नेताजी का चश्मा | Netaji Ka Chashma Class 10

नेताजी का चश्मा Netaji Ka Chashma Class 10/स्वयं प्रकाश की कहानी नेताजी का चश्मा

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नेताजी का चश्मा कहानी का सार (Netaji Ka Chashma Class 10)

नेताजी का चश्मा कहानी स्वयं प्रकाश जी द्वारा लिखी गई एक प्रसिद्ध कहानी है। इस कहानी में हालदार साहब अपनी कंपनी के कार्य से हर 15 दिन में एक बार एक कस्बे से गुजरते थे। कस्बा बहुत बड़ा नहीं था। उस कस्बे की नगरपालिका ने शहर के मुख्य बाजार के चौराहे पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा रखी थी।  यह प्रतिमा उस कस्बे के हाई स्कूल के ड्राइंग मास्टर मोतीलाल द्वारा बनाई गई थी।

मूर्ति वैसे तो सुंदर थी किंतु चश्मा संगमरमर का नहीं था। एक सामान्य से चश्मे का चौड़ा फ्रेम मूर्ति को पहना दिया जाता था। हालदार साहब को यह तरीका पसंद आया। दूसरी बार जब  वह उस कस्बे से गुजरे तो मूर्ति में कुछ अंतर दिखाई दिया। ध्यान से देखने से पता लगा कि नेता जी के मूर्ति का चश्मा बदल गया है। हालदार साहब हर बार कस्बे के चौराहे पर रुककर पान खाते थे और उस मूर्ति को देखते थे, फिर चले जाते थे।

एक बार उन्होंने पान वाले से बार-बार चश्मे बदलने का कारण पूछ लिया। पान वाले ने हालदार साहब को बताया कि एक बूढ़ा लंगड़ा चश्मे वाला नेताजी का चश्मा पहना जाता है। उस चश्मे वाले को लोग कैप्टन कहते हैं।  यूं ही यह सिलसिला 2 साल तक चलता रहा और नेताजी का चश्मा बदलता रहा। अगली बार नेताजी का चश्मा नहीं था पूछने पर पता चला कि कैप्टन मर गया।

अगली बार हलदर साहब ने उस कस्बे मैं रुक कर पान खाने का इरादा टाल दिया। इस बार हालदार साहब जब उस कस्बे से गुजर रहे थे तो उनका ध्यान नेता जी की मूर्ति की तरफ गया। नेताजी की प्रतिमा पर सरकंडे का चश्मा लगा हुआ था । यह देखकर हालदार साहब की आंखें भर आई क्योंकि उन्हें इस बात का संतोष था कि आने वाली पीढ़ी भी अपने स्वतंत्रता सेनानियों का आदर करती है।

 नेताजी का चश्मा कहानी शीर्षक की सार्थकता

नेताजी का चश्मा कहानी स्वयं प्रकाश जी द्वारा लिखी गई प्रसिद्ध कहानी है। प्रस्तुत कहानी में आरंभ से लेकर अंत तक नेताजी सुभाष चंद्र बोस और उनका चश्मा दोनों ही साथ साथ चलते हैं। चौराहे पर नेता जी की मूर्ति स्थापित होना, उसमें चश्मे का नदारद होना, कैप्टन द्वारा मूर्ति को चश्मा पहनाना , समय-समय पर चश्मे बदलते रहना, कैप्टन की मृत्यु के बाद मूर्ति पर सरकंडे से बना चश्मा दिखाई देना, यह सभी घटनाएं बहुत ही मनोरंजन पूर्ण तरीके से पाठकों को जोड़े रखती है। अतः नेताजी का चश्मा कहानी बहुत ही सार्थक कहानी है। जिसका शीर्षक नेताजी का चश्मा बहुत ही सार्थक और उचित है।

हालदार साहब का चरित्र चित्रण

नेताजी का चश्मा कहानी स्वयं प्रकाश जी द्वारा लिखी गई एक प्रसिद्ध कहानी है। प्रस्तुत कहानी में हालदार साहब एक मुख्य पात्र बनकर ऊपर आते हैं। हालदार साहब एक जिम्मेदार नागरिक हैं। वे जब भी कस्बे से गुजरते हैं तो नगर पालिका के द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना करते हैं। हालदार साहब ने उस कस्बे के मुख्य चौराहे पर नेता जी की मूर्ति देखी तो इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि कुल मिलाकर कस्बे के नागरिकों का प्रयास सराहनीय है ।

