प्राचीन भारत का इतिहास
प्राचीन भारत का इतिहास : भारतीय इतिहास को हम लोग तीन भागों में पढ़ेंगे। प्राचीन भारत, मध्यकालीन भारत और आधुनिक भारत। आज प्राचीन भारत का इतिहास की संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करेंगे। प्राचीन भारत के इतिहास में वैदिक सभ्यता सबसे प्रारम्भिक सभ्यता है जिसका सम्बन्ध आर्यों के आगमन से है। इसका नामकरण आर्यों के प्रारम्भिक साहित्य वेदों के नाम पर किया गया है। आर्यों की भाषा संस्कृत थी और धर्म “वैदिक धर्म” या “सनातन धर्म” के नाम से प्रसिद्ध था। हेरोडोटस को आमतौर पर इतिहास के पिता कहा जाता हैं।
प्राचीन भारत का इतिहास
प्राचीन भारत का इतिहास के अंतर्गत हम लोग भारतीय इतिहास के स्रोत, पाषाण काल, सिंधु घाटी सभ्यता, वैदिक काल, उत्तर वैदिक काल, धार्मिक आंदोलन, मगध साम्राज्य, मौर्य साम्राज्य, मौर्योत्तर काल में विदेशी आक्रमण, गुप्त साम्राज्य, गुप्तोत्तर वंश के मुख्य बिंदुओं को जानेंगे।
प्राचीन भारत का इतिहास के स्रोत
मुख्यतः 4 स्रोतों से प्राचीन भारत का इतिहास के विषय में जानकारी प्राप्त कर सकते है।
- धर्म ग्रंथ
- ऐतिहासिक धर्म ग्रंथ
- विदेशियों का विवरण
- पुरातत्व संबंधी साक्ष्य
- चाणक्य द्वारा रचित अर्थशास्त्र नामक पुस्तक में मौर्य कालीन इतिहास की जानकारी मिलती है।
- कल्हण द्वारा रचित राजतरंगिणी में कश्मीर के इतिहास की जानकारी मिलती है।
- पाणिनी द्वारा रचित अष्टाध्यायी से प्राचीन भारत के इतिहास की महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है।
- विदेशी विदेशी लेखकों में मेगास्थनीज टालमी, फाह्यान, हेनसांग, इत्सिंग अलबरूनी, मार्कोपोलो तारा नाथ इत्यादि की पुस्तक के प्राचीन भारतीय इतिहास के विभिन्न कालों के विवरण की महत्वपूर्ण स्रोत है।
- मेगास्थनीज सेल्यूकस निकेटर का राजदूत था जो चंद्रगुप्त के राज दरबार में आया था उसकी पुस्तक इंडिका में मौर्यकालीन समाज और संस्कृति के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारियां दी है।
- टालमी ने भारत का भूगोल नामक पुस्तक लिखी।
प्राचीन भारत का इतिहास
- विक्रमादित्य के दरबार में आने वाले चीनी यात्री फाह्यान द्वारा लिखे गए विवरणों से गुप्त कालीन भारतीय समाज एवं संस्कृति की जानकारी मिलती है।
- हर्षवर्धन के दरबार में आने वाले चीनी यात्री हेनसांग द्वारा लिखे गए ब्राह्मण वृतांत सी यू की में छठी सदी के भारतीय समाज धर्म तथा राजनीति के बारे में पता चलता है।
- सातवीं शताब्दी के अंत में इत्सिंग भारत आया था इसने अपने विवरण में नालंदा विश्वविद्यालय, विक्रमशिला विश्वविद्यालय तथा उस समय के भारत का वर्णन किया है।
- महमूद गजनवी के साथ दूसरी शताब्दी में भारत आने वाले लेखक अलबरूनी ने अपना विवरण तहकीक ए हिंद या किताब उल हिंद (भारत की खोज) नामक पुस्तक में लिखा है इसमें राजपूत कालीन समाज धर्म रीति रिवाज राजनीति आदि पर सुंदर प्रकाश डाला गया है। प्राचीन भारत का इतिहास
- तिब्बत से तारानाथ आए थे जिन्होंने कंग्युर और तंग्युर नाम की दो पुस्तकों में भारत का इतिहास का वर्णन किया।
