शब्द (Shabd) (शब्द-विचार) की परिभाषा भेद उदाहरण | Shabd ki Paribhasha aur Bhed
शब्द की परिभाषा भेद उदाहरण : हिन्दी भाषा में संस्कृत, विदेशी भाषाओं, बोलियों एवं स्थानीय सम्पर्क भाषा के आधार पर निर्मित शब्द शामिल हैं। आज हम शब्द की परिभाषा भेद उदाहरण सहित इसका अध्ययन करेंगे।
शब्द की परिभाषा भेद उदाहरण
शब्द किसे कहते है ?
एक या एक से अधिक वर्णों से बने सार्थक ध्वनि समूह को शब्द कहते हैं। दो या दो से अधिक वर्णो से बने ऐसे समूह को ‘शब्द’ कहते है, जिसका कोई न कोई अर्थ अवश्य हो।
शब्द के भेद–(Shabd ke bhed)
शब्द के निम्न भेद है। जिनका विस्तृत विवरण इस प्रकार है-
उत्पति आधार पर
रचना आधार पर
प्रयोग आधार पर
अर्थ के आधार पर
(क)उत्पति के आधार पर-
हिन्दी भाषा में संस्कृत, विदेशी भाषाओं, बोलियों एवं स्थानीय सम्पर्क भाषा के आधार पर निर्मित शब्द शामिल हैं। अतः उत्पति या स्त्रोत के आधार पर हिन्दी भाषा के शब्दों को निम्नांकित उपभेदों में बांटा गया है-
(1) तत्सम-
तत्+सम का अर्थ है-उसके समान।
अर्थात् किसी भाषा में प्रयुक्त उसकी मूल भाषा के शब्दों का तत्सम कहते हैं। हिन्दी की मूल भाषा संस्कृत है। अतः संस्कृत के वे शब्द जो हिन्दी ज्यों के त्यों प्रयुक्त होते हैं, उन्हंे तत्सम शब्द कहते हैं। जैसे- अग्नि, क्षेत्र,कर्ण, चन्द्र, वायु, आम्र,रात्रि, सूर्य , गर्दभ, क्षेत्र आदि।
(2) तद्भव शब्द-
संस्कृत भाषा के वे शब्द, जिनका हिन्दी में रूप परिवर्तित कर, उच्चारण की सुविधानुसार प्रयुक्त किया जाने लगा, उन्हें तद्भव शब्द कहते हैं। जैसे-सूरज (सूर्य), कान, चाँद, , आग (अग्नि), खेत(क्षेत्र), आम (आम्र),रात (रात्रि), गधा(गर्दभ), खेत आदि।
तत्सम-तद्भव शब्दों की सूची
तत्सम | तद्भव | तत्सम | तद्भव |
अंगुष्ट | अंॅगूठा | कर्म | काम |
अंचल | आंॅचल | ग्रंथि | गांॅठ |
अकार्य | अकाज | अज्ञानी | अनजाना |
अक्षत | अच्छत | अक्षर | आखर |
अगम्य | अगम | अन्धकार | अंधेरा |
अट्टालिका | अटारी | अमूल्य | अमूल्य |
आम्रचूर्ण | अमचूर | गर्दभ | गधा |
आश्चर्य | अचरज | अमावस्या | अमावस |
उष्ट्र | ऊँट | गर्त | गड्ढा |
एकत्र | इक्कट्ठा | स्तम्भ | खम्बा |
कटु | कडवा | क्षत्रिय | खत्री |
ग्रीष्म | गर्मी | गोपालक | ग्वाला |
चतुर्दश | चैदह | त्वरित | तुरन्त |
चर्म | घना | ताम्र | ताम्बा |
ज्येष्ठ | जेठ | धान्य | धान |
परीक्षा | परख | पाश | फन्दा |
पूर्ण | पूरा | वर्षा | बरसात |
यम | जम | वानर | बन्दर |
वंशी | बांसुरी | भिक्षा | भीख |
