माता का अँचल (अभ्यास-प्रश्न)
माता का अँचल (अभ्यास-प्रश्न) : बच्चे को अपने पिता से अधिक लगाव था। विपदा के समय लाड प्यार की अपेक्षा ममता व सुरक्षा की भावना आवश्यक होती है। वह उसे माँ की गोद से ही मिल सकती है।
माता का अँचल (अभ्यास-प्रश्न)
प्रश्न 1. प्रस्तुत पाठ के आधार पर यह कहा जा सकता है कि बच्चे का अपने पिता से अधिक जुड़ाव था फिर भी विपदा के समय वह पिता के पास न जाकर माँ की शरण लेता है। आपकी समझ से इसकी क्या वजह हो सकती है?
निश्चय ही पाठ में दिखाया गया है कि बच्चे को अपने पिता से अधिक लगाव था। विपदा के समय लाड प्यार की अपेक्षा ममता व सुरक्षा की भावना आवश्यक होती है। वह उसे माँ की गोद से ही मिल सकती है। बच्चा जितना माँ की गोद में सुरक्षित रहता है उतना पिता के लाड प्यार में नहीं। माँ की ममता की छाया बच्चे के घाव भरने में मरहम का काम करती है।
प्रश्न 2. आपके विचार से भोलानाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाता है?
भोलानाथ को बचपन में स्कूल के अध्यापक की डाँट सुननी पड़ी थी क्योंकि उसने अपने साथियों के साथ मिलकर मूसन तिवारी को अपशब्द कहे थे और अन्य ने दोहराए थे। परिणाम यह हुआ कि बच्चों को अध्यापक से डाँट पड़ी जिससे भोलानाथ रोने लगा। भोलानाथ को अपने साथियों के साथ अधिक आनंद मिलता था। वह अपने साथियों को शोर मचाते, शरारते करते देखकर सब भूल जाता है। इस मानव-अवस्था में वह सिसकना भूल जाता है।
प्रश्न 3. आपने देखा होगा कि भोलानाथ और उसके साथी जब-तब खेलते-खाते समय किसी न किसी प्रकार की तुकबंदी करते हैं। आपको यदि अपने खेलों आदि से जुड़ी तुकबंदी याद हो तो लिखिए। (परीक्षोपयोगी नहीं है)
पुराने जमाने के लोग; जैसे कि मेरे दादा-दादी और नाना-नानी अक्सर हमें ऐसी तुकबंदियों के बारे में बताते हैं। अब तो मुझे तुकबंदी के नाम पर कुछ फिल्मी गीत या फिर मोगली वाला गीत, “जंगल जंगल पता चला है, चड्ढ़ी पहन के फूल खिला है।“ है याद है।
प्रश्न 4. भोलानाथ और उसके साथियों के खेल और खेलने की सामग्री आपके खेल और खेलने की सामग्री से किस प्रकार भिन्न है?
आज के युग में और भोलानाथ के युग में बहुत अंतर आ गया है। माता-पिता अपने बच्चों को भोलानाथ और उसके साथियों की भाँति ऐसे ही गलियों में घूमने नहीं देते। वह अपने बच्चों का ठीक से ख्याल रखते हैं। आज के बच्चे घर बनाना, खेती करना आदि खेल नहीं खेलते। आज के बच्चे क्रिकेट, दौड़, साइकिल चलाना, तैरना, लूडो आदि जैसे खेल खेलते हैं। भोलानाथ के समय बच्चों के खेल के साधन भी अलग थे। जैसे चबूतरा, सरकंडे की टूटी हुई चूहेदानी, टूटे हुए घड़े के टुकड़े व कनस्तर आदि थे। आजकल के बच्चों के खेल के साधन जैसे टीवी, कंप्यूटर, फुटबॉल आदि है।
प्रश्न 5. पाठ में आए ऐसे प्रसंगों का वर्णन कीजिए जो आपके दिल को छू गए हों। (परीक्षोपयोगी नहीं है)
इस पाठ के लगभग सभी प्रसंग दिल को छूने वाले हैं। भोलानाथ द्वारा बाबूजी के कंधे की सवारी। उसकी मइया द्वारा उसे तोता मैना के कौर बनाकर खिलाना, उसकी अपने बाबूजी के साथ कुश्ती, साँप के डर से भागकर उसका अपनी माँ के आँचल में छुप जाना; ये सब कुछ विशेष प्रसंग हैं।
प्रश्न 6. इस उपन्यास में तीस के दशक की ग्रामीण संस्कृति का चित्रण है। आज की ग्रामीण संस्कृति में आपको किस तरह के परिवर्तन दिखाई देते हैं?