- पुरातत्व संबंधी साक्ष्य में अभिलेख, सिक्के, अवशेष इत्यादि से भारतीय इतिहास के विविध पहलुओं का पता चलता है।
पाषाण काल
पाषाण काल को तीन भागों में बांटा गया पुरा पाषाण काल, मध्य पाषाण काल, नवपाषाण काल।
- इस काल में मनुष्य की जीव का का मुख्य आधार शिकार था।
- लगभग 36000 ईसवी पूर्व में आधुनिक मानव पहली बार अस्तित्व में आया।
- मानव द्वारा प्रथम पालतू पशु कुत्ता था जिसे मध्य पाषाण काल में पालतू बनाया गया।
- आज की जानकारी मानव को पुरापाषाण काल से ही थी लेकिन आप का प्रयोग नवपाषाण काल से प्रारंभ हुआ।
- नवपाषाण काल से मानव ने कृषि कार्य प्रारंभ किया जिससे उसमें स्थाई निवास की प्रवृत्ति विकसित हुई।
- भारत भारत में व्यवस्थित कृषि का पहला साक्षी मेहरगढ़ से प्राप्त हुआ।
- बिहार के चिरांद नामक नव पाषाण कालीन स्थल से हड्डी के औजार मिले हैं।
- पाषाण काल के 3 चरणों का साक्षी बेलन घाटी इलाहाबाद से प्राप्त हुआ।
- हजारों में प्रयुक्त की जाने वाली पहली धातु तांबा थी चावल की खेती का प्राचीनतम साक्ष्य इलाहाबाद में पाया गया है।
- पहिए का आविष्कार नव पाषाण काल में हुआ।
प्राचीन भारत का इतिहास
सिंधु घाटी सभ्यता
प्राचीन भारत का इतिहास सिंधु घाटी सभ्यता के प्रमुख स्थल इस प्रकार हैं-
स्थल | वर्तमान में कहां है? |
हड़प्पा | पाकिस्तान के मांटगोमरी |
मोहनजोदड़ो | पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लरकाना जिले |
समुंदरों | पाकिस्तान का सिंध प्रांत |
रंगपुर | गुजरात का काठियावाड़ जिले |
रोपड़ | पंजाब का रोपड़ जिला |
लोथल | गुजरात का अहमदाबाद जिला |
आलमगीरपुर | गुजरात का अहमदाबाद जिला |
कालीबंगा | राजस्थान का गंगानगर |
धौलावीरा | गुजरात का कच्छ |
बनावली | हरियाणा का हिसार जिला |
सर्वप्रथम 1921 में दयाराम साहनी ने हड़प्पा नामक स्थल की खुदाई कर इस सभ्यता की खोज की उसके बाद 1922 में राखलदास बनर्जी ने सर्वप्रथम हड़प्पा से इस सभ्यता की खोज होने के कारण इस सभ्यता का नाम हड़प्पा सभ्यता पड़ा। सिंधु नदी के आसपास होने के कारण सिंधु घाटी सभ्यता भी इसे कहते हैं। प्राचीन भारत का इतिहास
प्राचीन भारत का इतिहास
सर्वप्रथम हड़प्पा सभ्यता की खोज होने के कारण इस सभ्यता का नाम हड़प्पा सभ्यता पड़ा और सिंधु नदी के आसपास होने के कारण सिंधु घाटी सभ्यता भी इसे कहते हैं। आप प्राचीन भारत का इतिहास पढ़ रहे हैं। इस सभ्यता के कुछ मुख्य बिंदु इस प्रकार भी हैं।
- मोहनजोदड़ो को मृतकों का टीला भी कहा जाता है।
- कालीबंगा का अर्थ काले रंग की चूड़ियां होता है।
- हड़प्पा सभ्यता का समाज मात्र सत्तात्मक था।
- कृषि तथा पशुपालन के साथ-साथ उद्योग एवं व्यापार भी अर्थव्यवस्था के मुख्य आधार थे।
- हड़प्पा सभ्यता के आर्थिक जीवन का मुख्य आधार कृषि था।
- विश्व में सर्वप्रथम यही के निवासियों ने कपास की खेती प्रारंभ की।
- हड़प्पा सभ्यता में आंतरिक तथा विदेशी दोनों प्रकार का व्यापार होता था और व्यापार वस्तु विनिमय के द्वारा होता था।
- माप तौल की इकाई संभवत 16 के अनुपात में थी। पशुओं में कुबेर वाला सांड सर्वाधिक महत्वपूर्ण पशु था और उसकी पूजा का प्रचलन था।
- इस काल में मंदिर के अवशेष नहीं मिले हैं।
