टिप्पणी लेखन की 11 विशेषताएँ और नियम
टिप्पणी लेखन की 11 विशेषताएँ और नियम : टिप्पणी लिखते समय कौन-कौन सी सावधानियाँ बरतनी चाहिए ? अथवा ” टिप्पणी लेखन सम्बन्धी सामान्य नियमों पर प्रकाश डालिए। अथवा ‘’ टिप्पणी लिखते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ? अथवा ‘’ टिप्पणी की विशेषताओं का उल्लेख विस्तारपूर्वक कीजिए। अथवा ‘’ टिप्पणी-लेखन में प्रयुक्त होने वाले कुछ वाक्यांशों का उल्लेख कीजिए। अथवा ‘’ टिप्पणी को परिभाषित करते हुए उसकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
टिप्पणी लेखन की 11 विशेषताएँ और नियम
टिप्पणी वह सोच है जो किसी भी विचाराधीन पत्र के निस्तारण के लिए लिखी जाती है। अतः विचारधीन पत्रों को निपटाने की सुविधा के लिए उसपर जो अभियुक्तियाँ लिखी जाती हैं. वे टिप्पणियाँ कहलाती हैं। इन्हें आख्याए भी करत ह । इसमें पहले के पत्रों के सारांश निर्णय करने योग्य प्रश्न और कार्यवाही सम्बन्धी आदेश सभी लिखे होते हैं।
डॉ. ईश्वर दत्त ‘शील‘ के शब्दों में, “कार्यालय में आये हुए किसी विचाराधीन पत्र का निस्तारण को सुगम और सरस बनाने के लिए सहायक पदाधिकारियों द्वारा पूर्व सन्दर्भ, वर्तमान तथ्य तथा कार्यवाही के सुझाव सहित जो अभियुक्तियाँ या आख्याएँ लिखी जाती हैं, उन्हें टिप्पणी कहते हैं।“
डॉ. द्वारिकाप्रसाद सक्सेना के शब्दों में, “पत्रों पर अन्तिम निर्णय होने तक अथवा उन पत्रों के अन्तिम निपटारे तक कार्यालय के लिपिक तथा अधिकारीगण उस पर जो अभ्युक्तियाँ लिखते हैं, वे ही टिप्पणी कहलाती हैं।“
वस्तुतः विचाराधीन पत्रों के शीघ्र निस्तारण हेतु सम्बन्धित लिपिक या अनुभाग अधिकारी द्वारा दिया गया वांछित विवरण ही टिप्पणी है।
टिप्पणी की विशेषताएँ अथवा सामान्य नियम
(1) समाधान का प्रस्तुतीकरण-
टिप्पणीकार, टिप्पणी लिखते समय इस बात का ध्यान रखता है कि जिस पत्र के सन्दर्भ में टिप्पणी लिखी जा रही है, उसमें पत्र की समस्या का उल्लेख कर उसका समाधान प्रस्तुत किया जाए।
(2) सम्बद्धता-
टिप्पणीकार को अपने विचारों का संयोजन इस प्रकार करना चाहिये, जिससे पत्र के सन्दर्भ में की गयी पूर्व कार्यवाहियों का समावेश क्रमश: हो। ऐसा करने से वर्तमान स्थिति का ज्ञान होता है और भविष्य में समुचित कार्यवाही करने में मदद मिलती है।
(3) व्यक्तिगत आक्षेप से मुक्ति-
टिप्पणीकार को टिप्पणी लिखते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि उसकी टिप्पणी किसी अधिकारी अथवा लिपिक पर व्यक्तिगत आक्षेप से मुक्त हो ।
(4) समुचित भाषा का प्रयोग-
टिप्पणीकार की भाषा में कटुता के स्थान पर मधुरता का समावेश होना चाहिये। इसके साथ-साथ उसकी भाषा में अर्थ की दृष्टि से स्पष्टता होनी चाहिये । टिप्पणी लेखक को किसी बात अथवा विचार को दोहराने की प्रवृत्ति से बचना चाहिए।
(5) संक्षिप्तता-
टिप्पणी में संक्षिप्तता का गुण परम आवश्यक है। इसलिये कम-से-कम शब्दों का प्रयोग करना चाहिए।
