संस्कृति तथा समाजीकरण | Culture and Socialisation
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संस्कृति तथा समाजीकरण
प्रश्न 1. सामाजिक विज्ञान में संस्कृति की समझ, दैनिक प्रयोग के शब्द संस्कृति से कैसे भिन्न है?
उत्तर संस्कृति’ समाजशास्त्र की शब्दावली में प्रयुक्त की जाने वाली एक विशिष्ट संकल्पना है। इस नाते इसका एक सुस्पुष्ट अर्थ है, जो इस संकल्पना के दैनिक प्रयोग में लगाए गए अर्थ से भिन्न होता है। रोजमर्रा की बातों अथवा दैनिक प्रयोग में संस्कृति’ शब्द को कला तक सीमित कर दिया जाता है। अथवा इसका अर्थ कुछ वर्गों या देशों की जीवन-शैली से लगाया जाता है। कला के रूप में संस्कृति शब्द का प्रयोग शास्त्रीय संगीत, नृत्य अथवा चित्रकला में परिष्कृत रुचि का ज्ञान प्राप्त करने के संदर्भ में किया जाता है। यह परिष्कृत रुचि लोगों को असांस्कृतिक अर्थात् आम लोगों से भिन्न करती है। समाजशास्त्र में संस्कृति को व्यक्तियों में विभेद करने वाला साधन नहीं माना जाता है, अपितु इसे जीवन जीने का एक तरीका माना जाता है जिसमें समाज के सभी सदस्य भाग लेते हैं।
टायलर (Tylor) ने संस्कृति की एक विस्तृत परिभाषा देते हुए लिखा है, “संस्कृति वह जटिल संपूर्ण व्यवस्था है जिसमें समस्त ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून, प्रथाएँ तथा अन्य समस्त क्षमताएँ एवं आदतें सम्मिलित हैं जिन्हें व्यक्ति समाज का सदस्य होने के नाते प्राप्त करता है। इसी भाँति, मैलिनोव्स्की (Malinowski) के शब्दों में, “संस्कृति में उत्तराधिकार में प्राप्त कलाकृतियाँ, वस्तुएँ, तकनीकी प्रक्रिया, विचार, आदतें तथा मूल्य सम्मिलित होते हैं। इन विद्वानों द्वारा सूचीबद्ध वस्तुओं की प्रकृति भौतिक एवं अभौतिक दोनों प्रकार की है। भौतिक वस्तुओं को सभ्यता कहा जाता है तथा यह संस्कृति का भौतिक पक्ष है। अभौतिक पक्ष मूल्यों, ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता, कानून इत्यादि को सम्मिलित किया जाता है।
प्रश्न 2. हम कैसे दर्शा सकते हैं कि संस्कृति के विभिन्न आयाम मिलकर समग्र बनाते हैं।
उत्तर संस्कृति के तीन प्रमुख आयाम होते हैं-संज्ञानात्मक, आदर्शात्मक (मानकीय) तथा भौतिक। संज्ञानात्मक आयाम को संदर्भ हमारे द्वारा देखे या सुने गए को व्यवहार में लाकर उसे अर्थ प्रदान करने क्री प्रक्रिया से हैं। किसी नेता की कार्टून की पहचान करना अथवा अपने मोबाइल फोन की घंटी को पहचानना इसके उदाहरण हैं। आदर्शात्मक आयाम का संबंध आचरण के नियमों से हैं। अन्य व्यक्तियों के पत्रों को न खोलना, निधन पर अनुष्ठानों का निष्पादन करना ऐसे ही आचरण के नियम हैं। भौतिक आयाम में भौतिक साधनों के प्रयोग संबंधों क्रियाकलाप सम्मिलित होते हैं। इंटरनेट पर चैटिंग करना इसका उदाहरण है। इन तीनों आयामों के समग्र से ही संस्कृति का निर्माण होता है। व्यक्ति अपनी पहचान अपनी संस्कृति से ही करता है तथा संस्कृति के आधार पर ही अपने को अन्य संस्कृतियों के लोगों से अलग समझता है।
प्रश्न 3. उन दो संस्कृतियों की तुलना करें जिनसे आप परिचित हों। क्या अनृजातीयता (नृजातीय नहीं बनना) कठिन नहीं है?
उत्तर व्यक्ति अपनी पहचान अपनी संस्कृति से करता है। समानं भाषा, क्षेत्र, धर्म, प्रजाति, अंतर्विवाह, रीति-रिवाज और धार्मिक विश्वासों के आधार पर बने सांस्कृतिक समूहों को नृजातीय समूह भी कहा जाता है। प्रत्येक नृजातीय समूह की अपनी नृजातीय अस्मिता होती है जिसका अर्थ समानता और अनन्यता से है। एक ओर, नृजातीय अस्मिता इस बात की ओर संकेत करती है कि । नृजातीय समूहों के सदस्यों में कौन-सी विशेषताएँ समान हैं तथा दूसरी ओर, इससे उन विशेषताओं का भी पता चलता है जो उन्हें दूसरे नृजातीय समूह से अलग करती है। जब हम दो संस्कृतियों की तुलना करते हैं तो हम दो नृजातीय समूहों में भेद करने का प्रयास करते हैं। उदाहरणार्थ-जब हम हिंदु संस्कृति की तुलना मुस्लिम संस्कृति से करने का प्रयास करते हैं तो दोनों में नृजातीय समानता एवं असमानता का पता लगाने का प्रयास करते हैं। चूँकि नृजातीय अस्मिता ही संस्कृति की पहचान होती है। इसलिए अनुजातीयता अर्थात् नृजातीय नहीं बनना बहुत कठिन होता है। वस्तुतः राष्ट्रीयता, भाषा, धर्म, क्षेत्र, प्रजाति, जाति, अहम् आदि की भावनाएँ नृजातीयता से जुड़ी होती हैं। इन्हें छोड़कर दो नृजातीय समूह या दो संस्कृतियों के लोग एक हों जाएँ, ऐसा असंभव तो नहीं है परंतु अत्यधिक कठिन है। जनजातियों में विभिन्न संस्कृतियों में आमनप्रदान से जनजातीय अस्मिता कम हुई है तथा सात्मीकरण की प्रक्रिया द्वारा अनेक जनजातियाँ अपनी संस्कृति खोकर हिंदू संस्कृति में आत्मसात् कर दी गई हैं।
प्रश्न 4. सांस्कृतिक परिवर्तनों का अध्ययन करने के लिए दो विभिन्न उपागमों की चर्चा करें।
उत्तर संस्कृति के विभिन्न पक्षों में होने वाले परिवर्तन को सांस्कृतिक परिवतर्न कहते हैं। सांस्कृतिक परिवर्तन समाज के आदर्शों और मूल्यों की व्यवस्था में होने वाला परिवर्तन है। सांस्कृतिक परिवर्तन वह तरीका है जिसके द्वारा समाज अपनी संस्कृति के प्रतिमानों को बदलता है। रूथ बेनेडिक्ट (Ruth Benedict) ने संस्कृति के प्रतिमानों की चर्चा करते हुए स्पष्ट लिखा है कि उनमें परिवर्तन सदैव होते रहते हैं। उन्हीं के शब्दों में, “हमें याद रखना चाहिए कि परिवर्तन से, चाहे उसमें कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न हों, बचा नहीं जा सकता।” सास्कृतिक परिवर्तन की संकल्पना सामाजिक परिवर्तन की संकल्पना से अधिक विस्तृत मानी जाती है। डेविस (Davis) के अनुसार, सामाजिक परिवर्तन, वास्तव में, सांस्कृतिक परिवर्तन नहीं अपितु इसका एक अंग है। सांस्कृतिक परिवर्तन के अंतर्गत संस्कृति की किसी भी शाखा, जैसे कला, विज्ञान, दर्शन तथा तकनीकी में परिवर्तन को सम्मिलित किया जा सकता है।’ भौतिक संस्कृति में परिवर्तन यद्यपि सामाजिक परिवर्तन ला सकता है परंतु वह स्वयं सामाजिक परिवर्तन नहीं है।
