जार्ज पंचम की नाक अभ्यास के प्रश्न

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जार्ज पंचम की नाक अभ्यास के प्रश्न : जार्ज पंचम की लाट की नाक को पुन: लगाने के लिए मूर्तिकार ने बड़े यत्न किए । पहले तो वह पूरे हिंदुस्तान की खाक छानता रहा ताकि उसे मूर्ति में इस्तेमाल हुए पत्थर जैसा ही पत्थर मिल जाए।

जार्ज पंचम की नाक अभ्यास के प्रश्न

प्रश्न-1: सरकारी तंत्र में जार्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है वह उनकी किस मानसिकता को दर्शाती है।

उत्तर: सरकारी तंत्र में जार्ज पंचम की नाक लगाने को लेकर जो चिंता या बदहवासी दिखाई देती है वह दो तरह की मानसिकता को दर्शाती है। आधुनिक भारत में भी हम इस बात पर सबसे अधिक खुश होते हैं जब इंगलैंड या अमेरिका हमारी पीठ ठोंकता है। हमें लगता है कि हमें हर समय किसी पश्चिम के देश के सर्टिफिकेट की जरूरत है। इस मुद्दे का दूसरा पहलू है कि सरकारी तंत्र में लोग तिल का ताड़ बनाने में माहिर होते हैं।

प्रश्न-2: रानी एलिजाबेथ के दरजी की परेशानी का क्या कारण था? उसकी परेशानी को आप किस तरह तर्कसंगत ठहराएँगे?

उत्तर: रानी एलिजाबेथ का दरजी इसलिए परेशान था कि रानी भारत, पाकिस्तान और नेपाल के दौरे पर क्या-क्या पहनेंगीं । दरजी अपने कर्तव्य के प्रति इमानदार था। इसलिए उसकी परेशानी वाजिब थी।

प्रश्न-3:  ‘और देखते ही देखते नई दिल्ली का काया पलट होने लगा’ नई दिल्ली के काया पलट के लिए क्या-क्या प्रयत्न किए गए होंगे?

उत्तर: नई दिल्ली के कायापलट के लिए कई काम किए गए होंगे। उदाहरण के लिए; सड़कों की मरम्मत, फुटपाथ की मरम्मत, साइनबोर्ड और भवनों की रंगाई पुताई, पेड़ों की कटाई छँटाई, आदि। आज की पत्रकारिता में चर्चित हस्तियों के पहनावे और खान-पान संबंधी आदतें आदि के वर्णन का दौर चल पड़ा है।

प्रश्न-4: इस प्रकार की पत्रकारिता के बारे में आपके क्या विचार हैं?

उत्तर: इस प्रकार की पत्रकारिता मानसिक खालीपन को दर्शाता है । जिन पत्रकारों के पास लिखने के लिए मुद्दों का अभाव होता है वही इस प्रकार की पत्रकारिता करते हैं।

प्रश्न-5: इस तरह की पत्रकारिता आम जनता विशेषकर युवा पीढ़ी पर क्या प्रभाव डालती है?

उत्तर: इस तरह की पत्रकारिता आम जनता को सपनों की दुनिया में ले जाने का काम करती है। युवा पीढ़ी को तड़क भड़क की दुनिया शायद ज्यादा भाती है। प्राय: हर नामचीन अखबार के साथ एक रंगबिरंगा सेक्शन छपता है जिसमें फिल्मी हस्तियों, खिलाड़ियों और अन्य मशहूर हस्तियों की रंगबिरंगी तस्वीरें होती हैं। अधिकांश युवा केवल इस सेक्शन को ही ध्यान से देखते हैं क्योंकि गंभीर संपादकीय से उन्हें कोई मतलब नहीं होता है।

प्रश्न-6: जार्ज पंचम की लाट की नाक को पुन: लगाने के लिए मूर्तिकार ने क्या-क्या यत्न किए?

उत्तर: जार्ज पंचम की लाट की नाक को पुन: लगाने के लिए मूर्तिकार ने बड़े यत्न किए । पहले तो वह पूरे हिंदुस्तान की खाक छानता रहा ताकि उसे मूर्ति में इस्तेमाल हुए पत्थर जैसा ही पत्थर मिल जाए। फिर वह हिंदुस्तानी नेताओं की मूर्तियों की नाक का मुआयना करने निकल पड़ा। जब इससे भी बात न बनी तो वह पटना सेक्रेटेरियट के पास लगी किशोरवय स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्तियों को भी देखने चला गया।

प्रश्न-7: प्रस्तुत कहानी में जगह-जगह कुछ ऐसे कथन आए हैं जो मौजूदा व्यवस्था पर करारी चोट करते हैं।

