वसंत ऋतु पर निबंध

वसंत ऋतु पर निबंध- Spring Season Essay in Hindi

वसंत ऋतु पर निबंध : दोस्तों इस आर्टिकल में हम आपके लिए Spring Season Essay in Hindi ( Basant Ritu Par Nibandh ) शेयर कर रहे है, हमने 100 words, 200 words, 250 words, 300 words, 500 words 600 words ke essay लिखे है जो की class 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10,11,12 ke students | Vidyarthi ke liye upyogi hai.

In this article, we are providing information about Spring Season in Hindi | 4 well written essay on Spring Season in Hindi Language. बसंत ऋतु पर पूरी जानकारी जैसे की सामान्य परिचय, प्राकृतिक शोभा, जन-जीवन, लाभ-हानि अदि के बारे बताया गया है।

वसंत ऋतु पर निबंध

10 Lines Essay on Spring Season in Hindi

  1. बसंत ऋतु का स्वागत करने हेतु प्रकृति का कण-कण खिल उठता है ।
  2. बसंत ऋतु को ‘ऋतुराज’ की उपधि दी गई है।
  3. यह पर्व केवल मौसमी ही नही हैं, इसका आर्थिक महत्व भी हैं ।
  4. बसंत ऋतु शिशिर ऋतु की समाप्ति पर आती है।
  5. बसंत पंचमी और होली बसन्त ऋतु के ही पर्व हैं।
  6. बसंत ऋतु के आते ही पेड़-पौधों में नए-नए पत्ते लग जाते हैं।
  7. बसंत ऋतु का प्राकृतिक सौन्दर्य देखकर जन-जन का मन प्रसन्न हो जाता है।
  8. हमें इस ऋतु का खुले मन से स्वागत करना चाहिए।
  9. बसंत ऋतु हर प्राणी के लिए सुखद और स्वास्थ्यवर्द्धक है।
  10. बसंत ऋतु में चारों ओर प्रकृति का सौंदर्य निखर उठता है।

वसंत ऋतु पर निबंध | Basant Ritu Par Nibandh 300 words

अहा ! बसन्त ऋतु आ गई। चारों ओर प्रकृति का सौंदर्य निखर उठा । प्राणी मोहित हो उठे । शीतल पवन का स्पर्श से लता कुंज महक उठे । सरसों पीले वस्त्रों में सुसज्जित खेतों में नृत्य कर उठी । खेतों की हरियाली फूलों की मुसकान, कोयल को कुहू-कुहू पपीहे का बसन्त राग सुनकर कौन-सा जीव बिना झूमें रह सकता है । बसन्त का स्वागत करने हेतु प्रकृति का कण-कण खिल उठता है ।

भारत की छह ऋतुएं ग्रीष्म, वर्षा, शरद् ,शिशिर, हेतन्त और बसन्त है । इनमें से बसन्त को ‘ऋतुराज’ की उपधि दी गई है। यह हर्ष से भरपूर पर्व प्रति वर्ष भारत में भादवा सुदी पंचमी के दिन मनाया जाता है । इस उवसर पर बच्चे लेकर बूढ़े तक हर मानव पर एक नया रूप छा जाता है । प्रकृति की सुन्दर छवि देख कर सब विभोर हो उठते हैं । सारे घरों में लोग पीतवर्ण के वस्त्र धारण करके प्रकृति की सुन्दरता से मेल रखने की चेष्टा करते हैं। इस दिन नव-युवतियां पीली साड़ियों में लता के समान झूम उठती हैं, इसके अतिरक्त कई प्रकार के नए-नए पकवान तैयार किए जाते हैं । विशेषकर नव-विवाहित रमणियों के लिए तो यह दिवस हर्ष व उल्लास की झोली भर लाता हैं। उन्हें अपने माता-पिता से पीले रंग के सुन्दर वस्त्र मिलते हैं। लोग पीले रंग के चावलों का पुलाव में तो इस दिवस पर एक और विशेष रीति देखने योग्य है। इस दिन सारे आकाश में पतंग ही पतंग उड़ते हुए नीले व पीले रंग के सुन्दर पक्षी से जान पड़ते हैं ।

यह पर्व केवल मौसमी ही नही हैं, इसका आर्थिक महत्व भी हैं । इसे शुभ मानकर कई समारोह इसी दिन निश्चित किए जाते हैं । बसन्त आता है और अपने साथ लाता है रंग भरी होली। इसमें सभी को रंग खेलने का अवसर मिलता है । स्वास्थ्य सुधारने के लिए यह ऋतु विशेष महत्व रखती है । देह में फुर्ती-सी आती है, न तो सर्दी की कंप-कंपी न गर्मी की लू । ऐसे सुन्दर दिन और शीतल रातों का मोह सबको बसन्त की प्रशंसा करने पर बाध्य कर देता है। ऐसे आमोद में बसन्त का पर्व हमारे देश में मनाया जाता है ।