सांस्कृतिक परिवर्तन संस्कृति से संबंधित होते हैं, सार्वभौम होते हैं, इनका क्षेत्र अत्यधिक विस्तृत होता है, इनकी प्रकृति जटिल होती है तथा सभी समाजों में इनकी गति एक समान नहीं होती। सांस्कृतिक परिवर्तन का अध्ययन करने की दो पद्धतियाँ ‘सर्वसम्मत समाधन की पद्धति’ तथा ‘संघर्ष की पद्धति है। पहली पद्धति के अंतर्गत सांस्कृतिक अंत: संबंधों को प्रकार्यात्मक परिप्रेक्ष्य में देखा जाता है। आत्मसात् करने का सिद्धांत, जिसे मैल्टिग पॉट का सिद्धांत भी कहा जाता है, इसका उदाहरण है। इस सिद्धांत के अनुसार एक समूह अपनी सांस्कृतिक अस्मिता खोकर दूसरे सांस्कृतिक समूह में पूर्णतः आत्मसात हो जाता है। संघर्ष की पद्धति सांस्कृतिक समूहों को हित समूह के रूप में देखती है जो सदैव असमानता की स्थिति में होते हैं तथा किसी समान उद्देश्य की प्राप्ति के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं। दक्षिण अफ्रीका में गोरे लोगों द्वारा काले लोगों से प्रजातीय भेदभाव अथवा श्रीलंका में अप्रवासी तमिलों और स्थानीय सिंहलियों के बीच धार्मिक संघर्ष सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित संघर्ष ही हैं।
प्रश्न 5. क्या विश्वव्यापीकरण को आप आधुनिकता से जोड़ते हैं? नृजातीयता का प्रेक्षण करें तथा उदाहरण दें।
उत्तर नृजातीयता में सांस्कृतिक श्रेष्ठता की भावना निहित होती है। नृजातीयता का प्रयोग अपने सांस्कृतिक मूल्यों का अन्य संस्कृतियों के लोगों के व्यवहार तथा आस्थाओं के मूल्यांकन करने के लिए। किया जाता है। प्रत्येक नृजातीय समूह अपने सांस्कृतिक मूल्यों को अन्य समूहों के सांस्कृतिक मूल्यों से श्रेष्ठ मानता है। इसी भावना के कारण नृजातीयता की भावना को विश्व-बंधुत्व एवं विश्वव्यापीकरण के विपरीत माना जाता है विश्वव्यापीकरण में व्यक्ति अन्य व्यक्तियों के मूल्यों एवं आस्थाओं का मूल्यांकन अपने मूल्यों एवं आस्थाओं के अनुसार नहीं करता। विश्वव्यापीकरण विभिन्न सांस्कृतिक प्रवृत्तियों को मान्यता प्रदान करता है तथा इन्हें अपने अंदर समायोजित करता है। इसमें संस्कृति को समृद्ध बनाने हेतु सांस्कृतिक विनिमय तथा लेम-देन पर भी बल दिया जाता है। विश्वव्यापीकरण को निश्चित रूप से आधुनिकता के साथ जोड़ा जा सकता है क्योंकि एक आधुनिक समाज सांस्कृतिक विभिन्नता का प्रशंसक होता है तथा बाहर से पड़ने वाले सांस्कृतिक प्रभावों के लिए अपने दरवाजे बंद नहीं करता। ऐसे सभी प्रभावों को सदैव इस प्रकार सम्मिलित किया जाता है कि ये देशीय संस्कृति के तत्त्वों के साथ मिल सकें। एक विश्वव्यापी पर्यवेक्षण प्रत्येक व्यक्ति को अपनी संस्कृति को विभिन्न प्रभावों द्वारा सशक्त करने की स्वतंत्रता देता है।
प्रश्न 6.
आपके अनुसार आपकी पीढी के लिए समाजीकरण का सबसे प्रभावी अभिकरण क्या है? यह पहले अलग कैसे था, आप इस बारे में क्या सोचते हैं।
उत्तर
समाजीकरण का अर्थ सीखने की उस प्रक्रिया से है जिसके द्वारा व्यक्ति को एक सामाजिक प्राणी बनाया जाता है तथा जिससे वह सांस्कृतिक मूल्यों का आंतरीकरण करता है। बच्चे का सामाजीकरण अनेक अभिकरणों एवं संस्थाओं द्वारा किया जाता है जिनमें वह भाग लेता है। परिवार, विद्यालय, समकक्ष समूह, पड़ोस, व्यावसायिक समूह तथा सामाजिक वर्ग/जाति, धर्म आदि ऐसे ही प्रमुख अभिकरण हैं। पहले कभी परिवार को समाजीकरण का प्रमुख माध्यम माना जाता था। यद्यपि आज भी समाजीकरण में परिवार को अत्यंत महत्त्व है, तथापि जन माध्यमों को आज समाजीकरण का सबसे प्रभावी अभिकरण माना जाने लगा है। इन माध्यमों में टेलीविजन प्रमुख है। बच्चा माता-पिता एवं परिवार के अन्य सदस्यों तथा समकक्ष समूह से बहुत-सी बातों को सीखता ही है, टेलीविजन पर दिखाए जाने वाले कार्टूनों एवं बच्चों के लिए कार्यक्रमों का भी उस पर गहरा प्रभाव पड़ता है। बहुत-से शब्द, खान-पान के ढंग एवं बातचीत के तरीके आज बच्चे टेलीविजन के माध्यम से सीखने लगे हैं। ब्रिटेन में हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि बच्चों द्वारा टेलीविजन देखने पर व्यय किया गया समय एक साल में एक सौ स्कूली दिवसों के समान है तथा इसमें बड़े भी पीछे नहीं हैं। टेलीविजन के परदे पर हिंसा तथा बच्चों के बीच आक्रमण व्यवहार में संबंध की पुष्टि भी अनेक अध्ययनों से हुई है।
क्रियाकलाप आधारित प्रश्नोत्तर (Culture and Socialisation) संस्कृति तथा समाजीकरण
प्रश्न 1. आप किसी अन्य व्यक्ति को अपनी संस्कृति में कैसे अभिवादन करेंगे? (क्रियाकलाप 1)
उत्तर प्रत्येक संस्कृति में दूसरे का अभिवादन करने का अपना एक विशिष्ट ढंग होता है। भारतीय संस्कृति में बड़ों के पैर छूकर या हाथ जोड़कर नमस्ते द्वारा उनका अभिवादन किया जाता है। हमउम्र में अब मुस्कराकर, हाथ मिलाकर, हैलो कहकर भी अभिवादन किया जाने लगा है। पश्चिमी देशों में अभिवादन को ढंग बिना आयु के भेदभाव के हाथ मिलाने का है। यदि आप किसी अंग्रेज का हाथ जोड़कर अभिवादन करते हैं तो हो सकता है वह भारतीय संस्कृति के इस ढंग से अनभिज्ञ होने के नाते इसका अर्थ न समझ पाए। उसे इसका अर्थ बताने पर यही समझ में आएगा कि भारतीय संस्कृति में बड़ों का अभिवादन इसी ढंग से किया जाता है।
