भारत में समाजशास्त्र की उत्पत्ति (उद्भव) एवं विकास

भारत में समाजशास्त्र की उत्पत्ति (उद्भव) एवं विकास

# भारत में समाजशास्त्र की उत्पत्ति (उद्भव) एवं विकास | Origin and Development of Sociology in India भारत में समाजशास्त्र की उत्पत्ति (उद्भव) एवं विकास: समाजशास्त्र एक नवीन सामाजिक विज्ञान है जो समाज का समग्र रूप से वैज्ञानिक अध्ययन करता है। समाज का अस्तित्व मानव के अस्तित्व के साथ जुड़ा हुआ है, क्योंकि जब से मानव की उत्पत्ति … Read more

गुणात्मक अनुसंधान का अर्थ

गुणात्मक अनुसंधान का अर्थ, परिभाषा, प्रकार एवं विशेषताएं

गुणात्मक अनुसंधान का अर्थ, परिभाषा, प्रकार एवं विशेषताएं गुणात्मक अनुसंधान : अनुसंधान विधियों को मुख्यत: दो रूपों में बॉटा जा सकता हे- तार्किक प्रत्यक्षवाद (Logical Positivism) तथा गोचर खोज (Phenomenological Inquiry) । शैक्षिक शोधो में पहला रूप ज्यादा प्रयुक्त हुआ है। परन्तु विगत एक दशक से शैक्षिक परिस्थितियों से सम्बन्धित समस्याओं, समाधान प्रक्रियाओं एवं व्यवस्थाओं … Read more

अनुसूचित जाति किसे कहते हैं?

अनुसूचित जाति किसे कहते हैं?

अनुसूचित जाति किसे कहते हैं? अनुसूचित जाति : अनुसूचित जातियाँ भारतीय समाज की वे जातियाँ है, जिन्हें परंपरागत रुप में अस्पृश्य समझा जाता रहा है और अस्पृश्यता के आधार पर ये जातियाँ अनेक सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और राजनैतिक अयोग्यताओं की शिकार या पीड़ित रहीं है और इसलिए अनेक समस्याओं से घिरी रहती है और आज … Read more

जाति अर्थ परिभाषा लक्षण

जाति अर्थ परिभाषा लक्षण

जाति अर्थ परिभाषा लक्षण जाति अर्थ परिभाषा लक्षण : भारतीय सामाजिक संस्थाओं में जाति एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण संस्था है। डॉक्टर सक्सेना का मत है कि जाति हिंदू सामाजिक संरचना का एक मुख्य आधार रही है, जिससे हिंदुओं का सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक जीवन प्रभावित होता रहा है। श्रीमती कर्वे का मत है कि यदि … Read more

अल्पसंख्यक अर्थ प्रकार समस्याएं

अल्पसंख्यक अर्थ प्रकार समस्याएं

अल्पसंख्यक अर्थ प्रकार समस्याएं अल्पसंख्यक अर्थ प्रकार समस्याएं – एक समाज या राष्ट्र में विभिन्न दो या अधिक वर्ग के लोग निवास करते हैं जिनमें एक वर्ग या समूह की संख्या आधी से कम होती है वह अल्पसंख्यक वर्ग के नाम से जाना जाता है। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि अल्प व्यक्तियों … Read more

मैक्स वेबर के सामाजिक क्रिया के सिद्धांत

मैक्स वेबर के सामाजिक क्रिया के सिद्धांत

मैक्स वेबर के सामाजिक क्रिया के सिद्धांत मैक्स वेबर के सामाजिक क्रिया के सिद्धांत : मैक्स वेबर के सामाजिक क्रिया के सिद्धांत का प्रतिपादन मैक्स वेबर ने अपनी महान कृति ‘Theory of Social and Economic Organisation’ में प्रवाहित किया है। मैक्स वेबर ने सामाजिक क्रिया की अवधारणा को अपने चिन्तन का मूल आधार बनाया है। … Read more

प्रथा का अर्थ तथा प्रकृति

प्रथा का अर्थ तथा प्रकृति

प्रथा का अर्थ तथा प्रकृति प्रथा का अर्थ तथा प्रकृति : “प्रथाएँ और परम्परायें समूह द्वारा स्वीकृत नियंत्रण की वह प्रविधियाँ हैं जो कि खूब सुप्रतिष्ठित हों, जिन्हें स्वीकार कर लिया गया हो, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तान्तरित हो रही हों।” प्रथा का अर्थ तथा प्रकृति जब समुदाय के अनेक व्यक्ति एक साथ एक ही तरह के … Read more

Class 12th Sociology | समाज-शास्त्र 

Class 12th Sociology | समाज-शास्त्र 

Class 12th Sociology | समाज-शास्त्र Class 12th Sociology | समाज-शास्त्र : इस पोस्ट के माध्यम से आज हम कक्षा -१२ समाजशास्त्र विषय के दीर्घ उत्तरीय प्रश्न का अध्ययन करेंगे । Class 12th Sociology | समाज-शास्त्र भारत में हरित क्रांति के सामाजिक-आर्थिक परिणामों की व्याख्या कीजिए। हरित क्रांति शब्द सन् 1968 में होने वाले उस आश्चर्यजनक … Read more

सामाजिक विषमता और बहिष्कार के स्वरूप | Class 12th Sociology Chapter 5th

सामाजिक विषमता और बहिष्कार के स्वरूप | Class 12th Sociology Chapter 5th

Class 12th Sociology Chapter 5th (सामाजिक विषमता और बहिष्कार के स्वरूप) MCQ Term- 1 सामाजिक विषमता और बहिष्कार के स्वरूप : आज इस पोस्ट के माध्यम से हम सामाजिक विषमता और बहिष्कार के स्वरूप पाठ से सम्बंधित बहुविकल्पी प्रश्नों का अभ्यास करेंगे सामाजिक विषमता और बहिष्कार के स्वरूप 1] सामाजिक संसाधनों को पूंजी के कितने … Read more

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