हिन्दी भाषा का मानक रूप/Hindi ka maanak roop class 9 /Hindi Bhasha ka maanak roop class 9/Hindi Shabd ki utpati
हिन्दी भाषा का मानक रूप | Hindi ka maanak roop class 9 : आज हम कक्षा 9 के व्याकरण भाग के अध्याय हिन्दी भाषा का मानक रूप | Hindi ka maanak roop class 9 के बारे में विस्तार से पढेंगे।
हिन्दी भाषा का मानक रूप | Hindi ka maanak roop
हिंदी शब्द की उत्पत्ति
प्रश्न : 1– हिंदी शब्द की उत्पत्ति और उसके मानक रूप का परिचय दीजिए।
उत्तर : -हिंदी शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के ‘सिंधु’ शब्द से हुई मानी जाती है। ईरान और बाहर से आए लोग ‘स’ वर्ण का उच्चारण ‘ह’ के रूप में करते थे। अतः कालांतर में ‘सिंधु’ शब्द ने ‘हिंदु’ का रूप धारण कर लिया तथा हिंदुओं को की बोली जाने वाली बोली ‘हिंदी’ कहलाई। हिंदी शब्द का सर्वप्रथम उल्लेख जफरनामा (1424) में मिलता है।
आज हम जिस हिंदी को जानते हैं वह वस्तुत 18 बोलियों का समूह है। इस समूह की प्रमुख बोली “खड़ी बोली” ही आज हिंदी का मानक रूप मानी जाती है क्योंकि आज हिंदी उसी रूप में विकसित हो रही है तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रही है।
भारत की राजभाषा कौन सी है?
प्रश्न : 2– भारत की राजभाषा कौन सी है?
उत्तर : -भारत की राजभाषा हिंदी है। इसे संविधान के ‘अनुच्छेद-343’ के तहत 14 सितंबर 1949 ई. को भारत संघ की राजभाषा के रूप में चुना गया।
प्रश्न : 3– व्याकरण किसे कहते हैं ?
उत्तर : -भाषा की अपनी व्यवस्था होती है तथा प्रत्येक भाषिक व्यवस्था में कुछ नियम होते हैं। भाषा की इस व्यवस्था के नियमों को ही व्याकरण कहते हैं। व्याकरण के द्वारा भाषा के स्वरूप की विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है।
प्रश्न : 4– व्याकरण के कितने भाग हैं? संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर : – व्याकरण के प्रमुख चार भाग हैं-
- वर्ण व्यवस्था : इसके अंतर्गत वर्णों के उच्चारण,लेखन और संयोजन के नियमों की चर्चा की जाती है।
- शब्द व्यवस्था: इसके अंतर्गत शब्दों के स्त्रोत, भेद, रूप तथा रचना का अध्ययन किया जाता है।
- पद व्यवस्था: इसके अंतर्गत पद और उसके भेदों तथा रचना आदि का अध्ययन किया जाता है।
- वाक्य व्यवस्था: इसके अंतर्गत वाक्य संरचना (पदक्रम, पदबंध, उपवाक्य, वाक्य भेद, वाक्य रूपांतरण तथा विराम चिन्हों) का अध्ययन किया जाता है।
भाषा किसे कहते हैं?
प्रश्न : 5– भाषा किसे कहते हैं?
उत्तर : – भाव और विचार प्रकट करने वाले उन ध्वनि संकेतों को भाषा कहते हैं, जो मानव मुख से निकली हो। मुख्य रुप से भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम है। किसी भाषा विशेष को जानने वाला व्यक्ति उसी भाषा विशेष के जानने वाले व्यक्ति द्वारा कही गई बात को सहज से समझ सकता है तथा अपनी बातों को समझा सकता है।
भाषा की सबसे छोटी इकाई क्या है?
प्रश्न : 6– भाषा की सबसे छोटी इकाई क्या है?
उत्तर : – भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्वनि (वर्ण) है।
प्रश्न : 7– भाषा के कितने रूप हैं?
उत्तर : – भाषा के दो रूप हैं-
- मौखिक भाषा
- लिखित भाषा
प्रश्न : 8– लिपि से क्या अभिप्राय है?
उत्तर : – ध्वनियों को अंकित करने के लिए निश्चित किए गए चिन्हों की व्यवस्था को लिपि कहते हैं।
हिंदी भाषा की लिपि का क्या नाम है?
प्रश्न : 9– हिंदी भाषा की लिपि का क्या नाम है?
उत्तर : -हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी है।
प्रश्न : 10– भाषा परिवार से क्या अभिप्राय है
उत्तर : -भाषा परिवार से अभिप्राय उस स्थिति से है जिसमें एक भाषा मुखिया होती है तथा उससे अन्य भाषाओं का जन्म हुआ होता है। भारत की अधिकांश भाषायें “आर्य भाषा परिवार” की है।
प्रश्न : 11– भारत में कौन-कौन से भाषा परिवार हैं?
उत्तर :- भारत में मुख्य दो भाषा परिवार हैं-
- आर्य भाषा परिवार- आर्य भाषा परिवार की मुख्य भाषाएं बांग्ला,गुजराती, मराठी, पंजाबी, हिंदी, उर्दू, कश्मीरी, उड़िया तथा असमिया है।
- द्रविड़ भाषा परिवार- तमिल,तेलुगू, मलयालम एवं कन्नड़ द्रविड़ भाषा परिवार की भाषाएं हैं।
प्रश्न : 12– हिंदी भाषा का विकास किस भाषा से हुआ है?
