चित्र वर्णन

Chitra Varnan in Hindi चित्र वर्णन , Definition, Examples

चित्र वर्णन की परिभाषाउदाहरण  

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Chitra Varnan – इस लेख में हम चित्र-वर्णन के बारे में जानेंगे। चित्र-वर्णन कहते किसे हैं? चित्र-वर्णन के क्या लाभ हैं? चित्र-वर्णन की क्या विशेषताएँ हैं? चित्र-वर्णन का क्या तरीका है? इन सभी प्रश्नों के साथ-साथ इस लेख में हम कुछ उदाहरण भी दे रहे हैं ताकि आप अपने चित्र-वर्णन के प्रश्न को आसानी से और कम समय में प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत कर पाएँ –

चित्र-वर्णन की परिभाषा – Definition

किसी चित्र को देखकर उससे संबंधित मन में उठने वाले भावों को अपनी कल्पनाशक्ति के माध्यम से अभिव्यक्त करना ही ‘चित्र-वर्णन’ कहलाता है।

दूसरे शब्दों में – चित्र को देखकर उसमें निहित क्रियायों, स्थितियों और भावों का वर्णन ही ‘चित्र-वर्णन’ कहलाता है।

सरल शब्दों में – दिए गए चित्र को देख कर उस चित्र को अपने शब्दों में प्रस्तुत करना ही ‘चित्र-वर्णन’ कहा जाता है।

पृथ्वी पर मानव ही एकमात्र प्राणी है, जिसे ईश्वर ने कल्पनाशक्ति का वरदान दिया है। किसी भी वस्तु, दृश्य या चित्र को देख कर उसके मन में अनेक भाव जन्म लेने लगते हैं। अपने अनुभवों के कारण किसी घटना या वातावरण के प्रति उसकी अपनी प्रतिक्रिया होती है। अपने इस अनुभव या प्रतिक्रिया को सशक्त और प्रभावशाली भाषा के माध्यम से व्यक्त कर पाना ही ‘चित्र-वर्णन’ का उद्देश्य है।

वर्णन के लिए दिया गया चित्र किसी घटना को दर्शाने वाला, किसी पूर्ण-स्थिति को व्यक्त करने वाला, किसी व्यक्ति विशेष या प्रकृति से सम्बंधित हो सकता है।

चित्र वर्णन के लाभ

(1) चित्र वर्णन से वस्तुओं या दृश्यों को परखने की क्षमता का विकास होता है।
(2) चित्र-वर्णन से कल्पना शक्ति का विकास होता है।
(3) चित्र-वर्णन से अपने विचारों को एक सूत्र में पिरोकर लिखने की प्रतिभा का विकास होता है।
(4) भाषा लेखन का विकास होता है।

चित्र वर्णन की विषेशताएँ

(1) पहले चित्र को बारीकी से देख लेना चाहिए।

(2) जो भी बातें आपको चित्र में नजर आ रही हों उन्हें अलग से लिख लेना चाहिए।

(3) यदि चित्र में व्यक्ति दिखाई दे रहे हों तो उनके चेहरों के भावों के आधार पर सुख-दुःख आदि भावनाओं को व्यक्त करना चाहिए।

(4) यदि किसी महापुरुष या चर्चित व्यक्ति का चित्र हो तो उस व्यक्ति के प्रति निजी विचारों या भावों को प्रस्तुत किया जा सकता है।

(5) वाक्य रचना करते समय उक्तियों, मुहावरों व् लोकोक्तियों का प्रयोग भी आपकी भाषा को सुंदर और प्रभावशाली बनाने में सहायक होते हैं।

(6) वर्णन करते समय आपके सभी वाक्य चित्र से सम्बंधित होने चाहिए।

(7) वर्णन में अनावश्यक बातों को नहीं लिखना चाहिए।

(8) वर्णन ज्यादा बड़ा नहीं होना चाहिए, केवल 25-से-30 शब्दों तथा 7-8 वाक्यों में ही पूरे चित्र का वर्णन हो जाना चाहिए।

(9) चित्र में जितनी भी चीजें दिख रही हों सभी का वर्णन होना चाहिए।

(10) यदि चित्र के साथ शब्द भी दे रखे हों तो उन सभी शब्दों का प्रयोग आपके वाक्यों में हो जाना चाहिए।

(11) वाक्य रचना करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि आप केवल वर्तमान समय में ही वाक्य रचना करें।

(12) पहले वाक्य में बताएँ कि ‘दृश्य किसका है’ और अगले वाक्य में ‘दृश्य में क्या-क्या हो रहा है’ ये बताएँ।

(13) इस बात का ध्यान भी रखना चाहिए कि विषय और वाक्य में क्रमबद्धता होनी चाहिए।

चित्र-वर्णन एक कला है, जिसे अभ्यास के माध्यम से बेहतर बनाया जा सकता है। अतः बार-बार इसका अभ्यास करते रहना चाहिए।

चित्र वर्णन का तरीका

यदि आपको संक्षिप्त रूप से कहे तो आपको चित्र-वर्णन करे समय केवल पाँच बातों को ध्यान में रखना है।

(1) सर्वप्रथम चित्र को ध्यान से देखना है।

(2) सम्पूर्ण चित्र किसका है यह बताना है।

(3) चित्र में कौन-कौन से क्रियाएँ हो रही हैं? उन्हें क्रम से लिखना है।

(4) फिर चित्र के माध्यम से कही जा रही बात को अपने शब्दों में समझाने का प्रयास करें।