(3) देशज शब्द –
किसी भाषा में प्रयुक्त ऐसे क्षेत्रीय शब्द जिनके स्त्रोत का आधार या तो भाषा-व्यवहार हो या उसका कोई पता नहीं हो, देशज शब्द कहलाते है। समय, परिस्थिति एवं आवश्यकतानुसार क्षेत्रीय लोगों द्वारा जो शब्द गढ लिए जाते हैं, उन्हें देशज शब्द कहते हैं। जैसे- ढोर, खचाखच, फटाफट,परात, काच, मुक्का आदि।
देशज शब्दों के भेद इस प्रकार हैं-
(अ) अपनी गढन्त से बने शब्द – अपने अन्तर्मन में उमड रही भावनाओं यथा-खुशी, गम अथवा क्रोध की अभिव्यक्ति करने के लिए व्यक्ति अति भावावेश में कुछ मनगढन्त ध्वनियों का उच्चारण करने लगता है और यही ध्वनियाँ जब बार-बार प्रयोग में आती हैं तो एक बडा जन-समुदाय उनका प्रयोग करने लगता है और धीरे-धीरे उनका प्रयोग साहित्य में भी होने लगता है। जैसे-ऊ धम, अंगोछा,लोटा, परात, ढोर, बुद्ध, चुटकी, चाट, ठठेरा,लपलपाना,खुरपा, खटपट आदि।
(आ) द्रविड जातियों से आये देशज शब्द- कटी, चिकना,अनल, कज्जल, इडली, ताला, लूंगी, डोसा आदि।
(इ) कोल, संथाल आदि जातियों से आए शब्द- पान, परवल, कपास, कोडी, बाजरा, सरसों आदि।
(4) विदेशी शब्द-
राजनीतिक, आर्थिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक कारणों से किसी भाषा में अन्य देंशों की भाषाओं के भी शब्द आ जाते हैं, उन्हें विदेशी शब्द कहते हैं।
हिंदी में अंग्रेजी, फारसी, पुर्तगाली, तुर्की, फ्रांसीसी, चीनी, डच, जर्मनी, रूसी, जापानी, तिब्बती, यूनानी भाषा के शब्द प्रयुक्त होते हैं।
(अ) अंग्रेजी भाषा के शब्द जो प्रायः हिन्दी में प्रयुक्त होते हैं- अफसर,रजिस्टर, स्कूल, पैन,क्लर्क, नर्स, कार,गार्ड, चैक, टेलर, पेपर, बस, रेडियों,टीचर, ट्रक, काॅपी, कोट, टैक्सी, रेल, एजेण्ट, क्लास, स्वेटर, शर्ट, सूट,रेडीमेड, टिकट आदि।
(आ) अरबी भाषा के शब्द- अक्ल, अदालत, आजाद,इलाज, इस्तीफा,जलसा, जिला, तारीख, कमाल, कुर्सी, किताब, किस्मत, कबीला, कीमत,फकीर, फैसला,इंतजार, इनाम, बहस, जनबा,कब्जा, कानून, ताकत,नतीजा, मदद, मतलब, तमाशा, दुनिया,तहसील, नशा, लिफाफा, दौलत, हिम्मत, हलवाई, हुक्म, आदि।
(इ) .फारसी के शब्द- अखबार, अमरूद, आवारा, आमदनी, आसमान, आतिशबाजी, आराम, कमर, खनाना, खर्च,कारीगर, कुश्ती, गुलाब, गुब्बारा, जानवर, , दवा, जलेबी, जेब, जगह, जमीन, तबाह, जुकाम, तनख्वाह, दर्जी, दीवार, मजदूर, नमक, बीमार, नेक, लगाम, शेर, सूखा, सौदागर, सुल्तान, सुल् फा आदि।
