आजादी का अमृत महोत्सव पर कविता

आजादी का अमृत महोत्सव पर कविता | Azadi ka amrit mahotsav par kavita

आजादी का अमृत महोत्सव पर कविता: आज भारत आजादी का अमृत महोत्सव (Azadi ka amrit mahotsav) मना रहा है राष्ट्रीय स्तर पर इस उपलक्ष्य में बहुत से सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है। आपकी लिए आजादी का अमृत महोत्सव विषय पर एक कविता इस पोस्ट के माध्यम से प्रस्तुत है।

आजादी का अमृत महोत्सव पर कविता (Poem on Azadi ka amrit mahotsav)

 

आजादी का अमृत महोत्सव,

 आज भारतवर्ष मना रहा है

 आजादी के मतवालों की,

 याद फिर से दिला रहा है

भारतीय सभ्यता अति प्राचीन,

जिसने दुनिया को जीना सिखाया

 फिर खुद ही रास्ता भटक गए,

 जब मध्य काल का युग आया

 बने गुलाम आक्रमणकारियों के,

 आपसी तकरार के कारण हम

यहाँ विदेशी भी शासक बन बैठे,

 ऐसे नैतिक पतन में धस गए हम

 फिर 1857 में एक जली ज्वाला,

 भारत जागा आजादी के नाम पर

 फिर कुछ अपनों की ही निर्लज्जता से,

 नहीं पहुंच सके किसी अंजाम पर

 हमारे वीर शिवाजी, तात्या टोपे,

 और उस लक्ष्मीबाई रानी ने

 आजाद, भगत सिंह, मंगल पांडे

 लाला लाजपत राय की कुर्बानी ने

 जड़े हिला दी साम्राज्यवाद की,

 सरदार पटेल और गांधी-नीति  ने

कुछ सत्य-अहिंसा की ताकत से

 कुछ जनता की जागृति ने

 आजादी को हुए साल पचहतर,

भारत ने ली अंगड़ाई है

 वैश्विक मंजिलें और भी हैं,

 अभी तो बाकी कई लड़ाई हैं

 याद करें उन रणबांकुरे को,

 जो अपनी जानों पर खेल गए

तन-मन को न्योछावर कर के,

 कुछ काले-पानी की जेल गए

 नई पीढ़ी को भी जानना होगा,

 क्या आजादी की कीमत थी ?

स्वतंत्रता ऐसे नहीं मिली है

 यह लाखों जन की हिम्मत थी

 फिर जाग उठा है मेरा भारत,

 फिर विश्व गुरु का मान होगा

 फिर बनेंगे हम आत्मनिर्भर,

फिर मुट्ठी में आसमान होगा

(C) दुलीचंद कालीरमन

आज भारत \ (Azadi ka amrit mahotsav) मना रहा है राष्ट्रीय स्तर पर इस उपलक्ष्य में बहुत से सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है। आपकी लिए इस विषय पर एक कविता इस पोस्ट के माध्यम से प्रस्तुत है। आपको यह कविता पसंद आयी होगी ऐसी आशा है।

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