कारगिल विजय दिवस

कारगिल विजय दिवस 2022 पर निबंध इतिहास कहानी | Kargil War Vijay Diwas Essay History in hindi

 Kargil War vijay diwas history (story) Quotes in hindi कारगिल विजय दिवस 2022 निबंध महत्व दिनांक

कारगिल विजय दिवस पर निबंध पूरी कहानी

कारगिल विजय दिवस हर साल 26 जुलाई को उन शहीदों की याद में मनाया जाता हैं, जिन्होंने कारगिल युद्ध में अपने देश के लिए लड़ते हुए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया और वीरगति को प्राप्त हुए. इस कार्य के लिए भारतीय सेना द्वारा ‘ऑपरेशन विजय’ प्रारंभ किया गया था और ऑपरेशन विजय’ की सफलता के बाद इसे कारगिल विजय दिवस’ का नाम दिया गया.

वर्ष 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच जो युद्ध हुआ था, इसमें 26 जुलाई, 1999 को भारत ने विजय प्राप्त की थी. इस दिन भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों द्वारा हड़पी गयी प्रमुख चौकियों पर विजय प्राप्त कर ली थी. कारगिल युद्ध 60 दिनों से भी ज्यादा दिनों तक चला था और इस युद्ध का अंतिम दिन था 26 जुलाई का और इसी दिन को हमारा पूरा देश कारगिल विजय दिवस’ के रूप में मनाता हैं और देश के जवानों को सम्मान और श्रद्धांजलि अर्पित करता हैं.

परन्तु इस युद्ध के कारण दोनों ही सेनाओं के कई सैनिकों की जान भी गयी. अंतर्राष्ट्रीय राजनैतिक दबाव के चलते पाकिस्तान को अपना रवैया बदलना पड़ा. कारगिल विजय दिवस हर साल कारगिल के द्रास क्षेत्र में मनाया जाता हैं. साथ ही यह हमारे देश की राजधानी नयी दिल्ली में भी मनाया जाता हैं,

यहाँ इंडिया गेट के अमर जवान ज्योति स्थल पर देश के प्रधानमंत्री हर साल देश के बहादुर सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हैं. देश में विभिन्न स्थानों पर स्मरण उत्सव भी मनाये जाते हैं, जिनमें सेनाओं के योगदान और बलिदान को याद किया जाता हैं और उन्हें सम्मानित किया जाता हैं.

कारगिल विजय दिवस  2022 तारीख (Kargil vijay diwas date)

कारगिल विजय दिवस हर साल 26 जुलाई को उन शहीदों की याद में मनाया जाता हैं, जिन्होंने कारगिल युद्ध में अपने देश के लिए लड़ते हुए अपने प्राणों का बलिदान दे दिया और वीरगति को प्राप्त हुए.

कारगिल विजय दिवस इतिहास  [ Kargil War Vijay Diwas History / story in hindi] -:

सन 1971 में हुए भारत – पाकिस्तान युद्ध के बाद लम्बे समय तक दोनों देशों की सेनाएं आमने – सामने नहीं आई और शांति व्यवस्था कायम रही और इस शांति व्यवस्था को बनाये रखने के लिए सियाचिन ग्लेशिअर के आस – पास के पर्वतों की चोटियों पर मिलिट्री चेक पोस्ट की स्थापना की गयी और इसका परिणाम हमें सन 1980 में हुई मिलिट्री मुठभेड़ के रूप में मिला.

सन 1990 के दौरान कश्मीर में फिर कुछ अवांछित गतिविधियों के कारण टकराव हुए और इनमे से कुछ पाकिस्तान के द्वारा समर्थित (Supported) थे (Citation आवश्यक). इस दशक के सन 1998 में दोनों ही देशों के द्वारा न्यूक्लियर परिक्षण किये गये, जिसने युद्ध – स्थिति वाले माहौल को हवा देकर और तेज कर दिया. इस स्थिति को ख़त्म करने के लिए दोनों देशों ने फरवरी, सन 1999 में लाहौर डिक्लेरेशन पर हस्ताक्षर किये, जिसके अनुसार दोनों देश कश्मीर मुद्दे पर शांति पूर्वक हल के लिए प्रयास करने को राज़ी हुए.

