Diary Ke Panne Class 12 Hindi | डायरी के पन्ने
Diary Ke Panne Class 12 Hindi | डायरी के पन्ने : द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यहूदियों को अनगिनत यातनाएं सहनी पड़ी। यह एकमात्र ऐसा समुदाय था जो इस युद्ध में सबसे अधिक प्रभावित हुआ।
डायरी के पन्ने | Diary Ke Panne Class 12 Hindi
प्रश्न 1 “यह 60 लाख लोगों की तरफ से बोलने वाली एक आवाज है । एक ऐसी आवाज जो किसी संत या कवि की नहीं बल्कि एक साधारण लड़की की है”। इल्या इहरनबुर्ग की इस टिप्पणी के संदर्भ में ऐन फ्रैंक की डायरी के पठित अंशों पर विचार करें ?
उत्तर –यह बात बिल्कुल सही है कि यह डायरी किसी संत या कवि की नहीं बल्कि एक साधारण सी लड़की की हैं जिसने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नरकीय जीवन जीया। भूख , भय, आतंक , अकेलेपन और लाचारी को बहुत करीब से देखा व झेला और अपनी आपबीती को इस डायरी में सिलसिलेवार लिखा ।
हालाँकि उस वक्त यह डायरी ऐन फ्रैंक ने अपने अज्ञातवास में खाली समय काटने के उद्देश्य से लिखी थी। मगर बाद में इसी डायरी के माध्यम से लोगों को तत्कालीन परिस्थितियों व यहूदियों पर हुए अत्याचारों को जानने व समझने का मौका मिला।शायद पूरे विश्व इतिहास में यह एकमात्र ऐसी डायरी है जो नाजी सैनिकों द्वारा यहूदियों पर किए गए अत्याचारों का एक प्रमाणिक दस्तावेज है।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यहूदियों को अनगिनत यातनाएं सहनी पड़ी। यह एकमात्र ऐसा समुदाय था जो इस युद्ध में सबसे अधिक प्रभावित हुआ। उन्हें अपनी जान बचाने के लिए अज्ञातवास में सबसे छुप कर अभाव व अनेक कष्टों के साथ अपना जीवन जीना पड़ा। इस युद्ध के दौरान लाखों यहूदियों को मौत के घाट उतार दिया गया।
ऐन फ्रैंक की डायरी में मानवीय संवेदनाएं , अकेलेपन , किशोर अवस्था के सपने , भय , आतंक , भूख -प्यास , प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता , पारवारिक समस्याओं , महिलाओं की पीड़ा आदि का विस्तार से वर्णन पढ़ने को मिलता है। उस समय ये लोग दिन में तो क्या रात में भी प्राकृतिक दृश्यों का आनंद नहीं ले सकते थे। हर समय उन्हें नाजी सैनिकों द्वारा पकड़े जाने का डर सताता रहता था।
ऐन ने इस डायरी में न सिर्फ अपने परिवार की व्यथा लिखी बल्कि 60 लाख यहूदी परिवारों की पीड़ा को लिखा क्योंकि वो सभी लोग लगभग ऐन व उसके परिवार की जैसी ही पीड़ा से गुजर रहे थे। ऐसे में ऐन उन सभी 60 लाख यहूदी परिवारों का प्रतिनिधत्व करती हैं।
इसीलिए इल्या इहरनबुर्ग की यह टिप्पणी “यह 60 लाख लोगों की तरफ से बोलने वाली एक आवाज है जो किसी संत या कवि की नहीं बल्कि एक साधारण लड़की की है” , बिलकुल सही हैं।
प्रश्न 2. “काश कोई होता जो मेरी भावनाओं को गंभीरता से समझ पाता। अफसोस ऐसा व्यक्ति मुझे अभी तक नहीं मिला”। क्या आपको लगता है कि ऐन के इस कथन में उसके डायरी लेखन का कारण छिपा है ?
उत्तर – ऐन फ्रैंक का डायरी लिखने का कारण ही उसका अकेलापन था। हालाँकि उसने लगभग 2 वर्ष का अज्ञातवास सात लोगों के बीच बिताया लेकिन उनमें से किसी ने भी , कभी भी , उसकी भावनाओं को समझने का प्रयास नही किया।
बल्कि परिवार के कुछ सदस्य उसके हर काम में कुछ न कुछ मीन मेख निकल कर उस पर टीका-टिप्पड़ी करते थे। हालाँकि पीटर उसे एक अच्छे दोस्त की तरह प्यार करता था मगर वह भी उसके किशोर मन की भावनाओं को नही समझ पाया।
उसके माता -पिता और बड़ी बहन ने भी कभी उसकी भावनाओं को गंभीरतापूर्वक जानने की कोशिश नहीं की जिस वजह से उसे अकेलेपन महसूस होता था और उसकी भावनाएं आहत होती थी। अपने अकेलेपन को बांटने व अपने दिल की बात कहने के लिए उसने डायरी लेखन का सहारा लिया।
प्रश्न 3. “प्रकृति प्रदत्त प्रजनन शक्ति के उपयोग का अधिकार बच्चे पैदा करें या ना करें अथवा कितने बच्चे पैदा करें। इसकी स्वतंत्रता स्त्री से छीन कर हमारी विश्व व्यवस्था ने न सिर्फ स्त्री को व्यक्तित्व विकास के अनेक अवसरों से वंचित किया है बल्कि जनांधिक्य की समस्या भी पैदा की है”। ऐन की डायरी के 13 जून 1944 के अंश में व्यक्त विचारों के संदर्भ में इस कथन का औचित्य ढूढें ?
