साझेदारी फर्म का समापन | Dissolution Of Partnership Firm In Hindi
एक व्यवसाय में कई प्रकार की क्रियाएं होती है। साझेदारी फर्म भी एक तरह का व्यवसाय ही होता है लेकिन अधिकतर लोग किसी फर्म के विघटन में काफी कंफ्यूज रहते हैं तो आज के इस नए आर्टिकल में साझेदारी फर्म का समापन से संबंधित सारे डाउट एवं कांसेप्ट को आसानी से परिभाषित किया गया है।
किसी फर्म का विघटन या समापन दोनों एक ही शब्द हैं, तो आगे पोस्ट में समापन की जगह पर विघटन मिले तो परेशान नहीं होना हैं।
साझेदारी के समापन से क्या आशय हैं?
एक फर्म के सभी साझेदारों के संबंधों में होने वाले किसी भी परिवर्तन को साझेदारी का समापन या विघटन कहा जाता हैं। इस प्रकार जब भी एक नए साझेदार का फर्म में आगमन (प्रवेश) होता है या एक वर्तमान साझेदार अवकाश ग्रहण करता है यह उसकी किसी कारण वश मृत्यु होती है तो फर्म का पुनर्गठन होता हैं। उन सभी परिस्थितियों में जिनमें साझेदारी का पुनर्गठन होता है । साझेदारी के समापन की दशा में फर्म पुनर्गठित रूप से चलती रहती हैं।
उदाहरण के रूप में “किसी साझेदार के अवकाश ग्रहण करने अथवा मरने पर शेष साझेदार फर्म के व्यवसाय को चालू रख सकते हैं।
फर्म का समापन
भारतीय साझेदारी अधिनियम 1932 की धारा 39 के अनुसार जब किसी फर्म में साझेदारों के बीच की साझेदारी समाप्त हो जाती है तथा फर्म का कारोबार बंद हो जाता हैं तो उसे ‘फर्म का विघटन या समापन’ कहा जाता है।
किसी फर्म के विघटन/समापन पर हिसाब – किताब का निपटारा करने के लिए फर्म के कुल संपत्तियों को बेचा जाता है और सभी बाहरी दायित्वों का भुगतान किया जाता हैं। इसके लिए फर्म की पुस्तक में कुछ लेखें किए जाते हैं जो कि इस प्रकार से दिए गए हैं ।
साझेदारी के समापन से आप क्या समझते हैं?
फर्म के समापन का अर्थ फर्म के व्यवसाय का बंद होना होता हैं जब सभी साझेदारों का फर्म से संबंध टूट जाता है, इसका सामान्य अर्थ सभी साझेदारों के बीच साझेदारी की समाप्ति हैं। फर्म के विघटन पर फर्म की संपत्तियों को बेचा जाता है और दायित्वों का भुगतान किया जाता है। भारतीय साझेदारी अधिनियम 1932 की धारा 39 के अनुसार एक फर्म के सभी साझेदारों के बीच साझेदारी का विच्छेद होना है।
साझेदारी विघटन एवं फर्म के विघटन में अंतर लिखिए।
साझेदारी के विघटन और फर्म के विघटन में निम्नलिखित अंतर होते हैं जो के नीचे के पंक्ति में इस प्रकार से दिए गए हैं –
- साझेदारी विघटन (परिभाषा) – साझेदारी के विघटन से आशय साझेदारों के मध्य वर्तमान संबंधों में परिवर्तन से हैं जबकि फर्म का विघटन से आशय सभी साझेदारों के बीच आपसी संबंधों की पूर्ण समाप्ति से हैं।
- व्यवसाय का चालू रहना – इसमें साझेदारी के समापन पर फर्म का व्यवसाय चालू रहता हैं जबकि फर्म के विघटन पर फर्म का व्यवसाय समाप्त/बन्द हो जाता हैं।
- न्यायालय का हस्तक्षेप – साझेदारी के समापन की दशा में न्यायालय हस्तक्षेप नहीं करता है जबकि फर्म के समापन की दशा में न्यायालय हस्तक्षेप कर सकते हैं।
- प्रकृति – साझेदारी का विघटन ऐच्छिक होता है अर्थात यह इच्छा पर निर्भर करता हैं जबकि फर्म का विघटन ऐच्छिक और अनिवार्य दोनों हो सकता हैं।
- प्रभाव – साझेदारी के विघटन पर यह अनिवार्य नहीं है जबकि फर्म का विघटन होने पर साझेदारी का विघटन अनिवार्य हैं।
- लेखा पुस्तकों का बंद होना – साझेदारी के विघटन पर लेखा पुस्तकों को बंद करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है क्योंकि व्यवसाय का अंत नहीं होता है जबकि फर्म के समापन की स्थिति में फर्म की सभी लेखा पुस्तकों को बंद करना पड़ता है।
- संपत्ति और दायित्व का निपटारा – साझेदारी के विघटन में संपत्ति और दायित्व का पुनर्मूल्यांकन किया जाता है जबकि फार्म के विघटन की दशा में संपत्तियों की वसूली की जाती है और दायित्वों का भुगतान किया जाता हैं।
- गार्नर बनाम मर्रे का नियम
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