हिन्दी शब्दकोश देखने का सही तरीका
हिन्दी शब्दकोश देखने का सही तरीका : हिन्दी शब्दकोश देखने के नियम :~
- शब्दकोशमें पहले :~ स्वर के बाद व्यंजन का क्रम आता है।
- मात्राओं का क्रम :~कं, कः, क, का, कि, की, कु, कू, के, कै, को, कौ ।
- पूर्ण वर्ण के बाद संयुक्ताक्षर का क्रम आता है :~ कं, कः, क, का, ……… कौ के बाद क्य, क्र, कल, क्ष, त्र, ज्ञ आदि
शब्दकोश किसे कहते है?
शब्दकोश, एक या एक से अधिक विशिष्ट भाषाओं में शब्दों का एक संग्रह है जिसमें, सूचना, परिभाषाएं, उच्चारण, अनुवाद, अर्थ अन्य जानकारियां उपलब्ध रहती हैं अर्थात शब्दकोश उस ग्रंथ को कहते हैं जिसमें अक्षरक्रम/वर्णक्रम से शब्द और उनके अर्थ दिए गए होते हैं। ऐसा ग्रन्थ जिसमें किसी भाषा के शब्दों का वर्णक्रम में संग्रह तथा उसी भाषा अथवा अन्य भाषा में विभिन्न शब्दों के उच्चारण व अर्थ दिए गये हों। बडे़ शब्दकोशों में शब्दों से सम्बन्धित मुहावरे और प्रयोग भी दिए जाते हैं। शब्दकोश एक भाषा में भी निर्मित होता है और अन्य भाषा से अन्य भाषा में भी, अर्थात हिंदी के शब्दों का अर्थ हिंदी में देने की प्रक्रिया एक भाषा से उसी भाषा से अर्थ बतलाने वाला शब्दकोश है और संस्कृत भाषा से हिंदी भाषा में अर्थ बतलाने वाला शब्दकोश है। अंग्रेजी भाषा से अंग्रेजी भाषा में अर्थ देकर साथ ही हिंदी भाषा में भी अर्थ देने का प्रचलन शब्दकोश में बहुत लाभदायक माना गया है।
शब्दकोश का अर्थ
शब्दकोश का अंग्रेजी पर्याय Dictionary है जो लैटिन भाषा के Dictionariom शब्द से उत्पन्न है जिसका अर्थ है शब्दों का संकलन। इस Dictionarion शब्द की व्युत्पत्ति Diction शब्द से हुई है जिसका आशय ‘‘अभिव्यक्ति करने का तरीका’’ है। इस प्रकार यदि समन्वित रूप से देखा जाय तो डिक्शनरी का सम्बन्ध शब्दों का संकलन करके उसे अभिव्यक्ति प्रदान करने से है।
शब्दकोश के प्रकार
शब्दकोशों को उनकी उपयोगिता, विषयवस्तु के दृष्टिकोण से चार श्रेणियों में विभक्त किया जा सकता हैः –
(1) सामान्य भाषा शब्दकोश – इस प्रकार के शब्दकोशों में सभी विषयों से सम्बन्धित सभी प्रचलित शब्दों के अर्थ, उनकी वर्तनी, उच्चारण, लिंग, वचन आदि दिये रहते हैं। ये शब्दकोश सामान्य लोगों के लिए बनाये जाते हैं।
(2) विशिष्ट शब्दकोश – ऐसे शब्दकोशों की रचना किसी विशेष उद्देश्य अथवा पक्ष विशेष को लेकर बनाए जाते हैं। विशिष्ट शब्दकोशों में एक विशेष दृष्टिकोण का सैद्धान्तिक एवं विवरणात्मक सार होता है।
(3) विषय शब्दकोश – वे शब्दकोश जो विषय विशेष के शब्दों एवं पदों को परिभाषित करते हैं विषय शब्दकोश कहते हैं। इन्हें तकनीकी पदावली शब्दकोश भी कहते हैं। विषय शब्दकोशों की रचना विषय विशेष से सम्बन्धित विशेषज्ञों द्वारा की जाती है परिणामस्वरूप इसमें पदों की पूर्ण व्याख्या एवं तथ्यपरक सूचना होती है। इस प्रकार के शब्दकोशों का उद्देश्य भी होता है कि विषय से सम्बन्धित छात्रों, शोधार्थियों, विशेषज्ञों आदि को सम्बन्धित विषय के पदों एवं शब्दों की पूर्ण जानकारी एवं व्याख्या उपलब्ध करायी जाय। इस प्रकार के शब्दकोशों का प्रयोग विषय विशेष से सम्बन्धित पाठकों द्वारा किया जाता है। परन्तु कभी-2 सामान्य पाठक भी पदों के सम्बन्ध में पूर्ण जानकारी प्राप्त करने हेतु इसका प्रयोग करते हैं।