उत्तर –ऐन 13 जून 1944 के अपने पत्र में कहती है कि बच्चे पैदा करें या ना करें अथवा कितने बच्चे पैदा करें , यह अधिकार महिलाओं का होना चाहिए क्योंकि यह अधिकार प्रकृति ने महिलाओं को दिया हैं ।
मगर शुरू से ही पुरुषों ने अपने शारीरिक बल के आधार पर महिलाओं पर शासन किया।उसका शोषण किया , उसके सारे अधिकार उससे छीन लिये और महिलाओं भी अब तक अपने अधिकारों के प्रति जागरूक व शिक्षित न होने के कारण अपने ऊपर होने वाले अन्याय को चुपचाप सहती आयी है।
ऐन चाहती है कि महिलाओं को भी पुरुषों के बराबर ही सम्मान व अधिकार दिए जाय क्योंकि मानव जाति का अस्तित्व बिना महिलाओं के सम्भव नही हैं। महिलाएं ही मानव जीवन की निरंतरता को बनाए रखने के लिए अथाह पीड़ा सहती हैं। वो एक सैनिक के बराबर ही बहादुर होती हैं।
लेकिन ऐन ये भी कहती हैं कि औरतों को बच्चे जनने चाहिए क्योंकि प्रकृति ऐसा चाहती है। वह उन लोगों की निंदा करती है जो समाज में महिलाओं को सम्मान नहीं देते हैं , उनके योगदान की सराहना नही करते हैं।
ऐन भविष्य को लेकर बहुत आशावान हैं। उन्हें उम्मीद है कि अगली सदी तक महिलायें शिक्षित होकर अपने अधिकारों के प्रति ज्यादा जागरूक होगी और समाज में अपनी स्थिति को ज्यादा सम्मानीय बनायेंगी।
हालाँकि पहले की अपेक्षा अब महिलाओं की स्थिति में काफी परिवर्तन आया है। शिक्षा ने महिलाओं को अपने हक व अधिकारों के प्रति जागरूक किया है। आज वो हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के समान अवसर व स्वतन्त्रता चाहती हैं। अब उन्हें समाज में बराबरी का हक दिया जाने लगा हैं।
प्रश्न 4. ऐन की डायरी अगर एक ऐतिहासिक दौर की जीवंत दस्तावेज है , तो उसके साथ ही उसके निजी सुख-दुख और भावात्मक उथल-पुथल का भी। इन पृष्ठों में दोनों का फर्क मिट गया है। इस कथन पर विचार करते हुए अपनी सहमति या असहमति तर्कपूर्ण व्यक्त करें ?
अथवा “ऐन की डायरी उसकी निजी भावात्मक उथल-पुथल का दस्तावेज भी है”। इस कथन की विवेचना कीजिए ?
उत्तर – ऐन की डायरी , हिटलर के शाशनकाल में यहूदियों पर हुए अत्याचारों का एक जीवंत व प्रामाणिक दस्तावेज है। इस डायरी के माध्यम से ऐन ने जहाँ एक ओर अपने अकेलेपन , दुःख , मानवीय संवेदनाएं , किशोर अवस्था के सपने , भूख -प्यास , प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता , महिलाओं की पीड़ा का चित्रण किया है।
वही दूसरी ओर हर वक्त यहूदियों के मन में नाजी सैनकों का भय , आतंक , अत्याचार का भी वर्णन किया है। इस डायरी में अज्ञातवास में अभावग्रस्त जिंदगी व एक सीमित जगह में कैद होने जाने की व्यथा व प्रकृति ने सुंदर नजारों को भी न देख पाने का मार्मिक चित्रण हैं।
ऐन को लगभग दो वर्षों तक गुप्त आवास में छुप कर रहना पड़ा। इन दो वर्षों में उनके जीवन में भयंकर उथल-पुथल मची रही । उन्हें कई कठिनाइयों का समाना करना पड़ा। यहां तक की उन्हें अपने व्यक्तित्व की पहचान के लिए भी संधर्ष करना पड़ा। इस कठिन दौर में उन्होंने जो कुछ देखा व भोगा , उसका उनके मन पर गहरा प्रभाव पड़ा।
अज्ञातवास के दौरान उन्होंने अपने व्यक्तिगत जीवन , पारिवारिक जीवन और सामाजिक जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने का प्रयास किया । लेकिन उनके परिवार में उनके मन की बात व दिल की कोमल भावनाओं को समझने वाला कोई नही था। इसीलिए वो अपने सुख – दुःख को अपनी गुड़िया किट्टी को सम्बोधित करते हुए एक डायरी में लिख देती थी।
यही बात सिद्ध करती है कि ऐन की डायरी अगर एक ऐतिहासिक दौर का जीवंत दस्तावेज है तो साथ ही उसके निजी सुख – दुख का प्रमाण भी है।
प्रश्न 5. ऐन ने अपनी डायरी किट्टी (एक निर्जीव गुड़िया) को संबोधित चिठ्ठी की शक्ल में लिखने की क्यों जरूरत महसूस हुई होगी ?
उत्तर – ऐन बहुत ही भावुक , संवेदनशील व अंतर्मुखी लड़की थी। वह अपने परिवार की सबसे छोटी सदस्य थी। घर में उसे कोई भी गंम्भीरतापूर्वक नहीं लेता था। न कोई उसके द्वारा किये गये कार्यों की सरहना करता और न ही उसे किसी कार्य को करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता था । उल्टा सब उसके कार्यों में मीन – मेख निकालते रहते थे। पीटर ऐन का अच्छा दोस्त था मगर वह भी उनकी दिल की कोमल भावनाओं को नही समझता था।
वह खुद कहती भी है कि “काश कोई तो होता , जो मेरी भावना को गंभीरता से समझ पाता , अफसोस ऐसा व्यक्ति अब तक नहीं मिला” । उनकी एक इसी बात से उनके अकेलेपन का पता चलता हैं।
इसलिए उन्होंने अपने दिल की बात कहने के लिए एक निर्जीव मगर प्यारी सी गुड़िया का सहारा लिया और उससे ही चिट्ठी के रूप में अपनी भावनाएं व्यक्त की क्योंकि गुड़िया बिना कुछ बोले उनके दिल के हर बात चुपचाप सुन लेती थी।
Diary Ke Panne Class 12 Question Answer
प्रश्न 6. ऐन फ्रैंक की डायरी के आधार पर उनके व्यक्तित्व की विशेषताओं बताइये ?
