Jaisi Karni Waisi Bharni Story In Hindi- जैसी करनी वैसी भरनी कहानी
Moral Story in Hindi- जैसी करनी वैसी भरनी कहानी in 250 words.
Jaisi Karni Waisi Bharni Story In Hindi- जैसी करनी वैसी भरनी कहानी
मनुष्य अपने कर्मों का फल प्राप्त करता है। अच्छे कर्म करने से अच्छा ही फल मिलता है। तुलसी दास के शब्दों में-
“जो जस करे सो तस फल चाखा।” निम्नांकित कहानी इस तथ्य का प्रमाण है-
एक बार की बात है कि एक हाथी प्रतिदिन अपने महावत के साथ पानी पीने के लिए तालाब पर जाता था। मार्ग में एक दर्जी की दुकान आती थी। जब हाथी दर्जी की दुकान के सामने आता तो दर्जी उसे सदैव कुछ न कुछ खाने को देता। इससे हाथी बहुत प्रसन्न रहता था।
एक दिन दर्जी किसी बात पर नाराज था। हाथी प्रतिदिन की भान्ति दर्जी की दुकान पर आया और कुछ पाने की इच्छा से उसने अपनी सूंड आगे बढ़ाई। दर्जी पहले ही जला-भुना बैठा था। उसने हाथी की सूंड पर सुई चुभो दी। इससे हाथी बहुत ही नाराज़ हुआ और सीधा तालाब पर पानी पीने पांच गया। हाथी के मन में सुई चुभाने का बहुत ही गुस्सा था। उसने दर्ज़ी से बदला लेने की भावना से अपनी सूंड में कीचड़ वाला गन्दा पानी भर लिया। पानी पीकर और कीचड़ वाला पानी सूंड में भर क्र वह वापिस दर्ज़ी की दूकान पर आ गया। हाथी ने अपनी सूंड का सारा गन्दा पानी दर्ज़ी की दूकान के कपड़ो पर फैंक दिया। जिससे सारे कपडे गंदे हो गए। दर्ज़ी को अपनी करनी पर भी बहुत पछतावा हो रहा था। कि क्यों उसने क्रोध में आकर हाथी के साथ ऐसा व्यवहार किआ। हाथी ने उसके लिए जैसी केनी वैसी, भरनी वाली कहावत सत्या सिद्ध कर दी।
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