खेलों में प्रशिक्षण – Training in sports Notes in Hindi

खेलों में प्रशिक्षण – Physical Education chapter 10th class 12th (Training in sports) Notes in Hindi

खेलों में प्रशिक्षण – Training in sports Notes in Hindi : शक्ति (Strength) किसी भी प्रकार के प्रतिरोध का सामना करने की मांसपेशियों की योग्यता को शक्ति कहा जाता है।

खेलों में प्रशिक्षण – Training in sports Notes in Hindi

शक्ति

शक्ति (Strength) किसी भी प्रकार के प्रतिरोध का सामना करने की मांसपेशियों की योग्यता को शक्ति कहा जाता है।

अधिकतम शक्ति 
अधिकतम अवरोध के विरुद्ध कार्य करने की योग्यता
विस्फोटक शक्ति 
अवरोध के विरुद्ध तेजी से कार्य करने की योग्यता
सहन क्षमता शक्ति 
अवरोध के विरुद्ध थकावट की स्थिति में कार्य करने की योग्यता

आइसोमैट्रिक व्यायाम  

आइसोमैट्रिक व्यायाम का अर्थ होता है ऐसे व्यायाम जिनको करने से मांसपेशियों की लम्बाई में कोई बदलाव नहीं होता आइसोमैट्रिक व्यायाम कहलाते हैं।
उदाहरण : भार उठाना, जिम्नास्टिक

आइसोटोनिक व्यायाम

ये ऐसे व्यायाम होते हैं जिन्हें करते समय हमारे शरीर की मांसपेशियों की लम्बाई बढ़ते हुए तथा घटते हुए साफ़ दिखाई देती हैं।
इस प्रकार के व्यायाम उपकरण के साथ तथा बिना उपकरण के भी किये जा सकते हैं ।
उदाहरण : रनिंग करना, weight lifting

आइसोकाइनेटिक व्यायाम

ये ऐसे व्यायाम होते हैं जिन्हें मशीनों द्वारा किया जाता है
इन व्यायामों को करने से हमारी मांसपेशियों की शक्ति बढ़ती है।

सहनक्षमता

किसी भी कार्य को लम्बे समय तक जारी रखने की शारीरिक योग्यता को सहन क्षमता कहा जाता है।
सहन क्षमता को बढ़ाने की विधियाँ

निरंतर प्रशिक्षण विधि 
अन्तराल प्रशिक्षण विधि 
फार्टलैक प्रशिक्षण विधि 

निरंतर प्रशिक्षण विधि 

इस विधि में व्यायाम को बिना रुके लम्बे समय तक किया जाता है।
इस विधि में लगभग 30 Minutes  तक व्यायाम किया जाता है।
इस विधि से हृदय की कार्यकुशलता में वृद्धि होती है ।

अंतराल प्रशिक्षण विधि

इस विधि खिलाड़ी तेज़ गति से व्यायाम करता है तथा उसके बाद Rest  लेता है और उसके बाद दुबारा से तेज़ गति से व्यायाम करता है।
यह विधि Football, Hockey  जैसे खेलों में बहुत उपयोगी होती है।

फार्टलैक प्रशिक्षण विधि 

इस विधि में निरंतर प्रशिक्षण विधि तथा अंतराल प्रशिक्षण विधि का मिश्रण होता है।
इस विधि में खिलाड़ी अपने आस पास की जगहों को देखते हुए दौड़ता है जैसे : कच्ची सड़क, पक्की सड़क, पहाड़, कीचड़ आदि।
इस विधि को गति खेल भी कहा जाता है।
इस विधि में खिलाड़ी आसपास की परिस्थिति को देखते हुए अपनी speed  में बदलाव करता है।
इस विधि में recovery  के लिए खिलाड़ी तेज़ दौड़ने के बाद धीरे पैदल चल सकता है।

गति

वह योग्यता है जो किसी क्रिया को जल्द से जल्द करने में मदद करती है।
गति के प्रकार
प्रतिक्रिया गति योग्यता
किसी संकेत के विरुद्ध जल्द जल्द कार्य करने की योग्यता।

गति के प्रकार  

त्वरण गति योग्यता 
अपनी अधिकतम गति की स्थिति को जल्द से जल्द प्राप्त करने की योग्यता
लोकोमीटर गति योग्यता 
अधिकतम गति की स्थिति को लम्बे समय तक बनाए रखने की योग्यता
क्रिया गति योग्यता 
किसी एक क्रिया को जल्द से जल्द करने की योग्यता
गति सहनशीलता 
थकावट की स्थिति में किसी क्रिया को जल्द से जल्द करने की योग्यता