उत्तर –ऐन फ्रैंक की डायरी के आधार पर उनके व्यक्तित्व की निम्नलिखित विशेषतायें हैं।
- ऐन बहुत ही भावुक व अंतर्मुखी लड़की थी।
- वह अपनी उम्र से कही अधिक परिपक्व , समझदार व चिंतनशील थी।
- ऐन हमेशा रचनात्मक कार्यों में सक्रिय रहती थी। डायरी लिखना , नई – नई केश सज्जा करना आदि।
- वो बहुत ही संवेदनशील लड़की थी। वह पीटर के साथ अपनी भावनाओं को भी खुलकर व्यक्त करती थी।
- वह एकांतप्रिय स्वभाव की किशोरी थी।
- ऐन महिला सशक्तिकरण व शिक्षा की पक्षधर थी। वो उन पुरुषों की भी निंदा करती हैं जो महिलाओं का सम्मान नही करते हैं।
- ऐन मानवाधिकारों की हिमायती थी।
प्रश्न 7. ऐन फ्रैंक की डायरी को एक महत्वपूर्ण दस्तावेज क्यों माना जाता है ?
उत्तर –ऐन फ्रैंक की डायरी वाकई में हिटलर व नाजी सैनिकों द्वारा यहूदियों पर ढाये गए जुल्मों का एक जीवंत दस्तावेज है।लाखों यहूदियों की तरह ऐन फ्रैंक का परिवार भी नस्लवाद व नफरत का शिकार हुआ। उन्हें अपना जीवन व अस्तित्व बचाने के लिए अपना घर तक छोड़कर 2 वर्ष तक अज्ञातवास में रहना पड़ा।
इस डायरी में 12 जून 1942 से लेकर 1 अगस्त 1944 तक की धटनाओं का सिलसिलेवार वर्णन हैं । यह डायरी इतिहास के सबसे आतंकप्रद और दर्दनाक अध्याय के साक्षात अनुभव को बयान करती है। यह डायरी एक ऐसी लड़की की हैं जिसने भय , आतंक , अभाव , भूख ,प्यार , मानवीय संवेदनाएं , बाहरी दुनिया से अलग-थलग पड़ जाने की पीड़ा , युद्ध की विभीषिका , अकेलापन , सभी को अपने ऊपर झेला व उसका साक्षात अनुभव किया।
प्रश्न 8. डायरी के पन्ने के आधार पर पीटर (ऐन फ्रैंक का मित्र) की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए ?
उत्तर –डायरी के पन्ने के आधार पर पीटर (ऐन फ्रैंक का मित्र) की निम्नलिखित विशेषतायें हैं।
- पीटर सीधा – सादा , सरल व आत्मीय लड़का था।
- वह अंतर्मुखी था। उसे अपने जीवन में किसी का भी हस्तक्षेप पसंद नही था।
- वह शांतिप्रिय व सहनशील था।
- वह एक सहृदय दोस्त था।
- वह अक्सर धर्म व खाने के बारे में बातें करता था।
- वह अंधविश्वासों का विरोध करता था।
- वह बेहद संयमी था जो ऐन की आपत्तिजनक बातें भी सुन लेता था।
- वह दृढ़ निश्चयी स्वभाव का लड़का था जो अपने ऊपर लगे आरोपों को बेबुनियाद साबित करने में लगा रहता था।
प्रश्न 9. ऐन फ्रैंक ने अपनी डायरी में किट्टी को क्या-क्या जानकारी दी थी ?
उत्तर-ऐन फ्रैंक ने अपनी डायरी में किट्टी के माध्यम से ही 12 जून 1942 से लेकर 1 अगस्त 1944 तक की सारी जानकारियों दुनिया वालों को दी हैं क्योंकि उन्होंने किट्टी को सम्बोधित करते हुए ही सारे पत्र लिखे हैं। जिसे बाद में एक किताब की शक्ल दे दी गई। यानि इस किताब में लिखी हर एक बात ऐन ने अपनी एक मात्र प्रिय दोस्त किट्टी (गुड़िया) के माध्यम से ही दी हैं।
प्रश्न 10. डायरी के पन्ने के आधार पर औरतों की शिक्षा और मानवाधिकारों के बारे में ऐन के विचारों को अपने शब्दों में लिखिए ?
अथवा
महिलाओं के अधिकारों और जीवन शैली के बारे में ऐन के विचारों की समीक्षा जीवन मूल्यों के आधार पर कीजिए ?
उत्तर –अपने एक पत्र में ऐन महिला सशक्तिकरण व महिलाओं के अधिकारों के बारे में भी खुलकर अपनी राय व्यक्त करती हैं। वो कहती हैं कि बच्चे को जन्म देने की पीड़ा दुनिया की सबसे बड़ी पीड़ा है।
इस पीड़ा को झेल कर महिलाएं मनुष्य जाति को न सिर्फ जीवित रखे हैं बल्कि इस संसार को निरंतरता भी दे रही हैं। वो महिलाएं को उन सैनिकों के बराबर ही बहादुर मानती हैं जो युद्ध भूमि में अथाह तकलीफ , यंत्रणा व मानसिक यातना झेलते हैं।
ऐन चाहती है कि महिलाओं को भी पुरुषों के बराबर ही सम्मान व अधिकार दिए जाय। लेकिन ऐन ये भी कहती हैं कि औरतों को बच्चे जनने चाहिए क्योंकि प्रकृति ऐसा चाहती है। वो उन लोगों की भी निंदा करती है जो समाज में महिलाओं को सम्मान नहीं देते हैं । उन्हें दूसरे दर्जे का व्यक्ति समझते हैं।
ऐन भविष्य को लेकर आशावान हैं। उन्हें उम्मीद है कि अगली सदी तक सभी महिलायें शिक्षित होकर अपने अधिकारों के प्रति ज्यादा सतर्क व जागरूक होगी। और समाज में अपनी स्थिति को ज्यादा सम्मानीय बनायेंगी।
Diary Ke Panne Class 12 Question Answer
प्रश्न 11. ऐन फ्रैंक ने अपनी डायरी में नारी स्वतंत्रता की जो कल्पना की है। आज उस स्थिति में कितना परिवर्तन आया है ?