प्रश्न 2. अपने क्षेत्र के अतिरिक्त कम-से कम किसी एक क्षेत्र के बारे में पता लगाएँ कि प्राकृतिक वातावरण खाने-पीने की आदतों, रहने के ढंग, कपड़ों तथा देवी-देवताओं की पूजा करने के तरीकों को कैसे प्रभावित करता है? (क्रियाकलाप 2)
उत्तर यदि हम अपने निकटवर्ती पर्वतीय स्थलों पर रहने वाले लोगों को देखें तो भिन्न प्राकृतिक पर्यावरण के प्रभावों को सरलता से समझ सकते हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोग सर्दी होने के कारण या बर्फ पड़ने के कारण खाने में दाल, सब्जी के अतिरिक्त अंडों एवं मांस का सेवन भी काफी मात्रा में करते हैं। वे सोचते हैं कि मांसाहारी खाना उनके शरीर को गर्म रखने में अधिक सक्षम होता है। रहने के ढंग में भी अंतर स्पष्ट देखा जा सकता है। उनके मकानों की बनावट भिन्न होती है तथा पहाड़ी लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर पैदल ही जाते हैं क्योंकि रिक्शा-तॉगे न तो उपलब्ध होते हैं और न ही वे पहाडी क्षेत्रों में चल सकते हैं। सर्दी से बचने के लिए वे गर्म कपड़ों का इस्तेमाल अधिक करते हैं। कठिन जीवन होने के कारण ऐसा ही माना जाता है कि पहाड़ों पर रहने वाले अधिक धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं। वे देवी-देवताओं पर अधिक विश्वास करते हैं।
प्रश्न 3. भारतीय भाषाओं में संस्कृति शब्द के समतुल्य शब्दों की पहचान कीजिए। वे किस प्रकार से संबंधित हैं? (क्रियाकलाप 3)
उत्तर ‘संस्कृति’ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है-‘सम’ तथा ‘कृति’। संस्कृत में ‘सम’ उपसर्ग का अर्थ है ‘अच्छा’ तथा ‘कृति’ शब्द का अर्थ है ‘करना’। इस अर्थ में यह ‘संस्कार’ का समानार्थक है। हिंदू जीवन में जन्म से मृत्यु तक अनेक संस्कार होते हैं जिससे जीवन परिशुद्ध होता है। व्यक्ति की आंतरिक व बाह्य क्रियाएँ संस्कारों के अनुसार ही होती है। मध्यकाल में इस शब्द का प्रयोग फसलों के उत्तरोत्तर परिमार्जन के लिए किया जाता था। इसी से खेती करने की कला के लिए ‘कृषि (Agriculture) शब्द बना है परंतु अठारहवीं तथा उन्नीसवीं शताब्दियों में इस शब्द का प्रयोग व्यक्तियों के परिमार्जन के लिए भी किया जाने लगा। जो व्यक्ति परिष्कृत अथवा पढ़ा-लिखा था, उसे सुसंस्कृत कहा जाता था। इस युग में यह शब्द अभिजात वर्गों के लिए प्रयोग होता था। जिन्हें असंस्कृत जनसाधारण से अलग किया जाता था।
प्रश्न 4. संस्कृति की विभिन्न परिभाषाओं की तुलना करें तथा सबसे संतोषजनक परिभाषा का पता लगाएँ। (क्रियाकलाप 4)
उत्तर क्रोबर एवं क्लूखोन नामक अमेरिकी मानवशास्त्रियों ने संस्कृति की परिभाषा जिन शब्दों द्वारा देने का प्रयास किया है उन्हें निम्न प्रकार से सूचीबद्ध किया है-
- संस्कृति सोचने, अनुभव करने तथा विश्वास करने का एक तरीका है।
- संस्कृति लोगों के जीने का एक संपूर्ण तरीका है।
- संस्कृति व्यवहार का सारांश है।
- संस्कृति सीखा हुआ व्यवहार है।
- संस्कृति सीखी हुई चीजों का एक भंडार है।
- संस्कृति सामाजिक धरोहर है जो कि व्यक्ति अपने समूह से प्राप्त करता है।
- संस्कृति बार-बार घट रही समस्याओं के लिए मानकीकृत दिशाओं का एक समुच्चय है।
- संस्कृति व्यवहार के मानकीय नियमितीकरण हेतु एक साधन है।
उपर्युक्त अर्थों में संस्कृति को उस सामाजिक धरोहर के रूप में स्वीकार करना उचित है जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांरित होती रहती है। यह सीखा हुआ व्यवहार है। जब हम अठारहवीं शताब्दी में लखनऊ की संस्कृति, अतिथि सत्कार की संस्कृति या सामान्यतया प्रयुक्त शब्द ‘पाश्चात्य संस्कृति का प्रयोग करते हैं तो हमारा तात्पर्य व्यवहार के मानकीकृत ढंग से ही होता है। व्यवहार के भिन्न ढंग के कारण ही आज भी हम लखनऊ की संस्कृति को अन्य शहरों की संस्कृतियों से भिन्न मानते हैं।
प्रश्न 5. क्या आपको अपने आस-पास में बने किसी उप-सांस्कृतिक समूह की जानकारी है? आप ” इनको पहचानने में कैसे सफल हुए? (क्रियाकलाप 5)
उत्तर आपके आस-पास यदि निर्माण कार्य में लगे हुए बिहारी मजदूर अथवा रिक्शाचालक बिहारी एक स्थान पर रहते हैं तो आप इस उम-सांस्कृतिक समूह की सरलता से पहचान कर सकते हैं। उनकी बोलचाल से ही आप यह अनुमान लगा सकते हैं कि वे बिहार या पूर्वी उत्तर प्रदेश के हैं। इसी भाँति, यदि आपके आस-पड़ोस या किसी अन्य मुहल्ले में शहर से थोड़ा बाहर कूड़ा बीनने वाले परिवारों का झुंड रहता है तो उन्हें भी आप न केवल कार्य के आधार पर अपितु उनके रहन-सहन के आधार पर भी अलग उप-सांस्कृतिक समूह के रूप में पहचान सकते हैं।
प्रश्न 6. वे बातें बताएँ जिनमें एक घरेलू नौकर का बच्चा अपने आपको उस बच्चे से अलग समझे, जिसके परिवार में उसकी माँ काम करती है। साथ ही उन वस्तुओं के बारे में बताएँ जिन्हें वह आपस में बाँट सकते हैं या बदल सकते हैं? (क्रियाकलाप 6)