(6) पत्र संख्या और दिनांक का उल्लेख-
टिप्पणी लिखते समय पत्र की संख्या उसके दिनांक, उसकी पेज संख्या का उल्लेख अवश्य करना चाहिए।
(7) विषय का विभाजन-
लम्बी टिप्पणी लिखते समय विषय का विभाजन कर उसके अलग-अलग बिन्दु पर अलग-अलग विचार करना चाहिए।
(8) पूर्व विवरण का उल्लेख–
टिप्पणीकार को पत्र से सम्बन्धित सभी प्रमुख विवरणों का उल्लेख करना चाहिए। साथ-ही-साथ टिप्पणी प्रारम्भ करते समय उसकी प्रमुख समस्या का उल्लेख करना चाहिए।
(9) अनुच्छेदों को संख्याबद्ध करना-
टिप्पणी के प्रथम अनुच्छेद को छोड़कर शेष सभी अनुच्छेदों को संख्याबद्ध करना चाहिए।
(10) प्रथम पुरुष का अप्रयोग-
टिप्पणी लिखते समय प्रथम पुरुष अर्थात् मैं मैंने आदि के प्रयोग से बचना चाहिए।
(11) हस्ताक्षर-
टिप्पणी लिखने के बाद अन्त में लघु हस्ताक्षर करना चाहिए।
सावधानियाँ-
- भाषा अस्पष्ट नहीं होनी चाहिए।
- अनिश्चयात्मकता की स्थिति से यथासम्भव बचना चाहिए।
- आलोचना से बचना चाहिए तथा तथ्यपरक टिप्पणी लिखनी चाहिए।
टिप्पणी-लेखन में प्रयुक्त होने वाले कुछ वाक्यांश का प्रयोग निम्न प्रकार है
सादर अवलोकनार्थ प्रस्तुत।
सादर आदेशार्थ प्रस्तुत ।
सादर हस्ताक्षरार्थ प्रस्तुत ।
उत्तर का प्रारूप अनुमोदनार्थ प्रस्तुत, देख लिया। धन्यवाद ।
हस्तान्तरित भेजें। अब कोई कार्यवाही अपेक्षित नहीं।
वित्त विभाग को सहमति हेतु लिखें।
मुख्य पत्रावली आने तक प्रतीक्षा करें।
विचाराधीन पत्र के सम्बन्ध में सूचना अभी न भेजें ।
अन्तरिम उत्तर शीघ्र भेजें।
प्रारूप प्रस्तुत करें।
टंकण अशुद्धियाँ हैं ।
शुद्ध प्रारूप तत्काल प्रेषित करें।
प्रारूप उचित है।
पत्र जारी करें।
प्रारूप जारी करना अब आवश्यक नहीं।
पूर्व-सन्दर्भ प्रस्तुत करें।
अनुस्मारक तुरन्त जारी करें।
सभी क्षेत्रीय कार्यालयों को सूचित करें।
निम्नलिखित सुझावों के अनुसार उत्तर का प्रारूप तैयार किया जाए।
सर्वसाधारण को सूचनार्थ प्रसारित करें।
मात्र सूचनार्थ पालनार्थ प्रसारित करें।
प्रसारणार्थ ।
अग्रिम कार्यवाही की प्रतीक्षा की जा रही है।
औपचारिक अनुमोदन निरस्त किया जाए।
औपचारिक अनुमोदन अंकित किया जाए।
आवश्यक कार्यवाही के लिये अग्रसरित ।
विचारार्थ प्रस्तुत ।
अन्तिम उत्तर शीघ्र भेजिये ।
निदेशालय को टिप्पणी के लिये भेजिए।
चर्चानुसार कार्यवाही कीजिए।
कृपया स्वीकृति प्राप्त करें।
सेविवर्गीय सदस्यों में प्रसारित करने के बाद नत्थी करें।
यथानुरूप सहमत ।
सभी सम्बन्धियों को बुलाइए।
कृपया बिन्दुवार अपनी विस्तृत टिप्पणी भेजिए ।
कृपया टीका कीजिये ।
कृपया शीघ्र भेजिये ।
कृपया पूर्व-टिप्पणी का अवलोकन करें।
स्वीकृति हेतु प्रस्तुत प्रारूप पर सहमति दी जा सकती है।
निम्न सुझावों के अनुसार उत्तर का प्रारूप तैयार करें।
प्रारूप अनुमोदनार्थ प्रस्तुत ।
तत्काल अनुपालनार्थ अग्रसरित ।
अवलोकन कर लौटाने के लिये ।
शीघ्र उत्तर भेजने के लिये मात्र सदस्यों में प्रसारणार्थ।
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