प्रतीक क्या होता है || हिंदी साहित्य || काव्यशास्त्र
प्रतीक क्या होता है : दोस्तों आज की पोस्ट में हम प्रतीक क्या होता है (Pratik kya hota hai) इसके बारे में पढेंगे। प्रतीक ऐसा शब्द चिह्न है जो किसी वस्तु का बोध कराता है।
प्रतीक क्या होता है
प्रतीक किसी सूक्ष्म भाव, विचार या अगोचर तत्त्व को साकार करने के लिए प्रयुक्त होता है।
⇒ प्रतीक अप्रस्तुत का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रस्तुत का नाम है।
⇒ यह तुरन्त मन में किसी भावना को जाग्रत कर देता है।
⇒ ये प्रारम्भ में व्यक्तिगत व धीरे-धीरे रूढ़ हो जाते हैं।
नगेन्द्र – ’’उपमान जब किसी पदार्थ विशेष के लिए रुढ़ हो जाता है तब प्रतीक बन जाता है।’’
⇒ कबीर ने ’बूंद’ को जीवात्मा का तथा ’सागर’ को परमात्मा का प्रतीक माना हैं:-
बूंद समानी समुद्र में सो कत हेरी जाय।
सर्वेश्वरदयाल सक्सेना की कविता में ’पहाङ’ काव्य का तथा ’जंगल’ कवियों का प्रतीक है।
धर्मवीर भारती का ’ठण्डा लोहा’ दुःख निराशा का प्रतीक है तो अज्ञेय का ’बावरा अहेरी’ सूर्य का। ’अन्धा युग’ अनास्था का ’संशय की एक रात’ क्षण बोध, अन्तर्द्वद्व का प्रतीक होकर शीर्षक रूप में सामने आया है।
⇒ भारतीय दृष्टिकोण से इसे साध्यवसाना लक्षणा का विकसित रूप स्वीकारा है
तथा किसी ने इसका आविर्भाव अन्योक्ति अलंकार में करने की चेष्टा की है। आचार्य शुक्ल ने इसे चित्रभाषावाद माना है।
प्रतीक के भेद कितने होते है ?⇓⇓
आइए ये भी जानते है
प्रतीकों के भेद –
- भावोत्प्रेरक प्रतीक –कमल, चन्द्र, कुमुदिनी
- विचारोत्पादक प्रतीक –विभीषण, गाँधीजी
⇒ आज देश में विभीषणों की कमी नहीं है।
⇒ देश को चाहिये एक और गांधी।
- वैयक्तिक प्रतीक –नलिनी, माली
फूलि-फूलि चुनि लिए, काल हमारी बार।
- परम्परागत प्रतीक –हँसा
⇒ एक डाल दो पँछी बैठा, कौन गुरु कौन चेला।
गुरु की करनी गुरु भरेगा, चेला की करनी चेला।
उङ जा हँस अकेला।।
- परम्परामुक्त प्रतीक –साँप, मधुमय बसन्त
⇒ साँप!
तुम सभ्य तो हुए नहीं
नगर में बसना भी तुम्हें नहीं आया
एक बात पूछूँ (उत्तर दोगे)
कैसे सीखा डसना
विष कहाँ से पाया।
- भावपरक प्रतीक –छायावादी प्रतीक
⇒ विरह का जलजात जीवन, विरह का जल जात।
⇒ मैं नीर भरी दुःख की बदली
परिचय इतना, इतिहास यही
उमङी कल थी, मिट आज चली।
- व्याख्यात्मक प्रतीक –शेर, गीदङ
⇒ तेज तम अंश पर, कान्ह जिमि कंस पर
त्यों मलैच्छ वंश पर, शेर सिवराज है।
- प्रतीकपरक प्रतीक –कमल, चाँदनी
डा. रामस्वरूप चतुर्वेदी – ’कविता के लिए शाब्दिक प्रतीक होना एक आधारभूत शर्त है पर हर शाब्दिक प्रतीक कविता नहीं होता।’
दोस्तों आज की पोस्ट में आपने पढ़ा कि प्रतीक क्या होता है पढ़ा ,हम आशा करते है कि उक्त टॉपिक आपको जरुर समझ में आया होगा।
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