उत्तर एक घरेलू नौकर का बच्चा अपने आपको उस बच्चे से, जिसके परिवार में उसकी माँ काम करती है, कई बातों में अलग समझ सकता है। वह सापेक्षिक वंचना की भावना से भी ग्रसित हो सकता है क्योंकि खाने-पीने के लिए जो सामान मालिक के बच्चे को उपलब्ध है अथवा खेलने के लिए जो खिलौने मालिक के बच्चे के पास है वह उसके पास नहीं है। नौकर के बच्चे के पास न तो वैसे कपड़े पहनने के लिए हो सकते हैं और हो सकता है कि वह स्कूल में भी पढ़ने नहीं जाता हो। उसकी बोलचाल का ढंग भी मालिक के बच्चे से अलग हो सकता है। नौकरानी के बच्चे की भाषा थोड़ी-बहुत अशिष्ट भी हो सकती है। इससे हमें यह पता चलता है कि विभिन्न पारिवारिक परिस्थितियों में होने वाले समाजीकरण से बच्चों की सीख में भी अंतर हो सकता है। हो सकता है कि मालिक की लड़की सुंदर कपड़े अधिक पहनती हो, जबकि नौकरानी की लड़की काँच की चूड़ियाँ अधिक पहनती हो। इसी भाँति उनकी अन्य रुचियों में भी अंतर हो सकता है। हो सकता है कि दोनों बच्चों में आपस में बाँटने के लिए कोई वस्तु न हो, तथापि वे किसी फिल्म के गाने के बारे में आपस में विचारों का आदान-प्रदान कर सकते हैं। मालिक का बच्चा अपने पुराने कपड़ों या खिलौनों को नौकरानी के बच्चों को दे सकता है अथवा अपने सामान्य खिलौनों के साथ. उससे खेल भी सकता है।
प्रश्न 7. टेलीविजन, जगह, समय, सुअवसर, आपके आस-पास के लोग इत्यादि में किस चीज की उपस्थिति या अनुपस्थिति आपको व्यक्तिगत रूप से ज्यादा प्रभावित करेगी? (क्रियाकलाप 7)
उत्तर यह परिवार की सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है। हो सकता है कि किसी बच्चे को अपना मकान न होने का गम ही सबसे अधिक प्रभावित कर रहा हो तो दूसरे को अपना मकान होने के बावजूद टेलीविजन न होने का। किसी निम्न सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से आने वाले बच्चे को, जिसे की अपनी माता का हाथ बँटाने अनेक परिवारों में झाड़े-पोंछा या बर्तन साफ करने हेतु साथ जाता है, घर के कार्यों या विद्यालय के समय में सामंजस्य बैठाने की समस्या हो सकती है। छोटे घरों में रहने वाले बच्चे को अपनी पढ़ाई हेतु अलग कमरा उपलब्ध न होने की समस्या का सामना करना पड़ता है।
प्रश्न 8. अपने मित्रों के साथ की गई अपनी अंतःक्रिया की तुलना अपने माता-पिता तथा अन्य बड़ों से की गई अंतःक्रिया से करने पर क्या अंतर स्पष्ट होता है? (क्रियाकलाप 8)
उत्तर मित्रों की गणना समवयस्क समूह के रूप में होती है। समवयस्क समूह के सदस्यों का एक-दूसरे पर प्रभाव अधिक होता है। हमउम्र या एक व्यवसाय में लगे होने के कारण वे अपने विचारों को खुलकर एक-दूसरे को बता सकते हैं तथा विचारों में भिन्नता पर खुलकर वाद-विवाद कर सकते हैं। ऐसे समूह व्यक्ति की मनोवृत्ति तथा व्यवहार को निर्धारित करने में प्रायः महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। माता-पिता तथा अन्य बड़ों के साथ अंत:क्रिया समकक्ष समूहों के सदस्यों के साथ होने वाली अंतःक्रियाओं से भिन्न होती है। अक्सर बच्चे अपने माता-पिता या बड़ों के दृष्टिकोण को बिना किसी विवाद के अपना लेते हैं। इसीलिए यदि माता-पिता द्वारा किए जाने वाले समाजीकरण तथा समवयस्क समूह या विद्यालय द्वारा किए जाने वाले समाजीकरण में अधिक अंतर हो जाए तो बच्चे के सामने दुविधा की स्थिति पैदा हो सकती है कि वह माता-पिता द्वारा बताई गई बात को उचित माने या अपने दोस्तों व प्राध्यापकों द्वारा बताई गई बात को। इसलिए आज समाजीकरण के विभिन्न अभिकरणों में जीवन के लक्ष्यों के प्रति एवं व्यक्तित्व के निर्माण के प्रति सामंजस्य स्थापित करने की बात पर अधिक बल दिया जाने लगा है।
प्रश्न 9. लोग अपने आस-पास के परिवेश के विपरीत परिवेशों में बने धारावाहिकों से खुद को कैसे जोड़ते हैं? यदि बच्चे अपने दादा-दादी के साथ टेलीविजन देख रहे हैं तो कौन-से कार्यक्रम देखने योग्य हैं, क्या इस पर उनमें असहमति है? यदि ऐसा है तो उनके दृष्टिकोण में क्या अंतर पाया गया? क्या इन अंतरों में क्रमशः संशोधन होता है (क्रियाकलाप 9)
उत्तर आज टेलीविजन समाजीकरण का एक प्रमुख अभिकरण बन गया है। इसमें अनेक धारावाहिक़ दिखाए जाने लगे हैं। बहुत-से धारावाहिकों में किसी कॉलेज में अमीर परिवारों के छात्र-छात्राओं का प्रदर्शन बिगड़ते हुए बच्चों के रूप में भी हो सकता है। इन विपरीत परिवेशों में बने धारावाहिकों से बच्चा खुद को आँकने का प्रयास करता है। वह यह भी सोच सकता है कि धारावाहिकों में दिखाए जाने वाले ऐसे बिगड़े हुए बच्चे बनना अच्छी बात नहीं है। इसके विपरीत, यह भी हो सकता है कि उन बच्चों की जीवन-शैली का उस पर गहरा प्रभाव पड़े तथा वह उस शैली को अपने जीवन में भी अपनाने का प्रयास करने लगे। धारावाहिक देखते समय सामान्यत बच्चों एवं दादा-दादी में मतभेद हो सकता है क्योंकि पीढ़ी अंतर होने के कारण दोनों की रुचियों में काफी अंतर हो सकता है। पढ़ने वाले बच्चे हो सकता है कि विभिन्न विद्यालयों के बच्चों में दिखाए जाने वाले क्विज जैसे कार्यक्रम देखने या क्रिकेट का मैच देखने में अधिक रुचि रखते हों, जबकि दादा-दादी की इन दोनों प्रकार के कार्यक्रमों में कोई रुचि न हो और वे टेलीविजन पर उस समय प्रदर्शित की जाने वाली किसी पुरानी फिल्म को देखने के लिए उत्सुक हों। आजकल छोटी आयु में ही बच्चे कार्टून आधारित कार्यक्रम देखने के आदी हो जाते हैं तथा वे नहीं चाहते कि इन कार्यक्रमों के अतिरिक्त टेलीविजन पर कोई अन्य कार्यक्रम भी देखे जाएँ। दादा-दादी की ऐसे कार्यक्रमों में हो सकता है कि कोई रुचि ही न हो। इस प्रकार के अंतर पीढ़ी अंतराल के द्योतक हैं तथा दोनों पक्षों में इस बात को लेकर समझौता हो सकता है कि जिस समय बच्चे कार्यक्रम देखें उस समय उन्हें अपनी रुचि का कार्यक्रम देखने की अनुमति प्रदान की जाए तथा जब दादा-दादी कार्यक्रम देखें तो बच्चे अपना कार्यक्रम देखने पर जोर न दें। अन्य शब्दों में, समय निर्धारित कर दृष्टिकोण में अंतर को कम किया जा सकता है।
प्रश्न 10.
