ऊर्जा के स्त्रोत । Sources of energy

ऊर्जा के स्त्रोत । Sources of energy । Class 10th Physics । chapter 6 । Hindi Medium

ऊर्जा के स्त्रोत । Sources of energy : आज इस पोस्ट के माध्यम से हम कक्षा-10 के पाठ ऊर्जा के स्त्रोत । Sources of energy का अध्ययन करेंगे।

Sources of energy in H

ऊर्जा ( Energy )

कार्य करने की क्षमता को ऊर्जा कहते है । ऊर्जा के खर्च होने पर ही वस्तु कार्य करती है । ऊर्जा कई प्रकार की होती है । जैसे – यांत्रिका ऊर्जा , प्रकाश ऊर्जा , ऊष्मा ऊर्जा आदि ।

ऊर्जा संरक्षण की सिद्धांत ( Law of conservation of energy ) 

ऊर्जा न तो उत्पन्न और न ही नष्ट की जा सकती है । ऊर्जा को परिवर्तित किया जा सकता है ।

ईंधन : ऊर्जा का अच्छा स्त्रोत ( Fuel : Good sources of energy )

वैसे पदार्थो को ईंधन कहते हैं जो दहन पर ऊष्मा उत्पन्न करते है ।

अच्छा ईंधन वह है – 

  1. जो जलने पर अधिक ऊष्मा निर्मुक्त करे ।
  2. जो आसानी से उपलब्ध हो ।
  3. जो अधिक धुआँ उत्पन्न न करे ।
  4. जिसका भंडारण और परिवहन आसान हो ।
  5. जिसका दहन पर विषैले उत्पाद पैदा न हो ।

जीवश्म ईंधन ( Fossil fuels ) 

करोड़ों वर्षों तक पृथ्वी की सतह में गहरे दबे हुए पौधों और पशुओं के अवशेषों द्वारा जीवाश्म ईंधन बने है । जीवाश्म ईंधन ऊर्जायुक्त कार्बन यौगिक के अणु है । जैसे – कोयला, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस ।

जीवाश्म ईंधन का प्रयोग बड़े पैमाने पर हो रहा है, जिसके वायु प्रदुषण का भी खतरा है । चूँकि जीवाश्म ईंधन अनवीनकरणीय स्त्रोत है और इसकी उपलब्धता भी सीमित है इसलिए यह जल्दी ही खत्म हो जाएगा ।

तापीय शक्ति संयोग ( Thermal power plant ) –

शक्ति स्टेशनों में जीवाश्म इंधनों की बड़ी मात्रा प्रतिदिन जुलाई जाती है ताकि यानी गर्म कर माप उत्पन्न की जाए । यह भाप विधुत उत्पन्न करने के लिए टरबाइन चलाती है। टरबाइन एक बड़े विधुत मोटर है जुड़ा रहता है जिसके घुणन से विधुत धारा उत्पन्न होती है।

जल-शक्ति संयंत्र ( Water-power plant ) –

जल-विधुत उत्पन्न करने के लिए नदी पर ऊँचे बाँध पानी के प्रवाह को रोकने के लिए बनाए जाते है और विशाल हौजों में पानी जमा किया जाता है । पानी तल ऊँचे उठता है और इस प्रकिया में बहते हुए पानी की गतिज ऊर्जा स्थितिज ऊर्जा में बदल जाती है । बाँध ऊँचे-ऊँचे तल से पानी को पाइपों द्वारा बाँध की तली पर विधुत जनित्र के टरबाइन तक पहुँचाया जाता है और यह पानी टरवाइन को घुमाता है । टरवाइन में एक बड़ा सा मोटर लगा रहता है । जिससे विधुत-धारा उत्पन्न होती है ।

जल-शक्ति संयंत्र ( Water-power plant )

जल विधुत के लाभ – 

  1. ऊर्जा का यह स्त्रांत नवीकरणीय है और प्रदूषण मुक्त है ।
  2. अन्य प्रकार के शक्ति संयत्रों की तुलना में जल-विधुत उत्पादन की कीमत कम होती है ।
  3. जल-विधुत संयंत्र के लिए बनाए गए बाँध बाढ़-नियंत्रण और सिचाई में भी सहायक होते है ।

जल-विधुत की हानियाँ – 

  1. सिर्फ पहाड़ी भू-भागों पर बाँध बनाए जा सकते है ।
  2. बाँध के कारण कृषियोग्य भूमि और मानव निवास के बड़े क्षेत्र को त्यागना पड़ता है, क्योंकि वह स्थान जलमग्न हो जाता है ।
  3. जलमग्न वनस्पति ऑक्सीजन के बिना सड़ने से मेथेन की बड़ी मात्रा उत्पन्न करती है जो पर्यावरण के लिए हानिकारक है ।