हालदार साहब एक जिज्ञासु प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं। जब पान वाले ने चश्मे वाले कैप्टन के प्रति उपेक्षा पूर्ण व्यवहार प्रकट किया तब उन्हें यह बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा। वे समाज के हर वर्ग तथा सभी लोगों से सभ्य व्यवहार प्रेम पूर्ण व्यवहार की अपेक्षा करते हैं। वह स्वभाव से संवेदनशील और भावुक व्यक्ति हैं। कैप्टन के प्रति उनके मन में संवेदना का भाव है। उनकी मृत्यु की खबर सुनकर उन्हें धक्का सा लगता है।

अतः कहा जा सकता है कि नेताजी का चश्मा कहानी में हालदार साहब एक अच्छे चरित्र के रूप में उभरकर सामने आते हैं। उनके चरित्र में वे सभी गुण हैं, जो कि एक अच्छे नागरिक में होने चाहिए।

अभ्यास के प्रश्न /NCERT Solutions (Netaji Ka Chashma Class 10)

प्रश्न:-1: सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे?

उत्तर: इसके बारे में कहानी में कोई भी बात नहीं बताई गई है। हम कुछ अनुमान लगा सकते हैं। हो सकता है कि चश्मेवाला कभी सेना में काम करता रहा होगा। हो सकता है कि वह आजाद हिंद फौज का हिस्सा रहा होगा।

हालदार साहब ने ड्राइवर को पहले चौराहे पर गाड़ी रोकने के लिए मना किया था लेकिन बाद में तुरंत रोकने को कहा:

प्रश्न:-2: हालदार साहब पहले मायूस क्यों हो गए थे?

उत्तर: हालदार साहब मूर्ति पर सरकंडे के चश्मे को देखकर पहले मायूस हो गए थे। उन्हें लगा होगा कि लोगों में अपने नायकों के लिए जरा सी भी इज्जत नहीं बची है।

प्रश्न:-3: मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा क्या उम्मीद जगाता है?

उत्तर: सरकंडे का चश्मा यह उम्मीद जगाता है कि हम लाख उम्मीदें छोड़ दें लेकिन उम्मीद की किरण हमेशा बाकी रहती है। कोई न कोई कुछ अच्छा करने की जिम्मेदारी ले ही लेता है।

प्रश्न:-4: हालदार साहब इतनी बात पर भावुक क्यों हो उठे?

उत्तर: हवलदार साहब उस व्यक्ति के बारे में सोचकर भावुक हो उठे होंगे जिसने नेताजी को चश्मा लगाया होगा। वह नेताजी की कुर्बानी को याद कर के भावुक हो गए होंगे।

प्रश्न:-5: आशय स्पष्ट कीजिए – “बार-बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-जिंदगी सब कुछ होम देनेवालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढ़ूँढ़ती है।“

उत्तर: आम आदमी अपनी रोजमर्रा के जीवन में इतना उलझ जाता है कि उसे अन्य किसी बात की सुध नहीं रहती। हम अपनी जिंदगी में इतने मशगूल हो जाते हैं कि अपने देश पर अपना पूरा जीवन न्योछावर करने वालों को भी भूल जाते हैं। यह अच्छी बात नहीं है। सच्चा और अच्छा देश वही बनता है जहाँ के लोग अपने हीरो को याद रखने की सार्थक कोशिश करते हैं।

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प्रश्न:-6: पानवाले का एक रेखाचित्र प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर: पानवाल एक मोटा और काला आदमी था। वह बहुत ही खुशमिजाज आदमी था। उसकी काली हो चुकी दंतपंक्ति यह बताती थी कि पान खाने का उसका पुराना शौक था। हँसोड़ होने के साथ ही वह भावुक इंसान भी था। उसे अपने आस पास होने वाली घटनाओं के बारे में पता रहता था।

प्रश्न:-7:  “वो लँगड़ा क्या जाएगा फौज में। पागल है पागल!” कैप्टन के प्रति पानवाले की इस टीप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।

उत्तर: पानवाला उस चश्मेवाले को महत्वहीन इंसान समझता था। हममे से अधिकतर लोग किसी लँगड़े, बूढ़े और गरीब व्यक्ति को कोई भाव ही नहीं देते। पानवाला ऐसी ही मानसिकता का शिकार लगता है।

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निम्नलिखित वाक्य पात्रों की कौन सी विशेषता की ओर संकेत करते हैं:

प्रश्न:-8: हालदार साहब हमेशा चौराहे पर रुकते और नेताजी को निहारते।

उत्तर: हवलदार साहब को अनोखी चीजों में दिलचस्पी थी। अपनी व्यस्तता के बीच भी वे अपने आस पास की रोचक घटनाओं को ध्यान से देखा करते थे।

