पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन

पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन – Environment and natural resources Notes In Hindi

पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन : 1960 के दशक से पर्यावरण के मसले ने जोर पकड़ा अब पर्यावरण के मसले पर विभिन्न देश बात करने के लिए तैयार हो गए हैं

पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन – Environment and natural resources

पर्यावरण में विभिन्न समस्याएँ –

• कृषि योग्य भूमि घट रही है
• चरागाह में चारे खत्म हो रहे हैं
• मतस्य भंडार घट रहा है
• जल प्रदूषण बढ़ रहा है
• जल की कमी हो रही है
• खाद्य उत्पादन में कमी हो रही है
• विकासशील देशों में पीने का स्वच्छ पानी नहीं है
• वनों की अंधाधुंध कटाई हो रही है
• जैव विविधता को बहुत हानि हो रही है
• ओजोन परत में छेद हो रहा है
• पर्यावरण की यह समस्याएं विभिन्न देशों की सरकारों के द्वारा ही सुलझाया जा सकता है
• इसीलिए इसे राजनीति का मुद्दा माना जाता है
• विद्वानों के एक समूह क्लब ऑफ राम ने 1972 में लिमिट्स टू ग्रोथ नामक पुस्तक लिखी
• इस पुस्तक में दर्शाया गया की जनसंख्या के बढ़ने से किस प्रकार से संसाधन घट रहे हैं
• UNEP- ने पर्यावरण से संबंधित मुद्दों पर सम्मेलन करवाएं
• UNEP – संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम

रियो सम्मलेन 1992

• 1992 में रियो सम्मेलन ब्राजील के रियो – डी – जनेरियो में हुआ था
• UNO का पर्यावरण और विकास के मुद्दे पर सम्मेलन
• इसमें 170 देश शामिल हुए
• इस सम्मेलन में हजारों स्वयंसेवी संगठन शामिल हुए
• इसमें कई बहुराष्ट्रीय निगम भी शामिल थे
• इसे पृथ्वी सम्मेलन ( Earth Summit ) भी कहा जाता है
• इस सम्मेलन से 5 वर्ष पहले 1987 में “ आवर कॉमन फ्यूचर” नामक रिपोर्ट छपी थी
• इस रिपोर्ट में यह बताया गया था कि आर्थिक विकास के चालू तौर-तरीके आगे चलकर टिकाऊ साबित नहीं होंगे
• विश्व के दक्षिणी हिस्से में औद्योगिक विकास की मांग अधिक प्रबल है
• रियो सम्मेलन में यह बात खुलकर सामने आ गई थी
• कि उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध के देशों के सामने अलग अलग समस्याएं और चुनौतियां है
• उत्तरी गोलार्ध के देश – विकसित और धनी देश
• दक्षिणी गोलार्ध के देश – गरीब और विकासशील देश
• रियो सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता, वानिकी के संबंध में कुछ नियमाचार निर्धारित हुए
• इसमें एजेंडा – 21 के रूप में विकास के कुछ उपाय सुझाए गए
• सम्मेलन में इस बात पर सहमति बनी थी कि आर्थिक वृद्धि का तरीका ऐसा होना चाहिए कि जिससे पर्यावरण को नुकसान ना पहुंचे
• इसे टिकाऊ विकास का तरीका कहा गया
• कुछ आलोचकों का कहना है कि एजेंडा – 21 का झुकाव पर्यावरण संरक्षण की बजाय आर्थिक वृद्धि की ओर है

विश्व की साझी सम्पदा

• साझी संपदा ऐसे संसाधनों को कहते हैं जिन पर किसी एक का नहीं बल्कि पूरे समुदाय का अधिकार है
• उदाहरण –
• संयुक्त परिवार का चूल्हा
• चरागाह
• मैदान
• कुआं
• नदी इत्यादि

