माताजी को पत्र

Letter to Mother | Mataji ko Patra | पत्र लेखन विधा- माताजी को पत्र

माताजी को पत्र : हिन्दी गद्य विधा में पत्र लेखन का महत्वपूर्ण स्थान है। वर्तमान में संचार प्रणाली के अभ्युदय ने पत्राचार को कहीं पीछे धकेल दिया है। वर्तमान में सेल फोन (मोबाइल फोन) ने अभूतपूर्व उन्नति की है। पल-पल की खबरें, मैसेज या जानकारियाँ व्हाट्सएप, टेलीग्राम चैट और ऐसे न जाने सोशल मीडिया से संबंधित संदेश आदान-प्रदान के एप्लीकेशन निर्मित कर दिए गए हैं, जिनके माध्यम से पल-पल की खबरें, बिना विलंब के तत्क्षण प्राप्त हो जाती हैं।

माताजी को पत्र

विद्यार्थी वर्तमान में इसी मोबाइल की दुनिया में इस तरह खो चुके कि पत्र लेखन विधा को भूल से गये हैं। जो विद्यार्थी प्राथमिक विद्यालय में पढ़ रहे हैं, वे पत्र लेखन की विधा से अपरिचित हैं। पत्र लेखन हिंदी की एक महत्वपूर्ण विधा है जिसकी जानकारी विद्यार्थियों को होना चाहिए।

पत्राचार अपने इष्ट मित्रों, परिवार के सदस्यों एवं रिश्तेदारों से किया जाता है। इस प्रकार के पत्र अनौपचारिक होते हैं। इनके लेखन का एक निश्चित प्रारूप होता है। यहाँ इसी प्रारूप से अवगत कराते हुए माता जी को पत्र के संदर्भ में जानकारी के लिए एक प्रश्न दिया गया है।

प्रश्न- आपका नाम सुधीर है। आप अपनी पढ़ाई करने के लिए सिवनी के शुक्रवारी चौक में एक किराये का मकान, जिसका नं. 145 B है, में रहते हैं। अपनी माता जी को एक पत्र लिखिए जिसमें माँ के स्वास्थ्य का हाल-चाल पूछते हुए स्वयं की पढ़ाई का विवरण हो।

माता जी को पत्र

शुक्रवारी चौक
सिवनी
म.नं. 145 B
दिनांक 10/07/2021

पूजनीया माता जी,
सादर चरण स्पर्श।

मैं यहाँ पर कुशलतापूर्वक हूँ, आशा करता हूँ कि आप भी पिताजी सहित सपरिवार सकुशल होगे। मैं जब घर से यहाँ आया था तब आपका स्वास्थ्य पूर्णतः ठीक नहीं हुआ था, हाँ कुछ आराम जरूर लगा था। आपके बार बार आग्रह करने पर मुझे अपनी पढ़ाई की वजह से यहाँ आना पड़ा, किंतु मेरी चिन्ता आपके स्वास्थ्य को लेकर यथावत बनी हुई है। आप अपनी दवाइयाँ समय पर लेते रहिए और समय समय पर डॉक्टर से जाँच करवाते रहिएगा।

मैंने यहाँ एक अच्छे विद्यालय में प्रवेश ले लिया है और पढ़ाई भी प्रारंभ हो गई है। मेरे शिक्षकों ने अपने विषयों को पढ़ाना आरंभ कर दिया है। मैंने भी अपनी पढ़ाई से संबंधित कार्य करना आरंभ कर दिया है किंतु आपके स्वास्थ्य की चिन्ता लगी रहती है। बाकि सब ठीक है। पत्र मिलते ही बड़े भैया से पत्र लिखवाकर अपने स्वास्थ्य की जानकारी देना।

पिता जी को मेरा प्रणाम कहना और छुटकू को मेरा स्नेह।

आपका प्रिय पुत्र
सुधीर

पत्र लेखन हेतु प्रमुख चरण

माता जी के पत्र लेखन हेतु निम्न चरणों का पालन करना चाहिए।
(1) सर्वप्रथम सबसे ऊपर दाई ओर स्वयं का पता (प्रेषक का पता) जो प्रश्न में दिया गया है को लिखा जाना चाहिए।
(2) पता लिखने के पश्चात नीचे जिस तिथि को पत्र लिखा जा रहा है, उस दिनांक को लिखना चाहिए।
(3) पत्र को आगे बढ़ाते हुए नीचे की लाइन में बायीं ओर पूजनीया माताजी या वन्दनीया माताजी से संबोधित करते हुए उसी के नीचे वाली पंक्ति में सादर चरण स्पर्श लिखना चाहिए।
(4) अब पत्र का आरंभ करते हुए नीचे नये अनुच्छेद से सर्वप्रथम स्वयं की कुशलता बताते हुए परिवार की कुशल क्षेम पूछते हुए जानकारी लिखना चाहिए।
(5) पत्र को आगे बढ़ाते हुए जैसा कि प्रश्न में कहा गया है माताजी के स्वास्थ्य का हाल-चाल पूछना चाहिए।
(6) पत्र में आगे अनुच्छेद बदलकर स्वयं की पढ़ाई का विवरण देना चाहिए।
(7) पत्र के अंत में पत्र द्वारा जवाब देने को कहते हुए पिताजी को प्रणाम कहकर परिवार के छोटे बच्चों को प्यार प्रदर्शित करते हुए लेखन समाप्त करना चाहिए।
(8) जब पत्र लिखकर समाप्त हो जाए इसके पश्चात नीचे लाइन में दाएँ तरफ आपका प्रिय पुत्र या आपका आज्ञाकारी पुत्र लिखते हुए नीचे की पंक्ति में अपना स्वयं का नाम (यदि प्रश्न में दिया गया है तो वही नाम) लिखना चाहिए।
(9) पत्र लेखन में मौलिकता झलकना चाहिए।

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