- इस सभ्यता में निवासी मिट्टी के बर्तन निर्माण मोहरों के निर्माण मूर्ति निर्माण आदि कला में प्रवीण थे।
- हड़प्पा सभ्यता के शव को दफनाने एवं जलाने की प्रथा प्रचलित थी।
वैदिक काल
वैदिक काल को दो भागों में विभाजित किया गया है ऋग्वेदिक काल और उत्तर वैदिक काल।ऋग्वेदिक काल 1500 से 1000 ईसा पूर्व माना गया है और उत्तर वैदिक काल 1000 से 600 ईसा पूर्व माना गया है। आप प्राचीन भारत का इतिहास Hindibag पर पढ़ रहे हैं।
ऋग्वेदिक काल
- इस काल में आर्य छोटे-छोटे कबीलों में विभक्त थे।
- कबीले के सरदार को राजन कहा जाता था।
- परिवार पितृ सत्तात्मक था।
- समाज में वर्ण व्यवस्था कर्म पर आधारित थी। ऋग्वेद के दसवें मंडल के पुरुष सूक्त में चार वर्णों ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र का उल्लेख है।
- सोम आर्यों का मुख्य पेय था तथा जौं मुख्य खाद्य पदार्थ।
- समाज में स्त्रियों की स्थिति अच्छी थी इस समय समाज में विधवा विवाह, नियोग प्रथा, पुनरविवाह का प्रचलन था।
- इस समय समाज में पर्दा प्रथा, बाल विवाह, सती प्रथा प्रचलित नहीं थी।
- इस काल के देवताओं में सर्वाधिक महत्व इंद्र को तथा उसके उपरांत अग्नि व वरुण को महत्व प्रदान किया गया।
उत्तर वैदिक काल
- उत्तर वैदिक काल के राजनीतिक संगठन की मुख्य विशेषता बड़े राज्यों तथा जनपदों की स्थापना थी।
- इस इस काल में राजा का महत्व बढ़ा।
- उत्तर वैदिक काल में परिवार पितृ सत्तात्मक थे संयुक्त परिवार की प्रथा विद्यमान थी।
- समाज स्पष्ट रूप से चार वर्णों में बचा था ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य एवं शूद्र। वर्ण व्यवस्था कर्म के बदले जाति पर आधारित थी।
- स्त्रियों स्त्रियों की स्थिति अच्छी नहीं थी उन्हें धन संबंधी तथा किसी प्रकार के राजनीतिक अधिकार प्राप्त नहीं थे
- इस काल में सबसे प्रमुख देवता प्रजापति ब्रह्मा विष्णु एवं रुद्र शिव थे
- लोहे का प्रयोग का सर्वप्रथम साक्ष्य 1000 ईस्वी पूर्व उत्तर प्रदेश के अतरंजिखेरा से मिला है।
वैदिक साहित्य |
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उपनिषद | ब्रह्मविद्या होने के कारण से इसे ब्रह्मा विद्या भी कहा जाता है। इसमें आत्मा परमात्मा एवं संसार के संदर्भ में प्रचलित दार्शनिक विचारों का संग्रह मिलता है। इसकी संख्या 108 है। भारत का आदर्श वाक्य सत्यमेव जयते मुंडकोपनिषद से ही लिया गया है। |
वेदांग |
वेदों के अर्थ समझने वासियों के सही उच्चारण के लिए वेदांग की रचना की गई इनकी संख्या कुल छह है। 1. शिक्षा 2. कल्प 3. व्याकरण 4. निरुक्त 5. छंद 6. ज्योतिष |
स्मृति |
स्मृति को धर्मशास्त्र भी कहा जाता है मनुस्मृति सबसे प्राचीन है जिसकी रचना 200 ईसवी पूर्व से 100 ईसवी पूर्व के मध्य की गई। |
पुराण |
पुराणों की संख्या 18 है। सबसे प्राचीन एवं प्रमाणिक पुराण मत्स्य पुराण है। इसमें विष्णु के 10 अवतारों का उल्लेख है। |
धार्मिक आंदोलन
धार्मिक आंदोलन में हम लोग जैन धर्म व बौद्ध धर्म का अध्ययन करेंगे।
जैन धर्म
- जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव थे इन्हें इस धर्म का संस्थापक भी माना जाता है।
