Topi Class 8 Summary

Topi Class 8 Summary : टोपी पाठ का सार व प्रश्न उत्तर

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इस कहानी के लेखक संजय जी हैं। यह कहानी एक लोक कथा है।यहां पर टोपी को शक्ति और इज्जत का प्रतीक बताया गया हैं। इस कहानी के जरिए लेखक दो बातें कहना चाहते हैं।

पहला यह कि कैसे शक्तिशाली लोग अपनी शक्ति का अनुचित प्रयोग कर अपना काम करवाते हैं। और उनको उनका पूरा मेहनताना भी नहीं देते हैं। लोग भी उनका काम पूरे मन से नहीं करते हैं। अगर उनके काम के बदले उन्हें पूरा मेहनताना दिया जाए तो , वो अपना काम पूरी ईमानदारी और सच्चाई के साथ करेंगे।

और दूसरी बात ये कि , अगर किसी काम को करने के लिए मन में दृढ़ इच्छा शक्ति हो तो , कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता है। और कोई भी मुश्किल आपका रास्ता नहीं रोक सकती है।

लेखक ने इसमें मुहावरों का बहुत शानदार प्रयोग किया हैं। हर बात को मुहावरों के द्वारा कहने की कोशिश की हैं।

Topi Class 8 Summary

टोपी पाठ का सार

Topi Class 8 summary , इस खूबसूरत कहानी की शुरुआत होती है एक गौरैया (Sparrow) के जोड़े की बातचीत से। दोनों (नर (Male)  व मादा (Female) गौरैया) एक दूसरे के साथी थे और दोनों में बहुत प्रेम भी था। वो दोनों जहाँ जाते , साथ जाते , साथ खाते-पीते , हँसते , रोते और खूब बातें करते। दोनों अपने सारे काम साथ-साथ करते थे और बहुत खुश रहते थे। 

एक बार मादा गौरैया ने किसी मनुष्य को कपड़े पहने देखा। तो उसने नर गौरैया ने कहा कि मनुष्य वस्त्रों में कितना सुंदर लगता हैं। तब नर गौरैया ने मादा गौरैया को समझाते हुए कहा कि वस्त्र मनुष्य को सुंदर नहीं बनाते बल्कि वो तो उसका वास्तविक सौंदर्य ढक देते है।और हमें वस्त्रों की कोई आवश्यकता नहीं। हम तो ऐसे ही बहुत सुंदर दिखते हैं।

इस पर मादा गौरैया कहती है कि मनुष्य केवल अपने आप को सुन्दर दिखाने के लिए ही कपड़े नहीं पहनता बल्कि गर्मी , सर्दी , बरसात जैसे मौसमों की मार से खुद को बचाने के लिए भी मनुष्य कपड़े पहनता है।

तब नर गौरैया , मादा गौरैया को समझाते हुए कहता है कि असली टोपी तो आदमियों का राजा पहनता है। वैसे इस टेापी की इज्जत को बचाये रखने में कितने ही लोगों का दिवाला निकल जाता है। और मनुष्य अपनी इज्जत को बचाने या अपने स्वार्थ की पूर्ति के लिए ना जाने कितने ही लोगों को टोपी पहनाता (बेवकूफ बनाता) है।

मगर मादा गौरैया को टोपी पहनने का शौक चढ़ गया। और उसने अपने लिए एक सुंदर सी टोपी बनाने की ठान ली और इस दिशा में उसने अपना प्रयास भी शुरू कर दिया।

अगले दिन सुबह-सुबह रोज की तरह नर गौरैया और मादा गौरैया दाना चुगने एक कूड़े के ढेर के पास गए । दाना चुगते-चुगते अचानक मादा गौरैया को रुई का एक टुकड़ा मिल गया। रुई का टुकड़ा देखकर मादा गौरैया ख़ुशी से कूड़े के ढेर पर लोटने लगी।  

अब यहां से शुरू होता है छोटी सी गौरैया का उस रुई से खूबसूरत सी टोपी बनाने तक का सफर। 

सबसे पहले गौरैया उस रुई को धुनिया के पास ले जाकर धुनवाने की कोशिश करती है। लेकिन धुनिया उसका काम मुफ्त में करने से मना कर देता है। लेकिन जब वह उसको , उसकी मेहनत का पूरा हिसाब यानी उस रुई में से आधी रुई देने की बात करती है तो , धुनिया खुशी खुशी उसकी रूई धुन देता है।

फिर गौरैया उस धुनी हुई रुई का सूत कतवाने के लिए कोरी के पास ले जाती है। और उसे भी आधा सूत मेहनताने के रूप में दे देती है। उसके बाद गौरैया धागे से कपड़ा बनवाने के लिए बुनकर के पास पहुंचती है। और बुनकर को भी कपड़े का आधा हिस्सा मेहनताने के रूप में दे कर धागे से कपड़ा बनवा लेती है। 

उसे बाद गौरैया उस कपड़े से टोपी बनाने के लिए दर्जी के पास पहुंचती है। उसे भी उसकी मजदूरी के रूप में आधा कपड़ा दे देती हैं। दर्जी ने खुश हो कर न सिर्फ उसकी टोपी बनाई  , साथ में उसमें पाँच ऊन के फूल भी लगा दिए। गौरैया की टोपी अब बहुत सुन्दर लग रही थी। अब तो नर गौरैया को भी कहना ही पड़ा कि तुम टोपी पहन कर बिल्कुल रानी लग रही हो।

