उल्टा पिरामिड शैली-Ulta Pyramid Shaili

उल्टा पिरामिड शैली-Ulta Pyramid Shaili

उल्टा पिरामिड शैली-Ulta Pyramid Shaili : आज के लेख में हम सीखेंगे उल्टा पिरामिड शैली क्या है? इसका प्रयोग कहां किया जाता है और समाचार से इसका क्या संबंध है? इन सभी प्रश्नों के उत्तर आप इस लेख में प्राप्त करेंगे। इस लेख का अध्ययन कर आप उल्टा पिरामिड शैली और समाचार के विषय में समग्र जानकारी हासिल करेंगे।

उल्टा पिरामिड शैली-Ulta Pyramid Shaili

उल्टा पिरामिड शैली किसे कहते है

पिरामिड को आप जानते होंगे , इस शैली में अरब के देशों में विभिन्न प्रकार की वास्तुकला देखने को मिलती है। पिरामिड का आकार नीचे से चौड़ा और ऊपर की ओर बिल्कुल पतला नुकीला जैसा होता है। इसको उल्टा किया जाए तो साधारण शब्दों में इसे ही उल्टा पिरामिड कहते हैं

उल्टा पिरामिड शैली से हमारा तात्पर्य समाचार लेखन से है। समाचार को पढ़ते समय आपने महसूस किया होगा समाचार के आरंभ में ही उस विषय की पूरी जानकारी दे दी जाती है।

फिर घटते क्रम में धीरे-धीरे उन खबरों को आगे बढ़ाते हुए अंत किया जाता है।

उल्टा पिरामिड शैली में महत्वपूर्ण चरण होते हैं 

  1. मुखड़ा

यह समाचार का सबसे महत्वपूर्ण भाग है , जिसके अंतर्गत समाचार का संपूर्ण सार नहीं होता है। मुखड़ा के अंतर्गत क्या , कौन ,कहां ,कब आदि बिंदुओं पर विचार किया जाता है।

  1. बॉडी

इसके अंतर्गत समाचार के विभिन्न पहलुओं को समाहित किया जाता है और घटना को उजागर करते हुए उसके कारण आदि को उद्घाटित किया जाता है।  बॉडी के अंतर्गत कैसे, क्यों के रहस्य को उद्घाटित किया जाता है।

  1. समापन

यह समाचार का अंतिम बिंदु होता है। जिसमें समाचार लिखने वाला समाचार के कारणों को सामने रखते हुए पाठकों के लिए विचारणीय बिंदु छोड़ जाता है, जो काफी संक्षिप्त रूप में होता है। साथ ही इसमें तथ्य का स्रोत भी छिपा होता है।

समाचार तथा उल्टा पिरामिड शैली का संबंध

समाचार का मूल उद्देश्य लोगों की जिज्ञासाओं को शांत करना होता है। व्यक्ति अपने आसपास की घटनाओं को देखना वह जानना चाहता है , जिससे वह संबंध रखता है। उन घटनाओं को वह बेहद करीबी से जानने की उत्सुकता रखता है। इस उत्सुकता को समाचार के माध्यम से पूरा किया जाता है। समाचार लेखन करते समय यह ध्यान दिया जाता है कि जिस उद्देश्य के लिए पाठक उस समाचार का अध्ययन कर रहा है उसे शुरुआत में ही पूरी जानकारी मिल जाए।

अगर पूरी जानकारी शुरुआत में नहीं मिलेगी तो , वह उसके प्रति गलत विचार तथा धारणा बना सकता है। कहानी, उपन्यास आदि में रहस्य कथा घटनाओं को बाद में उजागर किया जाता है, जबकि समाचार लेखन में ऐसा नहीं है। यहां उल्टा पिरामिड शैली का प्रयोग करते हुए समाचार के शुरुआत में ही पूरी घटना का वृतांत प्रस्तुत कर दिया जाता है।

पाठक को आरंभ में ही कौन, कहां, कब जैसे महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर मिल जाते हैं।

समाचार लेखन के कितने ककार होते हैं (samachar lekhan ke 6 kakar)

उपर्युक्त तथ्यों पर आधारित जनकारी को समाचार का रूप देते समय 6 ककारों का उल्लेख करना आवश्यक है ये 6 ककार है:

१. क्या (घटना या स्थिति)

२. कब (समय या तर)

३. कहां (स्थान)

४. क्यों (कारण)

५. कौन (घटना का कारक/करने वाला)

६. कैसे (विवरण)

समाचार लिखते समय इन्हीं छह ककारों यानी प्रश्नों के उत्तर यथासंभव प्रस्तुत करने का प्रयास होना चाहिए समाचार के पहले अनुच्छेद या खंड में इन सभी प्रश्नों के उत्तर कम से कम शब्दों में लिखे जाते हैं इस क्रम में क्या प्रश्न सबसे पहले आता है और कैसे सबसे अंत में एक संवाददाता द्वारा इसी व्यवस्थित क्रम में लिखे गए समाचार का लाभ उसे प्रकाशित या प्रसारित करते समय पता चलता है। स्थानीय समय के अभाव में केवल पहला खंड लिया जाना पूरा समाचार बन जाता है। आगे के खंडों में समाचार के महत्व और उसकी उपयोगिता के आधार पर उसका उपयोग किया जा सकता है।

यह लेख भी पढ़ें CBSE Sample Paper Class 12 Hindi

2 thoughts on “उल्टा पिरामिड शैली-Ulta Pyramid Shaili”

Leave a Comment

close