नागरिकता का अर्थ  परिभाषा और प्रकार

नागरिकता का अर्थ  परिभाषा और प्रकार

नागरिकता का अर्थ  परिभाषा और प्रकार : प्रश्न; नागरिकता के प्रकार बताइए एवं नागरिकता प्राप्त करने की विधियाँ लिखिए।  अथवा” नागरिकता पर एक निबंध लिखिए।  अथवा” नागरिकता का क्या अर्थ हैं? यह किस प्रकार प्रकार एवं विलुप्त होती हैंअथवा” नागरिकता की परिभाषा दीजिए। आदर्श नागरिक की विशेषताएं बताइए।

नागरिकता का अर्थ  परिभाषा और प्रकार (nagrikta kya hai)

nagrikta meaning in hindi;आज विश्व मे प्रत्येक व्यक्ति किसी-न-किसी राज्य का नागरिक है। नागरिकता की अवधारणा सार्वभौमिक स्वरूप ले चुकी है, अतः यह स्पष्ट है कि नागरिकता वह स्थित है। जिसमे व्यक्ति किसी राजनीतिक समुदाय का सदस्य होता है और सार्वजनिक जीवन मे भाग लेता है। नागरिक एक ऐसा व्यक्ति होता है जो राज्य के प्रति निष्ठा रखता है तथा राज्य द्वारा उसे संरक्षण प्राप्त होता है।

प्रसिद्ध यूनानी विद्वान अरस्तु ने अपनी प्रसिद्धि पुस्तक ” राजनीति ” मे इसकी सर्वप्रथम व्याख्या कर नगर या राज्य मे उन निवासियों को नागरिक माना है जिन्हें उस नगर व राज्य मे राजनीतिक अधिकार प्राप्त हो तथा उनकी इस स्थिति को नागरिकता कहा है। अतः अरस्तु के अनुसार नागरिक वह है जो राज्य (नगर) के विचारात्मक कार्यों मे और उसके अधिकारियों के चयन मे भाग लेता है। नागरिकता को कई विचारकों ने परिभाषित किया है–

नागरिकता की परिभाषा (nagrikta ki paribhasha)

ब्लैकवेल के अनुसार ” नागरिकता का आश्य एक राज्य की पूर्ण और उत्तरदायित्व भरी सदस्यता है।”

जे. एम. विर्लेट के अनुसार ” नागरिक राजनीतिक बधंन का सूत्र है और यह इसकी प्रकृति पर निर्भर करता है कि वह कितना मजबूत है।

डी. डब्ल्यू. ब्रोगन के अनुसार ” नागरिकता के दो पहलू है- प्रथम, प्रत्येक नागरिक का यह अधिकार है कि राजनीतिक समाज के प्रबंध मे उसकी सलाह ली जाय तथा इस विचार-विमर्श मे वह अपना सकारात्मक योगदान दे तथा द्वितीय, इसका उलटा यह कि जब प्रत्येक नागरिक को वह अपना सकारात्मक योगदान दे तथा द्वितीय, इसका उलटा यह कि जब प्रत्येक नागरिक को परामर्श मे सम्मिलित होने का अधिकार है, तो वह इस परामर्श के परिणामों से भी बाध्य है।”

बैटेल के अनुसार ” नागरिक समाज के सदस्य है, समाज के कुछ कर्तव्यों से आबद्ध है, उसकी सत्ता के अधीन है और सभी लोगों मे बराबर के अधिकारी है।

लाॅस्की के शब्दों मे ” अपनी शिक्षित बुद्धि को लोकहित हेतु प्रयुक्त करना ही नागरिकता हैं।”

टी. एच. मार्शल के अनुसार ” नागरिकता किसी सामाजिक समुदाय की सम्पूर्ण सदस्यता के साथ जुड़ी हुई प्रतिष्ठा और जिन्हें यह प्रतिष्ठा हांसिल हो, वे नागरिक है।