कस्बों तथा गाँवों में संस्कृति के मानकीय आयाम कैसे अलग हैं? (क्रियाकलाप 11)
उत्तर
कस्बों एवं गाँव के मानकीय आयामों में काफी भिन्नता पाई जाती है। कस्बों की जनसंख्या अधिक होने के कारण संबंध आमने-सामने के, व्यक्तिगत एवं घनिष्ठ नहीं होते हैं। औपचारिक नियंत्रण अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है तथा अनौपचारिक नियंत्रण का प्रायः अभाव पाया जाता है। इसके विपरीत, गाँव में आमने-सामने के प्रत्यक्ष एवं घनिष्ठ संबंध पाए जाते हैं तथा अनौपचारिक नियंत्रण ही अनुपालन के लिए पर्याप्त होता है। कस्बे एवं गाँव में रहने वाले लोगों का जीवन का ढंग, खान-पान, पहनावा, धार्मिक प्रवृत्ति एवं विश्व के प्रति दृष्टिकोण भी भिन्न-भिन हो सकता है। कस्बे में असुरक्षा का वातावरण भी अधिक हो सकता है। इसी के फलस्वरूप हो सकता है कि लड़की यदि किसी कार्य से कहीं बाहर जाती है तो उसके साथ उसका भाई या परिवार का अन्य बड़ा सदस्य जरूर जाए। हो सकता है कि यह स्थिति संबंधित लड़की को काफी उपहासजनके लगे क्योंकि वह विद्यालय में तो अकेली ही जाती है परंतु माता-पिता किसी अन्य कार्य हेतु उसे अकेले जाने से क्यों रोकते हैं। गाँव में इस प्रकार की परिस्थितियाँ ही विकसित नहीं होती हैं।
प्रश्न 11.
पुजारी की बेटी को घंटी छूने की अनुमति जैसी प्रदत्त प्रस्थिति पर प्रश्न अन्य लड़कियों में किस प्रकार की प्रतिक्रिया विकसित कर सकता है? (क्रियाकलाप 11)
उत्तर
प्रदत्त प्रस्थिति कई बार समाज में प्रचलित मूल्यों के प्रति विद्रोह अथवा समतावादी व्यवहार की प्रतिक्रिया उत्पन्न कर सकती है। उदाहरणार्थ-यदि एक लड़की मंदिर में जाकर घंटी बजाने को उत्सुक है परंतु उसके माता-पिता उसे यह कहकर रोक रहे हैं कि लड़कियाँ मंदिर में घंटी नहीं बजा सकती है तो ऐसी स्थिति में लड़की के मन में अनेक प्रकार के विचार आ सकते हैं। वह माता-पिता को यह तर्क दे सकती है कि पिछली बार उसने मंदिर के पुजारी की लड़की को घंटी बजाते हुए देखा था तो फिर वह घंटी क्यों नहीं बजा सकती। माता-पिता यह तर्क दे सकते हैं कि चूंकि वह मंदिर के पुजारी की लड़की है इसलिए उसे घंटी बजाने का अधिकार प्राप्त है। हो सकता है लड़की इस तर्क को न माने तथा माँ-बाप को कहे कि जब भगवान की नजरों में सब एकसमान हैं तो इस प्रकार का भेदभाव कहाँ तक उचित है। बड़े लोग सदैव यह सोचते हैं कि वे जो तर्क बच्चों को देंगे वे चुपचाप उन्हें स्वीकार कर लेंगे।
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर (Culture and Socialisation MCQ) संस्कृति तथा समाजीकरण
प्रश्न 1.
व्यक्ति और समाज एक-दूसरे पर प्रभाव डालते हैं और एक-दूसरे पर आश्रित हैं। यह कथन किसका है?
(क) दुर्वीम’
(ख) चार्ल्स कूले
(ग) मैकाइवर एवं पेज
(घ) प्लेटो
उत्तर
(ग) मैकाइवर एवं पेज
प्रश्न 2.
‘मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है।’ यह कथन है-
(क) रूसो का
(ख) हरबर्ट स्पेन्सर का
(ग) मैकाइवर व पेज का
(घ) अरस्तू को
उत्तर
(घ) अरस्तू का
प्रश्न 3.
किसने कहा है कि समाज एक अधि-जैविक व्यवस्था है?
(क) मैकाइवर और पेज
(ख) किंग्सले डेविस
(ग) हरबर्ट स्पेन्सर
(घ) ऑगबर्न
उत्तर
(ग) हरबर्ट स्पेन्सर
प्रश्न 4.
संस्कृति के भौतिक पक्ष को कहा जाता है-
(क) समाज
(ख) सामाजिक व्यवस्था
(ग) सभ्यता
(घ) मानव समाज
उत्तर
(ग) सभ्यता
प्रश्न 5.
“सभ्यता संस्कृति का वाहक है।” यह कथन किसका है?
(क) क्लाइव बेल
(ख) मैकाइवर एवं पेज
(ग) फेयरचाइल्ड
(घ) ऑगबर्न एवं निमकॉफ
उत्तर
(ख) मैकाइवर एवं पेज
प्रश्न 6.
रॉबर्ट बीरस्टीड ने सामाजिक आदर्शों को कितनी श्रेणियों में विभाजित किया है?
(क) दो।
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) पाँच
उत्तर
(ख) तीन
प्रश्न 7.
किसके अनुसार सामाजिक मूल्य प्रत्यक्ष रूप से सामाजिक संगठन व सामाजिक व्यवस्था से संबंधित होते हैं?
