जल प्रदूषण क्या है इसे रोकने के उपाय

जल प्रदूषण क्या है इसे रोकने के उपाय बताइए

जल प्रदूषण क्या है इसे रोकने के उपाय : प्रायः लोग अपने घरों का कचरा, सड़ी-गली वस्तुएँ आदि नाली में फेंक देते हैं। नालियों का यह जल तालाब, नदियों में मिलकर उसे प्रदूषित करता है।

जल प्रदूषण क्या है इसे रोकने के उपाय

विभिन्न स्रोतों के जल में अनेक रासायनिक पदार्थ, मल-मूत्र तथा दूसरे अवांछित पदार्थ जैसे कूड़ा-करकट, नालियों का गंदा पानी आदि मिल जाते हैं। जिससे यह पीने तथा घरेलू कार्यों को करने के योग्य नहीं रहता। ऐसे जल को प्रदूषित जल कहते हैं। जल को प्रदूषित करने वाले पदार्थ प्रदूषक तथा इनके द्वारा जल का दूषित हो जाना “जल-प्रदूषण” कहलाता है। बढ़ते औद्योगिकीकरण के कारण जल प्रदूषण एक गंभीर समस्या के रूप में सामने आया है।

जल प्रदूषण के कारण –

1 मनुष्यों के कार्यकलाप – मनुष्यों के बहुत से कार्यकलाप जल को प्रदूषित करते हैं। आपने देखा होगा प्रायः लोग अपने घरों का कचरा, सड़ी-गली वस्तुएँ आदि नाली में फेंक देते हैं। नालियों का यह जल तालाब, नदियों में मिलकर उसे प्रदूषित करता है। इसी प्रकार नदी-तालाबों में नहाकर, कपड़े धोकर, जानवरों तथा गाड़ियों को साफ कर जल को गंदा करते हैं। कुछ स्थानों पर शवों को भी जल में बहा दिया जाता है।

देवी-देवताओं की मूर्तियों के जल में विसर्जन से उनके निर्माण में उपयोग किए गए रंगों के कारण जल प्रदूषित हो जाता है। अस्पतालों से फेंका गया अपशिष्ट,जंतुओं का मल-मूत्र भी जल को प्रदूषित करता है। इससे जल में अनेक रोगों के जीवाणु मिल जाते हैं।

2 खेती से – फसलों को नष्ट होने से बचाने के लिए तथा पैदावार बढ़ाने के लिए कीटनाशी, खरपतवारनाशी दवाइयों तथा अनेक प्रकार की खादों का उपयोग किया जाता है। इनमें प्रयुक्त घातक पदार्थ जल में घुलकर नदी, तालाबों में पहुँच जाते हैं तथा जल को प्रदूषित करते हैं।

3 उद्योगों से – विभिन्न उद्योग धंधों में मुख्य पदार्थ के निर्माण के साथ-साथ कुछ अनुपयोगी पदार्थ (अपशिष्ट पदार्थ) भी बनते हैं। ये अपशिष्ट पदार्थ प्रायः हानिकारक होते हैं। जब कारखानों में इन अपशिष्ट पदार्थों के निकासी की व्यवस्था उचित नहीं होती तब वे उसे नदी, तालाबों में छोड़ देते हैं जिससे जल प्रदूषित हो जाता है।

जब यह जल पेड़-पौधों तथा जीव-जंतुओं द्वारा उपयोग किया जाता है तब उन्हें हानि पहुंचाता है। अपशिष्ट पदार्थों में यदि लैड, मरकरी, क्रोमियम, कैडमियम आदि उपस्थित हों तो वे घातक रोग उत्पन्न करते हैं।

जल प्रदूषण रोकने के उपाय –

शासन द्वारा पर्यावरण प्रदूषण रोकने के लिए कुछ नियम बनाये हैं । जिनका सभी नागरिकों, संस्थानों तथा उद्योग धंधों को अनिवार्यतः पालन करना चाहिए।

  • प्रत्येक घर में सेप्टिक टैंक होना चाहिए ।
  • शोधन के पूर्व औद्योगिक अपशिष्टों को जल में नहीं छोडना चाहिए। जल स्रोतों में पशुओं को भी नहीं धोना चाहिए।
  • कीटनाशियों, कवकनाशियों इत्यादि के रूप में निम्नीकरण योग्य पदार्थों का प्रयोग करना चाहिए ।
  • खतरनाक कीटनाशियों के उपयोग में प्रतिबन्ध लगाना चाहिए।
  • जल स्रोतों के जल के शोधन पर विशिष्ट ध्यान देना चाहिए।
  • बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों में जल शोधन संयन्त्रों को लगाना चाहिए, जिससे इनके द्वारा निकला जल शुद्ध होने के बाद ही जल स्रोतों में जा सके ।
  • नगरों के वाहित मल को आबादी से दूर छोड़ना चाहिए। वाहित मल में कार्बनिक पदार्थों को कम करने के लिए ऑक्सीकरण तालाब या फिल्टर बेड का प्रयोग करना चाहिए ।
  • पशुओं के प्रयोग के लिए अलग जल स्रोत का प्रयोग करना चाहिए ।
  • समय-समय पर जल स्रोतों से हानिकारक पौधों को निकाल देना चाहिए ।
  • कीटनाशियों, खरपतवारनाशियों का कम से कम प्रयोग करना चाहिए ।
  • ताप तथा परमाणु बिजली घरों से निकलने वाले जल को ठण्डा होने के बाद शुद्ध करके ही जल स्रोतों में छोड़ना चाहिए।

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