उदाहरण के लिए ‘फाइलें सब कुछ हजम कर चुकी हैं।‘ ‘सब हुक्कामों ने एक दूसरे की तरफ ताका।‘ पाठ में आए ऐसे अन्य कथन छाँटकर लिखिए।

उत्तर: एक कमेटी बनाई गई जिसके जिम्मे यह काम सौंपा गया। लानत है आपकी अक्ल पर। विदेश की सारी चीजें हम अपना चुके हैं।  यदि जार्ज पंचम की नाक न लग पाई तो फिर रानी का स्वागत करने का क्या मतलब।

प्रश्न-8: नाम मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का द्योतक है । यह बात पूरी व्यंग्य रचना में किस तरह उभरकर आई है? लिखिए।

उत्तर: यह पूरी रचना नाक के मुद्दे पर ही आधारित है। जार्ज पंचम की नाक मुख्य मुद्दा है जिसके न रहने से महारानी के नाराज होने का खतरा है।  हुक्मरानों को लगता है कि हिंदुस्तान की नाक बचाने के लिए जार्ज पंचम की नाक का पुन:निर्माण जरूरी है। मूर्तिकार को लगता है कि हिंदुस्तान के हर दिवंगत नेता की नाक जार्ज पंचम की नाक से बड़ी है। आखिरकार जब किसी आम आदमी की नाक को काटकर जार्ज पंचम की मूर्ति में लगाया जाता है तो सबको लगता है कि पूरे हिंदुस्तान की नाक कट गई। सभी अखबार इसके सांकेतिक विरोध में उस दिन कोई और खबर नहीं छापते हैं।

प्रश्न-9: जार्ज पंचम की लाट पर किसी भी भारतीय नेता, यहाँ तक कि भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक किस ओर संकेत करना चाहता है।

उत्तर: मूर्तिकार को पता चलता है कि हर भारतीय नेता; यहाँ तक कि भारतीय बच्चे की नाक; जार्ज पंचम की नाक से बड़ी है।  इस कथन के द्वारा लेखक हमारे आत्मसम्मान की ओर संकेत करता है। भले ही सभी हुक्मरान रानी के स्वागत की तैयारियों में लग जाएँ लेकिन जब बात अपनी नाक की हो तो कोई विरला ही मिलेगा जो इससे समझौता करने को तैयार होगा।

प्रश्न-10: अखबारों ने जिंदा नाक लगाने की खबर को किस तरह से प्रस्तुत किया?

उत्तर: अखबारों ने तथ्य को तोड़-मरोड़कर पेश किया। अखबारों में लिखा गया कि मूर्तिकार ने इतना बेहतर काम किया था कि नाक बिल्कुल असली लगती थी। ऐसा संभवत: दो कारणों से किया गया होगा। रानी और उनके मातहतों को ये न लगे कि उन्हें खुश करने के लिए हम अपनी नाक कटवाने को भी तैयार हो गए। दूसरा कारण ये है कि सही बात पता चलने पर जनता में आक्रोश न उत्पन्न हो जाए।

प्रश्न-11:“नई दिल्ली में सब था ……सिर्फ नाक नहीं थी।“ इस कथन के माध्यम से लेखक क्या कहना चाहता है?

उत्तर: यह पंक्ति भी हमारी उस मानसिकता को दर्शाता है जिसके कारण हम पश्चिमी देशों को प्रगति का पर्याय मानते हैं। आपने कई नेताओं को कहते हुए सुना होगा कि पटना को हांगकांग बना देंगे या मुंबई को लंदन बना देंगे। वे शायद यह भूल जाते हैं हर शहर की अपनी एक अलग आत्मा होती है और अपना एक व्यक्तित्व होता है। लेकिन हमारी हीन भावना के कारण हम यह समझ बैठते हैं कि नई दिल्ली में सब कुछ है केवल नाक नहीं है।

प्रश्न-12: जार्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन अखबार चुप क्यों थे?

उत्तर: जार्ज पंचम की नाक लगने वाली खबर के दिन पत्रकारों को शायद अपनी बड़ी भूल का अहसास हो गया था । उस दिन केवल एक गुमनाम आदमी की नाक नहीं कटी थी बल्कि पूरे हिंदुस्तान की नाक कट गई थी। जिन अंग्रेजों से आजादी दिलाने के लिए हजारों जिंदगियाँ कुर्बान हो गईं, उसी में से एक की बेजान बुत की नाक बचाने के लिए हमने अपनी नाक कटवा ली। इसलिए उस दिन शर्म से अखबार वाले चुप थे।

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