(4) अनुवाद हेतु शब्दकोश – संसार विविध भाषा-भाषी है। वर्तमान में विभिन्न देशों तथा प्रत्येक देश में भी विदेशी एवं महत्वपूर्ण प्रादेशिक भाषाओं में प्रचुर मात्रा में साहित्य प्रकाशित हो रहा है। जिसका उपयोग शोधार्थी तथा विशेषज्ञ करना चाहते हैं किन्तु भाषा के अवरोध के कारण यह नहीं हो पाता। ऐसे में अनुवाद के माध्यम से ही एक भाषा का साहित्य दूसरी भाषा में उपलब्ध हो सकता है। विज्ञान एवं साहित्य के क्षेत्र में अनुवाद का महत्व और भी बढ़ जाता है। द्विभाषिक एवं बहुभाषिक शब्दकोश अनुवाद में सहायता प्रदान कर भाषिक अवरोध का निदान प्रदान करते हैं। यही कारण है कि लगभग विश्व की समस्त महत्वपूर्ण भाषाओं में शब्दकोशों का निर्माण किया जा रहा है। द्विभाषिक शब्दकोशों में एक भाषा के शब्दों का अर्थ एवं परिभाषा दूसरी भाषा में अथवा दोनों भाषाओं में तथा बहुभाषिक शब्दकोशों में शब्दों के अर्थ एवं परिभाषा दो से अधिक भाषाओं में दिये रहते हैं। बहुभाषिक शब्दकोशों को ‘‘पालीग्लाॅट शब्दकोश’’भी कहा जाता है।
विश्व के प्रमुख प्रकाशकों जैसे काॅलिन, आक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस आदि द्वारा इन शब्दकोशों का प्रकाशन किया जाता है। इनका उपयोग भाषाओं को सीखने हेतु व्यक्तिगत रूप से भी किया जाता है।
विभिन्न अनुवाद केन्द्रों द्वारा एवं व्यक्तिगत अनुवादकों द्वारा उनका प्रयोग किया जाता है।
शब्दकोश का उपयोग
तो आइये जाने कि शब्दकोश का उपयोग कैसे करें-
- भाषा के वर्णमाला के क्रमानुसार शब्दकोश को विभाजित करें।
- उस शब्द की वर्तनी (Spelling) व वर्णक्रम के आधार पर शब्द खोजें।
- इसके अधिगम और उच्चारण (Pronunciation) देखे।
- समान शब्द के विभिन्न सन्दर्भ(Contexts) में उपयोग देखें।
- बोलने (Speech) के भाग अर्थात संज्ञा, क्रिया, विशेषण अथवा कोई अन्य सम्बन्धित शब्द देखें।
- समनार्थी (Synonyms) या समान शब्द और विलोम (Antonyms) या विपरीत शब्द से सम्बन्धित शब्द देखें।
हिन्दी शब्दकोश देखने का सही तरीका
नोट :~ क्ष त्र ज्ञ का कोई पृथक शब्द संग्रह नहीं मिलता, संयुक्ताक्षर होने के कारण संबंधित वर्ण वाले खाने में उन्हें ढूंडना पड़ता है।
*क्ष के लिए ‘क’ वाले खाने में
*त्र के लिए ‘त’ वाले खाने में
*ज्ञ के लिए ‘ज’ वाले खाने में
*श्र के लिए ‘श’ वाले खाने में
- ङ, ञ, ण, ड़, ढ़से कोई शब्द शुरू नहीं होता इसलिए। ये वर्ण स्वतंत्र रूप से शब्दकोश में नहीं मिलते।
दूसरे शब्द निम्नलिखित क्रम में होंगे
