व्यावसायिक पत्र के गुण व महत्व
‘व्यावसायिक पत्र का आशय स्पष्ट करते हुए व्यावसायिक पत्र के महत्व एवं उद्देश्यों को रेखांकित कीजिए। अथवा ‘’ व्यावसायिक पत्र के गुण या उसकी विशेषताएँ बताइए। अथवा ‘’ आदर्श व्यावसायिक पत्र के गुण व महत्व समझाइए। अथवा ‘’ वाणिज्यिक पत्राचार से आप क्या समझते हैं ? इसकी प्रमुख विशेषताओं का सविस्तार उल्लेख कीजिए।
हर्बर्ट एन. कैसल के शब्दों में, “व्यावसायिक पत्र एक प्रतिनिधि का काम करता है। जिस प्रकार एक योग्य प्रतिनिधि किसी वस्तु के बाजार को बढ़ा सकता है और अयोग्य प्रतिनिधि बाजार को हाथ से खो देता है उसी प्रकार एक अच्छा पत्र ग्राहक को सन्तुष्ट करके उसे स्थायी रूप से व्यापार का हितैषी बना सकता हैं I”
आदर्श पत्र के गुण या विशेषताएँ-
पत्र एक ऐसा माध्यम है जो मानव-मानव के मध्य भावों-विचारों के आदान-प्रदान का लिखित रूप होता है। सामान्यतः एक श्रेष्ठ पत्र में निम्नलिखित बातें अपेक्षित हैं-
- पत्र लेखक को यह बात पहले ही सोच लेनी चाहिए कि वह किस प्रकार का पत्र लिख रहा है-पारिवारिक व्यावहारिक,या सरकारी । हर प्रकार के पत्र लिखने की अपनी पद्धति है जिसका पालन करना चाहिए।
- पत्र साफ-स्वच्छ कागज पर उचित हाशिया छोड़कर लिखना चाहिए।
- लेख स्पष्ट होना चाहिए। व्यावहारिक और सरकारी पत्र यथासम्भव टाइप कराके भेजने चाहिए।
- अगर पत्र को मुद्रित प्रपत्र पर भेजा जाना है, तो उसे विधिवत् भरकर प्रेषित करना चाहिए।
- पत्र का भाव या विचार सुनियोजित व श्रृंखलाबद्ध रूप में लिखे जाने चाहिए।
- सामान्यतः पत्र के छः अंग होते हैं-शीर्ष, सम्बोधन, विवरण, सम्बन्ध, सूचकपद, नाम व पता और दिनांक । इनका सम्यक् निर्वाह होना चाहिए।
- पत्र में काट-छाँट इधर-उधर लिखना, गंदे हो गए स्थान पर कागज चिपकाना आदि ठीक नहीं। पहले से ही सोच-विचार कर लिखना चाहिए।
पत्र पोस्टकार्ड पर लिखा जाये अथवा सादे कागज पर; एक बार पुनः पढ़ लेना चाहिए और उचित डाक टिकट लगाकर ही प्रेषित किया जाना चाहिए।
व्यावसायिक पत्र-
लेखन का महत्त्व-वस्तुतः पत्र-लेखन व्यक्तिगत सम्पकों का विशदीकृत रूप है। यों तो सीमित समय में दूरस्थ सभी व्यापारियों से व्यक्तिगत सम्पर्क सम्भव नहीं हो पाता। साथ ही व्यक्तिगत सम्पर्क स्थापित करते समय कुछ महत्त्वपूर्ण बातें विस्मृत हो सकती हैं । व्यावसायिक पत्र-लेखन इन अभावों को पूर्ण करने में सक्षम होने के कारण महत्त्वपूर्ण हैं।
व्यावसायिक पत्र-लेखन एक कम खर्च वाली प्रक्रिया है। साथ ही इसे न्यायालय में साक्ष्य के रूप में मान्यता प्राप्त है। इसीलिए स्थायी और कम खर्च वाला व्यक्तिगत सम्पर्क कहा जाता है। इसी के माध्यम से व्यापारी लोग एक-दूसरे को भेजे हुए सन्देशों की पुष्टि करते हैं । व्यावसायिक पत्र एक लिखित प्रपत्र है जिसके आधार पर व्यवसाय में रत दोनों पक्ष लेन-देन करते हैं। लिखित रूप में होने के कारण दोनों पक्षों में किसी बात को लेकर कोई भ्रान्ति नहीं होती।
व्यक्तिगत सम्पर्क की एक बहुत बड़ी हानि यह है कि किसी पक्ष के अनुरोध को अस्वीकृत करने से प्राय: मनमुटाव की स्थिति आ जाती है। कभी-कभी यह मनमुटाव छोटे-मोटे विग्रह का रूप भी ले सकता है। व्यावसायिक पत्र-लेखन में मनमुटाव या झगड़ा-फसाद की स्थिति कम-से-कम होती है।
व्यावसायिक पत्र स्वस्थ मनःस्थिति में ध्यानपूर्वक लिखा जाता है। इसमें लिखने वाले की भावनाएँ तो स्पष्ट होती हैं। उसकी अवस्था रंग, रूप, सुन्दरता, कुरूपता आदि इसमें व्यक्त नहीं होते हैं । अतः इन सबसे उत्पन्न सुप्रभाव या कुप्रभाव प्रभावी नहीं हो पाते और व्यावसायिक कार्य विशुद्ध रूप में आगे बढ़ता है।
धनोपार्जन व्यवसाय का मूल उद्देश्य है । व्यावसायिक पत्र इस दिशा में भी महत्त्वपूर्ण है। इनसे कम-से-कम धन खर्च कर दूरस्थ अनेक व्यक्तियों से सम्पर्क किया जा सकता है। ये पत्र व्यापारियों की साख बनाते हैं और व्यापारियों के प्रतिनिधि के रूप में भी कार्य करते हैं।
उद्देश्य-
व्यावसायिक पत्र सही मानों में व्यापार का अभिन्न अंग है। व्यापार को गतिशील बनाने में इसका अत्यधिक योगदान है । बिक्री में वृद्धि करने, नए ग्राहक बनाने, पुराने ग्राहकों को आश्वस्त करने और उन्हें दुबारा ग्राहक बनाने,साख बढ़ाने, शिकायतें दूर करने, अशोध्य ऋण की वसूली करने, मतभेद या भ्रान्ति दूर करने, अपरिचय को परिचय में बदलने तथा व्यापार की सम्भावनाओं को तलाशने में व्यावसायिक पत्र-लेखन का उपयोग किया जाता है।
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