ब्रिटेन की लॉर्ड सभा

ब्रिटेन की लॉर्ड सभा – संगठन, कार्य और शक्ति

ब्रिटेन की लॉर्ड सभा : लार्ड सभा की रचना कार्यों तथा शक्तियों का वर्णन कीजिए।  अथवा  लॉर्ड सभा के संगठनकार्यों और शक्तियों का वर्णन कीजिए। इसे एक दुर्बल सदन क्यों कहा जाता है ? अथवा “ब्रिटेन की लॉर्ड सभा विश्व का सबसे कमजोर द्वितीय सदन है।” इस कथन के सन्दर्भ में लॉर्ड सभा के गठनकार्यों एवं शक्तियों का आलोचनात्मक विवेचन कीजिए।

ब्रिटेन की संसद विश्व की सबसे प्राचीन संसद है। यह द्विसदनात्मक व्यवस्थापिका है। ब्रिटिश संसद के दो सदन हैं। संसद के उच्च सदन को लॉर्ड सभा तथा निचले सदन को कॉमन सभा कहते हैं । लॉर्ड सभा के सदस्य धनी तथा उच्च वर्ग के व्यक्ति होते हैं। यह एक प्रकार का वंशानुगत सदन है। इसे ब्रिटेन के निवासियों की रूढ़िवादी प्रवृत्ति का प्रतीक कहा जाता है।

लॉर्ड सभा का संगठन : –

लॉर्ड सभा की सदस्य संख्या निश्चित नहीं है। चूंकि यह एक वंशानुगत सदन है, अत: इसके सदस्यों की संख्या जन्म व मृत्यु से घटती-बढ़ती रहती है। लॉर्ड सभा के सदस्यों को निम्न तीन वर्गों में विभक्त किया जा सकता है

(1) आध्यात्मिक लॉर्ड : –

इस श्रेणी में 26 सदस्य होते हैं। आध्यात्मिक लॉर्ड बड़े गिरजाघरों के पादरी तथा बिशप होते हैं। ये सभा की कार्यवाही में प्रायः कम ही भाग लेते हैं। . .

(2) वंशानुगत या पैतृक पीयर :-

दिसम्बर, 1999 में पारित अधिनियम के अनुसार वंशानुगत पीयरों की तीन श्रेणियाँ हैं

(i) दलीय साथी पीयरों से निर्वाचित किए जाने वाले सदस्य,

(ii) ऐसे पदाधिकारी जिन्हें सम्पूर्ण सदन निर्वाचित करता है,

(iii) वर्तमान में राजघराने के सदस्य के रूप में ये 75 निर्वाचित दलीय सदस्य तथा 16 पदाधिकारी सदस्य हैं

(3) आजीवन पीयर :-

 इस श्रेणी के पीयर सन् 1958 के ‘आजीवन पीयरेज अधिनियम के अन्तर्गत बनाए जाते हैं। ये सदस्य ख्याति प्राप्त तथा अनुभवी व्यक्ति होते हैं। इन व्यक्तियों को आजीवन सदस्य बनाया जाता है।
इस श्रेणी में स्त्रियाँ भी सदस्य बन सकती हैं।

लॉर्ड सभा का स्पीकर :-

वर्ष 2005 तक इंग्लैण्ड में यह व्यवस्था थी कि सम्राट् द्वारा नियुक्त लॉर्ड चांसलर लॉर्ड सभा की अध्यक्षता करता था। लेकिन । Constitutional Reform Act, 2005 के अनुसार अब लॉर्ड चांसलर लॉर्ड सभा की अध्यक्षता नहीं करता। लॉर्ड सभा की अध्यक्षता के लिए अब स्पीकर पद की व्यवस्था की गई है। कॉमन सभा के अध्यक्ष के समान ही लॉर्ड सभा का अध्यक्ष (स्पीकर) निर्वाचित होता है, मनोनीत नहीं।

लॉर्ड चांसलर:-

Constitutional Reform Act, 2005 के बाद भी लॉर्ड चांसलर का पद बना हुआ है, लेकिन अब वह ब्रिटिश मन्त्रिमण्डल का सदस्य मात्र _है। अब वह लॉर्ड सभा की अध्यक्षता नहीं करता।

अन्य पदाधिकारी :-

स्पीकर के अतिरिक्त लॉर्ड सभा में कुछ अन्य पदाधिकारी भी होते हैं; जैसे-रिकॉर्ड दिखाने के लिए क्लर्क, जेण्टलमैन असर ऑफ दी ब्लैक रॉड,सार्जेण्ट एट आर्स आदि ।