सन 1998 – 99 में ठंडी के मौसम में पाकिस्तानी आर्म्ड फ़ोर्स के कुछ तत्व गुप्त और बनावटी रूप से ट्रेनिंग लेते हुए पाए गये, साथ ही पाकिस्तानी फ़ौज का एक दल और पेरामिलिट्री फ़ोर्स [ कथित तौर पर मुजाहिदीन ] भारतीय क्षेत्र की लाइन ऑफ़ कंट्रोल [ LOC ] की ओर पाए गये. पूछताछ के दौरान पता चला कि उनके इस ऑपरेशन का नाम हैं – ऑपरेशन बद्र’. इसका उद्देश्य था – कश्मीर और लद्दाख के बीच की लिंक को तोडना, जिससे भारतीय सेना सियाचिन ग्लेशिअर से पीछे हट जाये और पाकिस्तान भारतीय सरकार को कश्मीर मुद्दे पर अपनी बातें मनवाने के लिए दबाव बना सकें.

इसके अलावा पाकिस्तान का यह भी मानना था कि यदि इस मुद्दे पर और कोई टेंशन खड़ा होगा तो यह मुद्दा अंतर्राष्ट्रीय बन जाएगा और इस पर कोई हल जल्द ही प्राप्त हो पाएगा. इसके अलावा एक लक्ष्य यह भी होगा कि पिछले 2 दशक से दबे हुए विद्रोह को भड़का दिया जाये.

शुरुआत में प्रारंभिक पूछताछ के बाद भारतीय फ़ौज को लगा कि ये घुसपैठिये जिहादी हैं और सेना इन्हें कुछ ही दिनों में बाहर निकाल देगी. परन्तु बाद में LOC के आसपास की गतिविधियों से और घुसपैठियों द्वारा अपनाई गयी योजना पता चलने पर हमारी सेना को यह पता चला कि ये छोटी – मोटी मुठभेड़ नहीं हैं, इनका बहुत बड़े पैमाने पर आक्रमण करने का प्लान हैं.

ऑपरेशन विजय (Operation Vijay)

पाकिस्तान की इस योजना के पता चलने पर भारतीय सरकार ने ऑपरेशन विजय के रूप में इसका उत्तर दिया, जिसमे लगभग 2 लाख भारतीय सैनिकों ने भाग लिया और अंत में 26 जुलाई, 1999 को औपचारिक रूप से युद्ध विराम हुआ और इसी दिन को हम ‘विजय दिवस’ के रूप में मनाते हैं.

इस युद्ध में 527 भारतीय सैनिकों ने अपने प्राणों की बलि दे दी.

कारगिल युद्ध  [ Kargil War ] -:

समय मई – जुलाई 1999
स्थान जिला कारगिल, जम्मू एंड कश्मीर
परिणाम भारत ने कारगिल पर फिर से अधिकार प्राप्त कर लिया.

कारगिल युद्ध के बारे में राजकीय जानकारी  [ Official Information about Kargil War ] -:

युद्ध में भाग लेने वाले देश [ Bellierents ] भारत पाकिस्तान
कमांडर और लीडर वेद प्रकाश मलिक परवेज़ मुशर्रफ
शक्ति 30,000 5,000
दुर्घटनाएं और हानि -:  दोनों देशों के राजकीय आंकड़ों के अनुसार
मृत सैनिक 527 357 – 453
घायल सैनिक 1363 665 से अधिक
Pow 1 8
ध्वस्त फाईटर प्लेन 1
क्रेश फाईटर प्लेन 1
ध्वस्त हेलिकोप्टर 1

कारगिल लड़ाई क्षेत्र [Kargil war location] -:

सन 1947 में हिंदुस्तान के बंटवारे से पहले, कारगिल लद्दाख जिले के बल्तिस्तान का हिस्सा था. यह क्षेत्र विभिन्न भाषाओँ को बोलने वाले और विभिन्न धर्मों के लोगों से आबाद हैं, जो यहाँ विश्व के सबसे ऊँचे पहाड़ों के बीच घाटियों में निवास करते हैं. सन 1947 – 1948 में हुए प्रथम कश्मीर युद्ध ने बल्तिस्तान जिले को 2 भागों में बाँट दिया, अब कारगिल इसका भाग नहीं, अपितु एक पृथक जिला बन गया था.