उत्तर :- हिंदी भाषा का विकास ‘अपभ्रंश’ भाषा से हुआ है।
प्रश्न : 13– संसार की सबसे प्राचीन भाषा ग्रंथ कौन सा है?
उत्तर :- संसार का सबसे प्राचीन भाषा ग्रंथ ‘ऋग्वेद’ है।
मानक भाषा के स्वरूप और लक्षण
मानक भाषा :- भाषा के माध्यम से अपनी बात ,भावो और भावनावों को प्रस्तुत करते हैं । भाषा भावों को प्रस्तुत करने का साधन हैं , भाषा सब्द की उत्पत्ति संस्कृति की भाष धातु से हुई हैं , जिनका अर्थ वाणी प्रकट करना । भाषा कई प्रकार की होती हैं , जिससे हम अपनी वाणी को प्रकट हैं।
मानक रूप का ज्ञान जांच करने के काम आता है। मानक शब्द-रूपों और वाक्य-रचना का निर्धारण करके स्थिरता आती है। आदर्श स्थिति में एक सब्द का एक उच्चारण एक ही व्याकरणिक ढांचा होता हैं। वाक्य को दूसरे तक पहुंचाने में सरलता होती हैं। लोगों को समझने मे आसानी होती हैं।
इस प्रकार श्यामसुंदर दास ने कहा -“मनुष्य और मनुष्य के बीच वस्तुओं के विषय में अपनी इच्छा और मति का आदान प्रदान करने में ध्वनि संकेतों का जो माध्यम होता है , जिसे भाषा कहते हैं।”
इसकी परिभाषा इस प्रकार हैं कि ”भाषा ध्वनि संकेतों में प्रयोग से विचारों को आदान प्रदान का माध्यम हैं ।
हिंदी भाषा का विकास
हिंदी भाषा का विकास : – हिंदी भाषा की उत्पत्ति संस्कृत भाषा से हुई हैं । 500 ई. पू. के मध्य शाहित्यिकों ने संस्कृत के कठोर व्याकरणिक नियमो को त्याग कर उस समय की लोकभाषा प्राकृत को अपनाया। प्राकृत भाषा से अपभ्रंश नामक लोकभाषा का विकास हुआ। हिंदी ,पंजाबी ,गुजराती , मराठी ,उड़िया , बंगला आदि भाषाओ का विकास इसी अपभ्रंश भाषा से हुआ। धीरे धीरे अपभ्रंश का ह्रास होने लगा तथा हिंदी भाषा का विकास हुआ , हिंदी भाषा का प्रचार हुआ। हिंदी को भाषा का स्वरूप मानते है , जिसे संविधान में राजभाषा के रूप में माना हैं। हिंदी भारत की मातृभाषा हैं ।
स्वरूप तथा लक्षण – हिंदी भाषा को मानक भाषा कहते है। किसी भाषा को मानक रूप में प्रयोग तभी करते हैं , जब उसकी प्रकृति से परिचित हों । भाषा की प्रकृति से हमारा तात्पर्य उसके शब्द – भंडार , शब्द – निर्माण , वाक्य विन्यांश, भाव – व्यंजन, शैली मुहावरे आदि से हैं। इससे आशय है कि सर्वप्रथम उस भाषा की वर्णमाला का ज्ञान होना चाहिए।
अर्थात हम उसकी वर्णमाला के प्रत्येक अक्षरों की ठीक ध्वनि से परिचित हों और हमें यह भी ज्ञान होना चाहिए। जो ध्वनियाँ भाषा की वर्णमाला में नहीं हैं, उन्हें उस भाषा में किस प्रकार प्रकट किया जाता हैं। हिंदी में ए,ऐ,ड़ ,ण,व ,ब,ष,स आदि अक्षरों का समूह हैं , जिसकी ध्वनियों का ज्ञान होने पर ही इनका प्रयोग किया जाता हैं। शब्द निर्माण में हमें बहुत सावधानी बरतनी चाहिए और इच्छानुसार नए शब्दो का निर्माण न करे , विभिन्न भाषाओ के सब्दो से सही शब्दो के निर्माण की । प्रकृति ने हिंदी के स्वरूप को प्रसिद्ध कर दिया हैं ।आज युग में हिंदी भाषा बहुत प्रचलित हैं ।
भाषा के मानक लक्षण है –
(1 ) पद -विन्यास सही हो तथा वाक्य में शब्दो का क्रम व्याकरण के नियम अनुसार हो ।
(2 ) भाषा के सही शब्दो का ही प्रयोग किया जाए ।
(3 ) निरर्थक अथवा व्यर्थ शब्दो का प्रयोग न करें ।
(4 ) शब्दो को बोझिल न बनाया जाए।
भाषा का प्रयोग : – भाषा का प्रयोग हम हर जगह करते हैं। भाषा का प्रयोग हम दो प्रकार से है , बोल कर और लिख कर। दैनिक व्यवहार में बोल कर हैं। पत्र -लेखन , समाचार-लेखन, पुस्तक -लेखन, तथा कार्यालयों में इसका प्रयोग लिखित होता हैं। भाषा के प्रयोग के बिना कार्य पूरा नहीं होता हैं।
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