संक्षेपण की विधि
संक्षेपण को परिभाषित करते हुए बताइए कि संक्षेपण की प्रक्रिया के दौरान किन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए ? अथवा ‘’ संक्षेपण की विधि पर प्रकाश डालिए। अथवा ‘’ संक्षेपण करते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए ?
संक्षेपीकरण‘ शब्द का निर्माण संक्षेप से हुआ है, जिसका अर्थ है छोटा या लघु । इस आधार पर संक्षेपीकरण का अर्थ हुआ छोटा आकार।
इस प्रकार किसी विस्तृत कथन, अवतरण, भाषण, समाचार आदि को उसके वास्तविक तथ्यों के साथ सुनियोजित ढंग से असम्बद्ध,अनावश्यक और अप्रासंगिक. अंशों का परित्याग करते हुए संक्षिप्त रूप में प्रस्तुत करने की क्रिया संक्षेपीकरण‘ कहलाती है।
वस्तुतः संक्षेपीकरण में अवतरण की ही भाषा में अथवा किंचित परिवर्तित भाषा में सारभूत तथ्यों को संक्षिप्त करके प्रस्तुत किया जाता है। संक्षेपण में शब्दों की संख्या मूल अवतरण के शब्दों की तिहाई होती है।
संक्षेपण की विधि
संक्षेपीकरण की विधि निम्नलिखित है-
- सर्वप्रथम मूल गद्य-अवतरण का गम्भीरतापूर्वक पाठ करना चाहिए। पाठ करते समय महत्त्वपूर्ण अंशों को रेखांकित करना चाहिए।”
- पाठ के साथ-साथ शब्दों की गणना कर उनका कुल योग लिखना चाहिए, जिसके एक-तिहाई शब्दों में सारांश लिखा जाता है।
- संक्षेपणलिखते समय समासयुक्त भाषा का प्रयोग करना चाहिए, जिससे कम-से-कम शब्दों का प्रयोग स्वतः हो जाएगा।
- संक्षेपणलिखते समय अलंकारों, मुहावरों, लोकोक्तियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- गद्य-अवतरण की भाषा की नकल सर्वथा वर्जित है।
- अनावश्यक विशेषणों और क्रिया-विशेषणों के प्रयोग से बचना चाहिए।
- संक्षेपणका पहला लिखित रूप कच्चा होता है। अतः उसे सुधारकर विषय के अनुसार उसे अन्तिम रूप में प्रस्तुत करना चाहिए।
- यह ध्यान रखना चाहिए कि अच्छा संक्षेपण अपनी सुगठित भाषा में ही लिखा जाता है।
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