कारगिल जिला भारत के जम्मू और कश्मीर राज्य के लद्दाख सब – डिविज़न में आता हैं. सन 1971 के भारत – पाक युद्ध में पाकिस्तान की हार हुई और इसके बाद दोनों देशों ने शिमला समझौते पर हस्ताक्षर किये, जिसके अनुसार अब दोनों देशों ने सीमाओं के संबंध में टकराव करने से इंकार किया.

कारगिल (Kargil) –

कारगिल क्षेत्र श्रीनगर से 205 कि.मी. [ 127 मील ] की दूरी पर स्थित हैं. यह LOC के उत्तर दिशा की ओर हैं. कारगिल में भी तापमान हिमालय के अन्य क्षेत्रों की तरह ही होता हैं. गर्मियों के मौसम में भी ठण्ड होती हैं और रातें बर्फीली होती हैं. सर्दियों में तापमान और भी ठंडा हो जाता हैं और अक्सर -48 डिग्री सेल्सिअस तक गिर जाता हैं.

कारगिल पाकिस्तान के स्कार्दू नामक टाउन से मात्र 173 कि.मी. की दूरी पर ही स्थित हैं और इसी कारण पाकिस्तान अपने सैनिक दलों को सूचनाएं और गोला – बारूद और तोपें मुहैया कराने में सक्षम रहता है.

कारगिल टकराव के दिन [Kargil Conflict Events &War Progress] -:

कारगिल युद्ध की 3 प्रमुख अवस्थाएँ रहीं, जिनका विवरण निम्नानुसार हैं -:

  • सबसे पहले पाकिस्तान ने भारत अधिगृहित कश्मीरी क्षेत्र [ Indian – Controlled section of Kashmir ] में अपनी सेना की घुसपैठ शुरू की और अपनी तोपों की रेंज में आने वाले नेशनल हाइवे 1 [ NH1 ] की ओर के स्थानों पर रणनीति पूर्वक कब्ज़ा किया.
  • दुसरे चरण में भारत ने इस घुसपैठ का पता लगाया और भारतीय सेना को इसका जवाब देने के लिए उन स्थानों पर भेजा.
  • अंतिम चरण में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया और इसका नतीजा ये हुआ कि भारत ने उन सभी स्थानों पर विजय प्राप्त की, जहाँ पाकिस्तान ने कब्ज़ा कर लिया था और अंतर्राष्ट्रीय दबाव के चलते पाकिस्तानी हुकुमत ने अपनी फ़ौज को लाइन ऑफ़ कंट्रोल से पीछे हटा लिया.

पाकिस्तान अधिगृहित भारतीय क्षेत्र [Indian territories occupied by Pakistan]

युद्ध का तिथि वार रूप से वर्णन [ Description as per Date ] निम्न प्रकार हैं -:

