Central Problems Of An Economy
Central Problems Of An Economy : Class :12 Micro Economics Unit-1 Chapter : 2(I) Topic : Central Problems of An Economy.
Central Problems Of An Economy
इस पोस्ट में कक्षा बारहवीं व्यष्टि अर्थशास्त्र के अध्याय 2(I) के नोट्स हिन्दी माध्यम में उपलब्ध हैं। आशा है आपको ये नोट्स बहुत ही सरल और लाभदायक लगेंगे।
अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याएं
What is Economics problem ?
आर्थिक समस्या क्या है ?
प्रत्येक मनुष्य की आवश्यकताएं सीमित होती है परंतु उन आवश्यकताओं को संतुष्ट करने के साधन सीमित होते हैं । इसी तरह एक अर्थव्यवस्था के लिए यह संभव नहीं है कि वह प्रत्येक नागरिक के लिए, प्रत्येक वस्तु का उत्पादन कर सकें । अतः प्रत्येक अर्थव्यवस्था को यह चुनाव करना पड़ता है कि किस तरह वह सीमित साधनों से अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करें ।
उदाहरण के लिए एक अर्थव्यवस्था को यह निर्णय लेना पड़ता है कि कितने साधनों का उपयोग उद्योगों के विकास के लिए करें तथा कितने साधनों का प्रयोग कृषि के विकास के लिए किया जाए | साधनों के चुनाव संबंधी इस समस्या को ही आर्थिक समस्या कहा जाता है।
अतः आर्थिक समस्या,चुनाव की समस्या या साधनों के बचतपूर्ण प्रयोग की समस्या है ।संक्षेप में हम कह सकते हैं कि आर्थिक समस्या वह समस्या है जिसका संबंध वर्तमान साधनों के उचित बंटवारे से अधिकतम संतुष्टि प्राप्त करना तथा भविष्य में साधनों की वृद्धि और उनके वितरण से है।
Definition of Economic Problem
परिभाषाएँ
लेफ़्टविच के अनुसार, “आर्थिक समस्या का संबंध मनुष्य की वैकल्पिक आवश्यकताओं के लिए सीमित साधनों की वितरण तथा संसाधनों का अधिक से अधिक आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए प्रयोग करने से है ।”
एरिक प्रोन के अनुसार, “आर्थिक समस्या मूल रूप से चुनाव की आवश्यकता से पैदा होने वाली समस्या है। इस चुनाव का संबंध व्यक्ति प्रयोगों वाले सीमित साधनों के प्रयोग से है यह साधनों के उचित उपयोग की समस्या है ।”
Causes of Economic Problem
आर्थिक समस्या के कारण
आर्थिक समस्या उत्पन्न होने के तीन कारण होते है-
1-असीमित आवश्यकताएं-
प्रत्येक मनुष्य की आवश्यकताएँ असीमित होती है | कोई भी मनुष्य अपनी समस्त आवश्यकताओं पूर्ण रूप से संतुष्ट नहीं कर सकता । किसी निश्चित समय में प्रत्येक समाज में असंख्य असंतुष्ट आवश्यकताएं होती हैं, जिन्हें अर्थव्यवस्था में उपलब्ध साधनों से पूर्ण तरह संतुष्ट नहीं किया जा सकता ।
2-सीमित या दुर्लभ साधन-
आवश्यकताओं को संतुष्ट करने वाले अधिकतर साधन सीमित या दुर्लभ होते हैं। इन पदार्थों को दुर्लभ इसलिए कहा जाता है। क्योंकि इनकी मांग इनकी पूर्ति से अधिक होती है । (Demand>Supply) मकोनल के अनुसार, “दुर्लभता वह स्थिति है जिसमें एक निश्चित समय में साधनों की उपलब्धता उनकी मांग से कम होती है ।”
3-वैकल्पिक प्रयोग-