प्रश्न:-9: पानवाला उदास हो गया। उसने पीछे मुड़कर मुँह का पान नीचे थूका और सिर झुकाकर अपनी धोती के सिरे से आँखें पोंछता हुआ बोला – साहब! कैप्टन मर गया।

उत्तर: पानवाला एक भावुक व्यक्ति था। वह ऐसे व्यक्ति के लिए भी आँसू बहा रहा था जिसके बारे में वह बहुत कुछ नहीं जानता था और जिसके लिए उसके मन खास सम्मान नहीं था।

प्रश्न:-10: कैप्टन बार-बार मूर्ति पर चश्मा लगा देता था।

उत्तर: कैप्टन नेताजी की इज्जत करता था। उसे शायद नेताजी के योगदान के बारे में पता था। वह अपने सीमित संसाधनों से भी देशभक्ति व्यक्त करने से नहीं चूकता था।

प्रश्न:-11: जबतक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात देखा नहीं था तब तक उनके मानस पटल पर उसका कौन सा चित्र रहा होगा, अपनी कल्पना से लिखिए।

उत्तर: कैप्टन पहले किसी सेना में या आजाद हिंद फौज में कार्यरत रहा होगा। कैप्टन कोई हट्टा कट्टा इंसान रहा होगा जिसकी रौबीली मूँछे रही होंगी कस्बों, शहरों, महानगरों के चौराहों पर किसी न किसी क्षेत्र के प्रसिद्ध व्यक्ति की मूर्ति लगाने का प्रचलन सा हो गया है:

प्रश्न:-12: इस तरह की मूर्ति लगाने के क्या उद्देश्य हो सकते हैं?

उत्तर: इस तरह की मूर्ति लगाकर हम किसी प्रसिद्ध व्यक्ति के प्रति अपने सम्मान को जाहिर करते हैं।

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प्रश्न:-13: आप अपने इलाके के चौराहे पर किस व्यक्ति की मूर्ति स्थापित करवान चाहेंगे और क्यों?

उत्तर: मैं गांधीजी की मूर्ति लगवाना चाहूँगा क्योंकी भारत की आजादी की ल‌ड़ाई में उनका योगदान सबसे बढ़कर है।

प्रश्न:-14: उस मूर्ति के प्रति आपके एवं दूसरे लोगों के क्या उत्तरदायित्व होने चाहिए?

उत्तर: हम सब मिलकर यह सुनिश्चित करेंगे कि वह मूर्ति साफ सुथरी रहे और वहाँ पर रोशनी की अच्छी व्यवस्था हो।

प्रश्न:-15: सीमा पर तैनात फौजी ही देश प्रेम का परिचय नहीं देते। हम सभी अपने दैनिक कार्यों में किसी न किसी रूप में देश प्रेम प्रकट करते हैं; जैसे – सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान न पहुँचाना, पर्यावरण संरक्षण आदि। अपने जीवन जगत से जुड़े ऐसे और कार्यों का उल्लेख कीजिए और उन पर अमल भी कीजिए।

उत्तर: किसी अप्रिय घटना होने पर पुलिस को तत्काल सूचित करना, ट्राफिक के नियमों का पालन करना, अपने मुहल्ले में सफाई करना, आदि।

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प्रश्न:-16: निम्नलिखित पंक्तियों में स्थानीय बोली का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है, आप इन पंक्तियों को मानक हिंदी में लिखिए:
“कोई गिराक आ गया समझो। उसको चौड़े चौखट चाहिए। तो कैप्टन किदर से लाएगा? तो उसको मूर्तिवाला दे दिया। उदर दूसरा बिठा दिया।”

उत्तर: मान लीजिए कि कोई ग्राहक आ गया और उसे चौड़े फ्रेम वाला चश्मा चाहिए। ऐसे में मूर्ति पर लगा फ्रेम उसे दे दिया जाता है और मूर्ति को तब तक दूसरा चश्मा पहना दिया जाता है।

प्रश्न:-17:  ‘भई खूब! क्या आइडिया है।‘ इस वाक्य को ध्यान में रखते हुए बताइए कि एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्दों के आने से क्या लाभ होते हैं?

उत्तर: एक भाषा में दूसरी भाषा के शब्द के इस्तेमाल से भाषा समृद्ध होती है। कई बार ऐसा करने से भाषा अधिक मजेदार और समकालीन हो जाती है।

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