संस्कृत में चित्रवर्णन

संस्कृत में चित्रवर्णन / Sanskrit me chitra varnan / Chitra varnan in sanskrit / संस्कृत चित्रवर्णन

संस्कृत में चित्रवर्णन : चित्र का पहला वाक्य वह बनाएँ, जहाँ का वह चित्र हो । जैसे- विद्यालय का, घर का, खेल का मैदान का, उद्यान का ।

संस्कृत में चित्रवर्णनम्

चित्र को देखकर अपने शब्दों में वर्णन करना ही चित्रवर्णन कहलाता है । चित्रवर्णन में दो बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए- 1. वाक्य व्याकरण की दृष्टि से शुद्ध होना चाहिए   2. वाक्य में चित्र से सम्बन्धित वर्णन ही करना चाहिए ।

चित्रवर्णन के लिए महत्वपूर्ण बिन्दु-

  1. वाक्य सरल शब्दों में बनाएँ ।
  2. चित्र में जो वस्तुएँ दिखाई दें, उन्ही का वर्णन करें ।
  3. वर्णन के लिए उन वस्तुओं को चुनें जिनके नाम आप संस्कृत में जानते हों ।
  4. जितने वाक्यों में चित्रवर्णन पूछा हुआ हो उतने वाक्यों में ही चित्रवर्णन करें ।
  5. चित्र का पहला वाक्य वह बनाएँ, जहाँ का वह चित्र हो । जैसे- विद्यालय का, घर का, कार्यालय का, खेल का मैदान का, उद्यान काआदि ।
  6. अन्य वाक्यों के लिए चित्र में चार-पाँच वस्तुओं को पहचाने, जिनके नाम आप संस्कृत में जानते हों और उन्ही पर आधरित सरल वाक्य बना दें ।
  7. जो शब्द सहायता के लिए दिए जाते हैं, उसे मंजूषा कहते हैं ।मंजूषा से उन्ही शब्दों का प्रयोग करें जिनका आपको अर्थ पता हो ।
  8. वाक्य में यदि एक वस्तु के बारे में वाक्य बनाएँ तो “अस्ति” क्रिया लगाएँ, अस्ति का अर्थ होता है- “है”, और यदि वाक्य में बहुत सारी वस्तुओं के बारे में वाक्य बनाएँ तो “सन्ति” क्रिया का प्रयोग करें, सन्ति का अर्थ है- “हैं” । जैसे-

(क) चित्रे एक: बालकः  अस्ति ।

चित्र में एक बालक है ।

(ख) चित्रे दश बालकाः सन्ति ।

चित्र में दस बालक हैं ।

चित्रवर्णन का प्रारूप- 1.

  1. इदं चित्रं …………… अस्ति ।

यह चित्र………….. है ।

  1. अस्मिन् चित्रे …..…… अस्ति/ सन्ति ।

इस चित्र में………… है/ हैं ।

  1. अस्मिन् चित्रे …..…… अस्ति/ सन्ति ।

इस चित्र में………… है/ हैं ।

  1. अस्मिन् चित्रे …..…… अस्ति/ सन्ति ।

इस चित्र में………… है/ हैं ।

  1. अस्मिन् चित्रे …..…… अस्ति/ सन्ति ।

इस चित्र में………… है/ हैं ।

चित्रवर्णन का प्रारूप- 2.

  1. इदं चित्रं …………… अस्ति ।

यह चित्र………….. है ।

  1. अस्मिन् चित्रे …..…… अस्ति/ सन्ति।

इस चित्र में………… है/ हैं ।

  1. चित्रे …..…… अस्ति/ सन्ति ।

चित्र में………… है/ हैं ।

  1. अत्र…..…… अस्ति/ सन्ति ।

यहाँ…………. हैं ।

  1. एतस्मिन् चित्रे …..…… अस्ति/ सन्ति ।

इस चित्र में………… है/ हैं ।

चित्रवर्णन- 1.

chitra varnan in sanskrit
chitra varnan in sanskrit

 

 

 

 

 

 

मंजूषा- छात्राः, भवनम्, मेघाः, हसन्ति, घटिकाः ।
  1. इदं चित्रं …………… अस्ति ।

इदं चित्रं विद्यालयस्य अस्ति ।

  1. अस्मिन् चित्रे …..…… अस्ति/ सन्ति ।

अस्मिन् चित्रे छात्राः सन्ति ।

  1. अस्मिन् चित्रे …..…… अस्ति/ सन्ति ।

अस्मिन् चित्रे भवनम् अस्ति ।

  1. अस्मिन् चित्रे …..…… अस्ति/ सन्ति ।

अस्मिन् चित्रे सूर्यः अस्ति ।

  1. अस्मिन् चित्रे …..…… अस्ति/ सन्ति ।

अस्मिन् चित्रे घटिका अस्ति ।

चित्रवर्णन- 2

sanskrit me chitra varnan
sanskrit me chitra varnan

 

 

 

 

 

 

मंजूषा- कक्षाया:, अध्यापिका, छात्राः, श्यामपट्टः, पुस्तकानि |

 

  1. इदं चित्रं …………… अस्ति ।

इदं चित्रं कक्षाया: अस्ति ।

  1. अस्मिन् चित्रे …..…… अस्ति/ सन्ति ।

अस्मिन् चित्रे अध्यापिका पाठयति ।

  1. अत्र चित्रे …..…… अस्ति/ सन्ति ।

अत्र चित्रे छात्राः लिखन्ति ।

  1. चित्रे ….… अस्ति/ सन्ति ।

चित्रे श्यामपट्टः अस्ति ।

  1. एतस्मिन् चित्रे …..…… अस्ति/ सन्ति ।

एतस्मिन् चित्रे पुस्तकानि सन्ति ।

चित्र वर्णन का प्रारूप- 3

यदि आप संस्कृत में वाक्य बना सकते हो तो मंजूषा की मदद से विशेष वाक्य बना सकते हो । जैसे-

sanskrit chitra varnan
sanskrit chitra varnan

 

 

 

 

 

 

मंजूषा- छात्राः, वनस्य, महिला, रोपयन्ति, पर्वताः,

पादपान्, आकाशे, सिञ्चति, मेघाः, दृश्यन्ते ।

 

इस चित्र वर्णन मंजूषा की सहायता से ऐसे कर सकते हैं-

  1. इदं चित्रं वनस्य अस्ति ।

यह चित्र वन का है ।

  1. चित्रे एका महिला अस्ति ।

चित्र में एक महिला है ।

  1. अत्र छात्राः पादपान् रोपयन्ति ।

यहाँ छात्र पोधे रोप रहे हैं ।

  1. आकाशे मेघाः सन्ति ।

आकाश में बादल हैं ।

  1. एतस्मिन् चित्रे पर्वता: अपि दृश्यन्ते ।

इस चित्र में पर्वत भी दिखाई दे रहे हैं ।

  1. वने बहवः वृक्षा: सन्ति ।

वन में बहुत पेड़ हैं ।

  1. एकः बालकः पादपान् सिञ्चति ।

एक बालक पोधौं को सींच रहा है ।

  1. महिलाः छात्रान् निर्दिशति ।

महिला छात्रों को निर्देश दे रही है ।

धन्यवाद ।

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