padbandh class 10 | पदबंध (Phrase) |
padbandh class 10 | पदबंध
padbandh class 10 ( पदबंध) : वाक्य से अलग रहने पर ‘शब्द’ और वाक्य में प्रयुक्त हो जाने पर शब्द ‘पद’ बन जाते हैं।
जब शब्द व्याकरणिक नियमों के तहत किसी वाक्य में निश्चित स्थान प्राप्त कर लेते हैं तो पद बन जाते हैं . पदों का क्रम या स्थान बदलने से वाक्य का अर्थ भी बदल जाता है .
Padbandh
पदबंध
वाक्य में जब एक से अधिक पद मिलकर एक व्याकरणिक इकाई का काम करते हैं तब उस बंधी हुई इकाई को पदबंध कहते हैं। जब दो या अधिक (शब्द) पद नियत क्रम और निश्र्चित अर्थ में किसी पद का कार्य करते हैं तो उन्हें पदबंध कहते हैं। कई पदों के योग से बने वाक्यांशो को, जो एक ही पद का काम करता है, ‘पदबंध’ कहते है।
डॉ० हरदेव बाहरी के अनुसार ‘पदबन्ध’ की परिभाषा
वाक्य के उस भाग को, जिसमें एक से अधिक पद परस्पर सम्बद्ध होकर अर्थ तो देते हैं, किन्तु पूरा अर्थ नहीं देते- पदबन्ध या वाक्यांश कहते हैं
जैसे-
- सबसे तेज दौड़ने वाला छात्रजीत गया।
‘सबसे तेज दौड़ने वाला छात्र’ में पाँच पद है, किन्तु वे मिलकर एक ही पद अर्थात संज्ञा का कार्य कर रहे हैं।
- यह लड़कीअत्यंत सुशील और परिश्रमी है।
‘अत्यंत सुशील और परिश्रमी’ में भी चार पद हैं, किन्तु वे मिलकर एक ही पद अर्थात विशेषण का कार्य कर रहे हैं।
- नदी बहती चली जा रही है।
‘बहती चली जा रही है’ में पाँच पद हैं किन्तु वे मिलकर एक ही पद अर्थात क्रिया का काम कर रहे हैं।
- नदी कल-कल करती हुई बह रही थी।
‘कल-कल करती हुई’ में तीन पद हैं, किन्तु वे मिलकर एक ही पद अर्थात क्रिया विशेषण का काम कर रहे हैं।
- पाँचवी कक्षा में पढ़ने वाला छात्रसुरेश बहुत बुद्धिमान है।
- हिंदी पढ़ाने वाले गुरुजीने मुझे एक अति सुंदर और उपयोगी पुस्तक दी।
- किसी व्यक्ति या समाज का उत्थानअनुशासन पर निर्भर है।
इस प्रकार रचना की दृष्टि से पदबन्ध में तीन बातें आवश्यक हैं-
- इसमें एक से अधिक पद होते हैं।
- ये पद इस तरह से सम्बद्ध होते हैं कि उनसे एक इकाई बन जाती है।
- पदबन्ध किसी वाक्य का अंश होता है।
- पदबंध के शब्द-क्रम निश्चित होते हैं।
- एक शब्द के अनेक शब्द प्रायः पदबंध होते हैं।
पदबंध को इंग्लिश में PHRASE कहते हैं। इसका प्रमुख कार्य वाक्य को स्पष्ट, सार्थक और प्रभावकारी बनाना है। शब्द-लाघव के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है- खास तौर से समास, मुहावरों और कहावतों में। ये पदबंध पूरे वाक्य नहीं होते, बल्कि वाक्य के टुकड़े हैं, किन्तु निश्र्चित अर्थ और क्रम के परिचायक हैं।
पदबंध के भेद (padbandh class 10)
मुख्य पद के आधार पर पदबंध के पाँच प्रकार होते हैं-
- संज्ञा-पदबंध
- विशेषण-पदबंध
- सर्वनाम-पदबंध
- क्रिया-पदबंध
- अव्यय-पदबंध
- संबंधबोधक पदबंध
- समुच्चयबोधक पदबंध
- विस्मयादि बोधक पदबंध।
संज्ञा-पदबंध
वह पदबंध जो वाक्य में संज्ञा का कार्य करे, संज्ञा पदबंध कहलाता है। पदबंध का अंतिम अथवा शीर्ष शब्द यदि संज्ञा हो और अन्य सभी पद उसी पर आश्रित हो तो वह ‘संज्ञा पदबंध’ कहलाता है।
जैसे-
- पास के मकान में रहने वाली औरतमेरी परिचित है।
- चार ताकतवर आदमीभारी चीज को नहीं उठा पाए।
- यह पेड़ तोकिसी बड़ी और तेज धार वाली कुल्हाड़ी से ही कट सकता है।
- मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने लंका के राजा रावण को मार गिराया।
- अयोध्या के महाराजा दशरथके चार पुत्र थे।
- लंका का राजा रावण बहुत विद्वान था।
- आकाश में उड़ता गुब्बारा फट गया।
विशेषण-पदबंध
वह पदबंध जो संज्ञा अथवा सर्वनाम की विशेषता बतलाता हुआ विशेषण का कार्य करे, विशेषण पदबंध कहलाता है। पदबंध का शीर्ष अथवा अंतिम शब्द यदि विशेषण हो और अन्य सभी पद उसी पर आश्रित हों तो वह ‘विशेषण पदबंध’ कहलाता है।
जैसे-
- तेज चलने वालीगाड़ियाँ प्रायः समय से पहुँचती हैं।
- उस घर के सामने बैठा हुआ आदमी जासूस है।
- सैनिक का घोड़ा अत्यंत सुंदर, फुरतीला और आज्ञाकारी है।
- बरगद और पीपल की घनीछाँव से हमें बहुत सुकून मिला।
सर्वनाम-पदबंध
वह पदबंध जो वाक्य में सर्वनाम का कार्य करे, सर्वनाम पदबंध कहलाता है।
जैसे –
- शेर की तरह दहाड़ने वालेआप भीगी बिल्ली कैसे बन गए?
