लोक प्रशासन – POSDCORB दृष्टिकोण
लोक प्रशासन – POSDCORB दृष्टिकोण : प्रश्न .लोक प्रशासन की परिभाषा दीजिए तथा इसके क्षेत्र का वर्णन कीजिए। अथवा ” लोक प्रशासन के क्षेत्र के सम्बन्ध में पोस्डकॉर्ब (POSDCORB) दृष्टिकोण का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
लोक प्रशासन – POSDCORB दृष्टिकोण
लोक प्रशासन में ‘लोक‘ शब्द का विशेषण इसे सरकारी कार्यों तक सीमित कर देता है और निजी प्रशासन से अलग कर देता है। चूंकि सरकार की क्रियाएँ सार्वजनिक अथवा लोक हित के लिए सम्पन्न की जाती हैं, अत: सरकारी कार्यों के प्रशासन को ‘लोक प्रशासन’ कहते हैं।
लोक प्रशासन का अर्थ एवं परिभाषाएँ :-
‘लोक प्रशासन‘ एक संयुक्त शब्द है, जो दो शब्दों ‘लोक’ और ‘प्रशासन’ से मिलकर बना है। ‘लोक‘ शब्द यह सूचित करता है कि प्रशासन लोगों के लिए किया जाना है, इसका उद्देश्य जनता के हित के लिए कार्य करना है। लोक प्रशासन में ‘लोक‘ शब्द का विशेषण इसे सरकारी कार्यों तक सीमित कर देता है और निजी प्रशासन से अलग कर देता है। चूंकि सरकार की क्रियाएँ सार्वजनिक अथवा लोक हित के लिए सम्पन्न की जाती हैं, अत: सरकारी कार्यों के प्रशासन को ‘लोक प्रशासन’ कहते हैं।
लोक प्रशासन की परिभाषाएँ भिन्न-भिन्न विद्वानों ने विभिन्न प्रकार से की हैं। उनमें प्रमुख परिभाषाएँ निम्नलिखित हैं–
एल. डी. ह्वाइट के अनुसार, “लोक प्रशासन के अन्तर्गत वे सब कार्य आ जाते हैं जिनका उद्देश्य सार्वजनिक नीतियों को पूर्ण करना एवं उनको लागू करना होता है।”
– वुडरो विल्सन के अनुसार, “लोक प्रशासन विधि अथवा कानून को विस्तृत एवं क्रमबद्ध रूप में कार्यान्वित करने का नाम है। विधि को कार्यान्वित करने की प्रत्येक क्रिया एक प्रशासकीय क्रिया है।”
मार्क्स तथा साइमन के शब्दों में, “लोक प्रशासन का अर्थ स्थानीय एवं राष्ट्रीय सरकार की कार्यकारिणी विभागों की प्रतिक्रियाओं से ही है।”
विलोबी के मतानुसार, “अपने व्यापक अर्थ में लोक प्रशासन सरकारी कार्यों के वास्तविक सम्पादन से सम्बन्धित कार्य का प्रतीक है, चाहे वे कार्य सरकार की किसी भी शाखा से सम्बन्धित क्यों न हों….. । अपने संकुचित अर्थ में वह (लोक प्रशासन) केवल प्रशासकीय शाखा की कार्यवाहियों की ओर संकेत करता है।
उपर्युक्त परिभाषाओं से यह स्पष्ट है कि लोक प्रशासन का तात्पर्य सरकारी नीतियों एवं कार्यों से है। प्रशासन का अर्थ व्यापक रूप में राज्यों के कार्य से | सम्बन्ध रखने के अर्थ में प्रयोग होता है।
लोक प्रशासन का क्षेत्र :-
लोक प्रशासन के क्षेत्र के सम्बन्ध में निम्न दृष्टिकोण प्रचलित हैं
(1) व्यापक दृष्टिकोण:-
इस दृष्टिकोण के अनुसार लोक प्रशासन के क्षेत्र में वे सभी क्रियाकलाप सम्मिलित हैं जिनका प्रयोजन लोक नीति को पूरा करना या क्रियान्वित करना होता है। एल. डी. ह्वाइट ने लिखा है, “लोक प्रशासन में वे सभी कार्य आते हैं जिनका उद्देश्य सार्वजनिक नीति को पूरा करना अथवा लागू करना होता है।” अनेक विद्वानों की मान्यता है कि व्यापक अर्थ में लोक प्रशासन का अध्ययन अव्यावहारिक है, क्योंकि ऐसा करने से लोक प्रशासन का क्षेत्र अस्पष्ट हो जाता है।
(2) संकुचित दृष्टिकोण:-
कुछ विद्वानों ने लोक प्रशासन के क्षेत्र के सम्बन्ध में संकुचित दृष्टिकोण अपनाया है। उनके अनुसार लोक प्रशासन का सम्बन्ध शासन की कार्यपालिका शाखा से है। हरबर्ट साइमन के अनुसार, “लोक प्रशासन से अभिप्राय उन क्रियाओं से है जो केन्द्र, राज्य तथा स्थानीय सरकारों की कार्यपालिका शाखाओं द्वारा सम्पादित की जाती हैं।”
