पत्र कितने प्रकार के होते है ?

पत्र कितने प्रकार के होते है ?

पत्र कितने प्रकार के होते है ? : पत्राचार को परिभाषित करते हुए पत्र के विभिन्न प्रकारों का वर्णन कीजिए।

समाज में निवास करने के कारण व्यक्ति अपने विचारों का विनिमय करने के लिए पत्र लिखता है, इसी को पत्राचार कहते हैं।”

जब कोई व्यक्ति अपनी कुशलता बताने या दूसरे की कुशलता मालूम करने अथवा अन्य किसी प्रयोजन से संदेश भेजता या प्राप्त करता है, तो इसके लिए पत्र लिखता है। पत्र लेखन की परम्परा अति प्राचीन है। पहले अनेक माध्यम से पत्र जाते थे। कबूतरों के माध्यम से पत्र भेजने का भी उल्लेख प्राप्त होता है। किन्तु आजकल यह कार्य डाक विभाग करता है। विगत कुछ वर्षों से कोरियर के माध्यम से भी पत्र भेजे जाने लगे हैं। प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में, सामाजिक व्यवहार, सरकारी काम-काज आदि पत्र लिखता रहता है ।

पत्र के प्रकार (भेद)

विषय के अनुसार पत्र को दो भागों में विभाजित किया गया है-

  1. औपचारिक पत्र,
  2. अनौपचारिक पत्र।

1. औपचारिक पत्र-

सूचनाओं को प्राप्त करने के लिए कार्यालयी या व्यावसायिक स्तर पर लिखे जाने वाले पत्र औपचारिक पत्र कहलाते हैं। इनमें निम्नलिखित प्रमुख हैं

(i) कार्यालयी पत्र–

इनको सरकारी अथवा शासकीय पत्र भी कहा जाता है । ये सरकारी कार्यालयों द्वारा एक विभाग से दूसरे विभागों को लिखे जाते हैं। इनके अन्तर्गत कार्यालय आदेशअधिसूचनाप्रेस विज्ञप्तिपरिपत्रज्ञापन आदि आते हैं।

(ii) अर्द्ध-सरकारी पत्र-

काम में गतिशीलता लाने के उद्देश्य से एक सरकारी अधिकारी द्वारा दूसरे सरकारी अधिकारी के व्यक्तिगत नाम से लिखे गए पत्र – अर्द्ध-सरकारी पत्र कहलाते हैं । यद्यपि इन पत्रों की विषय-वस्तु शासन से सम्बन्धित ही होती है।

(iii) व्यावसायिक पत्र-

उद्योग-धन्धों या व्यावसायिक गतिविधियों के सम्बन्ध में जब एक व्यापारिक संस्थान किसी अन्य संस्थान, कम्पनी, व्यक्ति आदि को पत्र लिखता है तो इन्हें व्यावसायिक पत्र कहा जाता है । इस पत्र के माध्यम से व्यापारी द्वारा तैयार माल की जानकारी,माल मँगाने का आदेश, माल भेजने या माल प्राप्ति की सूचना दी अथवा ली जाती है।

(iv) आवेदन-पत्र-

आवेदन-पत्र से अभिप्राय ‘प्रार्थना-पत्र’ से है जो सरकारी कर्मचारी अथवा सामान्य अभ्यर्थी द्वारा समर्थ अधिकारी को भेजा जाता है। इस प्रकार के पत्र शासकीय एवं अशासकीय दोनों ही प्रकार के अधिकारियों को लिखे जाते हैं।

(v) सम्पादक के नाम पत्र-

समाचार-पत्रों के सम्पादकों को जनसामान्य द्वारा लिखे जाने वाले पत्रों को इसके अन्तर्गत रखा जाता है। इन पत्रों में जन-सामान्य द्वारा जनहित में किसी समस्या को उठाया जाता है अथवा समस्या के निस्तारण हेतु कोई महत्वपूर्ण सुझाव दिया जाता है।

(2) अनौपचारिक पत्र-

जो पत्र अपने आत्मीयों तथा सम्बन्धियों को लिखे जाते हैं, उन्हें अनौपचारिक पत्र कहते हैं। किसी प्रकार की औपचारिकता का निर्वाह न होने के कारण इन्हें अनौपचारिक पत्र कहा जाता है। निजी सम्बन्धों के आधार पर लिखे जाने के कारण इन्हें पारिवारिक अथवा व्यक्तिगत पत्र भी कहा जाता हैं।

इनके अन्तर्गत निम्नलिखित पत्रों को सम्मिलित किया जाता है-

(i) निमन्त्रण पत्र-

परिवार में समय-समय पर आयोजित संस्कारों; जैसेनामकरण, जन्मदिन, मुण्डन, विवाह, गृह प्रवेश आदि के अवसर पर लिखे जाने वाले पत्र।

(ii) शुभकामना पत्र-

विभिन्न पर्यों एवं दिवसों; जैसे-ईद, होली, दीपावली, क्रिसमस, नववर्ष,मातृ दिवस, अहिंसा दिवस आदि की शुभकामनाएं देने हेतु लिखे जाने वाले पत्र।

(iii) संवेदना पत्र-

निकटस्थ सम्बन्धी की मृत्यु पर लिखे जाने वाले पत्र ।

(iv) बधाई पत्र-

नौकरी प्राप्ति, परीक्षा में उत्तीर्ण होने, वर्षगाँठ आदि की बधाई देने हेतु लिखे जाने वाले पत्र।

(v) पारिवारिक या निजी पत्र-

परिवार के सदस्यों व अन्य सगे-सम्बन्धियों आदि का कुशलक्षेम पूछने व उन्हें अपनी कुशलता का समाचार भेजने हेतु लिखे जाने वाले पत्र।

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