उपनिवेशवाद से आप क्या समझते हैं ? उपनिवेशवाद की प्रमुख विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उपनिवेशवाद से आप क्या समझते हैं ? : वह दशा जिसमें एक शक्तिशाली देश अपने से निर्बल देश पर अधिकार करके वहाँ अपना शासन और कानून व्यवस्था स्थापित कर लेता है तो उसे उपनिवेशवाद कहा जाता है। इसका संबंध साम्राज्यवादी व्यवस्था से रहा है।
उपनिवेशवाद से आप क्या समझते हैं ?
इंगलैंड, फ्रांस आदि यूरोपीय देश उपनिवेशवाद के पोषक रहे हैं। यह प्रक्रिया यूरोपीय शक्तियों द्वारा अफ्रीका तथा एशिया पर विशेष रूप से उनकी भिन्न प्रजाति के लोगों पर प्रत्यक्ष नियंत्रण की व्यवस्था को व्यक्त करती है ।
उपनिवेशवाद की प्रमुख विशेषताएँ–
उपनिवेशवाद में एक साम्राज्यवादी देश अपने से दुर्बल देश पर अधिकार करके वहाँ अपना शासन और कानून व्यवस्था स्थापित कर लेता है।
एक देश जब किसी विदेशी ताकत के अधीन हो जाता है तो उसके मूल निवासियों को अपने देश के शासन तंत्र में हिस्सा लेने का कोई अधिकार नहीं रहता है।
उपनिवेशवाद शक्तिशाली राष्ट्रों की विस्तारवादी प्रकृति को स्पष्ट करता है।
उपनिवेशवाद एक दीर्घकालीन शोषण की नीति पर आधारित दशा है। इसका उद्देश्य उस देश के संसाधनों का उपयोग इस तरह करना होता है जिससे साम्राज्यवादी देश आर्थिक रूप से शक्तिशाली बन सके।
औपनिवेशिक शासन में लोगों पर प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से अपनी संस्कृति, सामाजिक मूल्यों और आर्थिक क्रियाओं में परिवर्तन लाने के लिए इस तरह दबाव डाला जाता है, जिससे वे स्वयं भी अपने आपको साम्राज्यवादी शक्ति के अधीन समझने लगे।
विदेशी सरकार द्वारा कूटनीति की सहायता से ऐसी व्यवस्था लागू की जाती है जिससे उस देश के मूल निवासी अपना सामाजिक-आर्थिक विकास करने के योग्य बन सके।
उपनिवेशवाद का एक पहलू रंगभेद के आधार पर कानूनों और न्याय व्यवस्था को लागू करना होता है।
विश्व में सबसे अधिक उपनिवेश के देश बने जो एशिया और अफ्रीका महाद्वीपों से संबंधित थे।
भारत में औपनिवेशिक शासन के कारण
- एक लम्बी अवधि तक भारत इंगलैंड का उपनिवेश रहा। यहाँ औपनिवेशिक शासन अनेक कारणों का परिणाम था। इसका सबसे मुख्य कारण राजनीतिक अस्थिरता था।
- जागीरदारों तथा राजाओं के अधिकारियों ने आम जनता का शोषण करना आरम्भ कर दिया था।
- आवागमन तथा संचार की सुविधाओं का अभाव था। यहाँ के निवासी अपने ही क्षेत्र से बँधे रहे। उन्हें दूसरे क्षेत्र में घटने वाली घटनाओं का पता नहीं चल पाता था।
- अलग-अलग क्षेत्रों की सांस्कृतिक भिन्नता थी। इसके कारण विभिन्न क्षेत्रों के बीच संतुलन और सामंजस्य नहीं हो सका।
- यहाँ की आबादी अनेक जातियों तथा सम्प्रदायों में विभाजित थी। इनके बीच सामाजिक दूरी पायी जाती थी।
- शिक्षा का अभाव था। इस वजह से सामाजिक कुरीतियाँ चरम सीमा पर पहुँच गयी थी। देश में कोई ऐसी सत्ता नहीं थी जो लोगों को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक बनाने और उनमें सामाजिक चेतना पैदा करने का काम कर पाती।
भारत में लम्बी अवधि तक औपनिवेशिक शासन के लिए यही कारण उत्तरदायी है।
उपनिवेशवाद के प्रभाव :
(i) ब्रिटिश सरकार ने भारतीयों के हितों को पूर्णतया अनदेखा करके अपने लाभ के लिए भारत के मानवीय, भौतिक तथा प्राकृतिक संसाधनों का खूब दोहन किया ।
(ii) ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने भारत के लोगों को अत्यधिक निर्धनता के गर्त में धकेल दिया, जिसके परिणामस्वरूप स्वतंत्रता के समय भारत की बहुसंख्या गरीबी रेखा के नीचे रह रही थी ।
(iii) अपने औपनिवोशक शासन को पूर्ण रूप से स्थापित करने के लिए ब्रिटेन ने फूट डाली तथा शासन करो की नीति का पालन किया जिससे भारतीय कभी भी संगठित न हो सके ।
(iv) आर्थिक क्षेत्र में ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने भारतीय हस्तशिल्प तथा चरखे को नष्ट कर दिया जो भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ था । बहुत से कारीगरों को अपने पूर्वजों के व्यवसाय को छोड़कर कृषि को अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा । इसके कारण कृषि भूमि पर दबाव में बढ़ोतरी हुई जिसके परिणामस्वरूप भूमि का विखंडन हुआ और भारत की गरीबी में वृद्धि हुई ।
ब्रिटिश औपनिवेशिक नीतियों ने भारत में प्राय: पड़ने वाले अकालों तथा भारत के दु:खों की बढ़ोत्तरी में महत्वपूर्ण योगदान दिया । ब्रिटिश सरकार ने कृषि के विकास के लिए सिचाई सुविधाओं के विकास पर कोई ध्यान नहीं दिया । ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने भारतीय कुटीर उद्योगों तथा हस्तशिल्पों पर गंभीर प्रहार किया।
भारत में अपने निवास के दौरान औपनिवेशिक शक्तियों ने यह स्पष्ट किया कि क्योंकि भारत के लोग शिक्षा का प्रसार नहीं चाहते हैं इसलिए भारत के लोग अनपढ़ तथा अज्ञानी ही रहेंगे । ब्रिटीशों ने भारतीय इतिहास तथा संस्थाओं की जानबूझकर गलत व्याख्या की ताकि भारतीय लोगों को अपने इतिहास पर भरोसा न रहे ।
इस प्रकार ब्रिटिशों ने एक ओर भारतीयों में हीन भावना विकसित करने का प्रयास किया तो दूसरी ओर अपनी सर्वोच्चता का डका पीटा । ब्रिटिश उपनिवेशवाद ने भारत में जातिवाद तथा सांप्रदायिकता को बढ़ावा दिया ।
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