(क) इलियट एवं मैरिल
(ख) सी०एम०केस
(ग) राधाकमल मुखर्जी
(घ) जॉनसन
उत्तर
(ग) राधाकमल मुखर्जी
प्रश्न 8.
ह्यूमन नेचर एंड दि सोशल ऑर्डर’ पुस्तक के लेखक कौन हैं?
(क) फ्रॉयड
(ख) कूले
(ग) मैकाइवर एवं पेजं
(घ) मीड
उत्तर
(ख) कुले
निश्चित उत्तरीय प्रश्नोत्तरे
प्रश्न 1.
संस्कृति के भौतिक पक्ष को क्या कहा जाता है?
उत्तर
संस्कृति के भौतिक पक्ष को सभ्यता कहा जाता है।
प्रश्न 2.
उन भौतिक साधनों को क्या कहा जाता है जिनमें उपयोगिता का तत्व पाया जाता है?
उत्तर
जिन भौतिक साधनों में उपयोगिता का तत्त्व पाया जाता है उन्हें सभ्यता कहते हैं।
प्रश्न 3.
निम्न कथन किसने कहा है “अधिजैविक संस्कृति के बाद की अवस्था के रूप में सभ्यता की परिभाषा दी जा सकती है?
उत्तर
यह कथन ऑगबर्न तथा निमकॉफ का है।
प्रश्न 4.
“सभ्यता संस्कृति का वाहक हैं” किसने कहा है?
उत्तर
यह कथन मैकाइवर और पेज का है।
प्रश्न 5.
उच्चस्तरीय मानदंडों को क्या कहा जाता है?
उत्तर
उच्चस्तरीय मानदंडों को सामाजिक मूल्य कहा जाता है।
प्रश्न 6.
वह कौन-सी प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति पहले से सीखे हुए व्यवहारों को भुला देता है?
उत्तर
व्यक्ति द्वारा पहले से सीखे हुए व्यवहारों को भुला देने की प्रक्रिया को वि-समाजीकरण कहा जाता है।
प्रश्न 7.
उस प्रक्रिया को क्या कहा जाता है जिसमें व्यक्ति समाज द्वारा अस्वीकृत व्यवहारों (जैसी चोरी करना, अपराध करना आदि) को सीखता है?
उत्तर
समाज द्वारा अस्वीकृत व्यवहारों को सीखने की प्रक्रिया को नकारात्मक समाजीकरण कहते हैं।
प्रश्न 8.
इड, इगो एवं सुषर इगो के आधार पर समाजीकरण की व्याख्या करने वाले विद्वान कौन हैं?
उत्तर
इड, इगो एवं सुपर इगो के आधार पर समाजीकरण की व्याख्या करने वाले विद्वान् फ्रॉयड हैं।
प्रश्न 9.
‘ह्यूमन नेचर एण्ड दि सोशल ऑर्डर’ पुस्तक के लेखक कौन हैं?
उत्तर
‘ह्यूमन, नेचर एण्ड दि सोशल ऑर्डर’ पुस्तक के लेखक का नाम कूले है।
प्रश्न 10.
‘माइण्ड, सेल्फ एण्ड सोसाइटी पुस्तक के लेखक कौन हैं?
उत्तर
‘माइण्ड, सेल्फ एण्ड सोसाइटी’ पुस्तक के लेखक का नाम मीड है।
प्रश्न 11.
अपनी पहली जीवन पद्धति के स्थान पर दूसरी जीवन पद्धति को अपनाने से संबंधित सीख की प्रक्रिया को क्या कहते हैं?
उत्तर
पहली जीवन पद्धति के स्थान पर दूसरी जीवन पद्धति को अपनाने से संबंधित सीख की प्रक्रिया को पुनर्समाजीकरण कहते हैं।
प्रश्न 12.
‘लिबिडो किस विद्वान की संकल्पना है?
उत्तर
‘लिबिडो’ फ्रॉयड द्वारा प्रतिपादित संकल्पना है।
प्रश्न 13.
कौन-सा विद्वान समाजीकरण की प्रक्रिया को काम प्रवृत्तियों (लिबिडो) द्वारा निर्धारित प्रक्रिया मानता है?
उत्तर
समाजीकरण की प्रक्रिया को काम प्रवृत्तियों (लिबिडो) द्वारा निर्धारित प्रक्रिया मानने वाले विद्वान का नाम फ्रॉयड है।
अतिलघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (Culture and Socialisation) संस्कृति तथा समाजीकरण
प्रश्न 1. सभ्यता किसे कहते हैं?
उत्तर संस्कृति के भौतिक पक्ष को सभ्यता कहा जाता है। सभ्यता का संबंध उस कला-विन्यास से है। जिसे मनुष्य ने अपने जीवन की दशाओं को नियंत्रित करने हेतु रचा है। यह संस्कृति का अधिक जटिल व विकसित रूप है जिसमें मानव-निर्मित भौतिक वस्तुएँ सम्मिलित होती हैं। मैकाइवर तथा पेज के अनुसार, “सभ्यता से हमारा अर्थ उस संपूर्ण प्रविधि तथा संगठन से हैं जिसे कि मनुष्य ने अपने जीवन की दशाओं को नियंत्रित करने के उद्देश्य से बनाया है।
प्रश्न 2. भौतिक तथा अभौतिक संस्कृति में दो अंतर बताइए।
उत्तर भौतिक एवं अभौतिक संस्कृति में पाए जाने वाले दो अंतर निम्नलिखित हैं|
- भौतिक संस्कृति के अंतर्गत मनुष्य द्वारा निर्मित वे सभी वस्तुएँ आ जाती हैं जिनका उनकी उपयोगिता द्वारा मूल्यांकन किया जाता है, जबकि अभौतिक संस्कृति का संबंध मूल्यों, विचारों व ज्ञान से है।
- भौतिक संस्कृति मानव द्वारा निर्मित वस्तुओं का योग है, जबकि अभौतिक संस्कृति रीति-रिवाजों, रूढ़ियों, प्रथाओं, मूल्यों, नियमों का उपनियमों का योग है।
प्रश्न 3. संस्कृति और सभ्यता में दो प्रमुख अंतर बताइए।
उत्तर संस्कृति और सभ्यता में पाए जाने वाले दो प्रमुख अंतर निम्नलिखित हैं-
- उपयोगिता के आधार पर अंतर-सभ्यता के अंतर्गत मनुष्य द्वारा निर्मित वे सभी वस्तुएँ आ जाती हैं जिनका इनकी उपयोगिता द्वारा मूल्यांकन किया जाता है, किंतु संस्कृति का संबंध उस ज्ञाने से है जिसके आधार पर वस्तुओं का निर्माण किया जाता है।
- स्वरूप में अंतर-सभ्यता का संबंध व्यक्ति की बाहरी दशा से होता है जो व्यक्ति की आवश्यकता की पूर्ति करती है, किंतु संस्कृति का संबंध व्यक्ति की आंतरिक अवस्था से है जो व्यक्ति के व्यवहार को नियंत्रित करती है। संस्कृति से व्यक्ति सर्वांग रूप से प्रभावित होता है।
प्रश्न 4. सामाजिक मूल्यों के दो प्रमुख कार्य बताइए।
उत्तर सामाजिक मूल्यों के दो प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं—
- मानव समाज में व्यक्ति सामाजिक मूल्यों के आधार पर समाज द्वारा स्वीकृत नियमों का पालन करता है। वह उनके अनुकूल अपने व्यवहार को ढालकर अपना जीवन व्यतीत करता है। इस प्रकार सामाजिक मूल्य सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने में सहायता प्रदान करते हैं।