तिथी [ 1999 ] घटनाएं
3 मई पाकिस्तान की कारगिल में घुसपैठ, जिसकी जानकारी स्थानीय चरवाहों [ Shepherd ] द्वारा मिली.
5 मई भारतीय सेना गश्ती [ Patrol ] पर भेजी गयी, जिसमें से 5 हिन्दुस्तानी सैनिक पकडे गये और उन्हें इतना प्रताड़ित [ Torture ] किया गया कि उनकी मृत्यु हो गयी.
9 मई पाकिस्तानी फ़ौज द्वारा भरी मात्रा में गोला – बारी हुई और कारगिल में हथियारों की भारी मात्रा में क्षति हुई.
10 मई सबसे पहले द्रास, काक्सर और मुश्कोह क्षेत्र में घुसपैठ नोटिस की गयी.
10 मई दिन में [ Mid – day ] भारतीय सेना ने अपने कुछ और सैन्य दलों को कश्मीर घाटी क्षेत्र से कारगिल क्षेत्र की ओर भेजा.
26 मई इंडियन एयर फ़ोर्स [ IAF ] ने घुसपैठियों पर आक्रमण कर दिया.
27 मई इंडियन एयर फ़ोर्स ने अपने 2 फाइटर प्लेन गवां दिए –: MIG-21 और MIG-27, इसमें से एक में फ्लाइट लेफ्टिनेंट नचिकेता थे.
28 मई पाकिस्तान ने हमारे IAF MI-17 को शूट कर दिया, जिसमें 4 वायु सेना कर्मियों [ Air crew ] की मृत्यु हो गयी.
1 जून पाकिस्तान द्वारा हमला किया गया,
5 जून भारतीय सेना ने उन दस्तावेजों को पेश किया, जो उन्हें भारतीय सेना की गिरफ्त में आए 3 पाकिस्तानी सैनिकों से मिले थे, जिनमें पाकिस्तान के शामिल होने का सबूत मिला.
6 जून भारतीय सेना ने कारगिल में अपने सैन्य सुरक्षा बल को बढ़ाया.
9 जून भारतीय सेना ने बटालिक सेक्टर की 2 महत्वपूर्ण स्थानों पर फिर से कब्ज़ा प्राप्त कर लिया.
11 जून भारत ने पाकिस्तानी आर्मी के प्रमुख जनरल परवेज़ मुशर्रफ [ चाइना विजिट के दौरान ] और जनरल स्टाफ के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अज़ीज़ खान [ रावलपिंडी में ] के बीच हुई बातचीत को पेश किया, जिसमें पाकिस्तानी आर्मी के शामिल होने का सबूत था.
13 जून भारतीय सेना ने द्रास में टोलोलिंग को सुरक्षित कर लिया.
15 जून युनाईटेड स्टेट्स के तत्कालीन प्रेसिडेंट बिल क्लिंटन ने टेलीफोन पर बातचीत करके पाकिस्तान के प्रधान मंत्री नवाज़ शरीफ़ को कारगिल से पाकिस्तानी फ़ौज को वापस बुलाने को कहा.
29 जून भारतीय सेना ने टाइगर हिल के पास की 2 महत्वपूर्ण पोस्ट – पॉइंट 5060 और पॉइंट 5100 पर कब्जा वापस ले लिया.
2 जुलाई भारतीय सेना ने कारगिल में तीन ओर से हमला किया.
4 जुलाई 11 घंटे के युद्ध के बाद भारतीय सेना टाइगर हिल पर वापस कब्ज़ा प्राप्त करने में सफल रही.
5 जुलाई भारतीय सेना ने द्रास पर भी अधिकार प्राप्त कर लिया. वहीँ दूसरी ओर तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने क्लिंटन के साथ हुई मीटिंग्स के बाद कारगिल से पाकिस्तानी फ़ौज हटाने की घोषणा की.
7 जुलाई भारत ने बटालिक के जुबर हिल्स को भी पुनः प्राप्त कर लिया.
11 जुलाई पाकिस्तान ने अपने कदम पीछे किये और भारत ने बटालिक में महत्वपूर्ण चोटियों पर कब्ज़ा प्राप्त कर लिया.
14 जुलाई तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने ऑपरेशन विजय को सफल घोषित किया और सरकार ने पाकिस्तान के साथ वार्ता करने हेतु शर्तें निश्चित की.
26 जुलाई औपचारिक रूप से कारगिल युद्ध समाप्त हुआ और भारतीय सेना ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को पूर्ण रूप से उखाड़ फ़ेकने की घोषणा की.

इस प्रकार इन चरणों से होते हुए हमें विजय प्राप्त हुई और इस दिन को विजय दिवस घोषित किया गया.

कारगिल युद्ध पर विश्व के विभिन्न देशों का मत [ World Opinion about Kargil War ] -:

विश्व के विभिन्न देशों द्वारा पाकिस्तान के लाइन ऑफ़ कंट्रोल को पार करने की निंदा की गयी. इस संबंध में पाकिस्तान के शुरूआती जवाब कपटपूर्ण रहें और बाद में उन्होंने इसे ‘कश्मीरी स्वतंत्रता सैनानियों’ के प्रयासों से जोड़ दिया. अगर पाकिस्तान की इस बयानबाजी को सच मान लिया जाये तो पाकिस्तान द्वारा अपनी फ़ौज के दो सैनिकों को निशान – ए – हैदर ” [ पाकिस्तान का सर्वोच्च मिलिट्री सम्मान ] और अन्य 90 सैनिकों को मरणोपरांत बहादुरी पुरस्कार ” दिया जाना, इस पूरे मामले में पाकिस्तान के शामिल होने को स्पष्ट करता हैं.