बायोगैस संयंत्र ( Biogas plant )

 यह संयंत्र ईटों से बना एक गुंबद रूप संरचना है । गोबर और पानी का गारा, मिश्रण टंकी में बनाया जाता है, जहाँ से यह पाचित्र में पहुँचाया जाता है । अनॉक्सी सूक्ष्म-जीवाणुओं के द्वारा विघटन कि प्रक्रिया होती है । जिसके फलस्वरूप मेथेन, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन जैसे गैसों की उत्पति होती है ।

              बायोंगैस में 75 % तक मेथेन रहता है जो एक उत्तम इधन है । बचा हुए गारे को नियमित समय-अंतरालों पर हटाया जाता है । इसका उपयोग उत्तम खाद के रूप में होता है ।

बायोगैस संयंत्र ( Biogas plant )

बायोगैस संयंत्र के लाभ – 

  1. बायोगैस संयंत्र सस्ता होता है ।
  2. बायोगैस चलाने में यह संयंत्र सुविधाजनक पदार्थ होता है ।
  3. बायोगैस सर्वत्र आसानी से बनाया जा सकता है ।

पवन ऊर्जा ( Wind energy )

पवन ऊर्जा का उपयोग विधुत उत्पादन के लिए किया जाता है । पवन चक्की में एक विधुत पंखा के समान संरचना होती है जो पवन ऊर्जा तक बड़ी को जाती है विधुत जनित्र ले टरवाइन का घुमाने के लिए होता है । टरबाइन से एक बड़ा विधुत नोटर लगा रहता है । जिससे विधुत-धारा उत्पन्न होती है ।

पवन ऊर्जा के लाभ – 

  1. पवन ऊर्जा नवीकरणीय ऊर्जा का पर्यावरण अनुकूल और दक्ष स्त्रोत है
  2. विधुत उत्पादन के लिए आपर्तक व्यय आवश्यक नहीं होता है ।

पवन ऊर्जा की सीमाएँ – 

  1. पवन ऊर्जा फार्म उन्ही स्थानों पर स्थापित किए जा सकते है जहाँ वर्ष के अधिक भाग तक पवन चलता है ।
  2. टरबाइन की आवश्यक चाल को बनाए रखने के लिए पवन चाल 15 km/h से अधिक होना चाहिए ।
  3. पवन ऊर्जा फार्म की स्थापना के लिए भूमि का बड़ा क्षेत्र आवश्यक होता है ।
  4. फार्म संस्थापन की प्रारंभिक लागत बहुत अधिक होती है ।

सौर-कुकर ( Solar Coker )

सौर कुकर धातु का बना दोहरी ही दिवारवाला एक आयताकार बॉक्स होता है जिसमें एक समतल दर्पण एक विशेष कोण पर लगा होता है, ताकि वह सूर्य-प्रकाश को बॉक्स की भीतर पर परावर्तित कर सकें ऊष्मा-रोधी पदार्थ दीवारों के बीच भरी होती है बॉक्स की भीतरी दीवारें काले रंग से रंगी होती है । सूर्य के प्रकाश में रखने पर दो-तीन घंटों में कुकर के अंदर का ताप 100° C से 140° C तक हो जाता है । जिससे भोजन आसानी से पक जाता है ।

सौर-कुकर के लाभ – 

  1. सौर कुकर सस्ता होता है ।
  2. अनेक बरतनों में विभिन्न खाद्य पदार्थों को कुकर के भीतर रखकर पकाया जा सकता है ।
  3. ये कुकर ईंधन की खपत कम करते है ।
  4. ये धुआँ उत्पन्न नहीं करते है ।

सौर कुकर की हानियाँ – 

  1. सौर कुकरों का उपयोग सिर्फ दिन के समय ही किया जा सकता है ।
  2. सिर्फ गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में इनका उपयोग प्रभावकारी ढंग से किया जा सकता है ।
  3. जाड़े और बादल वाले दिनों में भोजन पकाने में लंबा समय लेते है ।
  4. भोजन तलने या रोटी पकाने के लिए इनका उपयोग नहीं किया जा सकता है ।

सौर सेल ( Solar cell )

सौर सेल एक ऐसी युक्ति है जो सौर ऊर्जा को सीधे विधुत ऊर्जा में बदल देता है । सौर सेल में लगे सेल एक प्रकार के परिवर्तित अर्धचालकों के बने होते है । एक प्रस्पी सौर सेल 0.5 – 1 V की वोल्टता उत्पन्न करता है । बड़ी संख्या में सौर सेलों को एक व्यवस्था में संयोजित किया जाता है इस व्यवस्था को सौर सेल पैनेल कहते है । सौर सेल पैनेल व्यावहारिक उपयोग के लिए पर्याप्त विधुत उत्पन्न कर सकता है ।