- बिजली-सी फुरती दिखाकर आपनेबालक को डूबने से बचा लिया।
- भाग्य का मारामैं कहाँ आ पहुँचा।
- शरारत करने वाले छात्रों में से कुछपकड़े गए।
- चोट खाए हुए तुम भला क्या खेलोगे।
- विरोध करने वाले लोगों में से कोईनहीं बोला।
- है यहाँ ऐसाकोई! जो अजगर को पकड़ ले।
क्रिया-पदबंध
वह पदबंध जो अनेक क्रिया-पदों से मिलकर बना हो, क्रिया पदबंध कहलाता है। क्रिया पदबंध में मुख्य क्रिया पहले आती है। उसके बाद अन्य क्रियाएँ मिलकर एक समग्र इकाई बनती है। यही ‘क्रिया पदबंध’ है।
जैसे-
- वह बाजार की ओरआया होगा।
- मुझे मोहन छत सेदिखाई दे रहा है।
- सुरेश नदी मेंडूब गया।
- अब दरवाजाखोला जा सकता है।
अव्यय-पदबंध
वह पदबंध जो वाक्य में अव्यय का कार्य करे, अव्यय पदबंध कहलाता है। इस पदबंध का अंतिम शब्द अव्यय होता है।
जैसे –
- अपने सामान के साथवह चला गया।
- सुबह से शाम तकवह बैठा रहा।
- दुकान से लौटकरजाऊँगा।
- पहले से बहुत धीरेचलने लगा।
- पैरों में लोटते हुएबोला।
- मोहनघर से लौटकर कहने लगा उसका मन नहीं लग रहा है।
संबंधबोधक-पदबंध
जो शब्द वाक्य में दो पदबंधों के बीच संबंध स्थापितकरते हैं, उन शब्दों को सम्बन्धबोधक पदबंध कहते हैं .
जैसे – बदले, पलटे, समान, योग्य, सरीखा, ऊपर, भीतर, पीछे से, बाहर की ओर आदि ‘शब्द’ वाक्य में संबंधबोधक पदबंध कहे जाते हैं।
- बाजारकी ओर
- छतके ऊपर
- गाँधी जीके समान
समुच्चयबोधक पदबंध
जो ‘शब्द, वाक्यांश’ एक पदबंध को दूसरे वाक्य/वाक्यांश से मिलाते हैं उन्हें समुच्चय बोधक पदबंध कहते हैं .
जैसे –
- सोहनऔर मोहन विद्यालय जाते हैं।
- तुम आओगेअथवा भाई आएगा।
विस्मयादिबोधक पदबंध
किसी वाक्य में हर्ष, शोक, विस्मय, लज्जा, ग्लानि आदि मनोभावों को व्यक्त करने वाले शब्द विस्मयादिबोधक पदबंध कहलाते हैं।
जैसे –
(क.) अहा! आज तो मिठाइयाँ बन रही हैं ।
(ख.) हाँ बिलकुल ! मैं तो सच कहता हूँ।
(ग.) अरे,क्या बात है ! तुम प्रथम आ गए।
पदबन्ध और उपवाक्य में अन्तर
उपवाक्य (Clause) भी पदबन्ध (Phrase) की तरह पदों का समूह है, लेकिन इससे केवल आंशिक भाव प्रकट होता है, पूरा नहीं। पदबन्ध में क्रिया नहीं होती, उपवाक्य में क्रिया रहती है;
जैसे-
‘ज्यों ही वह आया, त्यों ही मैं चला गया।’
यहाँ ‘ज्यों ही वह आया’ एक उपवाक्य है, जिससे पूर्ण अर्थ की प्रतीति नहीं होती।
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