अंतर्राष्ट्रीय दबाव [ International Pressure] -: G8 देशों ने इस पर भारत का पक्ष लिया और LOC क्रॉस करने पर पाकिस्तान की निंदा की. यूरोपियन यूनियन ने भी LOC क्रॉस करने के मुद्दे पर पाकिस्तान को दोषी ठहराया. अन्य संस्थाओं, जैसे -: एशियन रीजनल फोरम ने भी पाकिस्तान द्वारा LOC क्रॉस करने पर भारत द्वारा उठाए गये कदमों को सही ठहराया.

इस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय दबाव के चलते पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ को भारतीय क्षेत्रों से अपनी फ़ौज को वापस बुलाने का निर्णय लेना पड़ा.

कारगिल युद्ध स्मारकइंडिया [ Kargil War Memorial, India ] -:

“ भारतीय सेना द्वारा द्रास में स्थित कारगिल वार मेमोरियल का मुख्य प्रवेश द्वार ”

भारतीय सेना द्वारा द्रास में टोलोलिंग हिल की तलहटी [ Foothills ] में कारगिल वार मेमोरियल बनाया गया हैं. यह मेमोरियल शहर के मध्य से 5 कि. मी. की दूरी पर टाइगर हिल के पार बनाया गया हैं. इसका निर्माण कारगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों की याद में किया गया हैं. मेमोरियल के मुख्य द्वार पर 20वीं सदी के प्रसिद्ध हिंदी कवि श्री माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा लिखित कविता पुष्प की अभिलाषा ” लिखी हुई हैं. मेमोरियल की दीवारों पर उन जवानों के नाम अंकित हैं, जिन्होंने कारगिल युद्ध में अपने प्राणों का बलिदान दे दिया, आगंतुकों [ Visitors ] द्वारा इन्हें पढ़ा जा सकता हैं.

एक संग्रहालय [ Museum ] मेमोरियल से ही जुड़ा हुआ हैं, जिसका निर्माण ऑपरेशन विजय की सफलता और हमारे देश की जीत को मनाने के लिए किया गया हैं. इस संग्रहालय में हमारे देश के बहादुर जवानों के चित्र, युद्ध के महत्वपूर्ण दस्तावेज़ और रिकॉर्डिंग्स, पाकिस्तानी हथियार और युद्ध में प्रयुक्त सेना के औपचारिक प्रतिक, आदि रखे गये हैं.

इस मेमोरियल के अलावा हमारे देश कर पटना शहर में भी कारगिल वार मेमोरियल’ बनाया गया हैं. यह भी हमारे देश की विजय का प्रतिक हैं.

कारगिल दिवस पर अनमोल वचन (Kargil War Vijay Diwas History Quotes)