- जैन धर्म में कुल 24 तीर्थंकर हुए महावीर स्वामी 24 वे तीर्थंकर थे।
- जैन धर्म में कर्म फल से छुटकारा पाने के लिए तीन रत्न का पालन करना आवश्यक माना गया है यह तीन रत्न है सम्यक दर्शन सम्यक ज्ञान सम्यक आचरण।
- महावीर ने पांच महाव्रत ओं के पालन का उपदेश दिया यह पांच महाव्रत हैं सत्य अहिंसा अस्तेय अपरिग्रह एवं ब्रह्मचर्य। इसमें से शुरुआत के चार 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ के थे तथा अंतिम ब्रह्मचर्य महावीर स्वामी ने जोड़ा।
महावीर स्वामी का जन्म कुंड ग्राम वैशाली में 540 ईसवी पूर्व हुआ पिता का नाम सिद्धार्थ माता का नाम त्रिशला पत्नी का नाम यशोदा गृह त्याग 30 वर्ष की अवस्था में तप स्थल गिर अंबिग्राम रिजुपालिका नदी के किनारे 42 वर्ष की अवस्था में ज्ञान प्राप्ति 468 ईसा पूर्व पावापुरी में निर्वाण प्राप्ति की
बौद्ध धर्म
- बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध थे।
- महात्मा बुद्ध ने अपने उपदेश पाली भाषा में दिए। महावीर स्वामी द्वारा दिए उपदेश प्राकृत भाषा में थे।
- गौतम बुद्ध ने अपना पहला उपदेश सारनाथ में दिया।
- प्रतीत्यसमुत्पाद को गौतम बुद्ध की शिक्षाओं का सार कहा जाता है।
- बुद्ध, संघ एवं धम्म यह तीन बौद्ध धर्म के त्रिरत्न है।
- जातक कथाओं में गौतम बुद्ध की जीवन संबंधी कहानियां है।
महात्मा बुद्ध का जन्म लुंबिनी ग्राम कपिलवस्तु में 563 ईसवी पूर्व हुआ इनके पिताजी का नाम शुद्धोधन तथा माता जी का नाम महामाया था पत्नी का नाम यशोधरा था पुत्र का नाम राहुल था इन्होंने 29 वर्ष की अवस्था में गृह त्याग कर दिया था और निरंजना नदी के किनारे उरुवेला में तपस्थली बनाई थी 35 वर्ष की अवस्था में ज्ञान प्राप्त किया था तथा 483 ईस्वी पूर्व में महापरिनिर्वाण हुआ था।
प्राचीन भारत का इतिहास
मगध साम्राज्य
ईसा पूर्व के 16 महाजनपदों में मगध सर्वाधिक शक्तिशाली महाजनपद था। प्राचीन भारत में साम्राज्यवाद की शुरुआत या विकास का श्रेया मगध को ही दिया जाता है। आप प्राचीन भारत का इतिहास पढ़ रहे हैं।
हर्यक वंश |
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शिशुनाग वंश |
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नंद वंश |
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सिकंदर का भारत अभियान
- सिकंदर मकदूनिया के फिलीप का पुत्र था।
- अपने विश्व विजय की योजना के अंतर्गत सिकंदर ने भारत पर आक्रमण किया।
- झेलम तथा चुनाव के मध्यवर्ती प्रदेश के शासक पूरू ने सिकंदर का प्रतिरोध किया।
- सिकंदरऔर पुरु के बीच में 326 ईसवी पूर्व में झेलम नदी के किनारे भीषण युद्ध हुआ जिसमें पोरस की हार हुई इस युद्ध को हाइडोस्पीज युद्ध के नाम से भी जाना जाता है।
- बाद में सिकंदर की सेना ने व्यास नदी के आगे बढ़ने से इंकार कर दिया अंत का सिकंदर को वापस लौटना पड़ा।
- वापस लौटते समय 323 ईसवी पूर्व में बेबीलोन में सिकंदर की मृत्यु हो गई।
प्राचीन भारत का इतिहास
मौर्य साम्राज्य
- चंद्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य की सहायता से नंद वंश के शासक धनानंद को अपदस्थ कर मौर्य साम्राज्य की स्थापना करी।