- मनुष्य अपनी अनंत आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु सतत् प्रयत्न करता रहता है। इन आवश्यकताओं की पूर्ति में उसे सामाजिक मूल्यों से पर्याप्त सहायता प्राप्त होती है।
प्रश्न 5. सभ्यता की परिभाषा लिखिए।
उत्तर क्लाइव बेल के शब्दों में, “वह (सभ्यता) मूल्यों के ज्ञान के आधार पर स्वीकृत किया गया तर्क और तर्क के आधार पर कठोर व भेदनशील बनाया गया मूल्यों का ज्ञान है।”
(Culture and Socialisation) संस्कृति तथा समाजीकरण
प्रश्न 1. संस्कृति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर संस्कृति को सीखे हुए व्यवहार प्रतिमानों तथा सामाजिक विरासत के आधार पर समझाने का प्रयास किए गया है। प्रत्येक समाज की अपनी भिन्न संस्कृति होती है। संस्कृति वह संपूर्ण जटिलता है। जिसमें वे सभी वस्तुएँ सम्मिलित हैं जिन पर हम विचार करते हैं, कार्य करते हैं और समाज का सदस्य होने के नाते अपने पास रखते हैं। संस्कृति पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांरित होती रहती है। प्रत्येक पीढ़ी ने अपने पूर्वजों से प्राप्त ज्ञान एवं कला का और अधिक विकास किया है। अन्य शब्दों में, प्रत्येक पीढी ने अपने पूर्वजों के ज्ञान को संचित किया है। और इस ज्ञान के आधार पर नवीन ज्ञान और अनुभव का भी। ज्ञान अर्जन किया है। इस प्रकार के ज्ञान व अनुभव के अंतर्गत यंत्र, प्रविधियाँ, प्रथाएँ, विचार और मूल्य आदि आते हैं। ये मूर्त और अमूर्त वस्तुएँ संयुक्त रूप से संस्कृति’ कहलाती हैं। इस प्रकार वर्तमान पीढ़ी ने अपने पूर्वजों तथा स्वयं के प्रयासों से जो अनुभव व व्यवहार सीखा है वहीं संस्कृति है।
मैकाइवर एवं पेज के शब्दों में, “संस्कृति हमारे दैनिक व्यवहार में कला, साहित्य, सीखा है वहीं संस्कृति है। मैकाइवर एवं पेज’ के शब्दों में, “संस्कृति हमारे दैनिक व्यवहार में कला, साहित्य, धर्म, मनोरंजन और आनंद में पाए जाने वाले रहन-सहन और विचार के ढंगों से हमारी प्रकृति की अभिव्यक्ति है।”
प्रश्न 2. भौतिक संस्कृति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर मनुष्यों ने अपनी आवश्यकताओं के कारण अनेक आविष्कारों को जन्म दिया है। ये आविष्कार हमारी संस्कृति के भौतिक तत्त्व माने जाते हैं। इस प्रकार भौतिक संस्कृति उन आविष्कारों का नाम है। जिनको मनुष्य ने अपनी आवश्यकताओं के कारण जन्म दिया है। यह भौतिक संस्कृति मानव-जीवन के बाह्य रूप से संबंधित है। भौतिक संस्कृति को ही सभ्यता कहा जाता है। मोटर, रेलगाड़ी, हवाईजहाज, मेज-कुर्सी, बिजली का पंखा आदि सभी भौतिक तत्त्व; भौतिक संस्कृति अथवा सभ्यता के ही प्रतीक है। संस्कृति के भौतिक पक्ष को मैथ्यू आरनोल्ड, अल्फर्ड, वेबर तथा मैकाइवर एवं पेज ने ही सभ्यता कहा है। भौतिक संस्कृति अथवा सभ्यता की परिभाषा करते हुए मैकाइवर और पेज ने लिखा है कि “मनुष्य ने अपने जीवन की दशाओं को नियंत्रित करने के प्रयत्न से जिस संपूर्ण कला-विन्यास की रचना की है, उसे सभ्यता कहते हैं।”
प्रश्न 3.
अभौतिक संस्कृति किसे कहते हैं?
उत्तर
मानव जीवन को संगठित करने के लिए मनुष्य ने अनेक रीति-रिवाजों, प्रथाओं, रूढ़ियों आदि को जन्म दिया है। ये सभी तत्त्व मनुष्य की अभौतिक संस्कृति के रूप हैं। ये तत्त्व अमूर्त हैं। इसलिए ‘संस्कृति मानव-जीवन के उन अमूर्त तत्त्वों का योग है जो नियमों, उपनियमों, रूढ़ियो, रीति-रिवाजों आदि के रूप में मानव व्यवहार को नियंत्रित करते हैं। इस प्रकार संस्कृति जीवन के अमूर्त तत्त्वों को कहते हैं वास्तव में संस्कृति के अंतर्गत वे सभी चीजें सम्मिलित की जा सकती हैं जो व्यक्ति की आंतरिक व्यवस्था को प्रभावित करती हैं। दूसरे शब्दों में, संस्कृति में वे पदार्थ सम्मिलित किए जा सकते हैं जो मनुष्य के व्यवहारों को प्रभावित करते हैं। टॉयलर ने लिखा है, “संस्कृति वह जटिल समग्रता है जिसमें समस्त ज्ञान, विश्वास, कला, नैतिकता के सिद्धांत, विधि-विधान, प्रथाएँ एवं अन्य समस्त योग्यताएँ सम्मिलित हैं जिन्हें व्यक्ति समाज का सदस्य होने के नाते प्राप्त करता है।”
प्रश्न 4.
संस्कृति और सभ्यता में संबंध स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
संस्कृति तथा सभ्यता के मध्य एक विभाजन-रेखा खींच देना बहुत अधिक वैज्ञानिक नहीं है। वास्तविकता यह है कि समाज का बाह्य व्यवहार (सभ्यता) तथा आंतरिक व्यवहार (संस्कृति) एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से संबंधित हैं। ऐसी चीजों, जिन्हें हम सभ्यता की संज्ञा देते हैं, में कुछ अंशों में सांस्कृतिक पहलू भी होता है। यही बात संस्कृति के संबंध में लागू होती है। सांस्कृतिक पदार्थ कही जाने वाली वस्तुओं में उपयोगिता का तत्त्व निश्चित रूप से सम्मिलित होता है। जब भी कोई वस्तु, जिसमें आवश्यकता पूर्ति की जाती है, खरीदी जाती है तो उसकी उपयोगिता के साथ-साथ उसके सौंदर्य पर भी विचार किया जाता है। उदाहरणार्थ–स्कूटर या टेलीविजन खरीदते समय उसकी उपयोगिता को तो हम देखते ही हैं, साथ ही उसमें कलात्मकता कितनी है इस पर भी ध्यान देते हैं।
प्रश्न 5.