अं/ अँ, अः, अक, अख, अग, अघ, अच, अछ, अज, अझ, अट, अठ, अड, अढ, अत, अथ, अद, अध, अन, अप, अफ, अब, अभ, अम, अय, अर, अल, अव, अश, अष, अस, अह। इस क्रम के उपरांत उस आदि अक्षर के साथ मात्रायें लगने का क्रम होगा। जैसे
का, कि, की, कु, कू, के, के, को, को।
मात्राओं के बाद संयुक्त अक्षर अपने क्रम में होंगे जैसे
क्क, क्ख, क्च, क्थ, क्न, क्प, क्म, क्य, क्र, क्ल, क्व, क्श, क्ष, क्ष (क्ष) क्स।
टिप्पणी- यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि क्ष त्र ज्ञ संयुक्त अक्षर हैं। अतः क्ष को क के साथ रखा जाता है और त्र को त के साथ और ज्ञ को ज के साथ। शब्द के तीसरे, चैथे, आदि अक्षरों का क्रम दूसरे अक्षर के समान होता है।
- जिन शब्दों के अर्थ एक से अधिक होते हैं उनके अर्थों को 1,2,3,4, संख्या देकर लिखा जाता है ताकि पाठक को स्पष्ट रूप में अर्थ की भिन्नता जान पड़े। जहां शब्द के अर्थ व्याकरण, भाषा स्त्रोत अथवा वैज्ञानिक शाखा के अनुसार भिन्न हैं वहां अर्थ से पूर्व रोमन आदि लिखा जाता है। जिससे शब्द का प्रयोग अधिक स्पष्ट हो सके।
- शब्दकोश में जहां किसी मुख्य शब्द का समानार्थक दूसरा शब्द होता है उसके आगे = या दे. का प्रयोग किया जाता है उदाहरण के लिए दरशन- दर्शन, दरस इसके अर्थ यह हुए कि दरशन, दर्शन और तीनों शब्द का अर्थ समान हैं।
- शब्द की प्रविष्टि के उपरांत उस भाषा का संकेत दिया जाता है जिससे वह शब्द हिंदी में ग्रहण किया जाता है, जैसे (सं0) संस्कृत, (अ.) अरबी, (फ्रा.) फारसी, या (अं.) अंग्रेजी से
- शब्दकोश में शब्द की व्याकरणिक कोट का संकेत भी दिया जाता है। शब्द भेद आठ होते हैं- संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, क्रियाविशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक और विस्मयादिबोधक हिंदी में संज्ञा या तो पुल्लिंग होती है या स्त्रीलिंग | हिंदी शब्दकोश में पु. और स्त्री से समझना चाहिए कि वे संज्ञा भेद हैं
- शब्द की प्रविष्ट के अंतर्गत जहां भी उस शब्द का प्रयोग फिर से किया जाता है उसका संकेत में किया जाता है। उदाहरण के लिए शब्द है- पुत्र, इस – शब्द के अर्थ के अंतर्गत “पुत्रवधू” को इस प्रकार लिखा जाता है:- ‘ वधू’
हिन्दी शब्दकोश में शब्दों का क्रम
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ॠ, ए, ऐ, ओ, और, क, क्ष, ख, ग, घ, च, छ, ज, ज, झ, ट, ठ, ड, ढ, त, थ, द, ध, न प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, श, श्र, ष, स, ह
इसे भी पढ़ें : प्रेमचंद युगीन हिंदी उपन्यास
हिंदी शब्दकोश देखने का तरीका, हिंदी की डिक्शनरी में शब्द कैसे खोजें, Hindi ki dictionary me shabd khojne ke niyam, Hindi ki dictionary ko kese dekhen, Hindi shabdkosh dekhne ka sahi tarika।।, Hindi shabdkosh kese dekhte hain, हिंदी शब्दकोश कैसे देखते हैं, शब्दकोश, हिंदी शब्दकोश, hindi shabdkodh, how to see Hindi dictionary