उत्तर –ऐन कल्पना करती हैं कि अगली सदी तक सभी महिलायें शिक्षित होंगी और अपने अधिकारों के प्रति ज्यादा सतर्क व जागरूक होगी। वो समाज में बराबरी का दर्जा हासिल कर लेंगी।
अगली सदी में उन्हें सिर्फ बच्चा जनने का साधन नही समझा जायेगा। बल्कि उनको हर क्षेत्र में आगे बढ़ने को भी प्रोत्साहित किया जायेगा , उनके काम को सम्मान दिया जायेगा।
ऐन का वह सपना बहुत हद तक साकार भी हुआ हैं । आज समय बदल चुका है। पूरी दुनिया में महिला शिक्षा व उनके व्यक्तित्व विकास पर जोर दिया जा रहा हैं। उन्हें हर क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए समाज व सरकारों द्वारा प्रोत्साहित किया जा रहा हैं।
उन्हें अपने जीवन के निर्णय स्वयं लेने की स्वतन्त्रता भी दी जा रही हैं। यानि पहले की तुलना में आज महिलाओं की स्थिति काफी बेहतर है लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी हैं।
प्रश्न 12. भारतीय नारी जीवन के संदर्भ में उन जीवन मूल्यों का उल्लेख कीजिए , जो हमें सहज ही प्राप्त होते हैं। पुरुष समाज नारी के योगदान को महत्व क्यों नहीं दे देता हैं?
उत्तर –प्राचीन काल से ही भारतीय समाज में नारी को त्याग व ममता की मूर्ति समझा जाता हैं। उसका अपना कोई व्यक्तिगत जीवन नहीं होता हैं। उसका जीवन बच्चों व परिवार की देखभाल के लिए समर्पित माना जाता हैं। उसे बचपन से ही अपनी व्यक्तिगत इच्छाओं को मारकर दूसरों के लिए जीना सिखाया जाता हैं।
आज भी काफी लोग (खासकर पुरुष वर्ग) यह नही चाहते हैं कि महिलाएं उनकी बराबरी करें , अपने अधिकारों की पैरवी करें। वो चाहते हैं कि महिलाओं को दबा कर ही रखा जाय ताकि उनका वर्चस्व कायम रहे और कोई उन्हें चुनौती भी न दे सके । इसीलिए समाज नारी के योगदान को महत्व नहीं दे देता हैं।
Diary Ke Panne Class 12 Summary
डायरी के पन्ने कक्षा 12 का सारांश
सन 1947 में सबसे पहले “डायरी के पन्ने” किताब डच भाषा में प्रकाशित हुई थी। इसके बाद सन 1952 में यह डायरी “द डायरी ऑफ ए यंग गर्ल” नामक शीर्षक से दुबारा अंग्रेजी में प्रकाशित हुई थी । और हिन्दी के इस पाठ के अनुवादक सूरज प्रकाश जी हैं।
इस डायरी की खासियत यह है कि इस डायरी की लेखिका ऐन फ्रैंक ने हिटलर के अत्याचारों व द्वितीय विश्वयुद्ध की विभीषिका के परिणामों को खुद देखा व झेला भी। उन्हें बहुत छोटी सी उम्र में इतिहास के सबसे खौफनाक व दर्दनाक अनुभव से गुजरना पड़ा ।
ऐन फ्रैंक ने अपनी आप बीती को एक डायरी के माध्यम से पूरी दुनिया के लोगों तक पहुंचाया। धीरे – धीरे यह डायरी दुनिया की सबसे ज्यादा पढ़ी जानी वाली किताबों की सूची में शामिल हो गई।
द्वितीय विश्वयुद्ध (1939 – 40) के समय नीदरलैंड के यहूदी परिवारों पर हिटलर के अत्याचार बढ़ गये थे। उसने गैस चैंबर व फायरिंग स्क्वायड के माध्यम से लाखों यहूदियों को मौत के घाट उतार दिया। इसीलिए यहूदी परिवार गुप्तस्थानों में छिप कर अपने जीवन की रक्षा करने को बाध्य हुए ।
यह कहानी दो परिवारों (फ्रैंक परिवार और वान दान परिवार) की है जिन्होंने लगभग दो वर्ष का समय अज्ञातवास में एकसाथ छुपकर बिताया था। ऐन फ्रैंक ने अज्ञातवास के उन्हीं दो वर्षों की अपनी दिनचर्या व जीवन के अन्य पहलूओं के बारे में इस डायरी में वर्णन किया हैं। मिस्टर वान दान , ऐन फ्रैंक के पिता के बिजनेस पार्टनर व अच्छे दोस्त थे।
यह डायरी 2 जून 1942 से लेकर 1 अगस्त 1944 तक लिखी गई है। 4 अगस्त 1944 को किसी की सूचना पर इन लोगों को नाजी पुलिस ने पकड़ लिया और 1945 में ऐन फ्रैंक की अकाल मृत्यु हो गई । यहाँ पर डायरी के कुछ अंशों को ही दिया गया हैं।
Diary Ke Panne Class 12 Summary
ऐन फ्रैंक ने अपनी “किट्टी” नाम की गुड़िया को संबोधित करते हुए यह पूरी डायरी लिखी है। यह डायरी उसे उसके तेरहवें जन्मदिन पर उपहार स्वरूप मिली थी।
उनकी डायरी का पहला पन्ना …………
बुधवार , 8 जुलाई 1942
अपनी डायरी के पहले पन्ने में किट्टी को संबोधित करते हुए ऐन फ्रैंक कहती हैं कि प्यारी किट्टी , रविवार को दोपहर 3 बजे उनकी सोलह वर्षीय बड़ी बहन मार्गोट को ए.एस.एस. से बुलावा आया था और उन्हें यातना शिविर में बुलाया गया था। और यह तो सभी लोग जानते हैं कि यातना शिविर में यहूदियों के साथ कैसा व्यवहार किया जाता हैं।
