दया प्रकाश सिन्हा जीवन परिचय
दया प्रकाश सिन्हा जीवन परिचय (जन्म: 2 मई 1935, कासगंज, जिला एटा, उत्तर प्रदेश) एक अवकाशप्राप्त आई०ए०एस० अधिकारी होने के साथ-साथ हिन्दी भाषा के प्रतिष्ठित लेखक, नाटककार, नाट्यकर्मी, निर्देशक व चर्चित इतिहासकार हैं। प्राच्य इतिहास, पुरातत्व व संस्कृति में एम० ए० की डिग्री तथा लोक प्रशासन में मास्टर्स डिप्लोमा प्राप्त सिन्हा जी विभिन्न राज्यों की प्रशासनिक सेवाओं में रहे।
साहित्य कला परिषद, दिल्ली प्रशासन के सचिव, भारतीय उच्चायुक्त, फिजी के प्रथम सांस्कृतिक सचिव, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी व ललित कला अकादमी के अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ के निदेशक जैसे अनेकानेक उच्च पदों पर रहने के पश्चात सन् 1993 में भारत भवन, भोपाल के निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए। नाट्य-लेखन के साथ-साथ रंगमंच पर अभिनय एवं नाट्य-निर्देशन के क्षेत्र में लगभग ५० वर्षों तक सक्रिय रहे सिन्हा जी की नाट्य कृतियाँ निरन्तर प्रकाशित, प्रसारित व मंचित होती रही हैं। अनेक देशों में भारत के सांस्कृतिक प्रतिनिधि के रूप में भ्रमण कर चुके श्री सिन्हा को कई पुरस्कार व सम्मान भी मिल चुके हैं।
दया प्रकाश सिन्हा जीवन परिचय
जन्म | 2 मई 1935 (आयु 86) कासगंज (जिला एटा), संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध, (ब्रिटिश भारत) |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
शिक्षा | बी०एससी० एम०ए० (प्राच्य इतिहास, पुरातत्व एवं संस्कृति) |
लेखन काल | 1957 से आजतक |
शैली | गद्य |
विषय | नाटक |
उल्लेखनीय कार्य | अपने-अपने दाँव, कथा एक कंस की, इतिहास और रक्त-अभिषेक, अशोक (2014) |
उल्लेखनीय सम्मान | संगीत नाटक अकादमी सम्मान, साहित्यकार सम्मान, राममनोहर लोहिया सम्मान, साहित्य अकादमी अवार्ड (2021) |
जीवनसाथी | प्रतिभा भारतीय (दिवंगत) |
संतान | प्राची (दिवंगत) एवं प्रतीची (पुत्री) |
जीवनी
दया प्रकाश सिन्हा का जन्म ब्रिटिश भारत के तत्कालीन संयुक्त प्रान्त आगरा व अवध (वर्तमान पश्चिमी उत्तर प्रदेश) में एटा जिले के कासगंज कस्बे में 2 मई 1935 को अयोध्यानाथ सिन्हा व स्नेहलता के घर हुआ था। पिता सरकारी नौकरी में थे अत: इधर-उधर स्थानान्तरण होने के कारण बालक दया प्रकाश को घर पर रहकर ही पढ़ना पड़ा। चौथी कक्षा में मैनपुरी के एक विद्यालय में स्थायी रूप से प्रवेश मिल सका।
फैजाबाद से हाई स्कूल्, तथा इलाहाबाद से इण्टरमीडिएट व बी०एससी० करने के बाद उनका मन हिन्दी साहित्य में एम०ए० करने का था किन्तु पिता की इच्छा को देखते हुए उन्होंने स्नातकोत्तर परीक्षा के लिए प्राच्य इतिहास, पुरातत्व व संस्कृति जैसा गम्भीर विषय चुना जिसमें उनकी विशेष रुचि थी। सन् १९५६ में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम०ए० करने के पश्चात दो वर्ष तक आई०ए०एस० परीक्षा की तैयारी में जुटे रहे किन्तु गम्भीर अध्ययन के बावजूद अन्तिम पर्चा देते समय उनके नाक से खून बहने लगा जिससे वे अपने प्रयास में सफल न हो सके।
अन्तत: उन्होंने इलाहाबाद के सी०एम०पी० डिग्री कालेज में इतिहास विभाग के प्रवक्ता पद पर नियुक्ति पा ली और इलाहाबाद में रहकर अध्यापन कार्य के साथ-साथ अपने पिता की इच्छा पूर्ण करने हेतु पी०सी०एस० की तैयारी भी करते रहे। प्रथम प्रयास में ही उन्होंने उत्तर प्रदेश संघ लोक सेवा आयोग की पी०सी०एस० परीक्षा उत्तीर्ण कर ली। उनकी पहली पोस्टिंग बहराइच में हुई।
परिवार
सन् 1962 में कलकत्ता की रंगमंच अभिनेत्री प्रतिभा भारतीय से उनका विवाह हुआ। विभिन्न प्रशासनिक पदों पर रहते हुए दया प्रकाश जी ने रंगमंच से रिश्ता कायम रक्खा और एक के बाद एक सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ते चले गये। इस पर ब्रेक तब जाकर लगा जब सन् 1978 में सोलह वर्षों तक साथ निभाकर उनकी जीवनसंगिनी प्रतिभा का अचानक दिल का दौरा पड़ने से देहान्त हो गया। सिन्हा अपनी दो-दो नाबालिग बेटियों को साथ लेकर भारत आ गये और नई दिल्ली में अपने छोटे भाई सीतेश आलोक के परिवार के साथ रहने लगे ताकि बच्चियों को माँ का न सही चाची का ही प्यार मिलता रहे।