गति के विकास की विधियाँ 

त्वरण दौड़ें 
यह दौड़ें 50 मीटर तक बहुत तेज़ speed  में लगाईं जाती हैं।
इन दौड़ों को लगाने के लिए warm up  करना जरूरी होता है।
इन दौड़ों को लगाने के बीच 5 minute  तक का rest  भी जरूरी होता है।

गति के विकास की विधियाँ 

पेस दौड़ें 
इन दौड़ों में किसी दूरी को एक ही चाल या speed  से दौड़ना होता है।
इसमें 800 मीटर तक की दौडें शामिल होती हैं।
ऐसी दौड़ों में तेज़ी से दौड़ने से ऊर्जा जल्दी ख़त्म हो जाती है इसलिए इसमें 300 मीटर तक तो तेज़ी से दौड़ सकते हैं पर उससे ज्यादा तेज़ नहीं दौड़ना चाहिए।

लचक

किसी भी व्यक्ति के शरीर के जोड़ों की गतियों के विस्तार को लचक कहा जाता है , लचक को flexibility  भी कहा जाता है
लचक के प्रकार
अक्रिय लचक
सक्रीय लचक

लचक को बढ़ाने की विधियाँ 

अक्रिय लचक 

किसी बाहरी सहायता से अधिक दूरी तक जोड़ों द्वारा गति करना अक्रिय लचक कहलाता है।
जैसे : gym  के समय भार उठाते समय सहयोगी की सहायता लेना

सक्रीय लचक 

बिना किसी दूसरे की सहायता के शरीर के जोड़ों का अधिक दूरी तक गति करना सक्रीय लचक कहलाता है।
जैसे : बिना किसी की help  लिए stretching  वाले व्यायाम करना

i) बलिस्टिक विधि 

इस विधि में सभी exercise  और खिंचाव वाले व्यायाम घुमाकर किए जाते हैं।
इन exercise  को करने से पहले warm up  बहुत जरूरी होता है।
इस विधि में चोट लगने का खतरा ज्यादा होता है ।

ii) स्थिर खिंचाव विधि 

इस विधि में शरीर को धीरे धीरे खिंचाव अवस्था से लाकर कुछ देर तक रोके रखना होता है।
इस विधि में आगे की ओर बढ़ने का प्रयास करते रहना चाहिए।

iii) गतिशील खिंचाव विधि 

इस विधि में हाथों और पैरों को इस प्रकार घुमाया जाता है की जोड़ों में धीरे धीरे ज्यादा से ज्यादा खिंचाव हो।
इस विधि की शुरुआत धीमी गति से करनी चाहिए ।

iv)  Post  आइसोमैट्रिक  विधि 

बड़े बड़े खिलाड़ियों द्वारा लचक बढ़ाने के लिए इस विधि का प्रयोग किया जाता है।
इस विधि में खिंचाव से पहले मांसपेशियों का संकुचन किया जाता है।
इसमें 8 से 10 seconds  तक खिंचाव दिया जाता है।

तालमेल संबंधी योग्यता 

अर्थ : व्यक्ति की ऐसी योग्यताएं जो उसे विभिन्न गति क्रियाएं सुचारू तथा प्रभावशाली तरीके से करने के लायक बनाती हैं

प्रकार 

Orientation Ability  
यह योग्यता मनुष्य में समय तथा स्थान की स्थिति के अनुसार स्वयं को अनुकूल बनाने की योग्यता है।
प्रकार
खिलाड़ी के शारीरिक अंगों की क्रियाओं को करने की योग्यता
हाथों और आँखों का तालमेल, पाँव आँखों का तालमेल
Reaction Ability  
किसी खिलाड़ी द्वारा खेल के दौरान विभिन्न संकेतों के प्रति तत्काल तथा तेज़ प्रभावशाली प्रतिक्रिया देने की योग्यता होती है।
Balance Ability  
खेल के दौरान शारीरिक गतिविधियाँ करते समय अपना शारीरिक संतुलन बनाए रखने की योग्यता।
जैसे : जिमनास्टिक में
Rhythm Ability  
खेल के दौरान किसी गतिविधि को लयात्मक रूप से पूर्ण करने की योग्यता।
Adaption Ability  
खेलों के दौरान होने वाले पूर्व निर्धारित परिवर्तनों के कारण अपनी गतियों के प्रभावशाली समायोजन की योग्यता
Differential Ability  
खेलों के दौरान उच्च दर्जे की सटीकता तथा शरीर की अलग अलग गतियों की मितव्यता की योग्यता

Thanks for stay with  https://ncerthindi.com/ 

2 thoughts on “खेलों में प्रशिक्षण – Training in sports Notes in Hindi”

Leave a Comment

close