बस उस समय से ही हमारे जीवन में उथल पुथल मची हुई थी और अब हमें अपने घर में ही एक -एक पल काटना भारी लग रहा था । ऐसा लग रहा था जैसे डच सैनिक कभी भी आकर मार्गोट को ले जा सकते हैं।
पहले हमारी योजना 16 जुलाई को अज्ञातवास में जाने की थी। लेकिन अब हम जल्दी से जल्दी अपना घर छोड़कर अज्ञातवास में जाना चाहते थे। मिस्टर वान दान का परिवार भी हमारे साथ गुप्त आवास में आना चाहता था।
इसीलिए हम दोनों परिवारों के सातों लोगों (ऐन ,ऐन के माता – पिता , बड़ी बहन मार्गोट , मिस्टर वान दान दंपत्ति , उनका बेटा पीटर) ने अपना – अपना जरूरी सामान समेटकर गुप्त आवास में जाने की तैयारी की । मिस्टर डसेल बाद में हमारे साथ रहने आये।
ऐन फ्रैंक ने अपने थैले में एक डायरी , कर्लर , स्कूली किताबें , रुमाल और कुछ पुरानी चिठ्ठ्यों आदि भर ली क्योंकि लेखिका के लिए स्मृतियां , पोशाकों (कपड़ों) की तुलना में अधिक महत्वपूर्ण थी। वो अज्ञातवास जाने के ख्याल से ही आतंकित थी। 9 जुलाई 1942 की सुबह वो अज्ञातवास को चल पड़े।
गुरुवार , 9 जुलाई 1942
गुरुवार , 9 जुलाई 1942 को वो सभी लोग सामान से भरे अपने बड़े – बड़े थैलों को कंधों पर उठाये अज्ञातवास पर अपने नये गुप्त आवास की तरफ चल पड़े। उनके सीने पर चमकता हुआ पीला सितारा लगा हुआ था जो लोगों को उनकी व्यथा के बारे में बता रहा था। दरअसल हिटलर के शाशनकाल में यहूदियों को अपनी पहचान बताने के लिए सीने में पीला सितारा लगाना आवश्यक था।
उनका नया घर उनके पिता के ऑफिस की ही इमारत में था । यह भवन गोदाम व भंडार घर के रूप में प्रयोग किया जाता था। यहां इलाइची , लोंग और काली मिर्च वगैरह पीसी जाती थी। इसके बाद वो अपने नए घर का पूरा खाका अपने पत्र में देती हैं कि कमरे , सीढ़ियां व दरवाजे कहाँ – कहाँ हैं। कहाँ क्या काम होता हैं और उन्हें कौन से कमरे में रहना है।
शुक्रवार , 10 जुलाई 1942
डायरी के इस पत्र में ऐन फ्रैंक बताती हैं कि नए घर में पहुँचने के बाद उनका पहला व दूसरा दिन यानि सोमवार व मंगलवार का पूरा दिन नए घर में सामान व्यवस्थित करने में ही बीत गया। उनकी मां और बड़ी बहन बुरी तरह से थक गई थी मगर वो अपने पिता के साथ अपने नए घर को व्यवस्थित करने में लगी रही जिस कारण वह भी बुरी तरह से थक गई।
ऐन फ्रैंक कहती हैं कि बुधवार तक तो उन्हें यह सोचने की फुर्सत नहीं थी कि उनकी जिंदगी में कितना बड़ा परिवर्तन आ चुका है।
शनिवार , 28 नवंबर 1942
इस पत्र में ऐन फ्रैंक बताती हैं कि हम अपने नये घर में बिजली व राशन कुछ ज्यादा ही खर्च कर रहे हैं। उन्हें इन दोनों को किफायत से चलाना होगा वरना मुसीबत हो सकती हैं।
शाम 4:30 बजे अंधेरा हो जाता है मगर अज्ञातवास में होने के कारण वो रात में बिजली नही जला सकते हैं क्योंकि बिजली देखकर पड़ोसियों को उनके वहां होने का पता चल जायेगा। इसलिए वो रात को पढ़ भी नहीं सकती हैं। ऐसे में वो अन्य कामों को करने में अपना समय बिताने की कोशिश करती है।
ऐन फ्रैंक कहती हैं कि दिन में वो परदा हटा कर बाहर भी नहीं देख सकती हैं। इसीलिए उन्होंने रात में दूरबीन से पड़ोसियों के घरों में ताक झाँक कर अपना वक्त गुजारने का एक नया तरीका खोजा लिया हैं।
यहाँ पर लेखिका मिस्टर डसेल के बारे में बताती हैं कि वो बच्चों से बहुत प्यार करते हैं लेकिन कभी -कभी वो उनके भाषण सुन – सुन के बोर हो जाती हैं क्योंकि वो हर समय अनुशासन संबंधी बातें ही करते हैं। वो थोड़े चुगलखोर टाइप के भी है जो उनकी सारी बातें उनके मम्मी पापा को बता देते हैं। उन्हें बार – बार उनकी बुराइयों व कमियों के बारे में बताया जाता हैं जो उन्हें बुरा लगता हैं।
ऐन फ्रैंक कहती हैं कि मीन मेख निकालने वाले परिवार में अगर आप केंद में हों और हर तरफ से आपको दुत्कारा या फटकारा जाय तो , इसे झेलना आसान नहीं होता हैं।
लेकिन रात में बिस्तर पर लेटकर मैं अपने पापों , कमियों व कार्यों के बारे में सोचती रहती हूँ। मुझे अपने आप पर हंसना और रोना , दोनों आता है। यहाँ पर लेखिका खुद अपना आंकलन करती हैं जो उन्हें अपनी उम्र से कही अधिक परिवक्व बनता हैं।
शुक्रवार , 19 मार्च 1943
