खुली अर्थव्यवस्था

खुली अर्थव्यवस्था (Open Economy ) Chapter – 6th Class 12th Economics Notes In Hindi

खुली अर्थव्यवस्था (Open Economy )

विदेशी विनिमय दर ?
( 1st Definition )
विदेशी विनिमय दर वह दर है जिस दर पर एक देश की करेंसी के बदले दूसरे देश की करेंसी की कितनी इकाई मिल सकती हैं !
( 2nd Definition )
वह दर जिस दर पर एक देश की मुद्रा दूसरे देश की मुद्रा में बदली जाती है !
( Example )
भारतीय मुद्रा रुपए और अमेरिकी डॉलर के बीच विदेशी विनिमय दर 1 United States Dollar = 74.44 Indian Rupees

मुद्रा के मूल्यह्रास ?

मुद्रा के मूल्यह्रास से अभिप्राय विदेशी मुद्रा के संबंध में घरेलू मुद्रा के मूल्य में कमी होने से है
( Example )
1 United States Dollars खरीदने के लिए पहले ₹60 की आवश्यकता होती थी लेकिन अभी वर्तमान में = 74.44 रुपए की आवश्यकता होती है

वायदा लेनदेन क्या है-
ऐसे लेनदेन, जिसमें प्रपत्रों पर हस्ताक्षर तो आज किए जाते हैं लेकिन यह लेनदेन भविष्य में किसी दिन पूरा होता है इसे ही वायदा लेनदेन कहते हैं।
हाजिर (चालू) बाजार
हाजिर बाजार वह बाजार होता है जिसमें विदेशी विनिमय का चालू खरीद बिक्री होता है ।
मुद्रा की मूल्यवृद्धि क्या होता है
जब विनिमय दर में मुद्रा की मांग तथा पूर्ति के फलस्वरूप घरेलू मुद्रा के मुल्य में विदेशी मुद्रा की अपेक्षा बढ़ोतरी होती है तो यह मुद्रा की मूल्यवृद्धि कहलाती है।
विदेशी विनिमय बाजारों ?
विदेशी विनिमय बाजार वह बाजार है जिसमें अलग-अलग देशों की राष्ट्रीय करेंसीयो को खरीदा या बेचा जाता है।
विदेशी विनिमय स्टॉक ?
विदेशी विनिमय के स्टॉक से अभिप्राय R.B.I के पास एक निश्चित समय बिंदु पर उपलब्ध सभी विदेशी करेंसीयो से है
अवमूल्यन ?
अवमूल्यन सरकार द्वारा नियोजन के अनुसार विदेशी मुद्रा के संबंध में घरेलू करेंसी के मूल्य में कमी है।

घरेलू करेंसी की मूल्यवृद्धि और मूल्यह्रास में अंतर

घरेलू करेंसी का मूल्यह्रास

Question/ Answer खुली अर्थव्यवस्था (Open Economy )

स्थिर विनिमय दर से क्या अभिप्राय है इसके प्रकार लिखो ?

स्थिर विनिमय दर
स्थिर विनिमय दर का अभिप्राय स्थिर दर से है जिसमें परिवर्तन नहीं होता परंतु इसका मतलब यह नहीं है कि यह कभी भी परिवर्तित नहीं होती बल्कि यह है कि यह बाजार की शक्तियों द्वारा नहीं सरकार के उतार-चढ़ाव से परिवर्तित होती है।

1) विनिमय दर की स्वर्णमान प्रणाली 
स्वर्णमान प्रणाली 1920 के दशक से पूर्व संसार के अनेक भागों में प्रचलित थी इस प्रणाली के अनुसार हर एक देश की अपनी करेंसी का मूल्य सोने के रूप में परिभाषित करना होता था।
इसलिए करेंसी का मूल्य दूसरी करेंसी में निर्धारित करने के लिए प्रत्येक करेंसी की स्वर्ण मूल्य की तुलना की जाती थी।
उदाहरण-
4 U.k पोंड = 4 ग्राम सोना 
1 US डॉलर = 2 ग्राम सोना 
इस प्रणाली को विनिमय दर की टकसाली क्षमता भी कहा जाता था।
ब्रेटन वुड्स प्रणाली विनिमय दर की स्थिर प्रणाली थी फिर भी इसमें कुछ सीमा तक समायोजन की अनुमति थी इसी कारण इसे विनिमय दर की समजंनीय सीमा प्रणाली कहा जाने लगा।
इस प्रणाली के अनुसार