आर. सी. वर्मानी के अनुसार,” औपचारिक रूप से नागरिकता व्यक्ति और राज्य के बीच एक संबंध है जिसके द्वारा व्यक्ति राज्य की आज्ञाओं का पालन करता है और राज्य बदले में उसे सुरक्षा की गारन्टी देता है। यह संबंध कानून द्वारा निश्चित होते है और अन्तरराष्ट्रीय कानून द्वारा मान्यता प्राप्त होते हैं। कोई भी व्यक्ति केवल राज्य के माध्यम से नागरिक हो सकता हैं।”

श्रीनिवास शास्त्री के अनुसार,” नागरिक वह है जो किसी राज्य का सदस्य है और समुदाय के उच्चतम नैतिक कल्याण को ध्यान में रखकर अपने को पूर्णता देने का प्रयास करता हैं।”

अरस्तु के अनुसार,” नागरिक राज्य में  वह व्यक्ति हैं, जिसको राज्य के प्रबन्ध विभाग और न्याय विभाग लेने का पूर्ण अधिकार हैं।”

नागरिकता के लक्षण या विशेषताएं (nagrikta ki visheshta)

  1. नागरिकता की प्राप्ति राज्य मे ही हो सकती है।
  2. नागरिकता का आश्य है राजनीतिक समुदाय के राजनीतिक, सामाजिक जीवन मे सहभागिता।
  3. नागरिक होने के नाते व्यक्तियों को कतिपय अधिकार व कर्तव्य प्राप्त होते है।
  4. नागरिक वह है जो राज्य मे मत दे सकता है तथा विभिन्न राजनीतिक पदों पर नियुक्त होने का अधिकारी हो।
  5. इसके कुछ कर्तव्य भी होते है।

नागरिकता के प्रकार (nagrikta ke prakar)

नागरिकता दो प्रकार की होती है- एक जन्मजात नागरिक दूसरा देशीकरण से नागरिकता प्राप्त नागरिक।

1. जन्मजात नागरिक

जन्म के आधार पर दो प्रकार से नागरिकता प्राप्त होती है–

(अ) वंश अथवा रक्त संबंध का सिद्धांत

जब नागरिकता वंश अथवा जन्म के आधार पर निर्धारित की जाती है तब उसे जन्मजात नागरिक कहते है। इस सिद्धांत के अनुसार बच्चे को उस राज्य की नागरिकता प्राप्त होती है जहाँ उसके माता-पिता रहते है बच्चे का जन्म कहीं भी हुआ हो।

(ब) जन्मजात का सिद्धांत

यह सिद्धांत प्रथम सिद्धांत का विलोम है अर्थात् बच्चे के माता-पिता कहीं के भी रहने वाले हों, पर बच्चे को नागरिकता वहीं की मिलेगी जहाँ उसका जन्म हुआ है।

2. देशीयकरण

यह नागरिकता देने की एक प्रक्रिया है। कोई भी व्यक्ति कहीं का निवासी हो अथवा उसका जन्म कही भी हुआ हो वह एक निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए यदि किसी देश की नागरिकता के प्रार्थना पत्र देता है तो संबंधित देश अपने कानूनों के अनुसार उस प्रार्थना पत्र पर विचार कर कुछ निश्चित शर्तें पूरी करने की स्थिति मे नागरिकता प्रदान कर देता है।

आवेदक को निम्न शर्तें पूरी करनी होती है–

  1. अपनी पूर्व की नागरिकता को त्यागना पड़ता है।
  2. नए राज्य के प्रति राज्य भक्ति निष्ठा की शपथ लेता है।
  3. नए राज्य मे संबंधित राज्य के संविधान या कानून द्वारा निर्धारित अवधि तक निवास करना।
  4. संविधान के प्रति निष्ठा प्रदर्शित करना।

यह शर्तें सम्बंधित देश के कानून पर निर्भर करती है। इसके अलावा नागरिकता प्राप्त करने की वैधानिक प्रक्रिया विभिन्न देशों की भिन्न-भिन्न हो सकती है।

नागरिकता की प्राप्ति के प्रमुख आधार

  1. निवास

सभी देशों मे ऐसा नियम है कि राज्य के अंतर्गत निश्चित अवधि तक निवास करने वाला व्यक्ति नागरिकता प्राप्त कर सकता है।