इस पत्र में ऐन फ्रैंक बताती हैं कि टर्की इंग्लैंड के पक्ष में हैं , यह खबर फैल रही हैं। हजार गिल्डर के नोट अवैध मुद्रा घोषित हो गई हैं जो कालाबाजारी करने वालों के लिए बहुत बड़ा झटका हैं। साथ ही भूमिगत लोगों के लिए भी यह चिंता की बात हैं क्योंकि अब उनको भी इसके स्रोत का सबूत देना पड़ेगा।
लेखिका घायल सैनिक व हिटलर के बीच की बातचीत को रेडियो में सुनती है। घायल सैनिक अपने जख्मों को दिखाते हुए गर्व महसूस कर रहे थे।
शुक्रवार , 23 जनवरी 1944
इस पत्र में ऐन फ्रैंक बताती हैं कि पिछले कुछ हफ्तों से उन्हें परिवार के वंश वृक्ष और राजसी परिवारों की वंशावली तालिकाओं में खासी रूची हो गई है। वो बड़ी मेहनत से अपने स्कूल का काम करती हैं और रेडियो पर बी.बी.सी. की होम सर्विस को भी समझती है। वो रविवार को अपने प्रिय फिल्मी कलाकारों की तस्वीरें देखने में गुजारती हैं।
हर सोमवार मिस्टर कुगलर उनके लिए “सिनेमा एंड थियेटर” की एक पत्रिका लाते हैं। हालाँकि परिवार के लोग इसे पैसे की बर्बादी मानते हैं। वो रोज नई-नई केश सज्जा बनाकर आती है तो सभी लोग उनका मजाक उड़ाते हुए कहते हैं कि वो अमुक फिल्म स्टार की नकल कर रही है जिससे उनका मन आहत होता हैं।
बुधवार , 28 जनवरी 1944
इस पत्र में ऐन फ्रैंक बताती हैं कि हर दिन घर के आठ लोग अपनी वही पुरानी कहानी एक – दूसरे को सुनाते हैं जिसे सुनकर अब वो बोर हो चुकी हैं। नया सुनने व बोलने को कुछ नहीं हैं । इस बात से उनके मन की धुटन का पता चलता हैं।
बुधवार , 29 मार्च 1944
इस पत्र में ऐन फ्रैंक बताती हैं कि कैबिनेट मंत्री मिस्टर बोल्के स्टीन ने लंदन से डच प्रसारण में कहा हैं कि युद्ध के बाद युद्ध का वर्णन करने वाली डायरी व पत्रों का संग्रह कर लिया जाएगा । यह खबर आते ही सबने उनकी डायरी को पढ़ना चाहा। लेकिन वो इस प्रसारण के बाद बहुत गंभीरता से अपनी डायरी में हर बात लिखने लगी।
ऐन फ्रैंक अपनी डायरी को एक ऐसे शीर्षक के साथ छपवाने की बात करती है जिससे लोग उनकी कहानी को जासूसी कहानी समझेंगे । वो कहती हैं कि युद्ध के दस साल बाद लोग आश्चर्य चकित रह जायेंगे जब उन्हें पता चलेगा कि यहूदियों ने अज्ञातवास में कैसी जिंदगी बिताई।
बम गिरते समय औरतें कैसे डर जाती थी आदि । वो आगे बताती हैं कि सामान खरीदने के लिए घंटो लाइन में लगना पड़ता है। चोरी – चकारी की धटनाएँ काफी बढ़ गई हैं।
मंगलवार , 11 अप्रैल 1944
इस पत्र में ऐन फ्रैंक बताती हैं कि शनिवार 2 बजे के आसपास गोलाबारी हुई थी। रविवार दोपहर उन्होंने अपने दोस्त पीटर को बुलाया। पीटर के आने के बाद उन्होंने काफी देर बातें की। दोनों ने मिलकर मिस्टर डसेल को परेशान करने की योजना बनायी।
उसी रात , उनके घर में सेंधमारी की घटना भी हुई जिसे वो गुप्त आवास में रहने की मजबूरी के कारण किसी को नही बता सकते थे। मगर इस धटना ने सभी लोगों को अंदर से हिला कर रख दिया।
मंगलवार , 13 जून 1944
इस पत्र में ऐन फ्रैंक बताती हैं कि आज वो 15 वर्ष की हो गई है और उन्हें उपहार स्वरूप पुस्तकें , जैम की शीशी , बिस्कुट , सोने का ब्रेसलेट , मिठाइयां , लिखने की कॉपियां मिली है और पीटर ने उन्हें एक फूलों का गुलदस्ता भेंट किया।
मौसम खराब है और हमले जारी हैं । वो बताती है कि चर्चिल उन फ्रांसीसी गांवों में गए थे जो अभी अभी ब्रिटिश कब्जे से मुक्त हुए है। चर्चिल को डर नहीं लगता है। वो उन्हें जन्मजात बहादुर कहती हैं। ब्रिटिश सैनिक अपने मकसद में लगे हैं और हालैंड वासी सिर्फ अपनी आजादी के लिए लड़ रहे थे।
वो आगे कहती है कि वान दान व मिस्टर डसेल उन्हें धमंडी , अक्खड़ समझते हैं , मूर्ख समझते हैं। वो भी उन्हें मूर्खाधिराज कहती हैं। उन्होंने यहां पर अपने मन की बात लिखी हैं कि उन्हें कोई भी ढंग से नहीं समझता हैं और वो अपनी भावनाओं को गंभीरता से समझने वाले व्यक्ति की तलाश में हैं।
वो पीटर के बारे में बताती है कि पीटर उसे दोस्त की तरह प्यार करता है मगर वह उसकी दीवानी है। उसके लिए तड़पती है। पीटर अच्छा और भला लड़का है परंतु वो उसके धार्मिक तथा खाने संबंधी बातों से नफरत करती है। वह शांतिप्रिय , सहनशील और बेहद आत्मीय व्यक्ति है। वह ऐन की गलत बातों को भी सहन करता है। वह बहुत अधिक घुन्ना है। वो दोनों भविष्य , वर्तमान और अतीत की बातें किया करते थे ।