सन् 1984 में उन्हें आई०ए०एस० कैडर में पदोन्नत किया गया। यह पदोन्नति उनके पिछले कार्यानुभव को देखते हुए १९७६ से दी गयी थी। 33 वर्षों तक विभिन्न पदों पर रहकर वे सन् 1993 में सेवानिवृत्त हुए नोएडा के सेक्टर 26 में मकान बनाया जिसे उन्होंने नाम दिया “अयोध्या” और अपनी बड़ी बेटी प्राची व दामाद सोमेश रंजन के साथ रहने लगे। लेकिन दुर्भाग्य ने उनका यहाँ भी पीछा न छोड़ा; प्राची केवल 32 वर्ष की अल्पायु में एक बेटे को अपने नाना के हाथों सौंप कर परलोक सिधार गयी।
दामाद ने अपने स्वसुर दयाप्रकाश की अनुमति लेकर दूसरा विवाह कर लिया और वे अब सिन्हा जी के पुत्र-धर्म का निर्वाह करते हुए उन्हीं के साथ नोएडा में रह रहे हैं। उनका नाती अपनी मौसी अर्थात् सिन्हा जी की छोटी बेटी प्रतीची के पास अमरीका में रहकर शिक्षा प्राप्त कर रहा है।
प्रशासनिक दायित्व
- 1964-1965 नगरपालिका निगमबहराइच के प्रशासनिक प्रभारी
- 1965-1967 फूलपुर एवं इलाहाबाद में प्रशासनिक अधिकारी
- 1968-1971दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर रहे
- 1971-1976 साहित्य कला परिषद, नई दिल्लीके सचिव
- 1976-1979 निदेशक, भारतीय सांस्कृतिक केन्द्रफिजी
- 1979-1984 साहित्य कला परिषद, नई दिल्लीके सचिव
- 1984-1986आई०ए०एस० यू०पी० कैडर अयोध्या, वाराणसी आदि में सांस्कृतिक पुनर्जागरण
- 1986-1988 अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी, लखनऊ
- 1989-1991 निदेशक, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ
- 1991-1993 निदेशक, भारत भवन, भोपाल
- 1997-2003 अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी, लखनऊ
- 2006 में भारत भवन ट्र्स्ट भोपाल के अध्यक्ष रहे
नाट्यकृतियाँ
अपने जीवन-काल में सिन्हाजी ने एक दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखीं जिनमें से अधिकांश नाटक विधा पर ही थीं। उनकी अद्यतन प्रकाशित नाट्यकृतियाँ इस प्रकार हैं:
- साँझ-सवेरा (रचनाकाल:1958)
- मन के भँवर (रचनाकाल:1960)
- अपने-अपने दाँव (रचनाकाल:1963)
- दुश्मन (रचनाकाल:१९६५)
- मेरे भाई मेरे दोस्त (रचनाकाल:1971)
- इतिहास चक्र (रचनाकाल:1972)
- ओह अमेरिका (रचनाकाल:1973)
- कथा एक कंस की (रचनाकाल:1974)
- सादर आपका (रचनाकाल:1976)
- सीढ़ियाँ (रचनाकाल:1990)
- इतिहास (रचनाकाल:1998)
- रक्त-अभिषेक (रचनाकाल:2005)
- अशोक (रचनाकाल:2014)
अभिनेता के रूप में
सिन्हा जी ने केवल नाटक लिखे ही नहीं अपितु उन्हें मंचित भी करवाया। यही नहीं अपने कुछ नाटकों में उन्होंने प्रमुख पात्र की भूमिका भी निभायी और सशक्त अभिनय से दर्शकों को प्रभावित किया। अभिनेता के रूप में उनकी कुछ भूमिकायें इस प्रकार हैं:
- “साँझ-सवेरा” नाटक में निखिल की भूमिका 1959 आइफेक्स, नई दिल्ली में
- “कथा एक कंस की” नाटक में कंस की भूमिका 1975 रवीन्द्रालय, लखनऊ में
बतौर निर्देशक
सिन्हा जी ने नाटक लिखे, उन्हें मंचित करवाया और कुछ नाटकों में प्रमुख पात्र की भूमिका भी निभायी। इसके अतिरिक्त उन्होंने अपने लिखे हुए कुछ नाटकों का कुशल निर्देशन भी किया। बतौर निर्देशक उनकी भूमिका का विवरण इस प्रकार हैं:
- “मन के भँवर” 1961 इलाहाबाद
- “मेरे भाई मेरे दोस्त” 1981 से 1983आकाशवाणी तथा दूरदर्शन से कुल आठ वार प्रसारित
- “इतिहास-चक्र” 1972 नई दिल्ली
- “सीढ़ियाँ” 1969 लखनऊ
- “रक्त-अभिषेक” 21नवम्बर 2006 श्रीराम प्रेक्षागृह नई दिल्ली
पुरस्कार व सम्मान
- “अकादमी अवार्ड”संगीत नाटक अकादमी, नई दिल्ली
- “लोहिया सम्मान”उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ
- “साहित्यकार सम्मान”हिन्दी अकादमी, दिल्ली
- साहित्य अकादमी अवार्ड (2021) दिल्ली
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