मन्नू भंडारी जीवन परिचय | Mannu Bhandari Biography
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मन्नू भंडारी जीवन परिचय
मन्नू भंडारी (3 अप्रैल 1931 – 15 नवंबर 2021) हिन्दी की सुप्रसिद्ध कहानीकार थीं। मध्य प्रदेश में मंदसौर जिले के भानपुरा गाँव में जन्मी मन्नू का बचपन का नाम महेंद्र कुमारी था। लेखन के लिए उन्होंने मन्नू नाम का चुनाव किया। उन्होंने एम ए तक शिक्षा पाई और वर्षों तक दिल्ली के मिरांडा हाउस में अध्यापिका रहीं। धर्मयुग में धारावाहिक रूप से प्रकाशित उपन्यास आपका बंटी से लोकप्रियता प्राप्त करने वाली मन्नू भंडारी विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में प्रेमचंद सृजनपीठ की अध्यक्षा भी रहीं। लेखन का संस्कार उन्हें विरासत में मिला। उनके पिता सुख सम्पतराय भी जाने माने लेखक थे।
- जन्म -3 अप्रेल, 1931
- जन्म भूमि – भानपुरा नगर, मध्य प्रदेश
- बचपन का नाम- महेंद्र कुमारी (लेखन के लिए उन्होंने मन्नू नाम को चुना)
- पिता- सुखसम्पत राय भंडारी
- पति- राजेन्द्र यादव
- काल- आधुनिक काल
- युग- प्रयोगवादी या आधुनिकताबोधवादी युग
- नई कहानी-नगरबोध के कहानीकार
मन्नू भंडारी Mannu Bhandari का साहित्य/रचनाएं
कहानी संग्रह
- मैं हार गई (1957)
- एक प्लेट सैलाब (1968)
- तीन निगाहों की एक तस्वीर (1968)
- यही सच है (1966)
- त्रिशंकु
- रेत की दीवार
- श्रेष्ठ कहानियाँ
कहानियां : मन्नू भंडारी Mannu Bhandari
- रेत की दीवार
- मैं हार गई 1957
- तीन निगाहों की एक तस्वीर 1968
- यही सच है 1966
- त्रिशंकु
- बंद दरवाजों का साथ
- रानी मां का चबूतरा
- अलगाव
- अकेली
- एक प्लेट का सैलाब-1968
- कृषक
- आँखों देखा झूठ
- नायक खलनायक विदूषक
इन की कहानियां मुख्यतः प्रेम त्रिकोण पर आधारित है
उपन्यास : मन्नू भंडारी Mannu Bhandari
- आपका बंटी-1971
- महाभोज
- स्वामी
- एक इंच मुस्कान (राजेंद्र यादव के साथ सह लेखन)
- कलवा
फ़िल्म पटकथाए
- रजनीगंधा
- निर्मला
- स्वामी
- दर्पण
नाटक
- बिना दीवारों का घर (1965)
- रजनी दर्पण
- महाभोज का नाट्य रूपान्तरण (1982)
आत्मकथा
- एक कहानी यह भी (2007)
- प्रौढ़ शिक्षा के लिए- सवा सेर गेहूं (1993) (प्रेमचन्द की कहानी का रूपान्तरण)
पुरस्कार एवं सम्मान : मन्नू भंडारी Mannu Bhandari
- हिंदी अकादमी दिल्ली का शिखर सम्मान (बिहार सरकार)
- भारतीय भाषा परिषद्, कोलकाता सम्मान
- राजस्थान संगीत नाटक अकादमी सम्मान
- उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान पुरस्कार
- भारतीय भाषा परिषद (भारतीय भाषा परिषद), कोलकाता, 1982
- काला-कुंज सन्मान (पुरस्कार), नई दिल्ली, 1982
- भारतीय संस्कृत संसद कथा समरोह (भारतीय संस्कृत कथा कथा), कोलकाता, 1983
- बिहार राज्य भाषा परिषद (बिहार राज्य भाषा परिषद), 1991
- राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, 2001- 02
- महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी (महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी), 2004
- हिंदी अकादमी, दिलीली शालका सन्मैन, 2006- 07
- मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन (मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन), भवभूति अलंकरण, 2006- 07
- के.के. बिड़ला फाउंडेशन ने उन्हें अपने काम के लिए 18 वें व्यास सम्मान के साथ प्रस्तुत किया, एह कहानी यहे भी, एक आत्मकथात्मक उपन्यास
- व्यास सम्मान (2008)
मन्नू भंडारी के साहित्य की भाषा शैली
भंडारी जी के साहित्य की भाषा शैली बहुत साधारण और मधुर होने के साथ साथ काफी स्वाभाविक और भावाभिव्यक्त थी। उन्होंने अपने कार्यों में भारतीय समाज और विशेष रूप से महिलाओं की स्थिति को ऊंचा किया है। उनके उपन्यास ‘आपका बंटी’ को काफी प्रसिद्धि मिली थी।
विशेष तथ्य : मन्नू भंडारी Mannu Bhandari
राजेंद्र यादव के साथ लिखा गया उनका उपन्यास ‘एक इंच मुस्कान’ पढ़े-लिखे और आधुनिकता पसंद लोगों की दुखभरी प्रेमगाथा है।
इनकी ‘यही सच है’ कृति पर आधारित ‘रजनीगंधा फ़िल्म’ ने बॉक्स ऑफिस पर खूब धूम मचाई थी।
आम आदमी की पीड़ा और दर्द की गहराई को उकेरने वाले उनके उपन्यास ‘महाभोज’ पर आधारित नाटक खूब लोकप्रिय हुआ था।
“मैनें उन चीजों पर लिखा है जो या तो मेरे साथ हुईं हैं या किसी भी तरह से मेरे अनुभव का हिस्सा रहीं हैं एक कथाकार को नई चीजों के बारे में भी लिखना चाहिए लेकिन मैं अपने ही अनुभवों को कहानी में ढालकर तसल्ली कर लेती थी| फिर भी मैं यही कहूंगी कि एक अच्छा कथाकार एक परिचित यथार्थ को भी नए सिरे से, नए कोण से पेश कर सकता है|” – मन्नू भंडारी
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