(ई) पुर्तगाली भाषा से- आलू, आया, अचार, अगस्त, आलपिन, कारबन,अनन्नास, इस्पात, कमीज, कनस्तर, कमरा, गमला, गोभी, गोदाम, चाबी, पीपा, फीता, बटन, बाल्टी, पपीता, पतलून, मेज, लबादा, संतरा, साबुन आदि।
(उ) तुर्की भाषा से- आका, उर्दू, कुर्की, काबू,कालीन, कुली, कैंची, कलंगी, चाक, चिक, चेचक, चोगा, चम्मच, चुगली, तमाशा, तमगा, तोप, बारूद,बीबी, बेगम, बावर्ची, मुगल, बहादुर, लाश, सराय आदि।
(ऊ) फ्रेन्च (फ्रांसीसी) से- अंग्रेज, कारतूस, कूपन, काजू, टेबुल, मेयर, मार्शल, मीनू, रेस्ट्रां, सूप आदि।
(ए) चीनी से- लीची, चाय, लोकाट, तूफान आदि।
(ऐ) डच से- तुरूप, चिडिया, बम, ड्रिल आदि।
(ओ) जर्मनी से- नात्सी, नाजीवाद, किंडर, गार्टन आदि।
(औ) तिब्बती से- लामा, डांडी।
(अं) रूसी से- सोवियत, जार, रूबल, स्पूतनिक, बुजुर्ग, लूना आदि।
(अः) यूनानी से- एकेडमी, एटम, एटलस, टेलिफोन, बाइबिल आदि।
(5) संकर शब्द-
हिंदी में वे शब्द जो दो अलग-अलग भाषाओं के शब्दों को मिलाकर बना लिए गए हैं, संकर शब्द कहलाते हैं। जैसे-
वर्षगांठ – वर्ष (संस्कृत) + गाँठ (हिंदी)
रेलयात्री – रेल(अंग्रजी) + यात्री(संस्कृत)
उद्योगपति – उद्योग(संस्कृत) + पति(हिंदी)
बेढंगा – बे(.फारसी) + ढंगा(हिंदी)
नेकनीयत – नेक(.फारसी) + नीयत(अरबी)
बेकायदा – बे(.फारसी) + कायदा (अरबी)
टिकिट घर – टिकिट (अंग्रजी)+ घर(हिंदी)
जांॅचकर्ता – जांॅच(.फारसी) + कर्ता(हिंदी)
बेआब – बे(.फारसी) + आब(अरबी)
बमवर्षा – बम(अंग्रजी) + वर्षा(हिंदी)
सजा प्राप्त – सजा(.फारसी) + प्राप्त(हिंदी)
उडनतश्तरी – उडन(हिंदी) + तश्तरी(.फारसी)
(ख) रचना के आधार पर-
नए शब्द बनाने की प्रक्रिया को रचना बनावट कहते हैं। रचना प्रक्रिया के आधार पर शब्दों के तीन भेद किये जाते हैं-
(1) रूढ शब्द (2) यौगिक शब्द (3) योगरूढ शब्द
(1) रूढ शब्द-
वे शब्द जो किसी व्यक्ति, स्थान, प्राणी और वस्तु के लिए वर्षों से प्रयुक्त होने के कारण किसी विशिष्ट अर्थ में प्रचलित हो गये हैं, ’रूढ शब्द’ कहलाते हैं। इन शब्दों की निर्माण प्रक्रिया भी ज्ञात नहीं होती तथा इनका कोई अन्य अर्थ भी नहीं होता।
जैसे- देवता, दूध, रोटी, मेंढक, स्त्री, दीपक, पेड, पत्थर, गाय,आकाश आदि।
(2) यौगिक शब्द –
वे शब्द जो दो या दो से अधिक शब्दों से बने हैं। उन शब्दों का अपना पृथक अर्थ भी होता है किन्तु मिलकर अपने मूल अर्थ के अतिरिक्त एक नये अर्थ का भी बोध कराते हैं, उन्हें ’यौगिक शब्द’ कहते हैं। समस्त संधि, समास, उपसर्ग एवं प्रत्यय से बने शब्द यौगिक शब्द कहलाते हैं।