लॉर्ड सभा की गणपूर्ति :-

(Quorum) लॉर्ड सभा के अधिकांश सदस्य सक्रिय नहीं होते हैं । लॉर्ड सभा की गणपूर्ति 3 सदस्यों से हो जाती है, परन्तु किसी विधेयक को पारित कराने के लिए कम-से-कम 30 सदस्यों की उपस्थिति अवश्य होनी चाहिए। सप्ताह में 3 या 4 बार एक-दो घण्टे के लिए लॉर्ड सभा की बैठकें होती हैं।

लॉर्ड सभा के कार्य तथा शक्तियाँ :-

लॉर्ड सभा के कार्य तथा शक्तियों को निम्नलिखित शीर्षकों के अन्तर्गत स्पष्ट कर सकते हैं.

(1) विधायी शक्तियाँ तथा कार्य :-

सन् 1911 से पूर्व लॉर्ड सभा को अवित्तीय शक्तियाँ प्राप्त थीं। किसी भी साधारण विधेयक के लिए यह आवश्यक था कि वह दोनों सदनों के द्वारा पारित किया जाए। परन्तु सन् 1911 तथा सन् 1949 के अधिनियमों ने इस स्थिति को बदल दिया है । सन् 1911 के अधिनियम के अनुसार कॉमन सभा के द्वारा पारित साधारण विधेयकों को लॉर्ड सभा केवल 2 वर्ष की देरी लगा सकती है। सन् 1949 के अधिनियम के द्वारा यह अवधि 1 वर्ष कर दी गई है। एक वर्ष की अवधि के पश्चात् लॉर्ड सभा द्वारा अस्वीकृत विधेयक पारित माना जाएगा।

(2) परामर्श सम्बन्धी कार्य :-

18वीं शताब्दी से पूर्व लॉर्ड सभा राजा को परामर्श देने का कार्य करती थी। परन्तु अब राजा कैबिनेट के परामर्श के अनुसार कार्य करता है। जब कॉमन सभा का विघटन हो जाता है तथा कैबिनेट अपना त्याग-पत्र दे देती है, तो राजा को परामर्श की आवश्यकता होती है। यदि ऐसी स्थिति आ जाती है, तो राजा लॉर्ड सभा से परामर्श ले सकता है।

(3) वित्तीय कार्य तथा शक्तियाँ :-

धन विधेयक पहले कॉमन सभा में ही प्रस्तुत किए जाते हैं। कॉमन सभा से पारित हो जाने के पश्चात् उनको लॉर्ड सभा में प्रस्तुत किया जाता है। इस प्रकार वित्तीय क्षेत्र में लॉर्ड सभा की शक्तियाँ नहीं के समान हैं। लॉर्ड सभा में न तो धन विधेयक प्रस्तुत किया जा सकता है और न ही उसमें संशोधन किया जा सकता है । एक माह की अवधि समाप्त हो जाने पर विधेयक कानून बन जाता है। एक माह से अधिक देरी करने पर विधेयक को राजा की.स्वीकृति के लिए भेज दिया जाता है। स्पष्ट है कि लॉर्ड सभा को धन विधेयक को 1 माह तक रोके रखने का अधिकार है।

 (4) कार्यपालिका शक्तियों :-

लॉर्ड सभा मन्त्रिमण्डल को भंग नहीं कर सकती है। मन्त्रिमण्डल को केवल. कॉमन सभा ही अपदस्थ कर सकती है। मन्त्रिमण्डल कॉमन सभा के प्रति ही उत्तरदायी होता है, परन्तु लॉर्ड सभा के सदस्यों को मन्त्रियों में प्रश्न पूछने का अधिकार है। लॉर्ड सभा वाद-विवाद के द्वारा भी मन्त्रिमण्डल को प्रभावित कर सकती है।

(5) न्यायिक कार्य एवं शक्तियाँ :-

इस क्षेत्र में लॉर्ड सभा को महत्त्वपूर्ण शक्तियां मिली हुई हैं। ये शक्तियाँ कॉमन सभा को प्राप्त नहीं हैं। लॉर्ड सभा सर्वोच्च अपीलीय न्यायालय है, परन्तु समस्त लॉर्ड यह कार्य नहीं करते। यह कार्य केवल 9 न्यायिक लॉर्ड द्वारा किया जाता है। जब लॉर्ड सभा सर्वोच्च न्यायालय की तरह कार्य करती है, तो इसका अध्यक्ष लॉर्ड चांसलर होता है।

