व्याकरण शिक्षण की सुग्गा प्रणाली

व्याकरण शिक्षण की किस प्रणाली को विकृत रूप में सुग्गा प्रणाली भी कहते हैं?

व्याकरण शिक्षण की सुग्गा प्रणाली

  1. अव्याकृति प्रणाली
  2. सहयोग प्रणाली
  3. पाठ्यपुस्तक प्रणाली
  4. निगमन प्रणाली

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Right Answer is: C. पाठ्यपुस्तक प्रणाली

सुग्गा विधि का अन्य नाम

सुग्गा विधि का अन्य नाम पाठ्यपुस्तक प्रणाली भी हैं। व्याकरण शिक्षण की पाठ्यपुस्तक प्रणाली को विकृत रूप में सुग्गा प्रणाली भी कहते हैं?

व्याकरण किसी भाषा के बोलने तथा लिखने के नियमों की व्यवस्थित पद्धति है अर्थात व्याकरण भाषा को व्यवस्थित करने का कार्य करती है। व्याकरण शिक्षण की पाठ्यपुस्तक प्रणाली को विकृत रूप में सुग्गा प्रणाली भी कहते हैं क्योंकि:

  • यह व्याकरण शिक्षण की अमनोवैज्ञानिक विधि है।
  • इसमें बच्चे स्वयं पुस्तक में दिए हुए व्याकरण के नियम पढ़ते हैं।
  • इसमें बच्चों द्वारा पढ़े नियमों को शिक्षक सिर्फ उन्हें एकबार समझता है।
  • यह प्रणाली मुख्य रूप से बच्चों द्वारा पुस्तक से नियमों को रटे जाने से संबंधित है।
अव्याकृति विधि/भाषा संसर्ग प्रणाली यह विधि कुशल अध्यापक द्वारा शुद्ध व्याकरण के नियमों का ज्ञान तथा शुद्ध भाषा के प्रयोग पर बल देती है।
सहयोग प्रणाली इस विधि के तहत व्याकरण पाठ के संदर्भ में सिखाया जाता है। जैसे शिक्षण कार्य के दौरान पाठ में आने वाले शब्दों का उपसर्ग-प्रत्यय या संधिविच्छेद बता कर।
निगमन प्रणाली इस प्रणाली में पहले व्याकरण के नियमों और सिद्धांतों को प्रस्तुत किया जाता है तथा बाद में उदाहरणों के द्वारा नियमों की पुष्टि की जाती है।

 

विद्यार्थियों को व्याकरणिक नियमों की समझ देने के लिए ज़रूरी बातें:

  • शुद्ध उच्चारण की शिक्षा के लिए बोलने व सुनने के अधिक से अधिक अवसर प्रदान करना।
  • भाषा में निहित ध्वनियों और शब्दों को खेल के साथ आनन्द लेते हुए सीखाना, जैसे- इन्ना, विन्ना, तिन्ना आदि।
  • सुक्ति, मुहावरों, लोकोक्तियों का उचित प्रयोग के लिए विभिन्न विधाओं को पढ़ने के अधिक से अधिक अवसर देना।
  • तरह-तरह की कहानियों, कविताओं या रचनाओं की भाषा की बारीकियों जैसे- संज्ञा, सर्वनाम, विभिन्न विराम चिन्हों की पहचान कराना।
  • एक दुसरे की लिखी हुयी रचनाओं को सुनने, पढ़ने और उन पर अपनी राय देने, उनमें अपनी बात जोड़ने, बढ़ाने और अलग-अलग ढंग से लिखने के अवसर देना।

​अतः, यह निष्कर्ष निकलता है कि विद्यार्थियों को व्याकरणिक नियमों की समझ देने के लिए ज़रूरी है कि विद्यार्थियों को पढ़ने-लिखने व बोलने-सुनने के अधिकाधिक अवसर दिए जाएँ।

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