तीस के दशक की ग्रामीण संस्कृति व आज की ग्रामीण संस्कृति में अंतर आ गया है। आज कुँओं के पानी से खेतों की सिंचाई का प्रचलन समाप्त हो गया है। गाँव के घर-घर में पीने के लिए वाटर सप्लाई हो गई है और खेतों में ट्यूबवेल लग गए हैं। साथ ही बैलों के स्थान पर ट्रैक्टर से काम लिया जाता है। भौतिकतावाद व उपभोक्तावाद का प्रभाव ग्रामीण संस्कृति में दिखाई देने लगा है। हमारे बुजुर्ग चौपालों में बैठकर हुक्का गुड़गुड़ाने की अपेक्षा टीवी के आगे बैठकर क्रिकेट मैच का आनंद लेते हुए देखे जा सकते हैं।
प्रश्न 8. यहाँ माता-पिता का बच्चे के प्रति जो वात्सल्य व्यक्त हुआ है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
प्रस्तुत पाठ में आदि से अंत तक माता-पिता का बच्चे के प्रति वात्सल्य भाव का उद्घाटन हुआ है, यह व्यक्त करना ही पाठ का लक्ष्य है। लेखक का उसके पिता द्वारा भोजन कराया जाना, कंधे पर बैठकर गंगा किनारे जाना, उसके साथ कुश्ती करना, बच्चों को खुश करने के लिए हार जाना, साँप को देखते ही डर जाने पर माँ द्वारा आँचल में छुपा लेना आदि में वात्सल्य भाव का चित्रण हुआ है।
प्रश्न 9. ‘माता का अंचल’ शीर्षक की उपयोगिता बताते हुए कोई अन्य शीर्षक सुझाइए।
‘माता का अंचल’ पाठ का शीर्षक उपयुक्त नहीं है क्योंकि यह पाठ के अंतिम भाग पर लागू होता है। संपूर्ण पाठ में पिता और पुत्र के संबंधों का वर्णन किया गया है। केवल एक घटना में बच्चे साँप को देखकर डर जाते हैं तथा घबराया हुआ लेखक माँ से अलग होने का नाम नहीं लेता। पिता जब डरे हुए बालक के पास जाता है तो वह और भी अधिक माँ के आँचल में छुप जाता है। पिता, पिता ही नहीं अपितु बालक का अच्छा मित्र भी है। इसलिए उसका अधिकांश समय पिता के साथ बीतता है। अतः इस पाठ का शीर्षक ‘मेरा बचपन’ अथवा ‘शैशव-काल’ हो सकता है।
प्रश्न 10. बच्चे माता पिता के प्रति अपने प्रेम को कैसे अभिव्यक्त करते हैं?
बच्चे अपने माता-पिता के साथ रहते हुए माता पिता की बताई हुई अच्छी बातों पर अमल करके, उनके साथ खेलकर, उनकी गोद में बैठकर आदि बातों से अपने प्रेम को उनके प्रति व्यक्त करते हैं।
प्रश्न 11. इस पाठ में बच्चों की जो दुनिया रची गई है वह आपके बचपन की दुनिया से किस तरह भिन्न है?
यह पाठ काफी समय पहले लिखा हुआ है। उस समय और आज के समय के जीवन में दिन-रात का अंतर आ गया है। उस समय के बचपन में बच्चों पर पढ़ाई लिखाई का कोई दबाव नहीं था। सभी बच्चे मिलकर खूब खेलते थे किंतु अब आपस में स्नेह-भाव, विचारों का आदान-प्रदान व विश्वास की कमी हो गई है। आज के बच्चों की पढ़ाई के पाठ्यक्रम इतने मुश्किल हो गए हैं कि उन्हें पूरा करने में इतना समय लग जाता है कि उनके पास खेलने का समय ही नहीं बचता। आज के खेल की सामग्री व साधन भी बदल गए हैं। गली में नाटक खेलना, गिली मिट्टी के खिलौने बनाना, विवाह रचना, खेती करना आदि खेल नहीं रहे।
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