिक अर्थ व्याख्या, लोक प्रयोग, अर्थ विस्तार, अर्थादेश, अर्थ संकोच से सिद्ध होता है। लोक व्यवहार और शास्त्र/विज्ञान विशेष में प्रयुक्त होने के स्तर पर इन शब्दों के रूप में कोई परिवर्तन नहीं होता। ये केवल नया अर्थ लिए होते हैं
जैसे – आवेश, भिन्न, रस, संधि, पुष्प, हस्ताक्षर आदि। पाठ्यक्रम लेखक ने अर्द्ध पारिभाषिक शब्द के संबंध में यह कहा है, “ऐसे शब्द हैं जो कभी तो पारिभाषिक शब्द के रूप में प्रयुक्त होते हैं और कभी सामान्य रूप में। ऐसे शब्दों को अर्द्ध प्रामाणिक शब्द कहा जाता है। जैसे व्याकरण में क्रिया पारिभाषिक शब्द है। किंतु अन्यत्र इसका सामान्य अर्थ में प्रयोग किया जाता है।” इसी प्रकार अलंकार काव्यशास्त्र में पारिभाषिक शब्द है किंतु सामान्य अर्थ में यह आभूषण के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
पारिभाषिक शब्द या पूर्ण पारिभाषिक शब्द :
पारिभाषिक या पूर्ण पारिभाषिक शब्द वे कहलाते हैं जो ज्ञान व आनंद के साहित्य में टेक्नीकल टर्म के रूप में प्रयोग किए जाते हैं। इन्हें पूर्ण पारिभाषिक शब्द भी कहा जाता है। पाठ्यक्रम लेखक ने पारिभाषिक शब्द को पूर्ण पारिभाषिक शब्द कहा है और इसकी परिभाषा इस प्रकार दी है : “ऐसे शब्द जो पूर्णतः परिभाषा देते हैं। इनका प्रयोग सामान्य अर्थ में नहीं होता। जैसे काव्यशास्त्र में ‘रस निष्पत्ति’ शब्द पूर्णतः पारिभाषिक शब्द है। इसका अर्थ है हृदय में स्थित भाव, रस के रूप में अनुभूत होते हैं।’ इसका सामान्य अर्थ में प्रयोग नहीं होता। इसी प्रकार भाषाविज्ञान का स्वनिम विशेष अर्थ देता है सामान्य अर्थ नहीं। चिकित्सा के राज्यक्ष्मा और शल्य क्रिया, न्यायालय के पेशी और जमानत, वाण्ज्यि के धारक और प्रीमियम शब्द विशेष अर्थ के बोधक हैं।
पारिभाषिक शब्द निर्माण पद्धति या प्रणाली :
पारिभाषिक शब्दों का निर्माण कई प्रकार से किया जाता है।
1. उपसर्ग से पारिभाषिक शब्दों का निर्माण :
इस तरह के शब्द तद्भव, तत्स आगत शब्दों में उपसर्ग जोड़कर बनाए जाते हैं :
- अधि + कार – अधिकार
- अति + क्रमण – अतिक्रमण
- उप + मंत्रालय – उपमंत्रालय
- सं + चार – संचार
- बा + कायदा – बाकायदा
- ना + लायक – नालायक
- रि + साइकिल – रिसाइकिल
- रि + ‘माइण्ड – रिमाइण्ड
2. प्रत्यय द्वारा पारिभाषिक शब्दों का निर्माण :
तत्सम तद्भव, विदेशी/ आगत शब्दों में प्रत्यय जोड़कर पारिभाषिक शब्द बनाए जाते हैं :
- इतिहास + इक – ऐतिहासिक
- रूप + इम – रूपिम।
- दुकान + दार – दुकानदार
- दम + दार – दमदार।
- चलन + इया – चलनिया
- फिर + औती – फिरौती
- कलेक् + शन – कलेक्शन
- एक्जामिन + एशन – एक्जामिनेशन
3. समास से पारिभाषिक शब्दों का निर्माण :
तद्भव, तत्सम और विदेशी/आगत शब्दों के सामासिक प्रयोगों से पारिभाषिक शब्द बनाए जाते हैं :
- तत्सम + तत्सम : ग्राम पंचायत, आकाशवाणी
- तत्सम + तद्भव : जलपरी, रक्षा + चौंकी।
- तत्सम + विदेशी : सहकारी + बैंक।
- तद्भव + तद्भव : हाथ + घड़ा।
- तद्भव + विदेशी : किताब + घर।
- देशज + तद्भव : जच्चा + घर
- विदेशी + विदेशी : ग्रीन + हॉल।
संधि से पारिभाषिक शब्दों का निर्माण : संधि प्रक्रिया से भी पारिभाषिक शब्दों का निर्माण किया जाता है :
- अभि + आवेदन : अभ्यावेदन
- जिला + अधिकारी : जिलाधिकारी
- कुल + अधिपति : कुलाधिपति
विदेशी भाषा से यथावत ग्रहीत शब्द : पारिभाषिक शब्दों के निर्माण के लिए विदेशी या आगत शब्दों को ज्यों का त्यों स्वीकार कर लिया जाता है।
बुलेटिन, बजट, रबर, ग्लूकोज, होमियोग्लोबिन, टेंप्रेचर।
अनुकूलन द्वारा पारिभाषिक शब्द निर्माण : विदेशी या आगत शब्दों में कुछ बदलाव लाकर हिंदी शैली में शब्दों को ढाल लिया जाता है।
- ट्रेजेडी – त्रासदी
- एकेडेमी – अकादमी
कुछ ऐसे शब्द भी हैं जो विशेष अर्थ में प्रयुक्त नहीं होते। उन्हें अपरिभाषिक या सामान्य शब्दों की श्रेणी में रखा जाता है जैसे पहाड़ियाँ, तलैया।
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