ऐन फ्रैंक आगे कहती है कि काफी दिनों से वो बाहर नहीं निकली है। इसलिए वो प्रकृति को देखना चाहती है। एक दिन गर्मी की रात उन्हें चांद देखने की इच्छा हुई मगर चांदनी अधिक होने के कारण वो खिड़की नहीं खोल सकी। आखिरकार बरसात के समय खिड़की खोल कर बादलों की लुकाछिपी देखने का अवसर भी उन्हें डेढ़ साल बाद मिला।
वो कहती है कि प्रकृति के सौंदर्य का आनंद लेने के लिए अस्पताल व जेलों में बंद लोग तरसते हैं। आसमान , बादलों , चांद – तारों को देख कर उसे शांति और आशा मिलती है। प्रकृति शांति पाने की रामबाण दवा है। वह हमें विनम्रता प्रदान करती है।
ऐन फ्रैंक कहती है कि “मौत के खिलाफ मनुष्य” किताब में उन्होंने पढ़ा था कि युद्ध में एक सैनिक को जितनी तकलीफ , पीड़ा और यंत्रणा से गुजरना पड़ता है उससे कहीं अधिक यातना और तकलीफ तो औरत बच्चा पैदा करने वक्त सहन करती है।
बच्चा पैदा करने के बाद औरत का आकर्षण समाप्त हो जाता है मगर फिर भी औरत मानव जाति की निरंतरता को बनाये रखती है । ऐन कहती है कि महिलाओं को भी एक बहादुर सैनिक के जैसे ही दर्जा व सम्मान मिलना चाहिए।
पुरुषों और महिलाओं के अधिकारों के बारे में वो कहती हैं कि उसे लगता है कि पुरुषों की शारीरिक क्षमता अधिक होती हैं जिस वजह से उन्होंने शुरू से ही महिलाओं पर शासन किया है। लेकिन अब समय बदल गया है। शिक्षा और प्रगति ने महिलाओं की आंखें खोल दी हैं।कई देशों ने महिलाओं को बराबरी का हक दिया है। आधुनिक महिलाओं , समाज में अपनी बराबरी चाहती हैं।
इसका ये कतई मतलब नहीं कि औरतों को बच्चे पैदा करना , बंद कर देना चाहिए। यह प्रकृति का कार्य है और उसे यह कार्य करते रहना चाहिए। संसार के जिस हिस्से में हम रहते हैं वहां जन्म अनिवार्य है। यह टाला न जा सकने वाला काम है।
इसीलिए महिलाओं को भी पुरुषों की तरह ही सम्मान मिलना चाहिए। वो उन व्यक्तियों की भर्त्सना करती है जो समाज में महिलाओं के योगदान को मानने के लिए तैयार नहीं है।
अंत में ऐन फ्रैंक विश्वास जताती है कि अगली सदी तक यह मान्यता बदल चुकी होगी कि सिर्फ बच्चे पैदा करना ही औरतों का काम हैं । औरतें ज्यादा सम्मान और सराहना की हकदार बनेगी।
Diary Ke Panne Class 12 Hindi MCQ | Diary Ke Panne MCQ Class 12 | डायरी के पन्ने Class 12 MCQ
ऐन का कौन-सा ऐसा शौक था जिसे उसके घरवाले पसंद नहीं करते थे?
A. हर समय पढ़ाई करना
B. नई-नई केश-सज्जा करना
C. बहुत बोलना
D. गीत गाना
ANSWER= B. नई-नई केश-सज्जा करना
मिस्टर डसेल के बारे में लेखिका ने किस विशेषण का प्रयोग किया है?
A.चुगलखोर
B. कंजूस
C. अनुशासनप्रिय
D. दयालु
ANSWER= A. चुगलखोर
मिस्टर डसेल लेखिका की शिकायत किससे करता था?
A. लेखिका के पापा से
B. लेखिका की मम्मी से
C. लेखिका की बहन से
D. मिस्टर वान दान से
ANSWER= B. लेखिका की मम्मी से
कौन-सा देश जर्मनी के विरुद्ध युद्ध में शामिल नहीं हुआ था?
A. इंग्लैंड
B. फ्रांस
C. टर्की
D. अमेरिका
ANSWER= C. टर्की
कौन-सी मुद्रा अवैध घोषित की गई थी?
A. 100 गिल्डर का नोट
B. 500 गिल्डर का नोट
C. 1 गिल्डर का नोट
D. 1000 गिल्डर का नोट
ANSWER= D. 1000 गिल्डर का नोट
घायल सैनिकों से कौन बातचीत करता था?
A. हिटलर
B. चर्चिल
C. विल्सन
D. जॉनसन
ANSWER= A. हिटलर
घायल सैनिक अपने जख्म दिखाते हुए क्या महसूस कर रहे थे?
A. दुख
B. पीड़ा
C. गर्व
D. निराशा
ANSWER= C. गर्व
हर सोमवार को लेखिका के लिए सिनेमा और थियेटर पत्रिका कौन लेकर आते थे?
A. मिस्टर कुगलर
B. मिस्टर डसेल
C. पापा
D. मिस्टर वान दान
ANSWER= A. मिस्टर कुगलर
किसको जन्मजात बहादुर कहा गया है?
A. हिटलर को
B. चर्चिल को
C. विल्सन को
D. मिस्टर वान दान को
ANSWER= B. चर्चिल को
ऐन किनको मूर्ख समझती है?
A. मिसेज़ वान दान और मिस्टर डसेल को
B. मिस्टर वान दान और मिसेज़ वान दान
C. मिस्टर डसेल और मिसेज़ डसेल को
D. मार्गोट को और मिसेज़ वान दान
ANSWER= A. मिसेज़ वान दान और मिस्टर डसेल को
ऐन किसको शांतिदायिनी और आशादायिनी मानती है?
A. प्रेम को
B. मित्रता को
C. रात को
D. प्रकृति को
ANSWER= D. प्रकृति को
युद्ध के समय ब्लैक मार्केट में जूते का नया तला कितने का मिलता था?