संस्कृति सभ्यता को क्या योगदान करती है?
उत्तर
संस्कृति सभ्यता को निम्नलिखित योगदान करती है–
- संस्कृति सभी वस्तुओं एवं विषयों का अंतिम माप है-संस्कृति केवल विचारों और आचारों का माप मात्र नहीं है वरन् इसके मूल्यों व आदर्शों के आधार पर ही संसार की हर वस्तु या घटना का अर्थ लगाया जाता है। उदाहरणार्थ-सिक्खों में ‘कृपाण धार्मिक आवश्यकता है जो सभ्यता का भाग होते हुए भी आज के युग में केवल सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में प्रचलित है।
- सभ्यता में संस्कृति की भूमिका–समाज अपनी शक्तियों, साधनों व आविष्कारों का निर्माण व प्रयोग संस्कृति द्वारा निर्धारित दिशा के अनुसार ही करता है। मैकाइवर तथा पेज ने लिखा है कि “सभ्यता संबंधी साधनों को उस एक जहाज के रूप में देखा जा सकता है जो कि विभिन्न बंदरगाहों पर जा सकता है; परंतु वह बंदरगाह, जिधर हम बढ़ते हैं, सांस्कृतिक वरण है।”
प्रश्न 6.
सभ्यता संस्कृति को क्या योगदान करती है?
उत्तर
सभ्यता संस्कृति को निम्नलिखित योगदान करती है-
- सभ्यता संस्कृति की वाहक है–संस्कृति को पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तांतरित करने का कार्य सभ्यता करती है। रवींद्रनाथ ठाकुर की कविताएँ, विचार, लेख, गीत (जो संस्कृति के तत्त्व हैं)–पुस्तक (जो सभ्यता का तत्त्व है) रूप में छपे हैं और उनके विचारों से अन्य लोग आज भी लाभांवित होते हैं।
- सभ्यता संस्कृति के प्रसार में सहायक है-संस्कृति के तत्त्व सभ्यता के द्वारा प्रसारित होते हैं। उदाहरणार्थ-मार्क्स के विचार दुनिया के कोने-कोने में प्रसारित हुए हैं। इनका प्रसार संचार के साधनों; जैसे-प्रेस तथा रेडियो (जोकि सभ्यता के प्रतीक हैं) के माध्यम से किया गया है।
- सभ्यता संस्कृति का वातावरण है—सभ्यता में विकास के साथ-साथ संस्कृति को सभ्यता के अनुसार सामंजस्य स्थापित करना पड़ता है। उदाहरणार्थ-औद्योगीकरण के कारण हमारा जीवन बहुत व्यस्त हो गया है जिसके परिणामस्वरूप विवाह की प्रक्रिया बहुत छोटी हो गई है। जो विवाह संस्कार पहले आठ-नौ घंटे में संपन्न होता था वह आज आधा घंटे में ही पूरा हो जाता है।
प्रश्न 7.
राधाकमल मुखर्जी ने किन चार प्रकार के मूल्यों का उल्लेख किया है?
उत्तर
राधाकमल मुखर्जी ने निम्नलिखित चार प्रकार के मूल्यों का उल्लेख किया है-
- वे मूल्य जो सामाजिक संगठन व व्यवस्था को सृदृढ़ बनाने के लिए समाज में समानता व सामाजिक न्याय का प्रतिपादन करते हैं।
- वे मूल्य जिनके आधार पर सामान्य सामाजिक जीवन के प्रतिमानों व आदर्शों का निर्धारण होता है। इन मूल्यों के अंतर्गत एकता व उत्तरदायित्व की भावना आदि समाहित होती है।
- वे मूल्य जिनका संबंध आदान-प्रदान व सहयोग आदि से होता है। इन मूल्यों के आधार पर आर्थिक जीवन की उन्नति होती है व आर्थिक जीवन संतुलित होता है।
- वे मूल्य जो समाज में उच्चता लाने व नैतिकता को विकसित करने में सहायता प्रदान करते हैं।
प्रश्न 8.
आनुवंशिकता अथवा वंशानुक्रमण किस प्रकार से मानव जीवन को प्रभावित करते हैं?
उत्तर
व्यक्ति के व्यक्तित्व निर्माण एवं विकास को प्रभावित करने वाले एक मुख्य कारक को आनुवंशिकता अथवा वंशानुक्रमण कहा जाता है। हिंदी के ‘वंशानुक्रमण’ शब्द के अंग्रेजी पर्यायवाची ‘हेरेडिटी’ (Heredity) है। यह शब्द वास्तव में लैटिन शब्द ‘हेरिडिटास’ (Heriditas) से व्युत्पन्न हुआ है। लैटिन भाषा में इस शब्द का आशय उस पूँजी से होता है, जो बच्चों को माता-पिता से उत्तराधिकार के रूप में प्राप्त होती है। प्रस्तुत संदर्भ में वंशानुक्रमण का आशय व्यक्तियों में पीढ़ी-दर-पीढ़ी संचरित होने वाले शारीरिक, बौद्धिक तथा अन्य व्यक्तित्व संबंधी गुणों से है। इस मान्यता के अनुसार बच्चों या संतान के विभिन्न गुण एवं लक्षण अपने माता-पिता के समान होते हैं।
उदाहरणार्थ-गोरे माता-पिता की संतान गोरी होती है। लंबे कद के माता-पिता की संतान भी. लंबी होती है। इसी तथ्य के अनुसार प्रजातिगत विशेषताएँ सदैव बनी रहती हैं। घंशानुक्रमण के ही कारण मनुष्य की प्रत्येक संतान मनुष्य ही होती है। कभी भी कोई बिल्ली कुत्ते को जन्म नहीं देती। ऐसा माना जाता है कि लिंग-भेद, शारीरिक लक्षणों, बौद्धिक प्रतिभा, स्वभाव पर वंशानुक्रमण का गंभीर प्रभाव पड़ता हैं। वंशानुक्रमण एक प्रबल एवं महत्त्वपूर्ण कारक हैं, परंतु इसे एकमात्र कारक मानना अंसंगत है। इसके अतिरिक्त पर्यावरण भी एक महत्त्वपूर्ण कारक है, जिसकी अवहेलना नहीं करनी चाहिए।
Remark:
हम उम्मीद रखते है कि यह Class 11 sociology NCERT Solutions in Hindi आपकी स्टडी में उपयोगी साबित हुए होंगे | अगर आप लोगो को इससे रिलेटेड कोई भी किसी भी प्रकार का डॉउट हो तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूंछ सकते है |
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