रक्खा पहलवान का चरित्र-चित्रण

रक्खा पहलवान का चरित्र-चित्रण ( मलबे के मालिक )

रक्खा पहलवान का चरित्र-चित्रण : ‘मलबे का मालिक’ मोहन राकेश द्वारा रचित एक प्रसिद्ध कहानी है जो हम भारत-पाकिस्तान के विभाजन की त्रासदी का मार्मिक चित्रण करती है । गनी मियां के बाद रक्खा पहलवान इस कहानी का दूसरा सर्वाधिक महत्वपूर्ण पात्र कहा जा सकता है । संपूर्ण कहानी रक्खा और गनी के चरित्रों के इर्द-गिर्द ही घूमती है ।

रक्खा पहलवान का चरित्र-चित्रण

कहानी में रक्खा पहलवान को एक खलनायक के रूप में चित्रित किया गया है । रक्खा पहलवान का चरित्र-चित्रण निम्नलिखित शीर्षकों के अंतर्गत किया जा सकता है —

(1) व्यक्तित्व

रक्खा पहलवान एक आकर्षक व्यक्तित्व का स्वामी है । उसका शरीर बलिष्ठ और सुदृढ़ है । लेकिन वह अपने बल का प्रयोग लोगों को डराने के लिए करता है । गली-मुहल्ले के सभी लोग उससे डरते हैं और उसे गुंडा समझते हैं ।

(2) लालची और विश्वासघाती

रक्खा पहलवान एक लालची और विश्वासघाती इंसान है । भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय जब सांप्रदायिक हिंसा भड़कती है तो लालच में आकर वह अपने पड़ोसी चिरागदीन के नए घर को हड़पने के लिए उसकी और उसके पूरे परिवार के सदस्यों की हत्या कर देता है जबकि चिरागदीन उसे अपना सच्चा हितैषी समझता था और सोच रहा था कि जब तक रक्खा पहलवान है कोई उसका बाल भी बांका नहीं कर सकता ।

(3) आत्मग्लानि

कहानी के अंत में जब गनी मियां रखा पहलवान को बताता है कि उसका बेटा चिराग इसलिए पाकिस्तान नहीं गया था क्योंकि उसे तुम पर पूरा विश्वास था और बार-बार यही कहता था कि जब तक रखा पहलवान उसके साथ है तब तक उसका कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता । गनी के यह शब्द सुनकर रक्खे का सारा शरीर पसीना-पसीना हो गया था और वह आत्मग्लानि से भर गया था ।

निष्कर्ष

निष्कर्ष रूप से कहा जा सकता है कि रक्खा पहलवान इस कहानी का एक प्रमुख पात्र है । यद्यपि वह खलनायक है और उसके अपराधों को क्षमा नहीं किया जा सकता लेकिन पाठक जैसे-जैसे कहानी पढ़ता है वैसे वैसे उसके हृदय में रक्खा के प्रति नफरत के साथ-साथ दया का भाव भी उमड़ने लगता है क्योंकि कहानी के अंत में रक्खा केवल एक मलबे का मालिक बन कर रह जाता है जिसका कोई हितैषी नहीं है, सभी उसे नफरत करते हैं ; कोई उसका भला नहीं चाहता । वह तब और अधिक टूट जाता है जब वह गनी मियां, जिसके पूरे परिवार की उसने हत्या कर दी थी, उसके पास आकर प्रेमपूर्वक उससे बातचीत करता है और उसे दुआएं देता हुआ चला जाता है । स्पष्ट है कि सभी लोगों की आंखों से गिरा हुआ रक्खा उस समय अपनी ही आंखों से गिर जाता है ।

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