A. 7.50 गिल्डर का
B. 5 गिल्डर का
C. 6 गिल्डर का
D. 8 गिल्डर का
ANSWER= A. 7.50 गिल्डर का
मिस्टर डसेल किस कारण से लेखिका से खफ़ा था?
A. झगड़ा करने के कारण
B. तकिया उठाने के कारण
C. पीटर के साथ छत पर जाने के कारण
D. डसेल को झूठा कहने के कारण
ANSWER= B. तकिया उठाने के कारण
13 जून, 1944 को ऐन कितने वर्ष की हो गई थी?
A. 12 वर्ष की
B. 13 वर्ष की
C. 15 वर्ष की
D. 14 वर्ष की
ANSWER= C. 15 वर्ष की
जन्मदिन पर ऐन को क्या मिले थे?
A. केवल फूल
B. केवल कपड़े
C. केवल पुस्तकें
D. बहुत-से उपहार
ANSWER= D. बहुत-से उपहार
ऐन ने पीटर को किस प्रकार का व्यक्ति कहा है?
A. सज्जन
B. चालाक
C. घुन्ना
D. डरपोक
ANSWER= C. घुन्ना
ऐन फ्रैंक ने डायरी का आरंभ किस तिथि से किया?
A. 9 जुलाई, 1943 को
B. 8 जुलाई, 1942 को
C. 9 जुलाई, 1942 को
D. 10 जुलाई, 1942 को
ANSWER= B. 8 जुलाई, 1942 को
ऐन फ्रैंक की बड़ी बहन का नाम क्या था?
A. किट्टी
B. बिट्टी
C. मार्गोट
D. बेप
ANSWER= C. मार्गोट
ऐन फ्रैंक के पापा को किसके बुलावे का नोटिस मिला था?
A. एन०एस० एस०
B. आर०एस० एस०
C. एम०एस० एस०
D. ए०एस० एस०
ANSWER= D. ए०एस० एस०
मिस्टर वान दान ऐन फ्रैंक के पापा का क्या लगता था?
A. बड़ा भाई
B. छोटा भाई
C. मित्र
D. बिजनेस पार्टनर
ANSWER= D. बिजनेस पार्टनर
ए०एस०एस० के बुलावे का क्या मतलब था?
A. पुलिस द्वारा गिरफ्तारी
B. यातना शिविर में जाना
C. अस्पताल में जाना
D. फाँसी पर चढ़ना
ANSWER= B. यातना शिविर में जाना
ऐन फ्रैंक किस धर्म से संबंधित थी?
A. ईसाई धर्म से
B. मुस्लिम धर्म से
C. यहूदी धर्म से
D. बौद्ध धर्म से
ANSWER= C. यहूदी धर्म से
ए०एस०एस० का बुलावा किसके लिए आया था?
A. वान दान के लिए
B. पापा के लिए
C. ऐन फ्रैंक के लिए
D. मार्गोट के लिए
ANSWER= D. मार्गोट के लिए
ऐन फ्रैंक के परिवार ने बुलावे के कारण क्या फैसला लिया?
A. यातना शिविर में जाने का
B. अज्ञातवास में जाने का
C. भागने का
D. यहूदी अस्पताल जाने का
ANSWER= B. अज्ञातवास में जाने का
अज्ञातवास में जाने के लिए ऐन फ्रैंक के परिवार की किसने सहायता की?
A. हैलो ने
B. डसेल ने
C. मिएप ने
D. वान दान ने
ANSWER= C. मिएप ने
मिएप कब से ऐन फ्रैंक के पापा की कंपनी में काम कर रही थी?
A. सन् 1931 से
B. सन् 1932 से
C. सन् 1933 से
D. सन् 1934 से
ANSWER= C. सन् 1933 से
ऐन फ्रैंक ने अपनी बिल्ली को कहाँ पर छोड़ा?
A. सड़क पर
B. जंगल में
C. पड़ोसियों के पास
D. उद्यान में
ANSWER= C. पड़ोसियों के पास
ऐन फ्रैंक के परिवार ने पहले कब अज्ञातवास में जाने का फैसला लिया था?
16 जुलाई को
B. 15 जुलाई को
C. 17 जुलाई को
D. 18 जुलाई को
ANSWER= A. 16 जुलाई को
ऐन फ्रैंक का परिवार कहाँ पर छिपकर रहा?
A. पापा के ऑफ़िस की इमारत में
B. मिस्टर वान दान के ऑफिस में
C. मिएप के घर में
D. मिस्टर डसेल के घर में
ANSWER= A. पापा के ऑफ़िस की इमारत में
ऐन के परिवार ने कितना वक्त छिपकर गुजारा?
A. 2 वर्ष
B. 3 वर्ष
C. 4 वर्ष
D. 5 वर्ष
ANSWER= A. 2 वर्ष
मार्गोट की कितनी आयु थी?
17 वर्ष
B. 16 वर्ष
C. 15 वर्ष
D. 18 वर्ष
ANSWER= B. 16 वर्ष
मिस्टर वान दान किस धर्म के थे?
A. ईसाई धर्म के
B. यहूदी धर्म के
C. मुसलमान धर्म के
D. हिंदू धर्म के
ANSWER= B. यहूदी धर्म के
ऐन के परिवार की पालतू बिल्ली का क्या नाम था?
A. मूझा
B. बूझा
C. मूर्जा
D. मूर्त्जे
ANSWER= D. मूर्त्जे
यहूदी बाहर निकलते समय कैसा सितारा पहनते थे?
A. लाल
B. हरा
C. पीला
D. काला
ANSWER= C. पीला
ऐन के घरवालों ने खिड़कियों को किससे ढक रखा था?
A. चादरों से
B. कागजों से
C. ईंटों से
D. ब्लैक आऊट वाले पर्दो से
ANSWER= D. ब्लैक आऊट वाले पर्दो से
ऐन को किसका लंबा उपदेश सुनना पड़ता था?
A. पापा का
B. मिस्टर वान दान का
C. मिस्टर डसेल
D. माँ का
ANSWER= D. माँ का
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