लॉर्ड सभा की उपयोगिता :-

ब्रिटिश शासन व्यवस्था में लॉर्ड सभा की उपयोगिता को निम्न शीर्षकों के आधार पर स्पष्ट कर सकते हैं

(1) कॉमन समा की निरंकुशता पर नियन्त्रण :-

प्रजातन्त्र की सफलता इस बाह पर निर्भर करती है कि व्यवस्थापिका पर किसी एक संस्था का एकाधिकार न होने पाए। वह मनमाने ढंग से या निरंकुश होकर कार्य न करे। अतः प्रथम सदन की निरंकुशता पर नियन्त्रण रखने के लिए द्वितीय सदन आवश्यक है। वास्तव में. ब्रिटेन की लॉर्ड सभा इसी उद्देश्य की पूर्ति करती है।

(2) प्रजातान्त्रिक राज्य व्यवस्थी :-

आज विश्व के अधिकांश प्रजातान्त्रिक देशों में द्विसदनात्मक व्यवस्थापिका है। यही कारण है कि ब्रिटेन में लॉर्ड सभा को बनाए रखने की आवश्यकता अनुभव की जाती रही है।

(3) विधेयकों पर पुनर्विचार :-

लॉर्ड सभा कॉमन सभा के द्वारा पारित विधेयकों पर पुनर्विचार करती है। ऐसा किए जाने के पीछे कारण यह है कि कॉमन सभा के पास काम अधिक रहता है और समय कम । लॉर्ड सभा की इस उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए लॉर्ड सैलिसबरी का कथन है, “आज तक जब भी कोई विधेयक पिछले तीन वर्षों में इस सदन में विचारार्थ आया है, तो हमने सदैव ही उसको सुधारा है और उस पर पुनर्विचार किया है।”

(4) उच्च स्तरीय वाद :-

विवाद-लॉर्ड सभा में उच्च स्तरीय विचार-विमर्श किया जाता है। इसका कारण यह है कि इस सभा के लिए जो सदस्य मनोनीत किए जाते हैं, वे योग्य तथा विद्वान व्यक्ति होते हैं। लॉर्ड सभा की बैठकों में भाग लेने वाले व्यक्तियों को राजनीति में विशेष रुचि होती है। उनको जिस विषय पर बोलना होता है,वे उस विषय पर पूरी तैयारी करके बोलते हैं । इसी कारण वे अपने प्रामाणिक तर्क प्रस्तुत करते हैं। इस सभा के सदस्य प्रशासक, राजदूत, व्यापारी, मन्त्री तथा किसी विशेष क्षेत्र के अनुभवी व्यक्ति होते हैं। इस तथ्य को फाइनर ने अपने शब्दों में इस प्रकार व्यक्त किया है, “लॉर्ड सभा सार्वजनिक वाद-विवाद के लिए विश्व के विशिष्टतम स्थलों में से एक है:।”

(5) कॉमन सभा के कार्य :-

भार को कम करना वर्तमान समय में कॉमन सभा का कार्य-भार अत्यधिक बढ़ गया है। इसी कारण अकेले कॉमन सभा के लिए समस्त कार्य करना सम्भव नहीं है। प्रतिवर्ष अनेक ऐसे विधेयक प्रस्तुत किए जाते हैं जिनसे विधान में कोई परिवर्तन नहीं होता। कुछ ऐसे विधेयक भी होते हैं जो लॉर्ड सभा में विरोधी दलों के लिए किसी प्रकार की चुनौती नहीं होते। लॉर्ड सभा में ऐसे विधेयकों को आसानी से पारित किया जा सकता है। स्पष्ट है कि लॉर्ड सभा के कारण कॉमन सभा का बहुमूल्य समय बच जाता है।

(6) व्यापक प्रतिनिधित्व :-

लॉर्ड सभा में जिन सदस्यों का चयन किया जाता है, वे ख्यातिप्राप्त राजनीतिज्ञ, व्यापारी, वकील, न्यायवेत्ता, समाजसेवी तथा धर्माधिकारी होते हैं। ऐसे व्यक्ति अपनी सेवाओं से देश को विशेष लाभ पहुँचाते हैं। यही कारण है कि लॉर्ड सभा को ‘योग्यता का भण्डार’ कहा जाता है।

(7) जनमत को प्रभावित करना :-

लॉर्ड सभा गम्भीर विषयों पर निष्पक्ष होकर विचार करती है। इसके फलस्वरूप जनमत प्रभावित होता है । ऐपड़े मैथिओट का कथन है, लॉर्ड सभा जनमत को निर्धारित करने में महत्त्वपूर्ण प्रभाव रखती है।”