1) अलग-अलग करेंसियो को एक करेंसी अर्थात अमेरिकी डॉलर के साथ संबंधित कर दिया
2) अमेरिकी डॉलर को एक निश्चित कीमत पर स्वर्णमूल्य निर्धारित कर दिया गया।
3) एक करेंसी का अमेरिकी डॉलर के रूप में मूल्य का अर्थ उस करेंसी का सोने के रूप में मूल्य माना जाता है।
4) दो करेंसियो के बीच क्षमता के लिए स्वर्ण ही अंतिम इकाई का कार्य करता है
5) किसी करेंसी के क्षमता मुल्य में समायोजन केवल अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की अनुमति से ही संभव है

वायदा बाजार से क्या अभिप्राय है इसकी विशेषता लिखो ?

वायदा बाजार का संबंध विदेशी विनिमय के ऐसे खरीद बिक्री से हैं जिसमें लेन-देन के पत्रों पर हस्ताक्षर तो आज किए जाते हैं लेकिन यह लेनदेन भविष्य में किसी दिन पूरा होता है।
विशेषता
यह बाजार केवल भविष्य से संबंधित होता है इसमें विदेशी विनिमय का चालू लेनदेन नहीं किया जाता है यह भविष्य की विनिमय दर को निर्धारित करता है जिस पर भविष्य में लेनदेन को पूरा किया जाता है।

विदेशी विनिमय बाजारों से क्या अभिप्राय है इसके कार्यों की व्याख्या करें ?

विदेशी विनिमय बाजार वह बाजार है जिसमें विभिन्न देशों की राष्ट्रीय करेंसीयो को खरीदा या बेचा जाता है
( कार्य )
1) हस्तांतरण कार्य 

इस से अभिप्राय है विश्व के विभिन्न देशों के मध्य विदेशी विनिमय के रूप में क्रय शक्ति का स्थानांतरण करना।
2) साख कार्य 
इसका अभिप्राय विश्व के अलग-अलग देशों के मध्य है वस्तु तथा सेवाओं के निर्यात और आयात के लिए विनिमय के रूप में शाख का प्रावधान करना
3) जोखिम से बचाओ / Hedging
विदेशी विनिमय दर में होने वाले उतार चढ़ाव का जोखिम से बचाव विदेशी विनिमय दर पर वचन दे दिया जाता है चाहे इसका क्रय- विक्रय भविष्य में किसी भी अवधि पर हो।

विदेशी विनिमय से क्या अभिप्राय है विदेशी विनिमय की मांग क्यों की जाती है ?

( अथवा )
विदेशी विनिमय से क्या अभिप्राय है ? विदेशी विनिमय के मांग के स्रोत

विदेशी विनिमय से अभिप्राय विदेशी करेंसी मुद्रा से है अर्थात घरेलू करेंसी को छोड़कर सभी करेंसीयो है
1) अंतरराष्ट्रीय ऋणों का पूनभुगतान 
अंतरराष्ट्रीय ऋण विदेशी विनिमय के रूप में लिए जाते हैं इन दिनों के पूनभुगतान के लिए विदेशी विनिमय की मांग की जाती है
2) विदेशी निवेश
शेष विश्व में निवेश करना एक महत्वपूर्ण व्यापारिक गतिविधि है इसलिए उस देश की करेंसी की आवश्यकता होती है जिस देश में निवेश करना है
3) आयात 
हम शेष विश्व से वस्तुओं (जैसे- मोबाइल फोन तथा टीवी ) एवं सेवाओं (जैसे बैंकिंग तथा बीमा ) का आयात करते हैं इसके लिए विदेशी विनिमय की आवश्यकता होती है क्योंकि आयातो का भुगतान केवल विदेशी विनिमय में ही किया जाता है।

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