सौर सेल के लाभ – 

  1. सौर सेलों कोई चले हिस्से नहीं होते है ।
  2. कम रख-रखाव की जरुरत होती है ।
  3. कृत्रिम उपग्रह और अंतरिक्ष में ऊर्जा के मुख्य स्त्रोत के रूप में सौर सेलों का उपयोग होता है ।
  4. यातायात सिग्नलों , कैलकुलेटर और अनेक खिलौनें में सौर सेल लगे होते है ।

सौर ऊर्जा की हानियाँ – 

  1. निर्माण की प्रक्रिया बहुत खर्चीली है ।
  2. उच्च कीमत के कारण सौर सेलों का घरेलू उपयोग सिमित है ।

सागर से ऊर्जा – सागर से कई प्रकार से ऊर्जा प्राप्त हो सकती है :

ज्वारीय ऊर्जा ( Tidal energy ) –

घूमती पृथ्वी पर मुख्यत: चंद्रमा के गुरुत्वीय खिंचवा के कारण सागर में पानी का तल उठता और गिरता है । इस घटना को उच्च ज्वार और निम्न ज्वार कहते है और सागर तलों में यह अंतर हमें ज्वारीय ऊर्जा देता है । इसके लिए बाँध बनाकर उच्च ज्वार के दौरान सागर में पानी का तल चढ़ता है । जब पानी तल गिरना शुरू करता है तो बाँध के द्वारा बंद कर दिए जाते है । उसके बाद बाँध के गेट को खोल टरबाइन घुमाया जाता है । टरबाइन से जुड़े मोटर में बदल जाती है ।

तरंग ऊर्जा ( Wave energy )

सागर तट के निकट विशाल तरंगों द्वारा अधिकृत गतिज ऊर्जा का उपयोग विधुत ऊर्जा के उत्पादन के लिए किया जाता है । सागर के आड़े बहते पवनों द्वारा तरंगें उत्पन्न की जाती है । जिन तरगों से टरबाइन घुमाकर विधुत धारा उत्पन्न की जाती है ।

महासागर तापीय ऊर्जा ( Ocean thermal energy ) –

महासागर तापीय ऊर्जा संयंत्र का उपयोग महासागर में उस जगह होता है जहाँ सतह पर पानी और 2 km की गहराई तक पानी के बीच ताप का अंतर 20° C या उससे अधिक हो । गर्म सतह-पानी का उपयोग अमोनिया ( NH3 ) जैसे वाष्पशील द्रव को उबालने के लिए किया जाता है तथा द्रव के वाष्प का उपयोग जनित्र के टरबाइन को चलाने के लिए किया जाता है । महासागर की गहराई से ठंडे पानी को ऊपर की और पंप किया जाता है और वाष्प को फिर से द्रव में संघनित किया जाता है ।

भू-ऊष्मीय ऊर्जा ( Geothermal energy )

भूवैज्ञानिकी परिवर्तनों के कारण, पृथ्वी के पर्पटी के गहरें गर्म क्षेत्रों के बने पिघले चट्टान ऊपर की ओर धकेले जाते हैं और निश्चित क्षेत्रों में फँस जाते हैं । जिन्हें गर्म स्पॅट के संपर्क में आता है तो भाप उत्पन्न होती है । चट्टानों में फँसी भाप पाइप से होकर टरबाइन तक भेजी जाती है और विधुत उत्पादन के लिए इस्तेमाल होती है ।

नाभिकीय ऊर्जा ( Nuclear energy )

नाभिकीय ऊर्जा उत्पन्न करने की एक प्रक्रिया नाभिकीय विखंडन है । नाभिकीय विखंडन में यूरेनियम, प्लूटीनियम जैसे एक भारी परमाणु कम ऊर्जा न्यूट्रॉनों द्वारा बमवर्षित होते है । तो वे हल्के नाभिकों में टूट जाते है, जिसके ऊर्जा की विशाल मात्रा निमक्त होती है निर्मुक्त ऊर्जा का उपयोग भाप उत्पन्न करने और विधुत उत्पादन के लिए किया जा सकता है ।

खतरा – नाभिकीय शक्ति में खर्च किए इधनों का भंडारण और निपटान सबसे बड़ा खतरा है ।

हानि – नाभिकीय शक्ति संयंत्र की उच्च कीमत, पर्यावरण संदूषण और यूरेनियम की सीमित उपलब्धता नाभिकीय ऊर्जा का बड़े पैमाने पर उपयोग निषेधन बनता है ।

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