Spring Season Essay in Hindi ( 350 words )

भारत प्रकृति रूपी नटी की क्रीडास्थली है। इसकी प्राकृतिक शोभा को बढ़ाने में ऋतुओं का बड़ा ही महत्त्वपूर्ण स्थान है। हमारे देश में छह ऋतुएँ क्रम से आती हैं। ये हैं- बसन्त, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमन्त और शिशिर। उनमें सर्वश्रेष्ठ मादक और आकर्षक ऋतु है- बसन्त ऋतु। इसे ‘ऋतुराज’ का ‘ऋतुपति’ भी कहा जाता है।

बसन्त ऋतु शिशिर ऋतु की समाप्ति पर आती है। बसन्त के आते ही प्रकृति में नई उमंग भर जाती है; उसका आँचल विविध प्रकार के फूलों से भर जाता है। वृक्षों, पादपों और लताओं पर नई कोपलें फूटने लगती हैं। आमों पर बौर आने लगते हैं। माधवी लता पर फूल खिलकर भौरों के पास आने का निमंत्रण देते हैं। वनों में खिले हुए लाल-लाल टेसू और खेलों में सरसों के पीले फूल हृदयों में मस्ती और आनन्द का संचार कर देते हैं। गुलाब, गेंदा, चम्पा, चमेली सब की अनुपम शोभा देखते ही बनती है। बसन्त में मौसम बड़ा ही सुहावना हो जाता है। न अधिक गर्मी होती है और न अघि कि सर्दी। फूलों की अधिकता के कारण ही यह ऋतु ‘कुसुमाकर’ बन जाती है।

बसन्त के इस मादक वातावरण से मस्त होकर कोयल मधुर स्वर से कूकने लगती है। प्राणी भी नव जीवन पाकर प्रसन्न हो जाते हैं। बसन्त का शीतल, मन्द, सुगन्ध वायु मानव-मन को हर्षित कर स्फूर्ति से भर देता है।

बसन्त पंचमी और होली बसन्त ऋतु के ही पर्व हैं। बसन्त का आरम्भ बसन्त पंचमी से ही मनाया जाता है। इसे ही ‘श्री पंचमी’ भी कहते हैं। प्राचीन काल में इस दिन नृत्य, गीत, नाटक आदि का आयोजन किया जाता था। इस दिन लोग पीले फूलों से घरों को सजाते हैं। श्री पंचमी का यह दिन अत्यन्त ही शुभ माना जाता है। अतः विवाह, नामकरण आदि कई शुभ कार्य इस दिन किए जाते हैं। बसन्त पंचमी के दिन लोग बसन्त रंग के वस्त्र पहनकर नाचते-गाते हैं। इसी दिन विद्या की देवी सरस्वती का पूजन भी किया जाता है। होली के रंग भरे त्यौहार में इसका सर्वश्रेष्ठ रूप देखने को मिलता है। यह ऋतु वीरों के मन में बलिदान की प्रेरणा भी जगाती है।

वस्तुतः बसन्त उल्लास, उमंग तथा नव जीवन का संचार करने वाली और देश-धर्म के लिए बलिदान एवं त्याग की प्रेरणा देने वाली श्रेष्ठ ऋतु है। इसका नाम ऋतुराज सार्थक ही है।

Basant Ritu Essay in Hindi | वसंत ऋतु पर निबंध

भूमिका

समय सदा बदलता रहता है। ग्रीष्म के बाद वर्षा उसके बाद जाड़ा आता है। जिस प्रकार हम एक ही प्रकार का भोजन प्रतिदिन करें तो उससे मन ऊबने लगता है, वैसे ही एक ही ऋतु रहने से हमारे जीवन में एकरसता आ जाती है। मौसम बदलने से हमारी नीरसता और एकरसता दूर होती है। अतः ऋतु परिवर्तन बहुत आवश्यक है।

सामान्य परिचय

भारत में कुल छः ऋतुएँ होती हैं। बसंत ऋतु उनमें सबसे श्रेष्ठ ऋतु’मानी जाती है। यह अन्य सभी ऋतुओं से सुन्दर और सुखद ऋतु है। इसलिए इसे “ऋतु राज’ कहा जाता है। इस ऋतु में मौसम बहुत सुहावना होता है। इस समय न अधिक जाड़ा पड़ता है और न ही अधिक गर्मी पड़ती है। हर ऋतु दो महीने की होती है। बसंत ऋतु चैत्र और बैसाख महीने में आती है। मनुष्य, पशु-पक्षी और प्रकृति सभी इसका खूब स्वागत करते हैं।