उस टोपी को पहनने के बाद गौरैया के मन में राजा से मिलने की इच्छा हुई। और वह टोपी पहन कर राजा के महल में पहुँची। उस समय राजा छत पर मालिश करवा रहा था। गौरैया ने राजा का मजाक उड़ाना शुरू कर दिया।जिससे राजा को क्रोध आ गया। और उसने अपने सैनिकों को गौरैया को मारने का आदेश दे दिया। सैनिकों ने गौरैया को मारा तो नहीं , मगर उसकी टोपी छीन ली।

राजा ने जब उसकी सुन्दर टोपी को देखा तो वह हैरान रह गया। उसने गौरैया से पूछा कि इतनी सुन्दर टोपी किसने बनाई। गौरैया ने बताया कि टोपी दर्जी ने बनाई हैं। तब राजा ने दर्ज़ी को बुलवाया और उससे टोपी के सुंदर होने का कारण पूछा । दर्जी ने राजा को बताया कि टोपी सुन्दर इसलिए बनी क्योंकि कपड़ा बहुत अच्छा था।

फिर राजा ने पूछा कि कपड़ा किसने बनाया। गौरैया ने बताया की बुनकर ने। इसके बाद बुनकर  , कोरी व धुनिया को राजा ने अपने दरवार में बुलाया।

सभी ने राजा को बताया कि गौरैया ने सभी को उनकी मेहनत की पूरी मजदूरी दी थी। इसलिए उन्होंने भी गौरैया का काम ईमानदारी से किया। 

उधर अपनी टोपी को छीनती देख , गौरैया जोर जोर से चिल्लाने लगी कि “उसने हर व्यक्ति को उसकी मेहनत की पूरी कीमत चुकायी है। राजा कंगाल है। वह प्रजा को बहुत सताता है। उनसे मनमाना कर वसूलता है। अब उसने मेरी टोपी भी छीन ली है। खुद पूरा मेहनताना देकर अच्छी टोपी नहीं बनवा सकता है।

अब राजा को लगने लगता हैं कि गौरैया कहीं उसकी सारी पोल ना खोल दे। यह सोचकर राजा ने गौरैया की टोपी वापस कर दी। गौरैया ने टोपी पहनी और उड़ते हुए जोर-जोर से “राजा डरपोक हैं। इसीलिए उसने टोपी लौटा दी” कहती हुई वहां से चली गई।

टोपी पाठ के प्रश्न उत्तर

Question And Answer Of Topi Class 8

प्रश्न 1.

गौरैया और गवरा के बीच किस बात पर बहस हुई और गवरइया को अपनी इच्छा पूरी करने का अवसर कैसे मिला?

उत्तर-

गौरैया और गवरा के बीच मनुष्यों द्वारा पहने जाने वाले रंग बिरंगे सुंदर कपड़ों को लेकर बहस हुई।

गौरैया को अगले दिन सुबह दाना चुगते हुए कूड़े के ढेर में एक रुई का फाहा मिला। जिससे गौरैया ने अपने लिए बड़ी मेहनत से एक सुंदर सी टोपी बनवाई और अपनी इच्छा पूरी की।

प्रश्न 2.

गौरैया और गवरे की बहस के तर्कों को एकत्र करें और उन्हें संवाद के रूप में लिखें।

उत्तर-

गौरैया – मनुष्य रंग बिरंगे कपड़े पहनकर कितने सुन्दर लगते हैं।

गवरा-  कहाँ सुन्दर लगते हैं। पूरा बदन तो कपड़ों से ही ढक जाता हैं। उसकी कुदरती सुंदरता तक तो दिखाई नहीं देती है।

गौरैया – लगता है आज लटजीरा चुग कर आये हो ? इसीलिए ऐसी बातें कर रहे हो। कपड़े मनुष्यों को मौसम की मार से भी तो बचाते हैं।

गवरा-  तभी तो मनुष्यों में मौसम की मार को सहन करने की शक्ति कम होती जा रही है।

गौरैया – मनुष्य हर रोज नए कपड़े सिलवाता है। इसमें कुछ तो खास होगा। और मुझे तो मनुष्य की टोपी बहुत पसंद है।

गवरा- टोपी के चक्कर में पड़कर इन्सान अपनी इंसानियत खो देता है। कंगाल हो जाता हैं। दूसरों की टोपी उतारने में भी देर नहीं करता है। इसलिए तू तो इन चक्करों से दूर ही रह। 

गौरैया – मुझे तो हर कीमत पर टोपी पहननी ही है।

प्रश्न 3.

टोपी बनवाने के लिए गौरैया किस-किस के पास गई ? टोपी बनने तक के एक-एक कार्य को लिखें।

उत्तर –

टोपी बनवाने के लिये गौरैया सबसे पहले रुई धुनवाने के लिए धुनिया के पास गई। फिर उसके बाद वह धागा बनाने के लिये कोरी के पास गई। इसके बाद धागे से कपड़ा बनाने के लिये बुनकर के पास गई और आखिर में वह टोपी सिलवाने के लिये दर्जी के पास गई। तब जाकर कही उसकी टोपी बनकर तैयार हुई।

प्रश्न 4.

गौरैया की टोपी पर दर्जी ने पाँच फुँदने क्यों जड़ दिए?

उत्तर-

गौरैया की टोपी पर दर्जी ने पाँच ऊन के फुँदने (फूल) इसलिये लगा दिए क्योंकि उसने दर्जी को मजदूरी के रूप में आधा कपड़ा दे दिया था। और दर्जी ने खुश होकर उसकी टोपी को सुन्दर बना दिया।

Topi Class 8 Summary,

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