जॉर्ज पंचम की नाक पाठ का सारांश

जॉर्ज पंचम की नाक पाठ का सारांश | George Pancham Ki Naak Class 10 Summary

George Pancham Ki Naak Class 10 Summary ,जॉर्ज पंचम की नाक पाठ का सारांश कक्षा 10 हिंदी कृतिका भाग 2 अध्याय 2  , George Pancham Ki Naak Class 10 Summary Hindi Kritika Bhag 2 Chapter 2 .

जॉर्ज पंचम की नाक पाठ का सारांश | George Pancham Ki Naak Class 10 Summary

इस पाठ के लेखक कमलेश्वरजी हैं । यह पाठ एक व्यंग्य है। जिसके माध्यम से लेखक कमलेश्वर जी ने उन लोगों पर कटाक्ष किया है जो अंग्रेजों की गुलामी से आजाद होने के बाद भी अपनी गुलाम मानसिकता से आजादी नही पा सके हैं । ऐसे लोग अभी भी अंग्रेजों को अपने आप से बेहतर व श्रेष्ठ मानते हैं और उनको खुश करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।

लेकिन लेखक मानते हैं कि अपने देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों की नाक , यहां तक कि शहीद बच्चों की नाकें भी जॉर्ज पंचम की नाक से कही ज्यादा सम्मानीय व लंबी है। यानि अपने देश के महान स्वतंत्रता सेनानियों की इज्जत , उनका सम्मान जॉर्ज पंचम की इज्जत से कहीं ज्यादा है क्योंकि उन्होंने इस देश की आजादी के लिए अनेकों अनेक कुर्बानियां दी थी।

यह बात उस समय की है जब इंग्लैंड की रानी एलिजाबेथ द्वितीय अपने पति के साथ भारत का दौरा करने वाली थी। अखबारों में इस शाही दौरे की हर रोज चर्चा होती थी । लंदन से निकलने वाले अखबार रोज इस शाही दौरे की तैयारियों के बारे में खूब जमकर खबरें दे रहे थे। रानी का दर्जी हिंदुस्तान , पाकिस्तान , नेपाल यात्रा के दौरान रानी किस तरह की वेशभूषा पहनेंगी। इस बात को लेकर परेशान था। 

वह रानी की वेशभूषा कुछ ऐसी बनाना चाहता था जिसमें रानी की शानो शौकत और शाही ठाट बाट का पता भी चले और वेशभूषा गरिमामयी भी हो। शाही दौरे से पहले रानी का सेक्रेटरी और जासूस पूरे महाद्वीप का तूफानी दौरा करने वाले थे। नये जमाने के हिसाब से फोटोग्राफरों की फौज भी तैयार हो रही थी। 

अखबार में रानी एलिजाबेथ की जन्मपत्री व प्रिंस फिलिप के कारनामों को भी छापा गया और साथ में उनके नौकरों , बावरचियों , खानसामों , अंगरक्षकों की जीवनीयों को उनकी तस्वीरों के साथ छापा गया। यहां तक कि शाही महल में रहने वाले कुत्तों की तस्वीरें भी छापा गयी ।

इंग्लैंड में इस शाही दौरे को लेकर खूब शोर शराबा था। शंख इंग्लैंड में बज रहा था , मगर उसकी गूंज भारत में भी सुनाई दे रही थी।

भारत में भी शाही मेहमानों के स्वागत की तैयारियां खूब जोर शोर से चल रही थी। सड़कों को साफ किया जा रहा था। इमारतों का रंग रोगन कर उन्हें खूब सजाया संवारा जा रहा था। 

 शाही मेहमानों को खुश करने की सारी तैयारियां तो चरम सीमा पर थी। बस एक ही कमी रह गई थी जिससे शाही मेहमानों के नाराज होने का डर था। वह थी जॉर्ज पंचम की लाट की नाक  , जो लाट से गायब हो चुकी थी।

जॉर्ज पंचम की नाक के गायब होने के पीछे एक लम्बी दास्तान हैं। किसी वक्त जॉर्ज पंचम की नाक के लिए बड़े-बड़े तहलके व खूब आंदोलन हुए। राजनीतिक पार्टियों ने प्रस्ताव पास किये , चंदा जमा किया गया और कुछ नेताओं ने भाषण भी दिए। अखबारों में भी काफी लेख लिखे गये । खूब गरमा-गरम बहस सिर्फ इस बात पर हुई कि जॉर्ज पंचम की नाक को रहने दिया जाए या हटा दिया जाए।

पूरे देश में इस बात के लिए जबरदस्त आंदोलन चल रहा था। जॉर्ज पंचम की नाक को कोई नुकसान ना पहुंचे इसीलिए जॉर्ज पंचम की नाक की रक्षा के लिए हथियारबंद पहरेदार भी तैनात कर दिए गए। लेकिन इतना करने के बाद भी इंडिया गेट के सामने वाली जॉर्ज पंचम की लाट की नाक एकाएक गायब हो गई।

रानी आए और लाट पर नाक न हो , इस बात से सभी लोग परेशान थे। खैर देश के हितैषी लोगों ने जॉर्ज पंचम की नाक के मसले को हल करने के लिए एक उच्च स्तरीय मीटिंग बुलाई और इस मामले को उनके सामने रखा ।

मीटिंग में सभी इस बात से सहमत थे कि अगर मूर्ति पर नाक नहीं लगी तो , हमारी नाक भी कट जाएगी। इसीलिए उच्च स्तरीय विचार विमर्श व मशवरे के बाद यह तय किया गया कि लाट पर नाक लगाना हर हाल में जरूरी है। इसीलिए किसी मूर्तिकार से तुरंत नाक लगाई जाए। 