प्राकृतिक शोभा

बसंत ऋतु शिशिर या पतझड़ ऋतु के बाद आती है। पतझड़ ऋतु में पेड़-पौधों के पत्ते पीले होकर झड़ जाते हैं। प्रकृति में हर ओर उदासी छा जाती है। बसंत ऋतु के आते ही पेड़-पौधों में नए-नए पत्ते लग जाते हैं। चारों और फूल-फल दिखाई देने लगते हैं। शीतल मंद सुगन्ध बयार बहने लगती है। बाग-बगीचों, खेतों में लहलहाती फसलों में फूल खिल जाते हैं। चारों ओर सुगंध फैल जाती है। फूलों पर भौरे गुनगुन गीत गाते मँडराने लगते हैं। अमराइयों में कोयल फूंकने लगती है। फूलों के आस-पास तितलियाँ घूमने लगती हैं। जलाशयों में कमल के फूल खिल जाते हैं जिनकी शोभा अपूर्व होती है। गाँव के बाहर दूर तक फैले खेतों में तीसी, सरसों, अरहर के फूल बासंती हवा के झोकों से झूमने लगते हैं। बसंत का प्राकृतिक सौन्दर्य देखकर जन-जन का मन प्रसन्न हो जाता है। कहने का अर्थ यह है कि बसंत की प्राकृतिक शोभा अपूर्व होती है।

जन-जीवन

बसंत ऋतु का प्रभाव मनुष्य के मन पर भी पड़ता है। मनुष्य जितना स्वस्थ और प्रसन्न इस ऋतु में होता है उतना किसी अन्य ऋतु में नहीं। मनुष्य पर्वो’ के माध्यम से आन्नद लेता है। बसंत ऋतु में अनेक त्यौहार मनाए जाते हैं। यद्यपि बसंत ऋतु का काल चैत–बैसाख मास है, किन्तु इसका प्रारंभ माघ शुक्ल पंचमी से ही हो जाता है। इस दिन बसंतोत्सव मनाया जाता है। इस दिन लोग सरस्वती देवी की पूजा करते हैं। माँ सरस्वती विद्या की देवी हैं। इसलिए इस दिन छात्र-छात्राएँ बहुत उल्लास से माँ सरस्वती की पूजा करते हैं। इसके कुछ दिन बाद महाशिवरात्रि का त्यौहार आता है। इस दिन लोग बड़ी श्रद्धा से शिवजी की पूजा करते हैं। फागुन पूर्णिमा को होली का त्यौहार प्रारम्भ होता है। इस दिन होलिका दहन होता है। दूसरे दिन बच्चे, जवान और बूढ़े सभी उत्साह के साथ रंग खेलते हैं। भगवान राम के जन्म दिवस के रूप में राम नवमी इसी ऋतु में मनाई जाती है। इस पर्व पर भारतीय रामचन्द्रजी के आदर्शों को याद करते है।

लाभ-हानि

बसंत ऋतु में मनुष्य प्रसन्न रहता है। प्रकृति का रूप सुन्दर और आकर्षक होता है। इस वातावरण का प्रभाव मनुष्य के स्वास्थ्य पर बहुत अच्छा पड़ता है। इस ऋतु में लोगों का स्वास्थ्य बहुत अच्छा रहता है। ऐसे समय में व्यायाम करना और प्रातः भ्रमण करना स्वास्थ्य के लिए अनुकूल होता है। यह ऋतु ग्रामवासियों के लिए अधिक लाभप्रद है, शहर के लिए उतना नहीं। बसंत का प्रभाव नगर वासियों पर अधिक नहीं पड़ पाता है। फिर भी नगरवासी अपनी सीमा में बसंत का आनंद लेते हैं।

इस ऋतु में चेचक का रोग होता है जिसे बसंत रोग कहते हैं। यह रोग विशेषरूप से बच्चों को होता है। इस रोग के कारण अनेक लोगों की मृत्यु हो जाती है और अनेक लोगों के चेहरे विकृत हो जाते हैं। कुछ लोगों की आँखें भी चली जाती हैं।

उपसंहार

बसंत ऋतु हर प्राणी के लिए सुखद और स्वास्थ्यवर्द्धक है। कवियों ने इस ऋतु की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। इस ऋतु में हमें प्राकृतिक उपादानों-नदी, तालाब, समुद्र, झरनों, खेतों, मैदानों आदि के निकट रहना चाहिए। इसी अवस्था में हम बसंत का आनंद ले सकते हैं। हमें इस ऋतु का खुले मन से स्वागत करना चाहिए।

इसे भी पढ़ें :

1 thought on “वसंत ऋतु पर निबंध”

Leave a Comment

close