इस दृष्टिकोण से लोक प्रशासन के क्षेत्र में निम्नलिखित बातें आती हैं
(i) कार्यपालिका की क्रियाशीलता का अध्ययन:-
लोक प्रशासन कार्यपालिका के क्रियाशील तत्त्वों का अध्ययन करने वाला प्रशासन का मुख्य अंग है। लोक प्रशासन का सम्बन्ध कार्यपालिका की उन समस्त असैनिक क्रियाओं से है जिनके द्वारा वह राज्य के निश्चित लक्ष्यों को प्राप्त करने का प्रयास करता है। यह लोक प्रशासन का संकीर्ण रूप है। प्रशासन का वास्तविक उत्तरदायित्व कार्यपालिका पर निर्भर करता है, चाहे वह राष्ट्रीय, राजकीय अथवा स्थानीय स्तर की ही क्यों न हो।
(ii) सामान्य प्रशासन का अध्ययन :-
लक्ष्य निर्धारण, व्यवस्थापिका एवं प्रशासन सम्बन्धी नीतियाँ, सामान्य कार्यों का निर्देशन, स्थान तथा नियन्त्रणं आदि लोक प्रशासन के क्षेत्र में सम्मिलित हैं।
(iii) संगठन सम्बन्धी समस्याओं का अध्ययन:-
लोक प्रशासन में हम प्रशासनिक संगठन का अध्ययन करते हैं। सरकार के विभागीय संगठन का अध्ययन इसके अन्तर्गत किया जाता है। लोक प्रशासन के क्षेत्र में नागरिक सेवाओं (असैनिक सेवाओं) के विभिन्न सूत्रों, उसके संगठनों तथा क्षेत्रीय संगठनों का व्यापक अध्ययन किया जाता है।
(iv) पदाधिकारियों की समस्याओं का अध्ययन :-
लोक प्रशासन के क्षेत्र में पदाधिकारियों की भर्ती, प्रशिक्षण, सेवाओं की दशा, अनुशासन तथा कर्मचारी संघ आदि समस्याओं का व्यापक रूप से गहन अध्ययन किया जाता है।
(v) सामग्री प्रदाय सम्बन्धी समस्याओं का अध्ययन :-
लोक प्रशासन के अन्तर्गत क्रय, भण्डारण करना, वस्तु प्राप्त करने के साधन, कार्य करने के यन्त्र आदि का भी विस्तृत अध्ययन किया जाता है।
(vi) वित्त सम्बन्धी समस्याओं का अध्ययन:-
लोक प्रशासन में बजट, वित्तीय आवश्यकताओं की व्यवस्था, करारोपण आदि से सम्बन्धित विषयों का गूढ़ अध्ययन किया जाता है।
(vii) प्रशासकीय उत्तरदायित्व का अध्ययन:-
लोक प्रशासन की परिधि में हम सरकार के विभिन्न उत्तरदायित्वों का विवेचन करते हैं। इसमें न्यायालयों के प्रति उत्तरदायित्व, जनता तथा विधानमण्डल आदि के प्रति प्रशासन के उत्तरदायित्व का अध्ययन किया जाता है।
(3) पोस्डकॉर्ब दृष्टिकोण:-(POSDCORB)
लोक प्रशासन के कार्यक्षेत्र के सम्बन्ध में लूथर गुलिक ने जिस मत को प्रतिपादित किया, उसे पोस्डकॉर्ब (POSDCORB) कहा जाता है। ‘पोस्डकॉर्ब’ शब्द अंग्रेजी के सात शब्दों के प्रथम अक्षरों से मिलाकर बना है।
P Planning योजना बनाना
O Organising संगठन करना
S Staffing कर्मचारियों की व्यवस्था करना
D Directing निर्देशन करना
Co – Co-ordinating समन्वय करना
R – Reporting सूचना देना।
B – Budgeting बजट तैयार करना।
लूथर गुलिक से पहले उर्विक, हेनरी फेयोल आदि ने भी पोस्डकॉर्ब दृष्टिकोण अपनाया था, किन्तु इन विचारों को सुव्यवस्थित ढंग से प्रस्तुत करने का श्रेय लूथर गुलिक को ही दिया जाता है।
उपर्युक्त तत्त्वों की संक्षिप्त व्याख्या निम्न प्रकार है
योजना बनाना (P) :-
इसका आशय उन समस्त कार्यों की रूपरेखा तैयार करना है जिन्हें किया जाना आवश्यक है। इसमें निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के साधनों पर विचार करना भी शामिल है।
संगठन करना (O):-
इसका उद्देश्य प्रशासकीय ढाँचे को इस प्रकार गठित करने से है कि प्रशासकीय कार्यों का विभाजन उचित ढंग से किया जा सके और विभागों में समन्वय स्थापित किया जा सके।
