कवितावली लक्ष्मण-मूर्च्छा और राम का विलाप

कवितावली लक्ष्मण-मूर्च्छा और राम का विलाप

कवितावली लक्ष्मण-मूर्च्छा और राम का विलाप

1. लक्ष्मण-मूछ और राम का विलाप काव्याश के आधार पर आव्रशक में बेचैन राय की दशा को अपने शब्दों में प्रस्तुत कॉजिए।
                                         अथवा
लक्ष्मण-मूच्छा और राम का विलाप कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए। 

उत्तर-लक्ष्मण को मूर्चिछत देखकर राम भाव विहवल हो उठते हैं। वे आम व्यक्ति की तरह विलाप करने लगते हैं। वे लक्ष्मण को अपने साथ लाने के निर्णय पर भी पछताते हैं। वे लक्ष्मण के गुणों को याद करके रोते हैं। वे कहते हैं कि पुत्र, नारी, धन, परिवार आदि तो संसार में बार-बार मिल जाते हैं, किंतु लक्ष्मण जैसा भाई दुबारा नहीं मिल सकता। लक्ष्मण के बिना वे स्वयं को पंख कटे पक्षी के समान असहाय, मणिरहित साँप के समान तेजरहित तथा सँडरहित हाथी के समान असक्षम मानते हैं। वे इस चिंता में थे कि अयोध्या में सुमित्रा माँ को क्या जवाब देंगे तथा लोगों का उपहास कैसे सुनेंगे कि पत्नी के लिए भाई को खो दिया।

2. बेकारी की समस्या तुलसी के जमाने में भी थी, उस बेकारी का वर्णन तुलसी के कवित्त के आधार पर कीजिए।
                                                अथवा
तुलसी ने अपने युग की जिस दुर्दशा का चित्रण किया है, उसका वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर-तुलसीदास के युग में जनसामान्य के पास आजीविका के साधन नहीं थे। किसान की खेती चौपट रहती थी। भिखारी को भीख नहीं मिलती थी। दान कार्य भी बंद ही था। व्यापारी का व्यापार ठप था। नौकरी भी लोगों को नहीं मिलती थी। चारों तरफ बेरोजगारी थी। लोगों को समझ में नहीं आता था कि वे कहाँ जाएँ क्या करें?

3. तुलसी के समय के समाज के बारे में बताइए।

उत्तर-तुलसीदास के समय का समाज मध्ययुगीन विचारधारा का था। उस समय बेरोजगारी थी तथा आम व्यक्ति की हालत दयनीय थी। समाज में कोई नियम-कानून नहीं था। व्यक्ति अपनी भूख शांत करने के लिए गलत कार्य भी करते थे। धार्मिक कट्टरता व्याप्त थी। जाति व संप्रदाय के बंधन कठोर थे। नारी की दशा हीन थी। उसकी हानि को विशेष नहीं माना जाता था।

4. तुलसी युग की आर्थिक स्थिति का अपने शब्दों में वर्णन कजिए।

उत्तर-तुलसी के समय आर्थिक दशा खराब थी। किसान के पास खेती न थी, व्यापारी के पास व्यापार नहीं था। यहाँ तक कि भिखारी को भीख भी। नहीं मिलती थी। लोग यही सोचते रहते थे कि क्या करें, कहाँ जाएँ? वे धन-प्राप्ति के उपायों के बारे में सोचते थे। वे अपनी संतानों तक को बेच देते थे। भुखमरी का साम्राज्य फैला हुआ था।

लक्ष्मण-मूर्च्छा और राम का विलाप (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)

5. लक्ष्मण के मूर्चिछत होने पर राम क्या सोचने लगे?

उत्तर-लक्ष्मण शक्तिबाण लगने से मूर्चित हो गए। यह देखकर राम भावुक हो गए तथा सोचने लगे कि पत्नी के बाद अब भाई को खोने जा रहे हैं। केवल एक स्त्री के कारण मेरा भाई आज मृत्यु की गोद में जा रहा है। यदि स्त्री खो जाए तो कोई बड़ी हानि नहीं होगी, परंतु भाई के खो जाने का कलंक जीवनभर मेरे माथे पर रहेगा। वे सामाजिक अपयश से घबरा रहे थे।

6. क्या तुलसी युग की समस्याएँ वतमान में समाज में भी विद्यमान हैं? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर-तुलसी ने लगभग 500 वर्ष पहले जो कुछ कहा था, वह आज भी प्रासंगिक है। उन्होंने अपने समय की मूल्यहीनता, नारी की स्थिति, आर्थिक दुरवस्था का चित्रण किया है। इनमें अधिकतर समस्याएँ आज भी विद्यमान हैं। आज भी लोग जीवन निर्वाह के लिए गलत-सहीं कार्य करते हैं। नारी के प्रति नकारात्मक सोच आज भी विद्यमान है। अभी भी जाति व धर्म के नाम पर भेदभाव होता है। इसके विपरीत, कृषि, वाणिज्य, रोजगार की स्थिति आदि में बहुत बदलाव आया है। इसके बाद भी तुलसी युग की अनेक समस्याएँ आज भी हमारे समाज में विद्यमान हैं।

7. कुंभकरण ने रावण को किस सच्चाई का आइना दिखाया?

उत्तर-कुंभकरण रावण का भाई था। वह लंबे समय तक सोता रहता था। उसका शरीर विशाल था। देखने में ऐसा लगता था मानो काल आकर बैठ गया हो। वह मुँहफट तथा स्पष्ट वक्ता था। वह रावण से पूछता है कि तुम्हारे मुँह क्यों सूखे हुए हैं? रावण की बात सुनने पर वह रावण को फटकार लगाता है तथा उसे कहता है कि अब तुम्हें कोई नहीं बचा सकता। इस प्रकार उसने रावण को उसके विनाश संबंधी सच्चाई का आईना दिखाया।

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