व्यावसायिक पत्र किसे कहते हैं ?
वाणिज्यिक पत्र से क्या अभिप्राय है ? वाणिज्यिक पत्र के विभिन्न भागों का वर्णन कीजिए। अथवा ‘’ व्यावसायिक पत्र किसे कहते हैं ? व्यावसायिक पत्र के विभिन्न भागों का उल्लेख विस्तारपूर्वक कीजिए।
उद्योग-धन्धों या व्यावसायिक गतिविधियों के सम्बन्ध में जब एक व्यापारिक संस्थान किसी अन्य संस्थान, कम्पनी, व्यक्ति आदि को पत्र लिखता है, तो इन्हें व्यावसायिक पत्र कहा जाता है । इस पत्र के माध्यम से व्यापारी द्वारा तैयार माल की जानकारी,माल मॅगाने का आदेश माल भेजने या माल प्राप्ति की सूचना आदि दी जाती है अथवा ली जाती है और माल खराब होने पर उसके बारे में शिकायत की जाती है।
व्यावसायिक पत्र एक विशिष्ट शैली में लिखा जाता है । यह अनौपचारिक या घरेलू पत्रों से भिन्न होता है। व्यवसाय से सम्बन्धित होने के कारण इस प्रकार के पत्र के प्रत्येक अंग का महत्व होता है।
व्यावसायिक पत्र के निम्नलिखित महत्वपूर्ण भाग होते हैं
1. शीर्षक-
वाणिज्यिक-पत्र या व्यावसायिक पत्र के शीर्षक के अन्तर्गत फर्म का नाम, व्यापार या व्यवसाय की दशा, पता,तार का पता,टेलीफोन नंबर, कोड का नाम एवं अन्य पत्र-व्यवहार के लिए सदैव अनिवार्य बातें आती हैं जिन्हें प्रायः लैटर पैड पर व्यवसायी अपनी रुचि के अनुकूल कलात्मक ढंग से मुद्रित करा लेता है।
2. दिनांक-
सीधे हाथ की ओर पते के नीचे लिखनी आवश्यक है यह अंग्रेजी ढंग से लिखी जाती है। अंग्रेजी ढंग में पहले दिनांक, फिर माह एवं वर्ष लिखते हैं और अमेरिकन ढंग में पहले माह, फिर दिनांक तथा वर्ष लिखे जाते हैं।
3. प्राप्तकर्ता का नाम एवं पता-
पत्र के बायीं ओर अभिवादन के ऊपर लिखा जाता है । यह अंग्रेजी तथा अमेरिकन दो रूपों में लिखा जाता है। ये व्यावसायिक पत्र एक व्यक्ति, फर्म,लिमिटेड कम्पनी एवं सोसायटी सरकारी विभाग किसी को भी सम्बोधित करके लिखा जा सकता है।
4. अभिवादन-
शाब्दिक शिष्टाचार है जिसके द्वारा प्रेषक पत्र के प्राप्तकर्ता से सम्पर्क साधता है । यह पत्र प्राप्तकर्ता के पते से ठीक नीचे दायीं ओर लिखा जाता है।
व्यक्ति एवं फर्म या सोसायटी आदि के लेखक के साथ सम्बन्धों के आधार पर अभिवादन का रूप परिवर्तनीय होता है। प्रत्येक अभिवादन के पश्चात् अल्पविराम (कौमा) लगा देना चाहिए।
5. विषय शीर्षक-
अभिवादन के बाद पत्र का संक्षिप्त विषय मध्य भाग में लिखने की प्रथा है, इसे विषय शीर्षक कहा जाता है। इसे लिखने से पत्र में कही बात का सन्दर्भ तुरन्त ज्ञात हो जाता है तथा पत्र को उसी अनुरूप फाइल (मिसिल) करने में सुविधा होती है।
6. पत्र का मुख्य भाग-
एक अच्छे व्यावसायिक पत्र के तीन अंग(i) प्रारम्भिक, (ii) मध्य भाग,(iii) सारांश होते हैं । प्रारम्भिक अनुच्छेद संक्षिप्त एवं प्रभावशाली होना चाहिए मध्य भाग में सन्देश की सभी बातों को अलग-अलग अनुच्छेद में रख देना चाहिए जिससे बात स्पष्ट हो सके । अन्तिम सारांश की भाषा भी विश्वासजनक, प्रभावयुक्त एवं प्रेरक होनी चाहिए।
7. अन्तिम प्रशंसात्मक वाक्य-
व्यावसायिक पत्र के शिष्टाचार का महत्वपूर्ण अंग है। यह पत्र के विषय की अन्तिम पंक्तियों से दो या तीन स्थान (पंक्ति) नीचे लिखा जाता है और सीधे या उल्टे हाथ के हाशिये के बीच इस प्रकार लिखा जाता है कि सम्पूर्ण-पत्र के साथ दिखाई पड़े। अन्तिम प्रशंसात्मक वाक्य लिखकर समाप्ति पर कोमा अवश्य लगाना चाहिए।
8. हस्ताक्षर-
पत्र तब ही पूर्ण माना जाता है जब लेखक के उस पर हस्ताक्षर हो जायें । हस्ताक्षर का स्थान अन्तिम प्रशंसात्मक वाक्य के बाद उसे थोड़ा नीचे और सीधे हाथ की ओर हाशिये के साथ लगा होना चाहिये । हस्ताक्षर के रूप में कम्पनी या फर्म आदि अपनी मुहर का प्रयोग भी करती है।
9. पद व संलग्नक-
इसका उल्लेख हस्ताक्षर की समाप्ति के उपरान्त उसकी बगल में उल्टे हाथ के हाशिये की ओर से देना चाहिये। वही पदनाम का उल्लेख भी किया जाना चाहिए।
10. पुनश्च-पत्र-
प्राप्तकर्ता का ध्यान आकर्षित करने के लिए व्यावसायिक पत्रों में पुनश्च की युक्ति प्रयोग में लायी जाती है क्योंकि कभी-कभी डाक में पत्र डालने से पूर्व कोई महत्वपूर्ण बात याद आ जाती है जो सन्देश प्राप्तकर्ता को जाननी आवश्यक होती है।
11. लिपिक के हस्ताक्षर-
टंकित पत्र में उल्टे हाथ के निचले कोने में होते हैं । इनसे अव्यवस्था के समय टंकक को पकड़ने में सुविधा होती है।
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