जुलूस कहानी की मूल संवेदना पर प्रकाश डालिए। Julus kahani ki mul samvedna spasht kijiye
जुलूस कहानी की मूल संवेदना : जुलूस कहानी प्रेमचंद की उन आरंभिक कहानियों में से है जिनमें उन्होंने समाज की यथार्थ समस्या को आदर्शों से हल करके दिखाया है। जुलूस कहानी की कथावस्तु स्वतंत्रता आंदोलन के इर्द-गिर्द लिखी गई है।
‘जुलूस’ कहानी की मूल संवेदना पर प्रकाश डालिए।
प्रश्न – ‘जुलूस’ कहानी की मूल संवेदना पर प्रकाश डालिए।
उतर – ‘जुलूस’ कहानी की मूल संवेदना
जुलूस कहानी प्रेमचंद की उन आरंभिक कहानियों में से है जिनमें उन्होंने समाज की यथार्थ समस्या को आदर्शों से हल करके दिखाया है। जुलूस कहानी की कथावस्तु स्वतंत्रता आंदोलन के इर्द-गिर्द लिखी गई है। कहानी की कथावस्तु सरल सहज है जो कि समय के प्रवाह के साथ बढ़ती है। कहानी की कथावस्तु का कसाव शुरुआत से अंत तक बना रहता है पाठक को कहानी की संवेदना का आस्वादन करने में कोई कठिनाई नहीं होती है।
जुलूस कहानी प्रेमचंद की उन कहानियों में से है जो राष्ट्रभक्ति भावना का प्रचार-प्रसार करती हैं। गाँधीवादी विचारों से प्रभावित यह कहानी एक तरफ स्वाधीनता आंदोलन का चित्रण करती है वहीं दूसरी तरफ स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए चलाए जा रहे आंदोलन की जनता से क्या-क्या अपेक्षाएँ हैं, यह भी बताती है। कहानी शुरुआत से लेकर अंत तक गाँधीवादी दर्शन के तत्त्वों यथा अहिंसा, सत्याग्रह का महत्त्व और हृदय परिवर्तन में आस्था पर केंद्रित है।
जुलूस कहानी में स्वतंत्रता आंदोलन के चरित्र का वर्णन किया गया है। ‘इब्राहिम अली’ के नेतृत्व में निकला जुलूस गाँधी जी के नेतृत्व में चल रहे सत्याग्रह को अभिव्यक्त करता है। जिस तरह गाँधी जी ने संयम और अहिंसा के साथ दमनकारी अंग्रेजी हुकमत का विरोध करने के लिए जनता का
आह्वान किया था, ठीक उसी तरह इब्राहिम अली ने पूरी विनम्रता और संयम के साथ जुलूस का नेतृत्व किया तथा अहिंसा की संभावना होने पर अपने जुलूस को वापस ले लिया।
जनता की मनोवृति को बदलना जुलूस कहानी की एक प्रमुख संवेदना होने के साथ ही साथ कहानी का एक विशेष उद्देश्य भी है। मनोवृत्ति रूप में यह परिवर्तन दरोगा बीरबल सिंह जैसे लोगों मे आता है। ये वो लोग हैं जो पद-प्रतिष्ठा के लोभ के कारण अपने ही भाई-बंधुओं पर अत्याचार कर रहें है। इनमें अपने कर्मों से होने वाली ग्लानि तो है लेकिन पदोन्नति की अभिलाषा में ये शांति से साथ निकले जुलूस पर लठियाँ बरसाते हैं। इनमें मनोवृत्ति का परिवर्तन तब आता है जब समाज तथा परिवार में इनके देश विरोधी कृत्यों की भर्त्सना होने लगती है।
इसके साथ ही यह परिवर्तन मैकू, दीनदायल, और शंभू जैसे पात्रों में आया है। जो पहले तो जुलूस में शामिल तो नहीं थे लेकिन जुलूस की सफलता और असफलता का विषय उनकी चर्चा का जरूर था। परंतु जब ये जुलूस में शामिल लोगों पर पुलिस के अत्याचार की जानकारी मिलती है तो ये लोग भी तटस्थ नहीं रह पाते और अपनी दुकाने बंद कर जुलूस में शामिल हो जाते हैं।
कहानी में प्रेमचंद ने स्वतंत्रता आंदोलन में उच्च वर्ग के लोगों की भूमिका के विषय में भी चर्चा की है। वे अपने पात्रों के माध्यम से कहते हैं कि समाज के उच्च शिक्षित और शक्तिशाली लोगों के आंदोलन में शामिल होने से आंदोलन के सफल होने की संभावना बढ़ जाएंगी।
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