प्रत्येक साधन को एक से अधिक उद्देश्यों के लिए प्रयोग किया जा सकता है | इसे ही वैकल्पिक प्रयोग कहते हैं। प्रत्येक व्यक्ति तथा समाज को यह चुनाव करना पड़ता है कि वह अपने इस सीमित साधन को अपनी कौन-कौन सी आवश्यकता को संतुष्ट करने के लिए करें ।
उदाहरण के लिए दूध एक सीमित वस्तु है इसका प्रयोग विभिन्न कार्यों जैसे बच्चे के पीने के लिए, चाय बनाने के लिए या पनीर, रसगुल्ला आदि मिठाई बनाने में प्रयोग किया जा सकता है । परंतु दूध की पूर्ति सीमित होती है अतः एक गृहस्थ को यह चुनाव करना पड़ता है कि वह इसका प्रयोग अपनी किस आवश्यकता को संतुष्ट करने के लिए करें । इसी तरह, प्रत्येक अर्थव्यवस्था को यह चुनाव करना पड़ता है कि वह अपने सीमित साधनों का प्रयोग कौन सी वस्तुओं और सेवाओं को का उत्पादन करने के लिए करें तथा कौन सी वस्तु और सेवाओं का त्याग कर दे |
वास्तव में चुनाव की समस्या ही अर्थशास्त्र की मुख्य समस्या है, इसे ही आर्थिक समस्या कहा जाता है।
अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याएं
Central Problems of Economy
अर्थव्यवस्था से अभिप्राय उस प्रणाली से है, जिसके द्वारा मनुष्य अपनी आजीविका कमाते हैं तथा आवश्यकताओं की संतुष्टि करते हैं । प्रत्येक अर्थव्यवस्था को कुछ आधारभूत आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है । इन समस्याओं ही एक अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याएं कहते हैं ।
प्रोफेसर सैमुअल्सन के अनुसार प्रत्येक अर्थव्यवस्था को निम्नलिखित 3 केंद्रीय समस्याओं का सामना करना पड़ता है-
- 1-एक किन वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन किया जाए तथा कितनी मात्रा में किया जाए?
- 2-उत्पादन किस प्रकार किया जाए?
- 3-उत्पादन किसके लिए किया जाए?
1-किन वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन किया जाए तथा कितनी मात्रा में उत्पादन किया जाए ?
प्रत्येक अर्थव्यवस्था की सबसे पहली और मुख्य आर्थिक समस्या या केंद्रीय समस्या यह निर्धारण करना है कि कौन सी वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन किया जाए, जिससे लोगों की अधिकतम आवश्यकताओं को संतुष्ट किया जा सके | इस समस्या के उत्पन्न होने का मुख्य कारण यह है कि आवश्यकताएं असीमित होती है | परंतु अर्थव्यवस्था के पास साधन सीमित होते है । अतः प्रत्येक अर्थव्यवस्था को चुनाव करना पड़ता है कि किन आवश्यकताओं को संतुष्ट किया जाए तथा किन का त्याग किया जाए | इस समस्या का दूसरा नाम चुनाव की समस्या भी है ।
एक अर्थव्यवस्था को निम्नलिखित दो बातें तय करनी पड़ती हैं-
- I) एक अर्थव्यवस्था को यह निर्णय लेना पड़ता है कि कौन सी वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन किया जाए ? उदाहरण के लिए उपभोक्ता वस्तुएं जैसे चीनी, कपड़ा आदि का उत्पादन किया जाए या पूंजीगत वस्तुएं जैसे मशीनें ट्रैक्टर आदि का उत्पादन किया जाए । इसी प्रकार यह भी चुनाव करना पड़ता है कि कौन से युद्धकालीन वस्तुएं जैसे बंदूक, टैंक का उत्पादन किया जाए तथा कौन सी शांति कालीन वस्तुओं का उत्पादन किया जाए ?