- सेल्यूकस ने मेगास्थनीज को अपने राजदूत के रूप में चंद्रगुप्त के दरबार में भेजा था चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने अंतिम शासक में जैन भद्रबाहु से दीक्षा लेकर श्रवणबेलगोला में कायाकलेश के द्वारा प्राण त्याग दिया।
- चंद्रगुप्त मौर्य का पुत्र बिंदुसार था फिर 298 ईसवी पूर्व से 272 ईस्वी पूर्व तक बिंदुसार ने शासन किया।
- बिंदुसार के पुत्र अशोक अपनी प्रजा के नैतिक उत्थान के लिए प्रतिपादित धम्म के लिए विश्व विख्यात हैं।
- अशोक ने अपने शासन के 8 वें वर्ष 261 ईसवी पूर्व में कलिंग पर आक्रमण किया तथा उसे जीत लिया।
- कलिंग केस युद्ध में भारी रक्त पाठ को देखकर अशोक ने युद्ध नीति को छोड़कर धम्म नीति का पालन किया।
कौटिल्य (चाणक्य) के अर्थशास्त्र तथा मेगास्थनीज के इंडिका से मौर्य साम्राज्य के बारे में विशेष जानकारी मिलती है। आप प्राचीन भारत का इतिहास पढ़ रहे हैं।
गुप्त साम्राज्य
गुप्त वंश का प्रथम महत्वपूर्ण शासक चंद्रगुप्त प्रथम था चंद्रगुप्त प्रथम 320 ईसवी में संवत की शुरुआत की उसने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की थी। समुद्रगुप्त चंद्रगुप्त प्रथम का पुत्र था। विभिन्न अभियानों के कारण इतिहासकार वी ए स्मिथ ने उसे भारत का नेपोलियन कहा। समुद्रगुप्त के सिक्कों पर उसे वीणा बजाते हुए दिखाया गया है। चंद्रगुप्त द्वितीय का काल गुप्त काल में साहित्य और कला का स्वर्ण काल कहा जाता है। प्राचीन भारत का इतिहास
- चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में चीनी यात्री फाह्यान भारत आया था।
- उसके दरबार में 9 विद्वानों की मंडली थी जिन्हें नवरत्न कहा जाता था।
- कुमारगुप्त प्रथम ने नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना 415 से 455 ई. में की थी।
- स्कंद स्कंद गुप्त गुप्त वंश का अंतिम प्रतापी शासक था उसने हूणों के आक्रमण को विफल किया था।
- स्कंद गुप्त ने भी चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा सुदर्शन झील का पुनरुद्धार कराया था।
- गुप्तकालीन प्रशासन की सबसे छोटी इकाई ग्राम थी जिसका प्रशासन ग्राम इक के हाथ में होता था कई गांव को मिलाकर पेठ बनते थे भारत में मंदिरों का निर्माण गुप्त काल से शुरू हुआ।
- गुप्तकालीन बौद्ध गुफा मंदिरों में अजंता एवं बाघ की गुफाएं प्रमुख हैं।
- गुप्त शासकों की राजकीय आधिकारिक भाषा संस्कृत थी।
प्राचीन भारत का इतिहास प्रश्नोत्तर
भारत का सबसे प्राचीन वंश कौन सा है?
मौर्य राजवंश भारत के इतिहास का सबसे प्राचीन राजवंश है। जिसकी नीव चंद्रगुप्त मौर्य ने डाली।
इतिहास का पिता किसे माना जाता है?
हेरोडोटस को इतिहास का पिता माना जाता है। इन्होंने सर्वप्रथम हिस्ट्री शब्द का प्रयोग किया।
दुनिया में सबसे प्राचीन इतिहास किसे माना जाता है?
मेसोपोटामिया की सभ्यता का इतिहास सबसे विश्व का सबसे प्राचीन इतिहास माना जाता है।
प्राचीन भारत का सबसे शक्तिशाली राजा कौन था?
प्राचीन भारत का सबसे शक्तिशाली राजा मौर्य साम्राज्य का सम्राट अशोक था।
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