(5) अंत में अपने विचार लिखिए।

चित्र वर्णन के कुछ उदाहरण – Examples

(1)

Chitra Varnan in Hindi

प्रस्तुत चित्र में जल-प्रदुषण को प्रभावित करने वाली स्थिति को दर्शाया गया है। इस चित्र में एक व्यक्ति कपड़े धो रहा है, कुछ जानवर नहा रहे हैं, नाले का पानी नदी में गिर रहा है और कारखानों से निकलने वाले रसायन आदि अपशिष्ट पदार्थ भी नदी में गिर रहे हैं। हम सभी जानते हैं कि इन सब से नदी का पानी दूषित होता है। जल के बिना मनुष्यों का जीवन संभव नहीं है और नदियों का जल मुख्य स्त्रोत है। नदियों के जल को प्रदूषित होने से बचाने के लिए हमें समय रहते अपनी इन गलतियों को सुधारना होगा, अन्यथा इसके दुष्प्रभाव बहुत भयानक होंगे।

(2)

Chitra Varnan in Hindi

यह दृश्य किसी महानगर के चौराहे का है। लाल बत्ती होने के कारण गाड़ियाँ रुकी हुई हैं। फुटपाथ पर एक बच्चा एक वृद्ध महिला को सड़क पार करवा रहा है। एक व्यक्ति अपने स्कूटर को आधे फुटपाथ पर ले आया है। यह नियम के विरुद्ध है। यातायात के लिए बनाए गए नियमों का पालन न करने से ही दुर्घटनाएँ होती हैं। कुछ लोग हरी बत्ती होने का इन्तजार नहीं करते और गाड़ी दौड़ाकर ले जाते हैं। ऐसा करे समय गाड़ियाँ परस्पर टकरा जाती हैं और दुर्घटना हो जाती है। अतः वहन चलाते समय यातायात के नियमों का पालन करना चाहिए।

(3)

Chitra Varnan in Hindi

यह दृश्य प्रातः काल सूर्योदय का है। आसमान का रंग सूर्य की लालिमा लिए हुए एक अनूठी छठा बिखेर रहा है। कुछ पक्षी उड़ रहे हैं और कुछ पेड़ की डाल पर बैठे हुए हैं। दो घर दिखाई दे रहे हैं, जिनके आगे सुंदर फूलों के पौधे हैं। सामने कुआँ है, जिसके पास बड़ा सा पेड़ है। दो स्त्रियाँ सर पर घड़े रख कर कुँए से पानी भरने जा रही हैं। चरवाहा भेड़ों को चराने के लिए ले जा रहा है। पूरा दृश्य मनमोहक छठा बिखेर रहा है। प्रातः काल का समय सबसे उत्तम समय माना जाता है। प्रातः काल भ्रमण करने से मनुष्य का स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

(4)

Chitra Varnan in Hindi

यह चित्र रेलवे प्लेटफॉर्म का है। यहाँ एक रेलगाड़ी खड़ी है। दो कुली सर पर सामान रख कर हाथ में अटैची पकड़े चल रहे हैं। जिस व्यक्ति का सामान है वह उनके साथ चल रहा है। एक बच्चा हाथ में अखबार लिए उनको बेच रहा है। दूसरी ओर एक बच्चा अपनी बूट-पॉलिश की दूकान खोल कर एक व्यक्ति के जूते पॉलिश कर रहा है। जिस व्यक्ति के जुटे पॉलिश किए जा रहे हैं वह अखबार पढ़ रहा है। किनारे पर एक कूड़ादान रखा हुआ है, परन्तु कूड़ा इधर-उधर पड़ा हुआ है। इस दृश्य में दो ऐसी बातें हैं, जैसे – बाल श्रम और गन्दगी, जो तब तक हल नहीं हो सकती जब तक प्रत्येक नागरिक इस ओर कार्य करना अपना कर्तव्य न समझे।

(5)

Chitra Varnan in Hindi

यह दृश्य एक सुंदर उद्यान का है। दो बालक फुटबॉल के साथ खेल रहे हैं। बालक फुटबॉल को पाँव से मारते हुए दौड़ रहे हैं। एक बालक इस खेल को कुछ दुरी से देख रहा है। आस-पास हरे-भरे पेड़-पौधे हैं। इस तरह हरियाली में खेलना स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत अच्छा होता है। अतः सभी को चाहिए कि वे सुबह-शाम हरे-भरे उद्यानों में खेले या सैर करे ताकि सभी स्वस्थ व् प्रसन्न रहें। कहा भी गया है – स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है।

(6)

Chitra Varnan in Hindi

यह दृश्य एक उद्यान का है। यहाँ किसी विद्यालय के बच्चे और अध्यापक विद्यालय की ओर से पिकनिक मानाने आए हैं। एक अध्यापक बच्चों के खाने के लिए लाए सामान को स्कूल बस से ला रहे हैं और एक अद्यापिका हाथ में फलों की टोकरी लिए एक बालिका को कुछ बता रही हैं। दो बच्चे सामान रखने में अध्यापकों की मदद कर रहे हैं और कुछ गेंद के साथ खेल रहे हैं। बच्चे बहुत खुश लग रहे हैं। इस तरह विद्यालय द्वारा बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ दूसरी गतिविधियों में भी शामिल करना बच्चों के सर्वांगीण विकास में बहुत मदद करता है।

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