- II) जब एक अर्थव्यवस्था यह निश्चय कर लेती है कि कौन सी वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करना है तो उसे यह भी निर्णय लेना पड़ता है कि उन वस्तुओं का कितनी कितनी मात्रा में उत्पादन किया जाए ? अर्थव्यवस्था को यह निर्णय लेना पड़ता है कि उपभोक्ता वस्तुओं का कितना उत्पादन किया जाए तथा पूंजीगत वस्तुओं का कितना उत्पादन किया जाए ?
2-उत्पादन किस प्रकार किया जाए ?
एक अर्थव्यवस्था के सामने दूसरी मुख्य केंद्रीय समस्या यह है कि वस्तुओं का उत्पादन कैसे किया जाए वस्तुओं का उत्पादन करने की दो तकनीकें होती हैं । एक श्रम-प्रधान तकनीक पूंजी-प्रधान तकनीक
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I) श्रम-प्रधान तकनीक (Labour Intensive Technique-LIT)
इस तकनीक में श्रम का उपयोग पूंजी या मशीनों की तुलना में अधिक किया जाता है। उदाहरण-कृषि ।
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II) पूंजी-प्रधान तकनीक (Capital Intensive Technique-CIT)
इस तकनीक में पूंजी या मशीनों का उपयोग श्रम की तुलना में अधिक किया जाता है ।
एक अर्थव्यवस्था को यह तय करना पड़ता है कि वह कौन सी तकनीक का प्रयोग किस उद्योग में करें जिससे उत्पादन अधिक कुशलतापूर्वक किया जा सके | उत्पादन न्यूनतम लागत पर किया जाना चाहिए । किसी अर्थव्यवस्था उत्पादन में कौन सी तकनीक अपनाई जाएगी, यह साधनों की उपलब्धता और उनके सापेक्षिक मूल्य पर निर्भर करता है | इस समस्या को तकनीक की समस्या भी कहा जाता है ।
3-उत्पादन किसके लिए किया जाए ?
एक अर्थव्यवस्था को यह भी चुनाव करना पड़ता है कि उत्पादन किसके लिए किया जाए ? अर्थात गरीबों के लिए कल्याणकारी वस्तुओं जैसे कपड़ा, भोजन, खाद्यान्न का उत्पादन किया जाए या अमीरों के लिए विलासिता वस्तुओं जैसे कार, रेफ्रिजरेटर का उत्पादन किया जाए । इस समस्या को वितरण की समस्या कहते हैं ।
प्रोफेसर स्टीगलर तथा लेफ़्टविच जैसे अर्थशास्त्रियों ने दो और केंद्रीय समस्याओं का वर्णन किया है।
4-साधनों का पूर्ण उपयोग कैसे हो ?
प्रत्येक अर्थव्यवस्था की अगली मुख्य समस्या सभी उत्पादन के साधनों का पूर्ण उपयोग करना अथवा पूर्ण रोजगार प्रदान करना है । परंतु वास्तव में उत्पादन के साधनों भूमि, श्रम, पूंजी का पूर्ण उपयोग नहीं हो पाता है । फैक्ट्रियां बंद रहती हैं, मजदूर बेरोजगार रहते हैं, या भूमि का पूरा उपयोग नहीं हो पाता । अतः प्रत्येक अर्थव्यवस्था की यह जिम्मेदारी हो जाती है कि सभी साधनों का पूर्ण उपयोग हो । इसे साधनों के कुशलतम उपयोग की समस्या भी कहते हैं।
5-साधनों का विकास कैसे हो ?
प्रत्येक अर्थव्यवस्था की एक अन्य मुख्य समस्या उत्पादन के स्तर में वृद्धि करना है । इस समस्या को ही आर्थिक विकास की समस्या कहा जाता है । आर्थिक विकास से अभिप्राय है प्रत्येक व्यक्ति की वास्तविक आय में निरंतर वृद्धि हो । वास्तव में आर्थिक विकास की लागत भावी विकास के लिए वर्तमान उपभोग का त्याग है । आर्थिक विकास द्वारा सामाजिक न्याय तथा समानता के लक्ष्य की प्राप्ति भी होनी चाहिए।
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