वैश्विक सम्पदा या मानवता की साझी विरासत

• विश्व के कुछ हिस्से और क्षेत्र किसी एक देश के क्षेत्राधिकार से बाहर होते हैं इसलिए इनके प्रबंधन साझे तौर पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के द्वारा किया जाता है
• इन्हें वैश्विक सम्पदा या मानवता की साझी विरासत कहा जाता है
• उदाहरण
• वायुमंडल, बाहरी अन्तरिक्ष, अंटार्कटिका, समुंद्री सतह इत्यादि

वैश्विक संपदा की सुरक्षा के लिए संधियां

• अंटार्कटिका संधि 1959
• मॉन्ट्रियल न्यायाचार 1987
• अंटार्कटिका पर्यावरण न्यायचार 1991

पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन – Environment and natural resources

सांझी परन्तु अलग – अलग जिम्मेदारी

• पर्यावरण को लेकर उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध के देशों के रवैये में अंतर है
• उत्तरी गोलार्ध के विकसित देश पर्यावरण को लेकर उसी रूप में चर्चा करना चाहते हैं जिस दशा में आज पर्यावरण मौजूद है
• यह देश चाहते हैं कि पर्यावरण संरक्षण में हर देश बराबर की हिस्सेदारी निभाई
• लेकिन दक्षिणी गोलार्ध के विकासशील देश यह चाहते हैं कि पर्यावरण को ज्यादा नुकसान विकसित देशों ने पहुंचाया तो उसके नुकसान की भरपाई भी यही देश करें
• विकासशील देश तो अभी औद्योगिकरण की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं
• इन पर प्रतिबंध नहीं लगाया जाए
• इसी कारणवश 1992 रियो सम्मेलन में इसे प्रस्तावित किया गया और मान लिया गया
• इसी सिद्धांत को ही साझी परंतु अलग-अलग जिम्मेदारी कहा गया।

संयुक्त राष्ट्र संघ के नियमाचार

• UNFCCC (1992) :- यूनाइटेड नेशन फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज।
• जलवायु के परिवर्तन से संबंधित संयुक्त राष्ट्र संघ के नियमाचार UNFCCC (1992)
• में भी कहा गया है कि
• इस संधि को स्वीकार करने वाले देश अपनी क्षमता के अनुरूप पर्यावरण के
• अपक्षय में अपनी हिस्सेदारी के आधार पर साझी परंतु अलग-अलग जिम्मेदारी
• निभाते हुए पर्यावरण की सुरक्षा का प्रयास करेंगे
• इस नियमाचार को स्वीकार करने वाले देश इस बात पर सहमत थे
• कि ऐतिहासिक रूप से भी और मौजूदा समय में भी ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में सबसे ज्यादा भूमिका विकसित देशों की है
• विकासशील देशों में प्रति व्यक्ति उत्सर्जन क्षमता कम है
• इस कारण चीन, भारत और अन्य विकासशील देशों को क्योटो प्रोटोकाल के बाध्यता से अलग रखा I

क्योटो प्रोटोकोल क्या है ?

क्योटो प्रोटोकोल एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है
• इसके अंतर्गत औद्योगिक देशों के लिए ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने के लिए लक्ष्य निर्धारित किए गए
• जिसमें कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और हाइड्रो क्लोरोफ्लोरो कार्बन
• आदि गैसों के बारे में ऐसा माना जाता है कि यह ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाने में इनकी भूमिका है

सांझी सम्पदा

• ऐसी संपदा जिस पर किसी समूह के प्रत्येक सदस्य का स्वामित्व हो साझी संपदा कहलाती है
• ऐसे संसाधन के उपयोग तथा रखरखाव में हर सदस्य को समान अधिकार प्राप्त होंगे

वन प्रांतर

• वनों के कुछ हिस्से को पवित्र मानकर उन्हें काटा नहीं जाता
• ऐसा माना जाता है कि इन स्थानों पर देवी-देवताओं का वास है
• इन्हें वन प्रांतर कहा जाता है
• अक्सर गांव में हमें ऐसे स्थान देखने को मिल जाते हैं
• इन वन प्रांतर को अलग-अलग राज्यों में अलग – अलग नाम से जाना जाता है