जैसे – विद्यालय=(विद्या+आलय), प्रतिदिन(प्रति+दिन), शिरसागर =(शिर+सागर), देवालय=देव+आलय, देवपुरुष=देव +पुरुष, हिमालय=हिम+आलय, देवदूत=देव+दूत, दूधवाला=(दूध+वाला), राष्ट्रपति=(राष्ट्र+पति), एवं महर्षि=(महा+ऋषि)।
(3) योगरूढ शब्द-
वे यौगिक शब्द जिनका निर्माण पृथक-पृथक अर्थ देने वाले शब्दों के योग से होता है, किन्तु वे अपने द्वारा प्रतिपादित अनेक अर्थों में से किसी एक विशेष अर्थ का ही प्रतिपादन करने के लिए रूढ हो गये हैं, ऐसे शब्दों को योगरूढ शब्द कहते हैं।
जैसे-पंकज=पंक+ज (कीचड़ में उत्पन्न होने वाला) सामान्य अर्थ में प्रचलित न होकर कमल के अर्थ में रूढ़ हो गया है। अतः पंकज शब्द योगरूढ़ है। इसी प्रकार ’पीताम्बर’ शब्द ’पीत’ (पीला)+’अम्बर’(वस्त्र) के योग से बना है किन्तु अपने मूल अर्थ से इतर इस शब्द का अर्थ ’विष्णु’ रूढ है। इसी प्रकार दशानन, गजानन, जलज, लम्बोदर, त्रिनेत्र चतुर्भुज, घनश्याम, रजनीचर, मुरारि, चक्रधर, षडानन आदि शब्द योगरूढ हैं।
(ग) प्रयोग के आधार पर-
प्रयोग अथवा रूप् परिवर्तन के आधार पर हिन्दी में शब्दों के दो भेद किए जाते है।-
(1) विकारी-
वे शब्द जिनका लिंग, वचन, कारक एवं काल के अनुसार रूप परिवर्तित हो जाता है, विकारी शब्द कहलाते हैंै। विकारी शब्दों में समस्त संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण तथा क्रिया शब्द आते हैं |
(2) अवकारी या अव्यय शब्द-
वे शब्द जिनका लिंग, वचन, कारक एवं काल के अनुसार रूप परिवर्तित नहीं होता, अविकारी या अव्यय शब्द कहलाते हैंै। इन शब्दों का रूप सदैव वही बना रहता है। इसलिए इन्हें अव्यय कहा जाता है। अविकारी शब्दों में क्रिया विशेषण, सम्बन्ध बोधक, समुच्चय बोधक तथा विस्मयादि बोधक आदि अव्यय शब्द आते हैं।
(घ) अर्थ के आधार पर-
अर्थ के आधार पर शब्दों के निम्नांकित भेद किये जाते हैं-
(1) एकार्थी शब्द– जिन शब्दों का प्रयोग एक ही अर्थ में होता है उन्हें एकार्थी शब्द कहते हैं।
जैसे – दिन, घूप, लडका, पहाड, नदी आदि।
(2) अनेकार्थी शब्द– जिन शब्दों के अर्थ एक से अधिक होते हैं उन्हें अनेकार्थी शब्द कहते हैं। इनका प्रयोग अलग-अलग अर्थ में प्रसंगानुसार किया जाता है।
जैसे-अज, अमतृ , कर, सारंग, हरि आदि।
(3)पर्यायवाची शब्द– वे शब्द जिनका अर्थ समान होता है। अर्थात् किसी शब्द के समान अर्थ की प्रतीति कराने वाले अथवा अर्थ की दृष्टि से लगभग समानता रखने वाले शब्द पर्यायवाची कहलाते हैं।
जैसे – अग्नि ,अनल ,पावक , शब्द ’आग ’ के समानार्थी हैं अतः ये शब्द आग के पर्यायवाची शब्द हैं।