कारगिल दिवस पर कुछ सुविचार इस प्रकार है –

  • वहाँ बिना किसी लिखित आदेश के वापस ले लिया जायेगा और ये आदेश वहाँ कभी भी जारी नही होंगे.
  • चुप रहने के लिए बर्फ में पड़ाव थे, जब बिगुल बजेगा तब वे आगे बढ़ेंगे और फिर से मार्च करेंगे.
  • अगर कोई व्यक्ति यह कहता है कि वह मौत से नहीं डरता है, तो वह यक़ीनन या तो झूठ बोल रहा होता है या तो वह गुरखा (Gurkha) होता है.
  • कुछ लक्ष्य इतने योग्य है, कि ये हारने के लिए भी गौरवशाली है.
  • आप कभी भी नहीं रह सकते जब तक आप करीब – करीब मर नहीं जाते, और इसके लिए जो लड़ाई का चयन करता है, उनके जीवन में विशेष स्वाद होता है, इसके संरक्षण (Protection) का कभी भी पता नही चलेगा.
  • आश्चर्य है कि क्या हमारे देश के राजनितिक राजाओं में से जिन्हें देश की रक्षा के लिए रखा गया है वे एक गोरिल्ला से गुरिल्ला, एक मोटर से मोर्टार, एक तोप से बंदूक भेद सकते है? हालांकि महान कई और भी हो सकते है.
  • शत्रु हमसे सिर्फ 450 वर्ग फ़ीट दूर है, हम अधिक मात्रा में है. मैं एक इंच भी वापस नहीं करूँगा, लेकिन हमें हमारे आखिरी आदमी और आखिरी दौर के लिए लड़ना होगा.
  • यदि मेरी मौत पर मेरा खून साबित करने से पहले हमला हो गया, तो मैं कसम खाता हूँ कि मैं मौत को मार दूंगा.
  • नहीं सर, मैं मेरे टैंक का परित्याग नहीं करूँगा. मेरी बन्दूक काम कर रही है और मैं इन कमीनों से भीड़ जाऊंगा.
  • मैं अपने देश के लिए और अधिक चोटियों पर कब्ज़ा करना चाहता हूँ.
  • हमारी यात्रा केवल दोस्तों के लिए सबसे अच्छी और दुश्मनों के लिए सबसे खराब है.
  • हम अदम्य (Indomitable) हैं, हम निडर हैं.
  • भगवान हमारे दुश्मनों पर दया कर सकता है, किन्तु हम नहीं करेंगे.
  • एक योद्धा की, जो युद्ध में अपनी जान की कुर्बानी देकर, स्वर्ग में सम्मानित हो रहे है युद्ध के मैदान में उनकी मृत्यु विलाप (Lament) नहीं है.
  • हमारे लिए जो रोज की दिनचर्या है, क्या आपके लिए वह जीवन भर का एडवेंचर है?
  • संयोग से एक सिपाही चुनाव में प्यार से रहता है, और पेशे से मार डालता है.
  • कठिन पुरुषों के लिए आखिरी समय भी कठिन नहीं है.
  • कई जगह परिवर्तन ले लिया जाता है किन्तु एक परिवर्तन वही रहता है आपका कार्य और कर्तव्य. आप सभी बाधाओं के बावजूद भी देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है.
  • समय सब कुछ है, हार और जीत के बीच 5 मिनिट का भी फर्क हो सकता है.
  • आतंवादियों को क्षमा या दण्डित करना भगवान के लिए छोड़ दिया जाता है किन्तु, भगवान के साथ उनकी नियुक्ति तय करना हमारी जिम्मेदारी है.
  • मौत एक पंख से भी हल्की है, किन्तु कर्तव्य पहाड़ से भी भारी है.
  • एक डरपोक आदमी अपनी मौत आने से पहले बार – बार मरता है, किन्तु एक बहादुर आदमी कभी भी अपनी मौत का स्वाद नहीं लेता है.
  • यदि मैं युद्ध क्षेत्र में मर गया तो मुझे बॉक्स में रखकर मेरे घर भेजने से पहले मेरी बन्दूक और मेरे मेडल्स मेरी छाती के ऊपर रख देना, और मेरी माँ से कहना मैंने अपना बेहतर दिया, और मेरे पिता से कहना झुकें नहीं, अब मुझसे उन्हें कोई परेशानी नही होगी, और मेरे भाई से कहना अच्छे से पढ़ाई करे और मेरी बाइक की चाबी अब हमेशा के लिए उसकी है. मेरी बहन से कहना कि वह दुखी ना हो उसका भाई इस सूर्यास्त के बाद नही उँगेगा, और मेरे प्यार से कहना रोए नहीं क्यूकि “मैं एक सिपाही हूँ और मैं मरने के लिए ही पैदा हुआ हूँ.
  • ऊपर मत आइये, मैं टीम को सम्भाल लूँगा.
  • इस तरह के जूनून के साथ जीवन में अपनी भूमिका निभाते हैं, उसके बाद भी पर्दे नीचे आते हैं और वाहवाही बंद नहीं होती.
  • जब वापस जाओ, तो अपने प्रियजनों से कहना कि आपके कल के लिए हमने अपना आज दे दिया.
  • वह गया, वह रोई. वह आया, वह रोई.
  • 18 साल की उम्र में आप वयस्क है, 10 साल के लिए भारतीय नौसेना की सेवा करो और एक आदमी बन जाओ.

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