वन प्रांतर के विभिन्न नाम

• राजस्थान में वानी
• झारखंड में जेहरा थान और सरना
• मेघालय में लिंगदोह
• केरल में काव
• उत्तराखंड में थान या देवभूमि
• महाराष्ट्र में देव रह्तिस

पर्यावरण के मसले पर भारत का पक्ष

• भारत ने 2002 में क्योटो प्रोटोकॉल में हस्ताक्षर किए
• ऐसा माना जाता है कि भारत और चीन भी जल्दी ही ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में आगे नजर आएंगे
• भारत का कहना है कि ग्रीन हाउस गैसों को कम करने में सबसे ज्यादा जिम्मेदारी विकसित देशों की होनी चाहिए
• भारत का ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन
• 0.9 टन 2000 तक तथा 1.6 टन 2030 तक हो जाएगा

भारत सरकार द्वारा पर्यावरण को संरक्षण देने के लिए उठाये कदम

• भारत ने अपनी नेशनल ऑटो फ्यूल पॉलिसी में बदलाव किया
• भारत में स्वच्छता ईंधन को अनिवार्य कर दिया
• भारत में CNG द्वारा गाड़ियां चलाई जाने लगी
• 2001 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम पारित किया गया
• 2003 में बिजली अधिनियम पारित किया गया
• स्वच्छ कोयले के उपयोग को बढ़ावा दिया जाने लगा
• बायोडीजल का प्रयोग को मंजूरी मिली
• इलेक्ट्रिक वाहनों को मंजूरी
• रसोई गैस को प्रोत्साहन

पर्यावरण आन्दोलन

• ऐसे लोग जो पर्यावरण के प्रति सचेत एवं जागरूक हैं
• जो लोग पर्यावरण को हानि से बचाना चाहते हैं
• ऐसे लोगों ने पर्यावरण के संरक्षण के लिए आंदोलन चलाए हैं
• ऐसे आंदोलन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तर पर चलाए गए हैं आज पूरे संसार में पर्यावरण आंदोलन जीवंत, विविधतापूर्ण और ताकतवर आंदोलन बन चुके हैं
• यह आंदोलन अलग-अलग देशों में अलग-अलग मुद्दों पर चले हैं

जैसे –

• वनों की कटाई के खिलाफ – चिले, इंडोनेशिया, भारत
• खनन के खिलाफ – दक्षिणी गोलार्ध
• बांध के खिलाफ – ऑस्ट्रेलिया
• बहुराष्ट्रीय कंपनियों के खिलाफ – विभिन्न देशों में
• दक्षिणी देशों मैक्सिको, चिले, ब्राजील, मलेशिया, इंडोनेशिया, अफ्रीका और भारत में वन – आंदोलन चले है
• यहां वनों की कटाई का विरोध हुआ
• खनिज उद्योग पृथ्वी पर मौजूद सबसे ताकतवर उद्योग है
• खनिज उद्योग धरती के भीतर मौजूद संसाधनों को बाहर निकालता है
• रसायनों का भरपूर उपयोग करता है
• भूमि और जल मार्गों को प्रदूषित करता है
• और स्थानीय वनस्पतियों का विनाश करता है
• इसके कारण लोगों को विस्थापित होना पड़ता है
• इस कारण विश्व के कई भागों में खनिज उद्योगों की आलोचना एवं विरोध हुआ है

पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन – Environment and natural resources