कर्मचारियों की व्यवस्था करना (S):-
इसका सम्बन्ध लक्ष्य की प्राप्ति के लिए योग्य कर्मचारियों की नियुक्ति, उनके प्रशिक्षण तथा सेवा की अनुकूल दशाएँ निर्धारित करने से है।
निर्देशन करना (D):-
इसके अन्तर्गत वे निर्णय आते हैं जो प्रबन्ध द्वारा कर्मचारियों के कार्यों के सम्बन्ध में लिए जाते हैं। ये निर्णय सामान्य आदेशों के रूप में सन्निहित करके प्रशासकीय कर्मचारियों तक पहुँचाए जाते हैं।
समन्वय करना (Co):-
इसका आशय विभिन्न विभागों के कार्यों में तालमेल स्थापित करना है, ताकि उनमें आपस में किसी प्रकार का टकराव न हो। लोक प्रशासन समन्वय स्थापित करने के साधनों पर विचार करता है।
सूचना देना (R):-
इसका उद्देश्य उन लोगों को कर्मचारियों के कार्यों की जानकारी देना है जिनके प्रति कार्यपालिका का उत्तरदायित्व रहता है। इसका उद्देश्य निरीक्षण हेतु अभिलेख तैयार करना भी है।
बजट तैयार करना (B):-
इसके अन्तर्गत वित्त व्यवस्था, वित्तीय नियन्त्रण, लेखांकन आदि कार्य आते हैं।
ये पोस्डकॉर्ब क्रियाएँ बड़े संगठन द्वारा सम्पन्न की जाती हैं। लोक प्रशासन के कार्यक्षेत्र के सम्बन्ध में अधिकांश विद्वानों ने पोस्डकॉर्ब दृष्टिकोण को स्वीकार किया है। •
पोस्डकॉर्ब दृष्टिकोण की आलोचना:-
इस मत की आलोचना इस आधार पर की जाती है कि इसमें लोक प्रशासन से सम्बन्धित एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व की अवहेलना की गई है। यह तत्त्व है ‘पाठ्य विषय का ज्ञान‘। इस आलोचना के प्रमुख प्रतिपादक लुईस मेरियम हैं। उन्होंने कहा है, “किसी भी प्रशासकीय अभिकरण के प्रभावशाली एवं प्रज्ञावान प्रशासन के लिए उससे सम्बन्धित पाठ्य विषय का गहरा ज्ञान प्राप्त कर लेना नितान्त आवश्यक है। पोस्डकॉर्ब विचार केवल प्रशासन की तकनीकी से सम्बन्धित है, इसके पाठ्य विषय से नहीं। पोस्डकॉर्ब विषय और पाठ्य विषय, दोनों को मिलाने से ही लोक प्रशासन का कार्यक्षेत्र पूर्णरूपेण निर्धारित होता है।”
लुईस मेरियम के शब्दों में, “कैंची के दो फलकों के समान प्रशासन दो फलकों वाला औजार है। इस औजार का एक फलक है पोस्डकॉर्ब के अन्तर्गत आने वाले क्षेत्रों का ज्ञान और दूसरा फलक है उस पाठ्य विषय का ज्ञान जिससे कि ये तकनीकें लागू की जाती हैं। इस औजार को प्रभावशाली बनाने के लिए यह आवश्यक है कि उसके दोनों ही फल ठीक हों।”
(4) लोक-कल्याणकारी दृष्टिकोण:-
लोक प्रशासन के क्षेत्र से सम्बन्धित एक अन्य दृष्टिकोण लोक-कल्याणकारी दृष्टिकोण है। इस दृष्टिकोण के समर्थकों के मतानुसार वर्तमान समय में राज्य लोक-कल्याणकारी है, अत: लोक प्रशासन भी लोक-कल्याणकारी है। दोनों का लक्ष्य एक ही है-जनहित अथवा जनता को हर प्रकार से सुखी बनाना। इस दृष्टिकोण के समर्थक कहते हैं कि आज लोक प्रशासन सभ्य जीवन का रक्षक मात्र ही नहीं, वह सामाजिक न्याय तथा सामाजिक परिवर्तन का भी महान् साधन है। इससे स्पष्ट है कि लोक प्रशासन का क्षेत्र जनता के हित में किए जाने वाले सभी कार्यों तक फैला हुआ है।
संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि वर्तमान समय में लोक प्रशासन की क्रियाओं का क्षेत्र व्यापक हो गया है और समाजवादी व जन-कल्याणकारी विचारधारा की प्रगति के साथ-साथ लोक प्रशासन का क्षेत्र निरन्तर बढ़ता जा रहा है।
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