  1. विवाह

अगर किसी देश की स्त्री दूसरे देश के पुरूष से विवाह कर ले, तो उस स्त्री को अपने पति के देश की नागरिकता मिल जाती है।

  1. सम्पत्ति

कुछ लैटिन अमेरिकी देशों मे अगर कोई व्यक्ति वहां सम्पत्ति खरीद लेता है, तो नागरिकता प्राप्त हो जाती है।

  1. नौकरी

अगर व्यक्ति एक निश्चित अवधि तक किसी राज्य मे नौकरी कर लेता है तो वह नागरिक बन जाता है।

  1. किसी राज्य पर विजय पा लेना

अगर किसी राज्य द्वारा अन्य राज्य पर विजय प्राप्त कर ली, तो पराजित राज्य के लोग विजयी राज्य के नागरिक कहलायेंगे।

  1. गोद लेने से

अगर कोई व्यक्ति विदेशी बच्चे को गोद ले ले, तो बच्चे को माता-पिता की नागरिकता प्राप्त हो जायेगी।

नागरिकता की समाप्ति

  1. नागरिकता का त्याग

अगर कोई व्यक्ति स्वेच्छा से अपने राज्य की नागरिकता छोड़ता है, तो सरकार की अनुमति से ऐसा कर सकता है।

  1. विवाह

विदेशी पुरूष से विवाह करने पर स्त्री अपने देश की नागरिकता खो देती है।

  1. अनुपस्थिति

सरकार की अनुमति के बगैर ज्यादा समय तक विदेश मे रहने पर नागरिकता खत्म हो जाती है।

  1. विदेश सम्मान

सरकार की अनुमति के बगैर विदेशी सम्मान प्राप्त करना अर्थात् नागरिकता खोना है।

  1. देशद्रोह

देशद्रोह करने पर अथवा सेना से भागने पर नागरिकता छीनी जा सकती है।

आदर्श नागरिकाता के तत्व/विशेषताएं

एक आदर्श नागरिक में निम्नलिखित गुणों का होने चाहिए–

  1. चरित्रवान

ऐसा व्यक्ति को सच्चा एवं ईमानदार हो, जिसमें निडरता एवं दृढ़ता हो, सिद्धान्तवादी हो, वही आदर्श नागरिक हैं।

  1. वैचारिक उदारता

व्यक्ति को पारस्परिक व्यवहार हेतु उदार विचारों का होना चाहिए, तभी आवश्यक सामंजस्य स्थापित हो सकता हैं। ऐसा व्यक्ति ही आदर्श नागरिक हैं।

  1. शिष्टाचार

व्यक्ति में सामान्य शिष्टाचार अर्थात् अच्छी आदतें होना चाहिए, सभी से विनम्र व्यवहार करना चाहिए। यह सभ्यता का प्रतीक है, जो आदर्श नागरिक का गुण हैं।

  1. स्वविवेकी

यदि व्यक्ति बुद्धि के अनुसार उचित और अनुचित का निर्णय करने की क्षमता रखता हो अर्थात् स्वयं निर्णय लेने की क्षमता रखता हो। ऐसा व्यक्ति ही आदर्श नागरिक हो सकता हैं।

  1. सार्वजनिक क्षेत्र के प्रति रूचि

आदर्श नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह समाज एवं राज्य की प्रगति में रूचि ले।

  1. अधिकारों एवं कर्तव्यों का ज्ञान

आदर्श नागरिक को चाहिए कि वह अधिकार एवं कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहे। अधिकारों का उचित उपयोग एवं कर्तव्यों के प्रति निष्ठा का निष्ठापूर्वक पालन करें।

  1. आर्थिक सक्षमता

आर्थिक रूप से अपनी अनिवार्य आवश्यकताओं से पूर्णतः संतुष्ट व्यक्ति ही आदर्श नागरिक बन सकता हैं।

  1. जनकल्याण की भावना

आदर्श नागरिक को स्वार्थ का त्याग करना चाहिए। उसे जनता के प्रति सेवा भावना रखना चाहिए। समाज के कमजोर वर्ग की यथाशक्ति सहायता करना चाहिए।

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