पर्यावरण आन्दोलन के उदाहरण –

• फिलीपींस में कई समूह और संगठनों ने एक साथ मिलकर एक ऑस्ट्रेलियाई बहुराष्ट्रीय कंपनी वेस्टर्न माइनिंग कॉरपोरेशन के खिलाफ अभियान चलाया है
• कुछ आंदोलन बड़े बांधों के खिलाफ भी हुए हैं
• बांध विरोधी आंदोलन नदियों को बचाने के आंदोलन के रूप में देखे जाते हैं
• 1980 के दशक के शुरुआती और मध्यवर्ती वर्षों में विश्व का पहला बांध विरोधी आंदोलन दक्षिणी गोलार्ध में चला
• ऑस्ट्रेलिया में चला आंदोलन फ्रैंकलिन नदी तथा इसके परवर्ती वनों को बचाने का आंदोलन था
• दक्षिणी गोलार्ध के देशों में तुर्की से लेकर थाईलैंड और दक्षिण अफ्रीका तक, इंडोनेशिया से लेकर चीन तक बड़े बांधों को बनाने की होड़ लगी है
• भारत में भी बांध विरोधी आंदोलन चलाए गए हैं ( जैसे नर्मदा बचाओ आंदोलन )

Environment and natural resources Notes In Hindi

संसाधनों की भू – राजनीति

• इस संसार में विभिन्न स्थानों पर भिन्न-भिन्न प्रकारों के संसाधन उपलब्ध हैं
• इन संसाधनों को लेकर झगड़ा अतीत से चलता रहा है
• किसी देश के पास खनिज संसाधन है
• तो किसी देश के पास तेल संसाधन
• किसी देश के पास इमारती लकड़ी
• तो कुछ देशों के पास नदी, पहाड़, चट्टान हैं
• कुछ देशों के पास वृक्ष, वनस्पति, जानवर, पानी इत्यादि
• यूरोपीय ताकतों का विश्व प्रसार का मकसद संसाधन ही था
• इमारती लकड़ी तेल संसाधन हमेशा से महत्वपूर्ण रहे हैं
• पेट्रोलियम पर नियंत्रण बनाने का प्रयास सदैव किया जाता रहा है
• खाड़ी देशों के तेल संसाधनों का हथियाने का प्रयास किया गया
• सऊदी अरब विश्व का सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश
• इराक दूसरे स्थान पर आता है
• पानी भी एक महत्वपूर्ण संसाधन है
• पानी के बिना जीवन नहीं हो सकता और विश्व के कुछ हिस्सों में साफ़ पीने का पानी उपलब्ध नहीं है
• इसलिए जल संसाधन फसाद की जड़ बन सकते हैं
• ऐसा माना जाता है कि तीसरा विश्वयुद्ध जल के कारण होगा ( जलयुद्ध )
• जल संसाधन के नजदीकी देश इसका दुरुपयोग करते हैं पानी को लेकर हुई है
• पानी को लेकर हिंसक झड़प भी हुई है
• उदाहरण –
• 1950 से 1960 के दशक में इजरायल, सीरिया, जॉर्डन को बीच युद्ध
• तुर्की, सीरिया, इराक के बीच फरात नदी जल विवाद l

मूलवासी कौन है ?

• मूलवासी लोगों को, ऐसे लोगों का वंशज माना गया है जो किसी मौजूदा देश में बहुत दिनों से रहते चले आ रहे हैं
• फिर किसी दूसरे देश के संस्कृति जातीय मूल के लोग यहां आए और इन लोगों को अपना गुलाम बना लिया
• मूलवासी आज भी अपनी संस्कृति परंपरा के अनुसार रहते हैं
• अपने खास ढर्रे पर जीवन यापन करते हैं
• दुनिया भर में मूलवासी रहते हैं
• इनके रहन-सहन संस्कृति परंपरा में कुछ समानता है
• यह अपनी परंपरा को महत्व देते हैं

मूलवासी लोगो के आंकड़े

• विश्व में 30 करोड़ मूलवासी हैं
• फिलीपींस – 20 लाख मूलवासी
• चिले – 10 लाख
• बांग्लादेश – 6 लाख
• उत्तरी अमेरिकी – 3 लाख 50 हजार
• उत्तरी सोवियत – 10 लाख

मूलवासियों की समस्याएं

• समानता के लिए संघर्ष
• विकास के लिए संघर्ष
• मूलवासी लोगों को स्वतंत्र पहचान की मांग
• मूलवासी स्थान पर हक की मांग
• जंगलों को ना उजाड़ने की मांग
• इनके जीवन में दखल अंदाजी ना करने की मांग

पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन – Environment and natural resources

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