(8) ब्रिटिश परम्पराओं के अनुकूल :-

लॉर्ड सभा ब्रिटिश रूढ़िवादी प्रवृत्ति की परिचायक है। ब्रिटिश जनता परम्परागत संस्थाओं के प्रति आस्था रखती है। इसी कारण वहाँ की जनता लॉर्ड सभा को बनाए रखने के पक्ष में है।

(9) स्वतन्त्रतापूर्वक विचार प्रकट करना :-

लॉर्ड सभा के सदस्य किसी राजनीतिक दल से सम्बद्ध नहीं होते हैं। चूँकि उन पर किसी दल का अंकुश नहीं रहता है, अतः वे स्वतन्त्रतापूर्वक अपने विचार प्रकट करते हैं।

(10) विधेयक पास कराने में विलम्ब करना :-

लॉर्ड सभा ‘विलम्बकारी सदन’ के रूप में विख्यात है। राजनीतिज्ञों का यह विश्वास है कि द्वितीय सदन को यह अधिकार होना चाहिए कि वह किसी विधेयक के पारित होने में विलम्ब कर सके। ऐसा इसलिए कि कोई सदन जल्दबाजी में कोई विधेयक पास न कर दे। सैलिसबरी का कथन है, “लॉर्ड सभा द्वारा विलम्ब से विधेयक पारित करने में सदस्यों को किसी विधेयक पर ठण्डे दिल और मस्तिष्क से सोचने का समय मिल सकेगा।

लॉर्ड सभा की आलोचना :-

कुछ विद्वानों का मत है कि लॉर्ड सभा निरर्थक है। इसकी निम्नलिखित आधारों पर आलोचना की जाती है.

(1) अप्रजातान्त्रिक संगठन-

लॉर्ड सभा का संगठन अप्रजातान्त्रिक है। इसके । अधिकांश सदस्य मनोनीत किए जाते हैं। वे किसी राजनीतिक दल के सदस्य नहीं होते.और न ही वे किसी वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। किसी दल का सदस्य न होने के कारण उन पर किसी प्रकार का नियन्त्रण भी नहीं रहता है। लॉर्ड सभा को इस कारण भी अप्रजातान्त्रिक कहते हैं क्योंकि इसमें समाज के सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व नहीं होता है। अगस्टायन बिटेल ने लिखा है, “लॉर्ड सभा अपने अतिरिक्त किसी का प्रतिनिधित्व नहीं करती है।”

(2) धनिक वर्ग का गढ़ लॉर्ड सभा बड़े –

बड़े उद्योगपतियों, कम्पनियों के संचालकों और व्यापारियों की सभा है। ये व्यक्ति निहित स्वार्थ वाले व्यक्ति होते हैं। रैम्जे म्योर का कथन है, लॉर्ड सभा धनिकों का सामान्य दर्ग है।*

(3) सदस्यों की उदासीनता –

लॉर्ड सभा के अधिकांश सदस्य अपने कार्य के प्रति उदासीन रहते हैं। इसका कारण यह है कि उन्हें अपने कार्य में कोई रुचि नहीं । होती। अनेक सदस्य ऐसे होते हैं जो लॉर्ड सभा में बिल्कुल चुप बैठे रहते हैं अथवा वे अनुपस्थित रहते हैं। क्या यह आश्चर्य की बात नहीं है कि इतनी बड़ी सभा की गणपूर्ति (Quorum) केवल 30 रखी गई है। अनेक पीयर ऐसे हैं जिन्हें सदन के कर्मचारी पहचानते तक नहीं। ..

(4) प्रगतिशील कानूनों में बाधक –

लॉर्ड सभा का पिछला इतिहास इस बात का साक्षी है कि इसने जनता के अधिकारों की मांग को आघात पहुंचाया है। – चेम्बरलेन ने एक बार कहा था, लॉर्ड सभा ने जनता को अनेक सुविधाएँ तब तक प्राप्त नहीं होने दी जब तक कि उनका सौन्दर्य नष्ट नहीं हो गया और अधिकारों को उस समय तक दबाए रखा जब तक कि वे बलपूर्वक छीने नहीं गए।” __

(5) शक्तिहीन सदन –

सन् 1911 और सन् 1949 में पारित संसदीय अधिनियमों के पश्चात् लॉर्ड सभा शक्तिहीन हो गई है। अब यह धन विधेयकों को अपने पास केवल एक माह तक रोक सकती है और साधारण विधेयकों को यह 1 वर्ष तक रोक सकती है। इसीलिए इसे शक्तिहीन सदन की संज्ञा दी गई है।

 

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