मूर्तिकार को तुरंत बुलाया गया। मूर्तिकार यूं तो उम्दा कलाकार था परन्तु स्वभाव से लालची था। उसने मूर्ति को देख कर कहा कि “मूर्ति पर नाक तो लग जाएगी पर मुझे पहले यह मालूम होना चाहिए कि यह नाक कब और कहां बनी थी। इस लाट के लिए पत्थर कहां से लाया गया था”।

लेकिन वहां उपस्थिति हुक्मरानों में से किसी को भी इस बात का पता नहीं था। इसीलिए पत्थर से संबंधित जानकारी के लिए पुरातत्व विभाग की फाइलों की छानबीन की गई। लेकिन उनसे भी कुछ पता ना चल सका। बाद में मूर्तिकार ने यह कहकर मसला खुद ही हल कर दिया कि “मैं हिंदुस्तान के हर पहाड़ में जाऊंगा और लाट के जैसा ही पत्थर ढूंढ कर लाऊंगा”।

मूर्तिकार की बात सुनकर हुक्मरानों की जान पर जान आई। मूर्तिकार हिंदुस्तान के पहाड़ी प्रदेशों और पत्थरों की खानों के दौरे पर निकल पड़ा। लेकिन काफी प्रयास करने के बाद भी उसे उस किस्म का पत्थर कहीं नहीं मिला। अब उसने लाट पर लगे पत्थर को विदेशी बताकर उससे अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश।

कमेटी के सभी लोग इस बात से बहुत परेशान थे। तभी मूर्तिकार ने एक और सुझाव कमेटी के सदस्यों को दिया। मूर्तिकार ने कहा कि “देश में अपने स्वतंत्रता सेनानी नेताओं की मूर्तियां भी लगी हैं और अगर आप लोग ठीक समझें तो जिस भी स्वतंत्रता सेनानी की नाक , इस लाट पर ठीक बैठे , उसे उतार कर इस पर लगा देते है”।

थोड़ी हिचक के बाद सभी ने इस बात पर सहमति जताई और मूर्तिकार निकल पड़ा पूरे देश के दौरे पर। उसने पूरे देश में घूम घूम कर अपने देश के सभी महान नेताओं जैसे दादाभाई नरोजी , गोखले , तिलक , शिवाजी , काँवसजी , गांधीजी , सरदार पटेल , बिट्ठलभाई पटेल , महादेव देसाई , गुरु रवींद्रनाथ , सुभाष चंद्र बोस , राजा राममोहन राय , चंद्रशेखर आजाद , विस्मिल , मोतीलाल नेहरू , मदन मोहन मालवीय , सत्यमूर्ति , लाला लाजपत राय , भगत सिंह आदि की नाकों का नाप लिया। लेकिन किसी भी नेता की नाक जॉर्ज पंचम की लाट की नाक से मेल नहीं खाती थी।

उसके बाद उसने सन 1942 में बिहार सेक्रेटरिएट (सचिवालय) के सामने शहीद बच्चों की मूर्तियों की नाकों का भी नाप लिया। लेकिन उन सभी बच्चों की नाकें भी जॉर्ज पंचम की नाक से काफी बड़ी थी। अंत में वह निराश होकर दिल्ली लौट आया।

राजधानी में शाही दौरे की खूब तैयारियां चल रही थी। जॉर्ज पंचम की लाट को नहला – धुलाकर कर उसका रंग रोगन कर उसे चमका दिया गया। सब कुछ तो हो चुका था बस कमी नाक की थी।

सभी लोग इस बात से परेशान थे। तभी मूर्तिकार ने एक अजीब सा सुझाव दिया। उसने कहा कि “चूंकि नाक लगाना एकदम जरूरी है। इसीलिए मेरी राय है कि 40 करोड़ में से कोई एक जिंदा नाक काट कर लाट पर लगा दी जाए” यानि 40 करोड़ भारतीय लोगों में से किसी एक व्यक्ति की नाक काट कर लाट में लगा दी जाय ।

नाक लगानी बेहद जरूरी थी। इसलिए इसकी इजाजत दे दी गई। अखबारों में बस इतना ही छपा कि मसला हल हो गया है और राजपथ में इंडिया गेट के पास वाली जॉर्ज पंचम की लाट पर नाक लग रही है”।

नाक लगने से पहले फिर हथियारबंद पहरेदारों की तैनाती की गई। मूर्ति के आसपास का तालाब सुखाकर साफ किया गया। फिर उसमें ताजा पानी डाला दिया गया , ताकि जिन्दा नाक सूखने ना पाए।

कुछ समय बाद जॉर्ज पंचम की लाट पर एक जिंदा नाक लगा दी गई। उस दिन सब अखबारों ने बस इतनी ही खबर छापी कि “जॉर्ज पंचम की लाट पर जिंदा नाक लगाई गई है यानि एक ऐसी नाक जो पत्थर की कतई नहीं लगती हैं “। इसके अलावा अखबारों ने उस दिन और कुछ नहीं छापा। सब अखबार खाली थे। 

George Pancham Ki Naak Class 10 Summary,

इसे भी पढ़ें :  मानवीय करुणा की दिव्य चमक पाठ का सारांश  

1 thought on “जॉर्ज पंचम की नाक पाठ का सारांश”

Leave a Comment

close