(4)विलोम शब्द- एक दूसरे का विरीत अर्थ देन वाले शब्द विलोम शब्द कहलाते हैं। जैसे-दिन-रात, माता-पिता आदि।
(5) सम उच्चरित शब्द या युग्म शब्द– वे शब्द जिनका उच्चारण समान प्रतीत होता है किन्तु अर्थ पूर्णतया भिन्न होता है उन्हें समानार्थी प्रतीत होने वाले भिन्नार्थक शब्द अथवा ’युग्म-शब्द’ कहते हैं
जैसे – आदि-आदी।
’आदि’ का अर्थ प्रारम्भिक है किन्तु ’आदी’ का अर्थ है आदत होना अथवा लत होना। इस प्रकार उच्चारण समान प्रतीत होते हुए भी अर्थ भिन्न हैं।
(6) शब्द समूह के लिए एक शब्द- जब किसी वाक्य, वाक्यांश या समूह का तात्पर्य एक शब्द द्वारा अभिव्यक्त किया जाता है अथवा ’एक शब्द’ में उस वाक्यांश का अर्थ निहित हो, उसे ‘शब्द समूह’ के लिए ‘एक शब्द’ कहते हैं। जैसे-जहांॅ जाना संभव न हो = अगम्य। जो अपनी बात से टले नहीं अटल।
(7) समानार्थक प्रतीत होने वाले भिन्नार्थक शब्द– ऐसे शब्द जो प्रथम दृष्टया रचना की दृष्टि से समान प्रतीत होते हैं एवं अर्थ की दृष्टि से भी बहुत समीप होते हैं। किंतु उनके अर्थ में बहुत सूक्ष्म अंतर होता है तथा अलग संदर्भ में ही जिनका प्रयोग संभव हैं, जैसे-
अस्त्र- फेंक कर वार किये जाने वाले हथियार जैसे- तीर, भाला आदि।
शस्त्र- जिन हथियारों का प्रयोग हाथ में रखकर किया जाता है, जैसे – तलवार, लाठी, चाकू आदि।
(8) समूहवाची शब्द- ऐसं शब्द जो एक समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं अथवा सामूहिक वस्तुओं का अर्थ प्रकट करते हंै उन्हें समूहवाची शब्द कहते हैं, जैसे-
गट्ठर-लकडी या पुस्तकों का समूह।
गुच्छा-चाबियों या अंगूर का समूह।
गिरोह-माफिया या चोर, डाकुओं का समूह।
रेवड-भेड, बकरी या पशुओं का समूह।
इसी प्रकार झुण्ड, टुकडी, पंक्ति, माला आदि शब्द हैं।
(9) ध्वन्यार्थक शब्द- ऐसे शब्द जिनका अर्थ ध्वनि पर आधारित हो, उन्हें ध्वन्यार्थक शब्द कहते हैं। इनको निम्नांकित उपभेदों में बांॅट सकते हैं-
पशुओं की बोलियांॅ-दहाडना(शेर), भौंकना(कुता), हिनहिनाना(घोडा), चिंघाडना(हाथी), मिमियाना(भेंड, बकरी), रंभाना(गाय), फुंफकारना(सांॅप), टर्राना(मेंढक), गुर्राना(चीता), एवं म्याऊंॅ(बिल्ली) आदि।
पक्षियों की बोलियांॅ – चहचहाना(चिडिया), पीऊ-पीऊ(पपीहा), कांॅव-कांॅव(कौआ), गुटर गूंॅ(कबूतर), कुकडू कंू(मुर्गा), कुहुकना(कोयल) आदि।
जड पदार्थों की ध्वनियांॅ – कडकना(बिजली), खटखटाना(दरवाजा), छुक-छुक(रेलगाडी), गरजना(बादल), खनखनाना(सिक्के) आदि।
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